ईसाई पादरियों की चालबाजियां :-
मित्रो ! आप बीती पुरानी बात है,
कुछ पादरियों ने अमृतसर के गोल बाग में भिन्न भिन्न असाध्य रोगों को ठीक करने के लिए एक सप्ताह की प्रार्थना सभा का आयोजन किया|दैव योग से मेरा वहां जाना हुआ-क्या देखता हूं कि कई हजार की भीड है,लगभग दस मीटर ऊंचा मंच है,एक पादरी अंग्रेजी में बाईबल से प्रार्थना पढता जा रहा है और दूसरा उसका हिन्दी में अनुवाद करता जा रहा है,कुछ देर बाद मंच से पूछा गया कि जिस जिस का कोई रोग ठीक हो गया हो वह वह मंच पर आ कर बतावे|एक एक कर कुछ लोग आने लगे और भयंकर से भयंकर रोगों के ठीक हो जाने का दावा करने लगे|मुझ से रहा न गया और मंच के पास जाकर निवेदन किया कि आज की प्रार्थना सुन कर मेरा एक पुराना रोग ठीक हो गया है और मैं ब्यान देना चाहता हूं,बहुत मुश्किल से मुझे अनुमति मिली और ब्यान देने के लिए मेरे हाथ में माईक दे दिया गया,मेरा ब्यान कुछ इस प्रकार का था-
‘दोस्तो ! आपको बुद्धु बनाआ गया है,रोगों को ठीक होने का दावा करने वाले लोगों को पैसा दिया गया है,यह सप्ताह भर का कार्यक्रम वास्तव में लोगों को प्रभावित कर ईसाई बनाने के लिए रखा गया है…..'आदि आदि बहुत सारी बातें कह डाली और तब तक माईक बापिस नहीं दिया जब तक मैंने पादरियों का पूरी तरह भांडा फोड नहीं कर दिया|सभा में हो हल्ला होने लगा और मैं ईश कृपा से सुरक्षित अपने घर लौट आया| अगले दिन बजरंग दल व विश्व हिन्दु परिषद् के कुछ नवयुवकों ने मुझे वधाई देते हुए बताआ कि ईसाई पादरी अपना एक सप्ताह का प्रार्थना सभा की आड में ईसाई बनाने का कार्यक्रम छोड कर भाग गए हैं और इस प्रकार का आयोजन स्थान स्थान पर गत कई वर्षों से करते रहते हैं |
एक ओर मात्र बारह वर्ष का हकीकत राय था जिसने गर्दन कटवा दी परन्तु अपना धर्म नहीं छोडा और दूसरी ओर आज के हजारों हिन्दु हैं जो मात्र कुछ लालच में आकर धडाधड ईसाई मुसलमान आदि होते जा रहे हैं !! वास्तव में जब तक हिन्दु पुराणों की गली सडी मान्यताओं का परित्याग कर अपने पूर्वजों भगवान राम व कृष्ण की तरह यज्ञ,योग व वेद को पूरी तरह नहीं अपनाएगा तब तक उसका इसी तरह पतन और पलायन होता रहेगा |अमर शहीद लाला लाजपतराय व पण्डित मदनमोहन मालवीय जी का मानना था कि यदि हिन्दु धर्म को शुद्ध पवित्र और मजबूत बनाना है तो महर्षि दयानंद कृत सत्यार्थप्रकाश को पढना और पढाना होगा |
……………..डा मुमुक्षु आर्य
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