“ भोजन एवं स्वास्थ्य ”
यह सच है कि भोजन का हमारे शरीर के साथ साथ मन पर व् आत्मा पर प्रभाव पड़ता है । कहा भी गया है जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन ।
पशुओं को काटते समय उनको घबराहट डर चिंता छटपटाहट आदि भाव उत्पन्न होते है , ये भाव उनके रक्त में मिल जाते है । मनुष्य जब उनका मांस भक्षण करता है तो वही भाव मनुष्य के शरीर में चले जाते है और वह उन उक्त भावो को indirectly ग्रहण कर लेता है।
किन्तु दुःख की बात है कि वह इस विज्ञान से अंजान है । और वह खुद इन दोषों का शिकार हो जाता है। इसीलिए उसके अंदर भी tension, depression आदि के रूप में कई मानसिक बीमारियां पैदा हो जाती है । जिसका वह डॉक्टरों से इलाज करवाने का गलत प्रयास करता है।
यदि वह मांस भक्षण छोड़ दे तो वह स्वतः इन बीमारियों से बच सकता है । अतः यदि शारीरिक व् मानसिक रूप में स्वस्थ रहना है तो हमें सर्वप्रथम खान पान को शुद्ध करना ही होगा ।
संदीप आर्य
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