“सरल ध्यान विधि”
ध्यान व जप के तीन नियम
1) मंत्र का पाठ
( बोलकर करें, धीरे धीरे उचारण करें या मन मे करें)
2) मंत्र के अर्थ का चिन्तन
3) ईश्वर प्रनिधान
(ईश्वर हमारी प्रार्थना को देख, सुन. जान रहा है, ऐसी भावना)|
अव सुविधानुसार कोई भी स्वस्तिकासन, सिद्धासन, सुखासन या पद्मासन लगाकर, शान्त एवं स्वक्छ स्थान पर आसन लगाकर बैठ जाइये|
कोमलता से दोनो आंख बंद करके, भ्रूमध्य मे धारणा करते हुए
“चारों ओर घोर अंधकार है, एकदम शून्य आकाश है, कोई भी वस्तु- प्राणी हमे नही दिखता और ना ही मन मे कोई विचार आता” ऐसी भावना करते हुए मन को शान्त स्थिर करते हुए
ईश्वर कि सर्वव्यापकता का चिन्तन करें-
हे ईश्वर आप सर्व व्यापक है, आप मेरे अंदर-बाहर, आगे-पीछे, ऊपर-नीचे सभी जगाह व्याप्त हो, संसार कि प्रत्येक वस्तु (पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति, पृथवी-जल-अग्नि-वायु-आकाश, सभी मे आप व्याप्त हो
तथा मुझे देख सुन जान रहे हो
ऐसी भावना करते हुए
परम्पिता परमेश्वर के मुख्य नाम “ओम” का तीन वार uccharan करें
अव गायत्री मंत्र से ईश्वर कि स्तुति प्रार्थना और उपासना आरंभ करें (ध्यान मंत्र)
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