आज महान वनवासी क्रांतिकारी अल्लुरी सीताराम राजू जी का बलिदान दिवस है।इनका जन्म विशाखापतनम जिले के पान्द्रिक गाँव में 4 जुलाई 1897 को हुआ।इन्होनें अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे शोषण के खिलाफ वनवासियों को संगठित करके एक दल बनाया और धनुष बाण चलाना सिखाया।ये पुलिस स्टेशन पर आक्रमण करके उनकी बन्दूक और कारतूस लूट लेते थे और फिर उन्हें अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई में इस्तेमाल करते थे। कई बार पुलिस से मुठभेड़ हुई और हर बार पुलिस को मुंह की खानी पड़ी।ये अंग्रेजों के लिए आतंक का पर्याय बन चुके थे।इनको पकडवाने के लिए दस हज़ार का इनाम रखा गया जो उस समय सन 1924 में बहुत बड़ी रकम थी।किसी भी वनवासी ने गद्दारी नहीं की ,क्योंकि वे राजू को भगवान मानते थे। 7 मई 1924 को एन. गणेशवारा नाम के पुलिस वाले की सूचना पर राजू को अंग्रेज सेना ने जंगल में घेर लिया।भीषण लड़ाई हुई जिसमें राजू के कई साथी मारे गए और राजू को गिरफ्तार करके घोर यातनाएं दी गई।बाद में एक पेड़ से बांधकर गोलियों से भून डाला।उस मुखबिर को अंग्रेजों ने राव बहादुर की उपाधि से सम्मानित किया।राजू मरकर भी आज जिंदा हैं और कल भी जिंदा रहेंगे।मैं इस योद्धा को कोटि कोटि नमन करता हूँ !
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