Thursday, March 10, 2016

आयुर्वेद का वरदान आज मनुष्य मे स्वार्थ व पक्षपात बढ़ता जा रहा है। मानव मे मानवता खत्म होती जा रही...

आयुर्वेद का वरदान

आज मनुष्य मे स्वार्थ व पक्षपात बढ़ता जा रहा है। मानव मे मानवता खत्म होती जा रही है। आज सामान्य मनुष्य की चिकित्सा की तो बात दूर भोजन पर भी दुष्टों की नजर है।
फिल्मों मे अपने को गरीब का प्यारा दिखाने वाले अमिताभ बच्चन हो या माधुरी दीक्षित पैसे के लिए TV पर मैगी नाम का जहर बेच रहे हैं।

यदि किसी गरीब को लीवर का रोग या गुर्दे का रोग हो जाए तो ठीक होने के लिए बेचारे को घर बेचना पड़ता है। सरकारी अस्पताल मे रोग का पता केवल पोस्ट मार्टम से ही चलता है।

परंतु वेदवाणी के अनुसार आचरण करने वाले परम दयालु महर्षियों ने आयुर्वेद रूपी अमृत को बिना किसी भेदभाव के बांटा। ऋषियों का यह अमृत उन के लिए भी है जो उन्हे आदर्श मानते हैं।
उनके लिए भी है जो अपने को मूल निवासी कहकर ऋषियों को गाली देने मे ही गौरव अनुभव करते हैं और खुद को रावण और महिषासुर का वंशज बताते हैं। हत्यारे अफजल गुरु + मकबूल भट्ट+ याकूब मेनन की प्रशंसा करते और भारत के सच्चे सपूत सैनिकों को हत्यारा कहते हैं.
————————-
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ सुश्रुत संहिता सूत्र स्थान अध्याय 2 मे महर्षि धन्वन्तरी जी अपने शिष्य को जनेऊ देते समय उपदेश देते है-
ब्राह्मण, गुरु, दरिद्र, मित्र, सन्यासी, पास मे नम्रता पूर्वक आए, सज्जन, अनाथ, दूर से आए सज्जनों की चिकित्सा स्वजनों (अपने परिवार के सदस्य) की भांति अपनी औषधियों से करनी चाहिए। यह करना साधु (श्रेष्ठ ) है।
व्याध (शिकारी), चिड़िमार, पतित (नीच आचरण वाला) पाप करने वालो की चिकित्सा धन का लाभ होने पर भी नहीं करनी चाहिए।
ऐसा करने से विद्या सफल होती है, मित्र, यश, धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है। ऐसा ही विवरण चरक संहिता मे मिलता है। (क्या आज का चिकित्सक यह कर्त्तव्य निभाता है)
———————-
यह अमृत पाना इतना आसान है कि गरीब से गरीब भी इसका प्रयोग कर सकता है। इतना प्रभावशाली है कि बड़े बड़े महंगे इलाज भी इससे बढ़ कर नहीं है।
गर्मी मे 2 अंगों की बीमारियाँ बहुत अधिक होती हैं।
1- यकृत = Liver के रोग – जैसे पीलिया,
2- गुर्दे = Kidney के रोग
इन दोनों रोगों के लिए आयुर्वेद मे एक चमत्कारी औषधि है – भूमि आंवला/ भूम्यामलकी/ PHYLLANTHUS NIRURI
यह एक छोटा सा पौधा है जो बरसात मे अपने आप उग जाता है। यह परम पिता परमात्मा की महान कृपा है कि जीवन दायिनी जड़ी बूटियाँ अपने आप उगती रहती हैं। सभी जड़ी बूटी की दुकानों पर सुखा हुआ भूमि आंवला का पौधा मिल जाता है.
वैसे यह बरसात मे अपने आप उग जाता है परंतु छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। बरसात मे यह मिल जाए तो इसे उखाड़ कर रख ले व छाया मे सूखा कर रख ले।
जड़ी बूटी की दुकान से आसानी से मिल जाता है।
—————
यकृत की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है, सारा शरीर पीला व मूत्र का रंग लाल पीला हो गया हो तो इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है. रोग की शुरुआत में ही इसका प्रयोग करना शुरू करे तो अधिकाँश रोगियों को अस्पताल में भरती होने की जरूरत ही नहीं होगी.
पीलिया किसी भी कारण से हो चाहे पीलिया का रोगी मौत के मुंह मे हो यह देने से बहुत अधिक लाभ होता है। LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है। Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।

Kidney (गुर्दे) की समस्या के आरम्भ में जैसे पेशाब मे इन्फेक्शन, पेशाब में खून आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब की मात्रा कम हो जाना आदि में बहुत लाभ करेगा।
इसका कोई साइडेफेक्ट नहीं है
लीवर व किडनी के रोगी को खाने मे घी तेल मिर्च खटाई व सभी दाले बंद कर देनी चाहिए। मूंग की दाल कम मात्रा मे ले सकते हैं। मिर्च के लिए कम मात्र मे काली मिर्च व खटाई के लिए अनारदाना प्रयोग करना चाहिए।
————————-
प्रयोग विधि –
सुखा पौधा लाकर छोटे छोटे टुकडे कर ले. 4 चम्मच यह टुकडे धोकर 2 कप पानी में चाय की तरह उबाल कर बर्तन को ढक दे. ठण्डा होने पर छान कर पि ले. दिन में 3 बार.
ताजा पौधा पीस कर ज़रा सा पानी मिलाकर रस निकाल ले. 2 चम्मच यह रस दिन में 2 से 3 बार ले.
———
भोजन मे चावल का अधिक प्रयोग करना चाहिए
हरे नारियल का पानी लिवर (यकृत /जिगर) के रोग बहुत अच्छा है परन्तु गुर्दे के रोगों में हमेशा उपयोगी नहीं होता इसलिए गुर्दे के रोगी को विचार कर पीना चाहिए.
भोजन –
1- सभी किस्म की दाले बंद कर दे। केवल मूंग बिना छिलके की दाल ले सकते।
2-लाल मिर्च, हरी मिर्च, अमचूर, इमली, गरम मसाला और पैकेट का नमक बंद कर दे।
3- सैंधा नमक और काली मिर्च का प्रयोग करे बहुत कम मात्रा मे।
4- यदि खटाई की इच्छा हो खट्टा सूखा अनारदाना प्रयोग करे।
5- प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम किशमिश/दाख/ मुनक्का (सूखा अंगूर) , खजूर व सुखी अंजीर पानी मे धो कर खिलाए।
6- चावल उबालते समय जो पानी (माँड़) निकलता है वह ले। वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
7- गेहू का दलिया, लौकी की सब्जी, परवल की सब्जी दे
8- भिंडी, घुइया (अरबी), कटहल आदि न खाए।
9- सफ़ेद पेठा (कूष्माण्ड जिसकी मिठाई बनाई जाती है) वह मिले तो उसका रस पिए व उसकी सब्जी खाए। पीले रंग का पेठा जिसे काशीफल या सीताफल कहते हैं वह न खाए.
10 – तम्बाकू +शराब+ बीयर+कोका कोला+पेप्सी +बाजार के शर्बत+ जलजीरा+गोलगप्पा +समोसा+पकौडा+काजू, बादाम +मूंगफली – बिलकुल बन्द. ———–
यदि आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगे तो-
1- शेयर करे.
2- महर्षि दयानन्द की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश अवश्य पढ़ें और दूसरों को पढने की प्रेरणा दे.
3- गौ रक्षा में अपना सहयोग दें.
4- पूज्य राजीव दीक्षित की सभी पुस्तके पढ़े व उनके सभी AUDIO अवश्य सुने. गूगल पर Rajiv Dikshit खोजे.


from Tumblr http://ift.tt/1R8ZWv8
via IFTTT

No comments:

Post a Comment