Thursday, August 4, 2016

पंडित चमूपति जी के स्वामी दयानन्द के प्रति प्रेरणादायक उदगार  पं चमुपति जी लिखते हैं कि आज केवल...

पंडित चमूपति जी के स्वामी दयानन्द के प्रति प्रेरणादायक उदगार 


पं चमुपति जी लिखते हैं कि आज केवल भारत नही,सारे संसार पर दयानंद का सिक्का है। 


मतों के प्रचारकों ने अपने मन्तव्य बदल लिए हैं,धर्म पुस्तकों का संशोधन किया है,महापुरूषों की जीवनियों में परिवर्तन किया है।

स्वामी जी का जीवन इन जीवनियों में बोलता है।

ऋषि मरा नहीं करते,अपने भावों के रूप में जीते हैं।

दलितोद्दार का प्राण कौन है?

पतित पावन दयानंद।

समाज सुधार की जान कौन है?

आदर्श सुधारक दयानंद।

शिक्षा के प्रचार की प्रेरणा कहां से आती है?

गुरूवर दयानंद के आचरण से।

वेद का जय जयकार कौन पुकारता है? ब्रहंर्षि दयानंद।

माता आदि देवियों के सत्कार का मार्ग कौन सिखाता है?


देवी पूजक दयानंद।गोरक्षा के विषय में प्राणिमात्र पर करूणा दिखाने का बीङा कौन उठाता है?करूणानिधि दयानंद।


आओ हम अपने आप को ऋषि दयानंद के रंग में रंगे।हमारा विचार ऋषि का विचार हो,हमारा अचार ऋषि आचार हो,हमारा प्रचार ऋषि का प्रचार हो।हमारी प्रत्येक चेष्टा ऋषि की चेष्टा हो।नाङी नाङी से धवनि उठे।


महर्षि दयानन्द पापों और पाखंङो से ऋषि राज छुङाया था तूने।

भयभीत निराश्रित जाति को, निर्भिक बनाया था तूने।।

बलिदान तेरा था अदिव्तीयहो गई दिशाएं गुंजित थी।

जन जन को देगा प्रकाश वहदीप जलाया था तूने।।


हमारा सौभाग्य है और अपने इस सौभाग्य पर हमें गर्व है कि हम महर्षि दयानंद द्वारा प्रदर्शित ईश्वरीय ज्ञान वेदों के अनुयायी हैं।

महर्षि दयानंद द्वारा प्रदर्षित मार्ग एेहिक व पारलौकिक उन्नति अथवा अभु्युदय व नि:श्रेयस प्राप्त कराता है।

इसे यह भी कह सकते है कि वेद मार्ग योग का मार्ग है।जिस पर चलकर धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

संसार की यह सबसे बङी संपदाएँ हैं।अन्य सभी भौतिक संपदाएँ  तो नाशवान हैं परन्तु दयानंद जी द्वारा दिखाई व दिलाई गई संपदाएँ जीते जी तो सुख देती हैं मरने के बाद भी लाभ ही लाभ पहुंचाती है।


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