*भिखारी पैदा करता है इस्लाम ?*
भारत की कुल जनसंख्या में मुसलमान 14.23 प्रतिशत हैं लेकिन देश के भिखारियों की कुल आबादी में उनकी संख्या 25 प्रतिशत है। याने लगभग दुगुनी है। देश में भिखारियों की संख्या 3 लाख 70 हजार है। उसमें मुसलमान भिखारी 92,760 हैं। हिंदू भिखारियों की संख्या 2 लाख 68 हजार है। ईसाई, बौद्ध, सिख और जैन लोगों में भी भिखारी है लेकिन उनकी संख्या कुछ हजार या कुछ सौ तक ही सीमित है।
मुसलमानों में ही भिखारी इतने ज्यादा क्यों है? इसका मुख्य कारण उनकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि है। वे लोग मुसलमान बनने के पहले क्या थे? हजार या पांच सौ साल पहले जब वे हिंदू थे, तब भी वे प्रायः गरीब थे, ग्रामीण थे, मेहनतकश थे, मजदूर थे। वे मुश्किल से गुजर-बसर करते थे। मुसलमान बनने पर भी उनकी हालत वही रही बल्कि बदतर हो गई। इस्लाम भारत में आया जरुर लेकिन वह भी जातिवाद का शिकार हो गया। मेहनतकश लोगों की जैसे हिंदुओं में कोई इज्जत और लजजत नहीं है, वैसे ही मुसलमानों में भी नहीं है। जो मुसलमान संपन्न हैं, सुशिक्षित हैं और शक्तिशाली हैं, उनका अलग वर्ग बन गया है। वे इन विपन्न, अशिक्षित और कमजोर मुसलमानों से रोटी-बेटी का रिश्ता रखने में काफी झिझकते हैं। यह वर्ग-भेद अब मुस्लिम देशों में भी फैलता जा रहा है। आर्थिक और सामाजिक सच्चाइयां मजहबी आदर्शों पर भारी पड़ रही हैं।
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Ved Pratap Vaidik
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Bakwas hai
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