ओ३म् जिसका नाम है, और जो कभी नष्ट नहीं होता, उसी की उपासना करनी योग्य है अन्य की नहीं। सब वेदादि शास्त्रों में परमेश्वर का प्रधान और निज नाम ॐ को कहा है, अन्य सब गौणिक नाम हैं। सब वेद, सब धर्मानुष्ठानरूप तपश्चरण जिसका कथन और मान्य करते और जिसकी प्राप्ति की इच्छा करके ब्रह्मचर्याश्रम करते हैं उसका नाम ओsम् है। (~महर्षि दयानन्द सरस्वती)
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