‘मौलाना हाजी मौलवी अब्दुल रहमान- पंडित गनानेदरदेव
By FarhanaTaj
आज से 14 साल पहले मुझे सत्यार्थ प्रकाश का अरबी भाष्य पढ़ने का सौभाग्य मिला था, जिसके भाष्यकार थे ‘मौलाना हाजी मौलवी अब्दुल रहमान’ जिन्होंने सत्यार्थ प्रकाश का भाष्य अरबी में इसलिए किया था कि कुछ मुस्लिम लोगों ने फंड जुटाकर उन्हें हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने के लिए प्रचार कार्य सौंपा था। उन्होंने अपने जीवन में पांच बार हज यात्रा की और सारे अरब में घूमें, लेकिन सत्यार्थ प्रकाश का अनुवाद करते-करते (1930) में उन्होंने अपना नाम बदलकर पंडित ज्ञानेंद्र देव रख लिया था और वे एक ईश्वर में विश्वास रखने लगे थे। यहीं नहीं उन्होंने अरब में इस्लाम पूर्व मजहब के धार्मिक कर्मकांडों पर खुलकर लिखा है, लेकिन वे सभी कर्मकांड एकमत रूप से स्वीकार करते हैं कि अरब में कभी एक ईश्वर ओंकार ही मान्य थे। जीवन के अंतिम दिनों में वे दोनो समय यज्ञ किया करते थे। forward by आरय कानतिलाल-भुज परोपकारी पतरी का अजमेर मे पंडितजी का परिचय छपा था.
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