ओ३म्
*🌷 आदर्श राष्ट्र 🌷*
*आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम् ।।-(यजु० २२/२२)*
इस मन्त्र में एक आदर्श राष्ट्र का वर्णन है।हमारा राष्ट्र कैसा हो?
*हे महतो महान् परमेश्वर !*
(1) हमारे राष्ट्र में ब्राह्मण ब्रह्मतेज से युक्त हों,वे ज्ञान-दीप्ति से दीप्त हों।ब्राह्मण कौन है? ब्राह्मण के घर में उत्पन्न होने वाले को ब्राह्मण नहीं कह सकते।ब्राह्मण बनता है साधना से।ब्राह्मण नाम है उन ऋषियों,मुनियों और मेधावियों का जो राष्ट्र को सन्मार्ग दिखाते हैं।सच्चे ब्राह्मण ही ‘अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि’ कर सकते हैं।
(2) क्षत्रीय शूरवीर,शस्त्रास्त्र चलाने में निपुण,शत्रुओं को उद्विग्न करने वाले और महारथी हों।आन्तरिक और वाह्य शत्रुओं से युद्ध करने के लिए तथा देश की रक्षा के लिए राष्ट्र में क्षत्रिय वीर हों।
(3) प्रभूत दूध देने वाली गौएँ हों।देश के नागरिकों को स्वस्थ ह्रष्ट-पुष्ट और बलिष्ठ बनाने के लिए राष्ट्र में गौएँ होनी चाहिएँ।जो राष्ट्र गो-दुग्ध और गो-दुग्ध से बने पदार्थों का सेवन करते हैं वे प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति करते हैं।
(4) बैल भार उठाने वाले हों।
(5) घोड़े शीघ्रगामी हों।
(6) स्त्रियाँ नगर की रक्षिका हों।
(7) इस यज्ञशील राष्ट्र का युवक सभा-सञ्चालन में कुशल,विजयशील,वीर और महारथी हो।
भारतमाता के नौनिहालों को,युवक और युवतियों को इन उपदेशों को ह्रदयंगम कर लेना चाहिए।राष्ट्र-रक्षा का उत्तरदायित्व देश के युवक और युवतियों पर ही निर्भर है।
(8) हमारी इच्छानुसार वृष्टि हो।
(9) ओषधियाँ हमारे लिए फलवती होकर पकें।
(10) हमारा योग-क्षेम सिद्ध हो।अप्राप्त की प्राप्ति का नाम है योग और प्राप्त वस्तु के रक्षण को क्षेम कहते हैं।भाव यह है कि राष्ट्र की आवश्यकताएँ सुगमता से पूर्ण होती रहें।
आदर्श राष्ट्र के लिए यहाँ दस बातें कही गई हैं।सारे संसार के साहित्य को देख जाइए।आदर्श राष्ट्र की इससे सुन्दर,भव्य, और श्रेष्ठ कल्पना हो ही नहीं सकती
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