Wednesday, May 13, 2015

३० वैशाख 13 मई 15 😶 “ वह इन्द्र ” 🌞 🔥 ओ३म् इन्द्रो अंग्ड महद् भयमभी षदप...

३० वैशाख 13 मई 15
😶 “ वह इन्द्र ” 🌞

🔥 ओ३म् इन्द्रो अंग्ड महद् भयमभी षदप चुच्यवत् । स हि स्थरो विचषरणि ॥🔥
ऋ० २ । ४१ । १० ;

शब्दार्थ:– हे प्यारे !
इन्द्र परमेश्वर तो सामने आये हुए बड़े भय को भी विनष्ट कर देता है । वह ही निश्चयपूर्वक स्थिर है,अचल है, शाश्वत है और सब जगत् को ठीक-ठाक देखनेवाला है ।

विनय :- हे प्यारे !
तू क्यों घबराता है ? तेरे सामने जो भय उपस्थित है उससे बहुत बड़े भय और बहुत भारी विपतिया मनुष्य पर आ सकती है और आती है, परन्तु हमारे परमेश्वर उन सबको क्षण में टाल सकते है और टाल देते है। उसके सामने, उनके मुकाबले में आये हुए महान-से-महान भय पलभर भी नही ठहर सकते ।
हे प्यारे !
तू देख की इस संसार में वही इन्द्र ही स्थिर वस्तु है । वही सत्य है,सनातन है,अटल,अच्युत है,कभी नष्ट ना होनेवाला है । शेष सब-कुछ-सभी कुछ क्षणभंगुर है, विनश्वर है,अशाश्वत है और चला जानेवाला है । यही एक महासत्य है जिसे सिखाने के लिए संसार में चौबीस घंटो की घटनाए हो रही है ।
हे मनुष्य !
तू इस महासत्य पर विशवास कर और निर्भय हो जा । वास्तव में संसार के दुःख, भय, कलेश संकट टल जानेवाले है,नश्वर है,कियुकि ये नश्वर वस्तुओ द्वारा और अज्ञान द्वारा बने है ।
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सत्य सनातन वैदिक धर्म की
………………जय

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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