सभी धर्मों का संयुक्त अधिवेशन
(भविष्य पुराण)
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प्रस्तुति-डा मुमुक्षु आर्य
एक बार एक राजा ने सभी धर्मों के विद्वानों की सभा बुलाई और उन्हें अपने अपने धर्म की श्रेष्ठता बताने को कहा -
पण्डित-तंत्र,पुराण,अवतार,मूर्ति पूजा,तीर्थ यात्रा,व्रत आदि में श्रद्धा रखने से मुक्ति हो जाती है|
हिन्दु धर्म ही सनातन है,हमारे तीलक छापे से यमराज भी डरता है,हमारे देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा में ही सबका कल्याण है|
वेदान्ती-हम साक्षात ब्रह्मा हैं,जगत सब मिथ्या है,जीव भाव छोडने से मुक्ति हो जाती है|
जैन साधु-जिन धर्म के बिना सब धर्म खोटा,जगत का कर्ताअनादि
ईश्वर कोई नहीं,जगत अनादि काल से वैसे का वैसा है और बना रहेगा|हमारे चौबिस तीर्थंकरों की मूर्तियां बना कर पूजने में ही मुक्ति है|
पादरी-बिना ईसा पर विश्वास के पवित्र होकर कोई मुक्ति को नहीं पा सकता,ईसा ने सबके प्रायश्चित के लिए अपने प्राण देकर दया प्रकाशित की है,राजन तू हमारा चेला हो जा|
मौलवी-लाशरीक खुदा,उसके पैगम्बर और कुरान शरीफ के माने बिना कोई निजात नहीं पा सकता,जो इस मजहब को नहीं मानता वह बाजिबलकातल्के के है|
ऐसे ही कबीर,नानक,दादू,,राधा स्वामी,निंरकारी,शैव,वैष्णव,ब्रह्मकुमारी आदि मत वालों ने अपने अपने मत की बडाई की|यह सब सुन राजा को निश्चय हुआ कि ये सब कुशल दुकानदार की तरह अपना अपना माल बेच रहे हैं|राजा ने सबसे प्रश्न किया कि हिंसा न करना,सदैव सत्य बोलना,चोरी न करना,असहायों की मदद करना,संयम मे रहना,ईश्वर को कण कण में मानना,अपनी अन्तरात्मा के विरुद्ध कोई काम न करना,जलवायु को शुद्ध रखना सत्य सनातन धर्म है या नहीं ?
सभी ने एक मत से कहा कि हां ये सब धर्म है| पुन: राजा ने प्रश्न किया कि ये सब धर्म है तो इतने धर्म क्यों बना रखे हैं ??
वे सब बोले जो ऐसा प्रचार करें तो हमको कौन पूछे ?
ऐसा उतर सुन राजा ने सब पाखण्डियों को अपनी प्रजा को गुमराह करने के कारण बन्दी बना लिया और उक्त सत्य धर्म की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी|सब कथित धर्म स्थलों को धर्म शिक्षा,शस्त्र शिक्षा आदि का केन्द्र बनाने का आदेश दे दिया|
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