Tuesday, August 2, 2016

सत्यार्थ प्रकाश को पढकर बडे-बडे मौलवी और पादरी बदल गये, आर्य हो गये ! (१.) वर्तमान में महेन्द्रपाल...

सत्यार्थ प्रकाश को पढकर बडे-बडे मौलवी और पादरी बदल गये, आर्य हो गये !

(१.) वर्तमान में महेन्द्रपाल आर्य जो कि अमृतसर
में फारसी भाषा के विद्वान मौलवी थे ! आज जाकिर नायक भी इनसे डिबेट करने से कतराता है !

(२.) जिसे पढ़ कर लाला लाजपत राय ने वकालत छोड़ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पूरा जीवन लगा दिया !

(३.) जिसे पढ़ कर पण्डित लेखराम ने अपने मरते हुए बच्चे को
भी छोड़ कर , मुस्लिम होने जा रहें लाखों हिन्दुओं को बचाने
निकल पडे और ट्रेन के न रुकने पर उसमे से छलांग लगा दी और उन्हें मुस्लिम होने से बचा लिया !

(४.) जिसे पढकर पण्डित गुरुदत्त विधार्थी जो उस समय
जगदीश चन्द्र बसु के अलावा विज्ञान के इकलौते प्रोफेसर थे
को ऐसा पागल कर दिया कि वे अपने शरीर पर आर्यसमाज के नियम के लिखे कपड़े को पहन कर नुक्क्डो पर सत्यार्थ प्रकाश बाँटा करते थे ! आर्य समाज में इन जैसा आज तककोई नहीं हुआ ! इनका प्रचार करने का तरीका ही अलग था ! इन्होंने एक धोती जैसे कपडे के दोनों ओर आर्य समाज के पाँच पाँच नियम लिखवाकर शीर पर टाँग लेते थे, जिसमें पीँच नियम आगे होते थे और पाँच नियम पीठ के पीछे !

(५.) जिसे पढ़ कर राम प्रसाद बिस्मिल जो की एक जमाने
में बुरे व्यसनों में फँसे थे ! सच्चे देश भक्त बन गए और पिता
जी के कहने पर कि आर्यसमाज छोड़ दे या मेरा घर छोड़ दे
तो तत्काल घर छोड़ कर चल दिए !पिताजी ने कहा कि ये कपड़े भी मेरे दिए हैं तो उन्हें भी उतार कर बनियान में ही
चल दिए !

(६.) जिसे पढ़ कर व्यसनी मांसाहारी मुंशीराम बदल गए और संन्यासी श्रद्धानन्द बनकर अंग्रेजो की गोलियों के आगे सीना
तान के खड़े हो गए और दिल्ली आगरा के लगभग सवा तीन
लाख मुसलमानो को शुद्धि आंदोलन से फिर से आर्य बना कर
कट्टर मुस्लिम की गोली खा कर बलिदान हो गए !

(७.) जिसे पढ़ कर वीर सावरकर ने कहा कि जब तक ये
पुस्तक भारतीयो के पास है तब तक कोई विधर्मी अपने मत
की शेखी नही बघार सकता !


(८.) जिसे पढ़ कर भगत सिंह के दादा अर्जुनसिंह कट्टर
आर्यसमाजी हो गए और अपने सब बेटो को देशभक्त बना गए
और देश को भगत सिंह जेसा वीर दे गए !

(९.) जिसके बारे में अबुल कलाम आजाद ने कहा कि
पता नही क्या है इस पुस्तक में जो हिन्दू एक बार इसे पढ़ ले
तो वो अधिक जोशीला और दृढ़ देशभक्त बन जाता है !

(१०.) जिसे पढ़ कर भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय जो आर्यसमाज के विरुद्ध थे ने अपने अंतिम समय जब कुछ
ब्राह्मणों से पूछा कि अब हमे कौन मार्गदर्शन करेगा तो इस ग्रन्थ को देकर कहा की यही अब तुम्हे मार्ग दिखाएगा !

(११) जिसे पढ़ कर आज भी कुछ लोग रात रात भर जाग कर
हिन्दुओ को जगाने के लिए प्राणपण से तत्पर है !

मित्रो सोचिये ऐसा क्या है इस ग्रन्थ में ???

यदि जानना चाहते हो तो इसे एक बार पढ़ के देखो
ये आपको कहीं भी आर्य समाज में मिल जायेगा !


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