हे ईश्वर ! आपके ध्यान से जो विवेकरूपी धन मिलता है,वह हमारी रक्षा करने वाला होता है,निश्चित ही वह दुष्ट शत्रुओं(काम,क्रोध,लोभ,मोह आदि)को निर्बल बना कर नष्ट कर देता है|
………………………………..
हे प्रकाशस्वरूप परमेश्वर! मैं आपको नमस्कार कर रहा हूं, मेरे इस जीवन को सदगुणों से भर दो,मैं ओजस्वी बनने के लिए आपकी स्तुति करता हूं, आप अपने स्वाभाविक ज्ञान, बल और क्रिया द्वारा हमारे शत्रु रुप काम,क्रोध आदि को नष्ट करो|
……………………………….
मनुष्य इस वीर्य को कामाग्नि में खर्च करे,चाहे इससे ऊपर उठ कर जठराग्नि में खर्च करे, चाहे इससे ऊपर उठ कर ज्ञानाग्नि में खर्च करे या इससे भी ऊपर उठ कर योगाग्नि में खर्च करे |
from Tumblr http://ift.tt/1FgNNfQ
via IFTTT
No comments:
Post a Comment