Monday, May 4, 2015

Mahendra Pal Arya दुनिया वालों देखें कुरान की कहानी | लोगों का कहना है कुरान आसमानी किताब है, और...

Mahendra Pal Arya

दुनिया वालों देखें कुरान की कहानी |
लोगों का कहना है कुरान आसमानी किताब है, और यह
कलामुल्लाह है, अल्लाह का फरमान है उपर से भेजी हुई
किताब है | मानवों की ज्ञान की पुस्तक है इसमें विज्ञान
है, फलसफा है, मन्तिक है, दुनिया की ऊँची ज्ञान है | इस
किताब के मुकाबले दुनिया में और कोई ज्ञान की किताब
नही, पहले की जो भी किताबें थीं वह सबको अल्लाह ने
मनसुख या बातिल कर उसके जगह यह कुरान रूपी ज्ञान
अल्लाह ने दी है, और इसकी हिफाज़त भी अल्लाह ही करेंगे |
नहनु नज्ज़लनजिकरा व इन्ना लहू ला हाफेज़ुन बताया
अल्लाहने | इसका नाज़िल करने वाला मैं और हिफज़त करने
वाला मैं ही हूँ |
जिसे कुरान और कलामुल्लाह कहते हैं लोग, उसमे अनेक
कहानियां है, पहली कहानी शुरू होती है
आदम और शैतान
को लेकर | आदम को अल्लाह ने बनाया, उसके सामने
फरिश्तों को सिजदा करने का हुक्म अल्लाह ने दिया | एकको छोड़ सब ने सिजदा किया, जिसने नही की सिजदा,अल्लाह ने उसे अपने यहाँ से निकाल दिया, लोग कहते हैं
अल्लाह सर्व शक्तिमान है | किन्तु मैं अभी आप लोगों को
बताता हूँ की अल्लाह से सर्व शक्तिमान कोई और है, कुरान
और बाईबिल अनुसार, जो अल्लाह को कह रहा है गुमराहकिया तूने मुझको | इसका मतलब यह है की अल्लाह की
गलती का अहसास करा रहा है | की तूने मुझे पथ भ्रष्ट
किया, और मैं भी ताक पर ही रहूँगा जो तेरे रास्ते पर होगा
मैं उसे गुमराह करूंगा, भाईओं उसने मात्र कहा ही नही बल्कि
अल्लाह ने जिस आदम को अपने अरमान से बनाया उसे ही
गुमराह कर दिखाया अपने कथनानुसार, यह किस्सा कुरान के
आनेक स्थानों में है |
इस किस्से को मै अपनी पुस्तक बेचारे ने जवाब दे कर फंसाया
इस्लाम को जो, मुश्फिक सुल्तान के जवाब में लिखा हूँ उसी
पुस्तक में विस्तार से लिखा हूँ | इसके अति रिक्त कुरान में
अनेकों के किस्से हैं पिछले दिन मैंने सूरा यूसुफ़ को पूरा 111
आयात की किस्सा मैंने आप लोगों के सामने रखा था |
इमरान की किस्सा क्या है आज थोडा उसे मै दिखाना
चाहता हूँ दुनिया के लोगों को, की जिसे ईशवाणी सैयद
अब्दुल्लाह तारिक, और जाकिर नाईक जैसे लोग कह रहे हैं |
हम भी विचार करें परमात्मा ने अक्ल दिया हैं हमें भी, की
ईश्वाणी का होना यह क्यों और कैसे संभव और उचित हो
रहा है ? यह सूरा भी इमरान के ही नाम से है=आयत 34 है
ﺫُﺭِّﻳَّﺔًۢ ﺑَﻌْﻀُﻬَﺎ ﻣِﻦْۢ ﺑَﻌْﺾٍ ۭ ﻭَﺍﻟﻠّٰﻪُ ﺳَﻤِﻴْﻊٌ ﻋَﻠِﻴْﻢٌ 34؀ ﮐﮧ ﯾﮧ ﺳﺐ ﺁﭘﺲ ﻣﮟ
ﺍﯾﮏ ﺩﻭﺳﺮﮮ ﮐﯽ ﻧﺴﻞ ﺳﮯ ﮨﮞﮏ ‏(١ ‏) ﺍﻭﺭ ﺍﻟﻠﮧ ﺗﻌﺎﻟﯽٰ ﺳﻨﺘﺎ ﺍﻭﺭ ﺟﺎﻧﺘﺎ
ﮨﮯ
– a progeny some of whom resembles the others (in
faith) . Allah is All-Hearing, All-Knowing |
एक नस्त के रूप में, उसमें से एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी से पैदा हुई।
अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है|
ﺍِﺫْ ﻗَﺎﻟَﺖِ ﺍﻣْﺮَﺍَﺕُ ﻋِﻤْﺮٰﻥَ ﺭَﺏِّ ﺍِﻧِّﻰْ ﻧَﺬَﺭْﺕُ ﻟَﻚَ ﻣَﺎ ﻓِﻲْ ﺑَﻄْﻨِﻰْ ﻣُﺤَﺮَّﺭًﺍ
ﻓَﺘَﻘَﺒَّﻞْ ﻣِﻨِّﻰْ ۚ ﺍِﻧَّﻚَ ﺍَﻧْﺖَ ﺍﻟﺴَّﻤِﻴْﻊُ ﺍﻟْﻌَﻠِﻴْﻢُ ﺟﺐ ﮐﮩﺎ ﻋﻤﺮﺍﻥ ﮐﯽ ﻋﻮﺭﺕ ﻧﮯ
ﮐﮧ ﺍﮮ ﺭﺏ ﻣﮞﺎ ﻧﮯ ﻧﺬﺭ ﮐﺎَ ﺗﺮﺭﮮ ﺟﻮ ﮐﭽﮫ ﻣﺮَﮮ ﭘﭩﻦ ﻣﮞﻚ ﮨﮯ ﺳﺐ
ﺳﮯ ﺁﺯﺍﺩ ﺭﮐﮫ ﮐﺮ ﺳﻮ ﺗﻮ ﻣﺠﮫ ﺳﮯ ﻗﺒﻮﻝ ﮐﺮ ﺑﺸﮏّ ﺗﻮ ﮨﯽ ﮨﮯ ﺍﺻﻞ
ﺳﻨﻨﮯ ﻭﺍﻻ ﺟﺎﻧﻨﮯ ﻭﺍﻻ
(Remember) when ‘lmran‘s wife said: my Lord, I
have vowed that what is in my womb will be devoted
exclusively for You. So, accept (it) from me. You,
certainly You, are the All-Hearing, the All-Knowing.|
मैंने,अरबी उर्दू,अंग्रेजी,हिन्दी, सब में कर दिया आप लोग
समझें | याद करो जब इमरान की स्त्री ने कहा, “मेरे रब! जो
बच्चा मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज़ से छुड़ाकर भेट स्वरूप तुझे
अर्पित किया। अतः तू उसे मेरी ओर से स्वीकार कर।
निस्संदेह तू सब कुछ सुनता, जानता है।” यह है आयत =35 =
नोट:- यह है कलामुल्लाह = यहाँ क्या कहा जा रहा है =
याद करो जब इमरान की स्त्री ने कहा, “मेरे रब! जो बच्चा
मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज़ से छुड़ाकर भेट स्वरूप तुझे अर्पित
किया। अतः तू उसे मेरी ओर से स्वीकार कर। निस्संदेह तू सब
कुछ सुनता, जानता है | भाईयों यह कलामुल्लाह है किन्तु
बोल रही है इमरान की पत्नी,अपने रब से, पालन हार से बोल
रही है, क्या जो बच्चा मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज से छुड़ा
कर भेंट स्वरूप तुझे अर्पित करना चाहता हूँ | अत: तू उसे
स्वीकार कर निसन्देह तू सब कुछ सुनता और जनता है |
भाईयों यह बात अल्लाह से कही जा रही है और वह किसी
की पत्नी कह रही है अपने बेटे की भेंट चढ़ाना चाह रही है,
अल्लाह के दरबार में, इसके बाद भी इसे लोग कलामुल्लाह कह
रहे हैं यह कैसे संभव हो रहा है ? आगे देखें की वह पेट मे पलने
वाला बच्चा बेटा नही बेटी है | और अल्लाह सब कुछ जानने
वाला है, जब किसी ने अल्लाह को भेट देने की बात की,
तो अल्लाह को कहना चाहिए था की तेरे पेटमें बेटा नही
बेटी है ? आगे देखें =
ﻓَﻠَﻤَّﺎ ﻭَﺿَﻌَﺘْﻬَﺎ ﻗَﺎﻟَﺖْ ﺭَﺏِّ ﺍِﻧِّﻰْ ﻭَﺿَﻌْﺘُﻬَﺎٓ ﺍُﻧْﺜٰﻰ ۭ ﻭَﺍﻟﻠّٰﻪُ ﺍَﻋْﻠَﻢُ ﺑِﻤَﺎ ﻭَﺿَﻌَﺖْ
ﻭَﻟَﻴْﺲَ ﺍﻟﺬَّﻛَﺮُ ﻛَﺎﻟْﺎُﻧْﺜٰﻰ ۚ ﻭَﺍِﻧِّﻰْ ﺳَﻤَّﻴْﺘُﻬَﺎ ﻣَﺮْﻳَﻢَ ﻭَﺍِﻧِّﻰْٓ ﺍُﻋِﻴْﺬُﮬَﺎﺑِﻚَ ﻭَﺫُﺭِّﻳَّﺘَﻬَﺎ
ﻣِﻦَ ﺍﻟﺸَّﻴْﻄٰﻦِ ﺍﻟﺮَّﺟِﻴْﻢِ 36 ؀ ﺟﺐ ﺑﭽﯽ ﮐﻮ ﺟﻨﺎ ﺗﻮ ﮐﮩﻨﮯ ﻟﮕﯽ ﺍﮮ
ﭘﺮﻭﺭﺩﮔﺎﺭ ! ﻣﺠﮭﮯ ﺗﻮ ﻟﮍﮐﯽ ﮨﻮﺋﯽ ﮨﮯ، ﺍﻟﻠﮧ ﺗﻌﺎﻟﯽٰ ﮐﻮ ﺧﻮﺏ ﻣﻌﻠﻮﻡ ﮨﮯ
ﮐﮧ ﮐﺎَ ﺍﻭﻻﺩ ﮨﻮﺋﯽ ﮨﮯ ﺍﻭﺭ ﻟﮍﮐﺎ ﻟﮍﮐﯽ ﺟﺎﺍﺏ ﻧﮩﮟّ ﻣﮞﺖ ﻧﮯ ﺍﺱ ﮐﺎ
ﻧﺎﻡ ﻣﺮﯾﻢ ﺭﮐﮭﺎ ﻣﮟे ﺍﺳﮯ ﺍﻭﺭ ﺍﺱ ﮐﯽ ﺍﻭﻻﺩ ﮐﻮ ﺷﻄﺎ ﻥ ﻣﺮﺩﻭﺩ ﺳﮯ
ﺗﺮ ﯼ ﭘﻨﺎﮦ ﻣﮞﺦ ﺩﯾﯿﺎ ﮨﻮﮞ |
So, when she delivered her, she said: my Lord, I
have delivered her, a female child. And Allah knew better
what she had delivered, and the male was not like the
female I have named her Maryam, and I place her and
her progeny under Your shelter against Satan, the
rejected |
फिर जब उसके यहाँ बच्ची पैदा हुई तो उसने कहा, "मेरे रब! मेरे
यहाँ तो लड़की पैदा हुई है।” - अल्लाह तो जानता ही था
जो कुछ उसके यहाँ पैदा हुआ था। और वह लड़का उस लडकी
की तरह नहीं हो सकता - “और मैंने उसका नाम मरयम रखा है
और मैं उसे और उसकी सन्तान को तिरस्कृत शैतान से सुरक्षित
रखने के लिए तेरी शरण में देती हूँ।”
नोट:- यह भेंट अल्लाह के लिए किया जा रहा है, भेंट करने
वाली एक औरत है,अल्लाह का कहना है और मैं उसे और उसकी
सन्तान स्वीकार करता हूँ | इस भेंट से अल्लाह को मिलना
क्या है भेट ले कर अल्लाह क्या करेंगे भला यह है कला मुल्ला |
जो यह किसी की पत्नी कह रही है यह वाक्य किनके है
अल्लाह के अथवा इमरान की पत्नी की ?
आगे देखें =आयत 37 को
ﻓَﺘَﻘَﺒَّﻠَﻬَﺎ ﺭَﺑُّﻬَﺎ ﺑِﻘَﺒُﻮْﻝٍ ﺣَﺴَﻦٍ ﻭَّﺍَﻧْۢﺒَﺘَﻬَﺎ ﻧَﺒَﺎﺗًﺎ ﺣَﺴَـﻨًﺎ ۙ ﻭَّﻛَﻔَّﻠَﻬَﺎ ﺯَﻛَﺮِﻳَّﺎ ڝ
ﻛُﻠَّﻤَﺎ ﺩَﺧَﻞَ ﻋَﻠَﻴْﻬَﺎ ﺯَﻛَﺮِﻳَّﺎ ﺍﻟْﻤِﺤْﺮَﺍﺏَ ۙ ﻭَﺟَﺪَ ﻋِﻨْﺪَﮬَﺎ ﺭِﺯْﻗًﺎ ۚ ﻗَﺎﻝَ ﻳٰﻤَﺮْﻳَـﻢُ ﺍَﻧّٰﻰ
ﻟَﻚِ ﮬٰﺬَﺍ ۭ ﻗَﺎﻟَﺖْ ﮬُﻮَ ﻣِﻦْ ﻋِﻨْﺪِ ﺍﻟﻠّٰﻪِ ۭ ﺍِﻥَّ ﺍﻟﻠّٰﻪَ ﻳَﺮْﺯُﻕُ ﻣَﻦْ ﻳَّﺸَﺎۗﺀُ ﺑِﻐَﻴْﺮِ
ﺣِﺴَﺎﺏٍ 37؀ ﭘﺲ ﺍﺳﮯ ﺍﺱ ﮐﮯ ﭘﺮﻭﺭﺩﮔﺎﺭ ﻧﮯ ﺍﭼﮭﯽ ﻃﺮﺡ ﻗﺒﻮﻝ
ﻓﺮﻣﺎﯾﺎ ﺍﻭﺭ ﺍﺳﮯ ﺑﮩﺘﺮﯾﻦ ﭘﺮﻭﺭﺵ ﺩﯼ۔ ﺍﺱ ﮐﯽ ﺧﺮﺩ ﺧﺒﺮ ﻟﻨﮯِ ﻭﺍﻻ
ﺯﮐﺮﯾﺎ ﻋﻠﮩﺮ ﺍﻟﺴﻼﻡ ﮐﻮ ﺑﻨﺎﯾﺎ ﺟﺐ ﮐﺒﮭﯽ ﺯﮐﺮﯾﺎ ﻋﻠﮧ ﺍﻟﺴﻼﻡ ﺍﻥ ﮐﮯ
ﺣﺠﺮﮮ ﻣﮞﺰ ﺟﺎﺗﮯ ﺍﻥ ﮐﮯ ﭘﺎﺱ ﺭﻭﺯﯼ ﺭﮐﮭﯽ ﮨﻮﺋﯽ ﭘﺎﺗﮯ ﻭﮦ ﭘﻮﭼﮭﺘﮯ
ﺍﮮ ﻣﺮﯾﻢ ﯾﮧ ﺭﻭﺯﯼ ﺗﻤﮩﺎﺭﮮ ﭘﺎﺱ ﮐﮩﺎﮞ ﺳﮯ ﺁﺋﯽ ﻭﮦ ﺟﻮﺍﺏ ﺩﯾﮞَﻲ
ﯾﮧ ﺍﻟﻠﮧ ﺗﻌﺎﻟﯽٰ ﮐﮯ ﭘﺎﺱ ﺳﮯ ﮨﮯ، ﺑﺸﮑﺎ ﺍﻟﻠﮧ ﺗﻌﺎﻟﯽٰ ﺟﺴﮯ ﭼﺎﮨﮯ
ﺑﺸﻤﺎﺭﺭ ﺭﻭﺯﯼ ﺩﮮ۔
So, her Lord accepted her, a good acceptance, and
made her grow, a good growth, and made Zakariyya her
guardian. Whenever Zakariyya visited her at the place of
worship, he found food with her. He said: :Maryam,
from where did you have this? She said: :It is from
Allah. Surely, Allah gives whom He wills without
measure.|
अतः उसके रब ने उसका अच्छी स्वीकृति के साथ स्वागत
किया और उत्तम रूप में उसे परवान चढ़ाया; और ज़करिया को
उसका संरक्षक बनाया। जब कभी ज़करिया उसके पास
मेहराब में जाता, तो उसके पास कुछ रोज़ी पाता। उसने
कहा, “ऐ मरयम! ये चीज़े तुझे कहाँ से मिलती है?” उसने कहा,
“यह अल्लाह के पास से है।” निस्संदेह अल्लाह जिसे चाहता
है, बेहिसाब देता है |
नोट:- दुनिया वालों जरा गौर से सुनें कलामुल्लाह की
कहानी, रब ने इमरान की पत्नी की भेंट स्वीकार करली और
बेहतरीन परवरिश दी | इसके पालन पोषण की जिम्मदारी,
जकरिया नामी पैगम्बर को सोंपा अल्लाह ने जब कभी
जकरिया उसके पास इबादतगाह में आता मरयम उसे कुछ ना
कुछ खाने को देती, जकरिया पूछा यह खाने की रोजी तुझे
कहाँ से मिलती, मरयम ने जवाब दिया की यह अल्लाह के
पास से है | निसन्देह अल्लाह जिसे चाहता है बे हिसाब देता
है | अकलमन्द लोग जरा सोचें और समझें, की अल्लाह ने अभी
अभी भेंट ली मरयम को, जो इमरान की पत्नी से, वह गोदमे
हैं, उस दूध मुहि बच्ची को जो भेंट अल्लाह ने ली उसे पालने
के लिया जकरिया को लगाया, उसके पास खाना अल्लाह
भिजवाते हैं और मरयम अभी जन्म लेकर बोलने लगी ? बोलने के
लिए बच्चे को कितना समय लगता हैं, यह इल्म अल्लाह को
भी नही है ? और उसके पास जो खाना {रोजी } आया वह
अल्लाहने किसके हाथ भेजी ? जो मरयम कह रही है
जकारिया को भी दे रही है ? अल्लाह बे हिसाब देता है यह
कहानी किस प्रकार चरितार्थ हो रहा है | एक बात और भी
है की अल्लाह ने उस मरयम के भेट किस लिए लिया भला,
उससे अल्लाह को मिलना क्या है ? यही किस्सा कुरान का
है चलें आगे देखते हैं क्या कुछ है ? आयत =38 को देखें =
ﮬُﻨَﺎﻟِﻚَ ﺩَﻋَﺎ ﺯَﻛَﺮِﻳَّﺎ ﺭَﺑَّﻪٗ ۚ ﻗَﺎﻝَ ﺭَﺏِّ ﮬَﺐْ ﻟِﻲْ ﻣِﻦْ ﻟَّﺪُﻧْﻚَ ﺫُﺭِّﻳَّﺔً ﻃَﻴِّﺒَﺔً ۚ ﺍِﻧَّﻚَ
ﺳَﻤِﻴْﻊُ ﺍﻟﺪُّﻋَﺎۗﺀِ ﺍﺳﯽ ﺟﮕﮧ ﺯﮐﺮﯾﺎ ‏( ﻋﻠﮩﺮ ﺍﻟﺴﻼﻡ ‏) ﻧﮯ ﺍﭘﻨﮯ ﺭﺏ ﺳﮯ ﺩﻋﺎ
ﮐﯽ، ﮐﮩﺎ ﮐﮧ ﺍﮮ ﻣﺮﻟﮯ ﭘﺮﻭﺭﺩﮔﺎﺭ ﻣﺠﮭﮯ ﺍﭘﻨﮯ ﭘﺎﺱ ﺳﮯ ﭘﺎﮐﺰ ﮦ ﺍﻭﻻﺩ
ﻋﻄﺎ ﻓﺮﻣﺎ، ﺑﺸﮑﺐ ﺗﻮ ﺩﻋﺎ ﮐﺎ ﺳﻨﻨﮯ ﻭﺍﻻ ﮨﮯ۔
Thereupon, Zakariyya prayed to his Lord. He said:
my Lord, grant me from Your own (power) a goodly
progeny. Verily, You are the One who listens to the
prayer.
वही ज़करिया ने अपने रब को पुकारा, कहा, “मेरे रब! मुझे तू
अपने पास से अच्छी सन्तान प्रदान कर। तू ही प्रार्थना का
सुननेवाला है।
नोट :-यहाँ देखें जकरिया ने अल्लाह से कहा तू अपने पास से
अच्छी सन्तान प्रदान कर, तू ही प्रार्थना का सुनने वाला है
| दुनिया के लोग यह तो जानेंगे की संतान का उत्पन्न
होना, स्त्री पुरुष के रज, और वीर्य के समिश्रण से ही होना
संभव है, क्या उसके बगैर संतान का जन्म लेना, बनाना संभव
है ? कुरान तथा बाईबिल में मात्र एकेली स्त्री से सन्तान
का बनना, होना, संभव है | और यह एक मेडिकल साइंस का
कोर्स करने वाला MBBS, मुन्ना भाई mr जाकिर नाईक भी
सही मान रहा है इस अवैज्ञानिक, सृष्टिनियम विरुद्ध
बातों को |
यह मानना क्यों और कैसा संभव हो सकता है आजके पढ़ने
लिखने वालों का मानना किस प्रकार संभव हो रहा है यह
एक विचारणीय विषय है | और यही ईशवाणी कह रहे है, मान
रहे हैं और पढ़े लिखे लोगों को अपनी मकड़जाल में फंसा कर
भोली भली हिन्दू को ईश्वर के रास्ते से हटा कर किस्सा
कहानी की और मोड़ कर मानव समाज में दहशत फैला रहे हैं |
हम मानव समाज को उठ खड़ा होना पड़ेगा तर्क की
कसौटी से ईशवाणी को जानना व समझना होगा तभी हम
अपने हिन्दू घराने के बेटा बेटी को उनके चन्गुल में फंसने से रोक
पाएंगे | आज से ही प्रतिज्ञा करें की हम अपने घराने के
बच्चों को किसी के चन्गुल से रोक पायें, हमें भली प्रकार
जानना पड़ेगा सत्य क्या है कहाँ है आदि | जभी हम अपने घर
को सुरक्षित रख सकते हैं वरना हमारे घर से जवान, जवान
बेटा बेटी अपने हाथ से निकलते जा रहे हैं | जिन लोगों के
हाथ से हमारे पूर्वज कत्ल हुए उन्ही के घर जा रहे हैं कैसे बचे यह
हिन्दू समाज ? महेन्द्र पाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली
=26 / 4 / 15 === इसी को कल


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1 comment:

  1. – ब्रह्मावैवर्त पुराण, 49/39,41,49
    यदि राधा को कृष्ण के अंग से उत्पन्न माने
    तो वह
    उसकी पुत्री हुई . यदि यशोदा के नाते
    विचार करें
    तो वह कृष्ण की मामी हुई.
    दोनों ही दृष्टियो से
    राधा का कृष्ण के साथ प्रेम अनुचित था और
    कृष्ण ने
    अनेको बार राधा के साथ सम्भोग
    किया था ( ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म
    खंड 4,
    अध्याय 15) और यहाँ तक विवाह भी कर
    लिया था (ब्रह्मावैवर्त पुराण, कृष्णजन्म
    खंड 4,

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