सामवन्दना : गो सम्वर्द्धन
ओ३म् तया पवस्व धारया यया गाव इहागमन् ।
जन्यास उप नो गृहम् ।। साम १४३६ ।।
हे सोम करो वर्षा ऐसी, जिससे हो भू पर हरियाली ।
जब सुखी हमारी गौवें हों, तब हम होंगे सब बलशाली ।।
हे सोम तुम्हारी जलधारा,
वर्षा की यह अमृत धारा,
हो न्यून नहीं हो अधिक नहीं
अनुकूल बहे यह रस धारा ।।
उठ जाय भूमि में वह तरंग, उपजाये जो स्वर्णिम वाली।
जब सुखी हमारी गौवें हों, तब हम होंगे सब बलशाली ।।
जल से जगती जग जायेगी,
भू हरी भरी हो जायेगी,
होगा भरपूर अन्न चारा
समृद्धि शुद्ध आ जायेगी ।
सन्तुष्ट पुष्ट गौवें होंगी, होगी सज्जित भोजन थाली ।
जब सुखी हमारी गौवें हों, तब हम होंगे बलशाली ।।
सब ओर हमारे आस पास,
हो प्यारी गौओं का विकास,
गो विचरण सम्वर्द्धन से
उल्लास करें घर घर निवास ।
धरती से गौ, गौ से धरती, मानवता दोनों ने पाली ।
जब सुखी हमारी गौवें हों, तब हम होंगे सब बलशाली ।।
ओउम् 🙏🙏🙏
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