Thursday, August 4, 2016

सत्यार्थ प्रकाश का जादू जो सिर चढ कर बोले ! *आंध्रप्रदेश के एक मित्र रेल के ड्राइवर इंजिनियर हैं ।...

सत्यार्थ प्रकाश का जादू जो सिर चढ कर बोले !
*आंध्रप्रदेश के एक मित्र रेल के ड्राइवर इंजिनियर हैं । एक बार उन्हें एक कबाड़ी की एक दूकान पर दोनों ओर से फटा हुआ सत्यार्थप्रकाश मिला, जिसे पढ कर वह सब अन्धविश्वास व पाखंड को छोड कर ऋषि दयानंद के अनन्य भक्त बन गये| उससे पहले कभी उन्होंने दयानंद और आर्य समाज का नाम भी नहीं सुना था । आज उनके पास पूरा आर्ष साहित्य है मगर कबाड़ी की दूकान से मिले उस फटे सत्यार्थ प्रकाश को संदूक में सजा कर रखते हैं ।
*दिल्ली से श्री रामचन्द्र जी एक मित्र हैं जिन्हें चाट खाते हुए सत्यार्थप्रकाश का एक पृष्ठ मिला,जिसे पढ कर इतने प्रभावित हुये कि पूरी पुस्तक खरीद कर पढ डाली|आज वह सज्जन वेदादि शास्त्रों के उच्च कोटि के विद्वान व प्रचारक हैं|
*बागपत मेरठ की मस्जिद के इमाम को सत्यार्थप्रकाश पढने को मिला,उन्होंने इस्लाम छोड कर वैदिक धर्म को अपनाया|आज महेन्द्रपाल आर्य जी के नाम से वेद प्रचार के कार्य में प्रयासरत हैं |
*फरहाना ताज एक मुस्लिम महिला को सत्यार्थप्रकाश पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,उसने भी इस्लाम त्याग कर वैदिक धर्म सो अपनाया और आज वेद व सत्यार्थप्रकाश के प्रचार प्रसार के लिये सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं |
वास्तव में ही सत्यार्थप्रकाश का जादू सिर चढ कर बोलता है,लाखों लोगों को इस पारस मणि ने सत्य की राह दिखाई है |


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