२९ वैशाख 12 मई 15
😶 “ वह इन्द्र ” 🌞
🔥 ओ३म् इन्द्र इत्रो महानां दाता वाजानां नृतु: । महाँ अभिज्ञ्वा यमत् ॥🔥
ऋ० ८ । ९२ । ३ ; साम० उ० १ । २ । ९
शब्दार्थ:– इन्द्र ही हमे तेजों और बलों का देनेवाला तथा नचानेवाला वह महान् है और अभिप्राय को जाननेवाला, अन्तर्यामी होता हुआ इस जगत् को व्यवस्था में बांधे हुए है।
विनय :- इस संसार के जो तेजस्वी महापुरष हजारो-लाखो के नेता होकर बड़े-बड़े काम कर रहे है, उनमे उस तेज और महाबल को उत्पन करनेवाले इन्द्र परमेश्वर ही है । इस संसार में जो नाना आन्दोलन उठते और दबते रहते है,कभी कोई लहर चलती है, कभी कोई तथा इन आन्दोलन और लहरों में उस समय के सब मनुष्य बलात् खिंचे चले जाते है,यह सब खेल खिलानेवाले और नाच नाचनेवाले भी इन्द्र परमेश्वर ही है । ये इन्द्र हम सबको अपना थोडा या बहुत तेज और बल दे रहे है और उस द्वारा नाच नचा रहे है । आज जो हममे तेजस्वी है,वह कभी कुछ दिनों में सर्वथा निस्तेज हो जाता है तथा एक तुछ पुरष कुछ दिनों में यश्विता के शिखर पर पहुचा देखा जाता है ।
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सत्य सनातन वैदिक धर्म की
………………जय
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
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