Friday, August 5, 2016

दरिंदों ने जिसे खूब नोचा, अब स्मृति शेष अवशेष हूँ। जाति विशेष व्यक्तियों के विकास का अखिलेश...

दरिंदों ने जिसे खूब नोचा, अब स्मृति शेष अवशेष हूँ।
जाति विशेष व्यक्तियों के विकास का अखिलेश हूँ।
….मैं उत्तर प्रदेश हूँ।
दरिंदों से जितनी बची बस उतनी ही शेष हूँ।
मैं, बलात्कार पीड़िता, आपके चरणों में पेश हूँ।
….मैं उत्तर प्रदेश हूँ।
शासन नहीं सत्ता हूँ, रोजगार नहीं बेरोजगारी भत्ता हूँ।
गुंडई, दंगा और रेप का संदेश हूँ।
….मैं उत्तर प्रदेश हूँ।
विकास को तरसता जाति-धर्म की राजनीति में विशेष हूँ।
गरीबों की अमानत लूटते पूंजीपतियों का वेष हूँ।
….मैं उत्तर प्रदेश हूँ।
ना बिजली, ना पानी, ना शिक्षा, ना स्वास्थ्य, ना ही रोजगार हूँ।
मैं तो केवल जालिमों के ज़ुल्म की चीत्कार हूँ। साथ ही अपराध की बेलगाम सत्ता का संदेश हूँ।
….मैं उत्तर प्रदेश हूँ।
चार-चार मुख्यमंत्रियों के हाथों का क्लेश हूँ।
दादरी, मथुरा और मुजफ्फरनगर के दंगों में पेश हूँ।
….जी हाँ, मैं उत्तर प्रदेश हूँ


from Tumblr http://ift.tt/2aJzqG7
via IFTTT

No comments:

Post a Comment