बुरे गाँव में वास करना , आचारहीन-कुलहीन की सेवा , खराब भोजन , सदा क्रोध करने वाली पत्नी , मूर्ख पुत्र और विधवा कन्या - ये छ बातें देह को अग्नि के अभाव में भी जलाती रहती हैं |
ये तो स्पष्ट है कि पुराने कपड़े बदल दिये जाते है , फटे हुवे गृह में कोई वास नहीं करता , अस्वस्थ व्यक्ति दौड़ता नहीं , कटे जिह्वा से कुछ खाया नहीं जाता , तुफानो के दौरान नौका नहीं चलती , फुटी हाड़ी में रसोई तैयार नहीं होता और भरे हुये पेट में कुछ खाया नहीं जाता इत्यादि |
अत: हमें सुन्दर परिवेश के लिए जरुरत पड़ने पर नगर त्याग कर देनी चाहिए , सन्तान को सुन्दर संस्कार देने के लिए मॉता को संस्कारित होना जरुरी होता है , घरों में वेद का पठन - पाठन आवश्यक है , इससे सारी कमियों को दुर किया जा सकता है- अगर हम चाहे !!!!
ओ३म्
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