Wednesday, December 28, 2016

न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। अजो नित्यः शाश्वतोअयं पुराणो न हन्यते...

न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोअयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।गीता (2/20)
शरीर में 6 विकार होते हैं – उत्पन्न होना,सत्तावाला दीखना,परिवर्तन होना,वृद्धि होना,घटना और नष्ट होना।आत्मा इन विकारों से मुक्त है। यह सनातन है।यह कभी मृत्यु को आलिंगन नहीं करती।जिसका जन्म होता है,उसी की मृत्यु अवश्यंभावी है।आत्मा में संयोग एवं वियोग नहीं होते।
आत्मा स्वतःसिद्ध निर्विकार है।इसकी सत्ता का आरम्भ और अन्त नहीं होता।इसे जन्मरहित कहते हैं।इसका अपक्षय कभी भी नहीं होता।शरीर कुछ आयु पश्चात् घटने लगता है,शक्ति क्षीण होने लगती है,इन्द्रियाँ शिथिल हो जाती हैं।लेकिन नित्य –तत्त्व आत्मा में किन्चिन्मात्र भी कमी नहीं आती।
आत्मा अनादि है।इस नित्य – तत्त्व में कोई वृद्धि भी नहीं होती।शरीर नश्वर है,जबकि आत्मा अविनाशी है।
शरीर परिवर्तनशील और विकारी होने के कारण आत्मा का अंग नहीं है।
ओम शान्ति


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Wednesday, December 21, 2016

हर व्यक्ति में ईश्वर को देखें जिसकी भी आये याद, हर व्यक्ति से प्रेम करें नहीं कोई फरियाद / ईश्वर को...

हर व्यक्ति में ईश्वर को देखें जिसकी भी आये याद, हर व्यक्ति से प्रेम करें नहीं कोई फरियाद / ईश्वर को ही याद करते हुए कीजिए सब काज ,वही सबका मित्र है वही सबका नाथ //🕉🕉🕉⛳⛳🕉🕉🕉


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Sunday, December 18, 2016

सत्यार्थ प्रकाश ने बदला जीवन || एक किताब जो बदल देगी जीवन! || 1. देश के लिए बलिदान होने वाला पहला...

सत्यार्थ प्रकाश ने बदला जीवन
|| एक किताब जो बदल देगी जीवन! ||
1. देश के लिए बलिदान होने वाला पहला क्रांतिकारी मंगल पांडे स्वामी दयानंद का शिष्य था। मंगल पांडे को चर्बी वाले कारतूस प्रयोग करने के कारण पानी न पिलाने वाले स्वामी दयानंद ही थे। प्रमाण: महान स्वतंत्रता सेनानी आचार्य दीपांकर की पुस्तक पढे: 1857 की क्रांति और मेरठ
2. सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी खुदीराम बोस ने मरने से पहले गीता और सत्यार्थ प्रकाश के दर्शन किए, जब जेलर ने पूछा इन किताब में क्या है, उसने बताया, गीता मुझे दोबारा जन्म लेने की प्रेरणा देती है और सत्यार्थ प्रकाश स्वदेशी राज्य की प्राप्ति का मार्ग सुझाती है। इसलिए मैं जन्म लेकर दोबारा आउंगा और आजादी प्राप्त करूंगा।
प्रमाण: खुदीराम की जीवनी तेजपाल आर्य की लिखी पढ़े।
और देश के सबसे वृद्ध क्रांतिकारी लाला लाजपत राय पर जब लाठियां बरस रही थी, उनके हाथ में तब भी सत्यार्थ प्रकाश था।
3. पं. मदनमोहन मालवीय जी ने आर्यसमाज का यहां तक विरोध किया कि सनातन धर्म सभा तक बना डाली, लेकिन जब मरने लगे तो काशी के सब पंडित उनके दर्शन करने आए और बोले, महामना जी हमारा मार्गदर्शन अब कौन करेगा? तो मदनमोहन मालवीय जी ने उन्हें सत्यार्थप्रकाश देते हुए कहा, ‘‘सत्यार्थ प्रकाश आपका मार्गदर्शन करेगा।’’
प्रमाण: घोर पौराणिक लेखक अवधेश जी की पुस्तक महामना मालवीय पढ़े, जो हिन्द पॉकेट बुक्स से छपी है।
4. सत्यार्थप्रकाश पढकर एक तांगा चलाने वाला दुनिया में मशालों का शहंशाह बन गया: एमडीएच मशाले और सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर एक पिंक्चर लगानेवाला हीरो ग्रुप का अध्यक्ष बन गया: ओमप्रकाश मूंजाल
5. सत्यार्थ प्रकाश पढकर होमी भाभा ने भारत में परमाणु युग की शुरूआत की और डॉक्टर कलाम ने गीता के साथ-साथ सत्यार्थप्रकाश भी अनेक बार पढा है।
गॉड पार्टिकल और हिग्स बोसोन की खोज के कारण जिन विदेशियों को नोबेल पुरस्कार मिला, जानते हो मेरे पास 1966 की एक हिन्दी पत्रिका नवनीत है, उसमें ये सिद्धांत तब के ही लिखे हैं और वह लेख लिखा हुआ है सत्येंद्रनाथ बोस का, जो आर्य समाज के सदस्य थे और वैज्ञानिक भी, अब इतने दिन बाद पुरस्कार कोई और ले गया। चलो फिर भी विज्ञान में न सही अभी समाज सेवा में कैलासजी को नोबेल मिला, वे भी सत्यार्थ प्रकाश पढने वाले ही हैं और जनज्ञान प्रकाशन की पंडिता राकेश रानी के दामाद हैं। जनज्ञान प्रकाशन ने कभी सबसे सस्ते वेद प्रकाशित किए थे।
6. सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर फीजी, गुयाना, मोरीशस में कई व्यक्ति राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन गए।
7. सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने वाले लाल बहादुर शास्त्री और चौधरी चरण सिंह देश के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री कहलाए। चरणसिंह की राजनीति कैसी भी रही हो, लेकिन जमींदारी उन्मूलन के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। नेहरूजी सहकारिता के नाम पर हिन्दुस्तान की सारी जमीन रूस को देने वाले थे, ऐसे ही जैसे उन्होंने आजाद भारत में माउंटबेटन को गवर्नर बना दिया। यदि सत्यार्थप्रकाश पढने वाले चरणसिंह न होते तो आज हमारे किसानो के आका रूस के लोग होते और देश रूस का गुलाम होता।
प्रमाण: कमलेश्वर की इंदिरा की जीवनी अंतिम सफर (संपूर्ण मूल संस्करण, क्योंकि यह संक्षिप्त भी है) पुस्तक पढे, कमलेश्वर इंदिरा जी के चहेते थेे, उनकी मौत पर दूरदर्शन से कमेंटरी उन्होंने ही की थी।
8. सत्यार्थप्रकाश जिसने भी पढा, वह शेर बन गया, रामप्रसाद बिस्लिम, श्याम कृष्णवर्मा, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डॉक्टर हेडेगेवार के पिताश्री बलिराम पंत हेडगेवार जो आर्य समाज के पुरोहित थे आदि और आज के युग में भी शेर ही होते हैं। सुनो कहानी: सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा ने भारत माता का नग्न चित्र बनानेवाले एमएफ हुसैन को 15 वर्ष पहले हैदराबाद में पत्रकार सम्मेलन में सबके सामने जोरदार चांटा जडा, अपमानित होकर बेचारे हुसैन देश ही छोड गए और हैदराबाद जैसे मुस्लिम शहर में रंगीला रसूल का पुनः प्रकाशन भी किया और सौ से अधिक पुस्तके आर्य समाज से संबंधित लिखी।
9. सत्यार्थ प्रकाश पर 2008 में प्रतिबंध के लिए जब भारत भर के मुल्ला-मौलवी एकत्र हुए और अदालत में पहुंचे तो फैसला सुनाने वाले जज ने न केवल सत्यार्थ प्रकाश के पक्ष में फैसला दिया वरन स्वयं आर्य समाजी हो गया और मुसलमानो का एक मुस्लिम वकील भी आर्य समाजी बन गया, बेचारे ने भूल से सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन किया था ताकि गलत तथ्य निकाल सके। आर्यसमाज की ओर से यह मुकदमा विमल वधावनजी ने लडा था, विमलजी भी सत्यार्थ प्रकाश पढनेवाले ही हैं।
10. सत्यार्थप्रकाश पढकर ही मुंशी प्रेमचंद भारत के सबसे लोकप्रिय लेखक बने, उनकी धर्मपत्नी ने ही ऐसा लिखा है।
सत्यार्थ प्रकाश से प्रेरणा लो और वेदो की ओर लोटो!


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Saturday, December 17, 2016

🕉🙏 ओउम् नमस्ते जी 🕉🙏 🕉🙏 आपका दिन शुभ हो 🕉🙏 दिनांक – 18 दिसम्बर 2016 दिन – रविवार तिथि...

🕉🙏 ओउम् नमस्ते जी 🕉🙏
🕉🙏 आपका दिन शुभ हो 🕉🙏

दिनांक – 18 दिसम्बर 2016
दिन – रविवार
तिथि – पंचमी
नक्षत्र– आश्लेषा
पक्ष– कृष्ण
माह – पौष
ऋतु – हेमन्त
सूर्य – दक्षिणायन
सृष्टि संवत् – 1, 96, 08, 53, 117
कलयुगाब्द – 5118
विक्रम संवत् – 2073
शक संवत् – 1939
दयानंदाब्द – 193

🌷 जो धर्म को त्यागता है , धर्म उसे त्याग देता है ।
🌷 जो समय नष्ट करता है , समय उसे नष्ट कर देता है ।
🌷 जो धर्म का पालन करता है , धर्म उसका पालन करता है ।
🌷 जो ईशवर के आश्रित होकर अपने कर्तव्य का पालन करता है , ईशवर उसका पालन करता है ।
🌷 जो अपनी आत्मा जैसी दुसरे की आत्मा को समझता है , वह किसी से बैरभाव नही रख सकता ।

🌷🍃🌷🍃🌷🍃🌷🍃🌷🍃🌷🍃🌷🍃🌷🌷🍃🌷🍃

🌷 यथोद्वरति निर्दाता कक्षं धान्यं च रक्षति ।
तथा रक्षेन्नृपो राष्ट्रं हन्याच्च परिपन्थिन : ।। ( मनु स्मृति )

🌷 अर्थ :- जैसे धान से चावल निकालने वाला छिलके को अलग कर चावलों की रक्षा करता है ।चावलों को टूटने नही देता । वैसे ही राजा रिश्वतखोरों , अन्यायकारियों , चोर बाजारी करने वालों , डाकुओं , चोरों और बलात्कारियों को मारे और बाकी प्रजा की रक्षा करें ।

🌷🍃🌷🍃 ओउम् 🌷🍃🌷🍃 सुदिनम 🌷🍃🌷🍃 सुप्रभातम


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Friday, December 16, 2016

तेरे गिरने में, तेरी हार नहीं । तू आदमी है, अवतार नहीं ।। गिर, उठ, चल, दौड, फिर...

तेरे गिरने में, तेरी हार नहीं ।
तू आदमी है, अवतार नहीं ।।
गिर, उठ, चल, दौड, फिर भाग,
क्योंकि
“जीत” संक्षिप्त है इसका कोई सार नहीं


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Wednesday, December 14, 2016

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷ॐ अनेजदेकं मनसो जवीयो नैनद्देवाआप्नुवन् पूर्वमर्शत्| तद्धावतो अन्यानत्येति...

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷ॐ अनेजदेकं मनसो जवीयो नैनद्देवाआप्नुवन् पूर्वमर्शत्| तद्धावतो अन्यानत्येति तिष्ठत्तस्मिन्नपो मातरिश्वा दधाति ||~~न्यायदर्शन~यजुर्वेद~४०~४~~पद्यानुवाद~~~~~अद्वितीय निश्चल अकम्पन्, मन से तीव्र है वेगवान| पहले से व्यापक वह ठहरा, देख न पाये अविद्वान्| सब जीवों को धारण कर, सबको नियमों में चलाने वाला| अंतर्यामी घट घट वासी, खुद ही खुद से मिलाने वाला|| आओ विमल प्रशांत बना मन, सूक्ष्मातिसूक्ष्म प्रभु को ध्यावें| अतुलनीय उस परमेश्वर के, अमृत मोक्षानंद को पावें||👏


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Tuesday, December 13, 2016

सब कार्य केवल हमारे पुरुषार्थ से सिद्ध नहीं होते । उनकी सिद्धि में ईश्वर की कृपा भी होती है। परंतु...

सब कार्य केवल हमारे पुरुषार्थ से सिद्ध नहीं होते । उनकी सिद्धि में ईश्वर की कृपा भी होती है। परंतु अपना पुरुषार्थ छोडना नहीं चाहिए।


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"ईश्वर कभी झूठ नहीं बोलता। ईश्वर की वाणी वेदों को पढें, और भटकने से बचें। सत्य को जानें, सुख से जीएँ।"

“ईश्वर कभी झूठ नहीं बोलता। ईश्वर की वाणी वेदों को पढें, और भटकने से बचें। सत्य को जानें, सुख से जीएँ।”

- ईश्वर कभी झूठ नहीं बोलता। ईश्वर की वाणी वेदों को पढें, और भटकने से बचें। सत्य को जानें, सुख से जीएँ।
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हिम्मत करके पढिऐ फिर HAPPY NEW YEAR मना लेना ..आर्य जयवीर 9416874412 ना तो जनवरी साल का पहला मास है...

हिम्मत करके पढिऐ फिर HAPPY NEW YEAR मना लेना ..आर्य जयवीर 9416874412
ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन ..
जो आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए है वो जरा इस बात पर विचार करिए ..
सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर क्रम से 7वाँ, 8वाँ, नौवाँ और दसवाँ महीना होना चाहिए जबकि ऐसा नहीं है .. ये क्रम से 9वाँ,10वाँ,11वां और
बारहवाँ महीना है .. हिन्दी में सात को सप्त, आठ को अष्ट कहा जाता है, इसे अग्रेज़ी में sept(सेप्ट) तथा oct(ओक्ट) कहा जाता है .. इसी से september तथा October बना ..
नवम्बर में तो सीधे-सीधे हिन्दी के “नव” को ले लिया गया है तथा दस अंग्रेज़ी में “Dec” बन जाता है जिससे
December बन गया ..
ऐसा इसलिए कि 1752 के पहले दिसंबर दसवाँ महीना ही हुआ करता था। इसका एक प्रमाण और है ..
जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है????
इसका उत्तर ये है की “X” रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और mas यानि मास अर्थात महीना .. चूंकि दिसंबर दसवां महीना हुआ करता था इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानि X-mas से प्रचलित हो गया ..
इन सब बातों से ये निष्कर्ष निकलता है
की या तो अंग्रेज़ हमारे पंचांग के अनुसार ही चलते थे या तो उनका 12 के बजाय 10 महीना ही हुआ करता था ..
साल को 365 के बजाय 305 दिन
का रखना तो बहुत बड़ी मूर्खता है तो ज्यादा संभावना इसी बात की है कि प्राचीन काल में अंग्रेज़ भारतीयों के प्रभाव में थे इस कारण सब कुछ भारतीयों जैसा ही करते थे और इंगलैण्ड ही क्या पूरा विश्व ही भारतीयों के प्रभाव में था जिसका प्रमाण ये है कि नया साल भले ही वो 1 जनवरी को माना लें पर उनका नया बही-खाता 1 अप्रैल से शुरू होता है ..
लगभग पूरे विश्व में वित्त-वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक होता है यानि मार्च में अंत और अप्रैल से शुरू..
भारतीय अप्रैल में अपना नया साल मनाते थे तो क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं है कि पूरे विश्व को भारतीयों ने अपने अधीन रखा था।
इसका अन्य प्रमाण देखिए-अंग्रेज़
अपना तारीख या दिन 12 बजे
रात से बदल देते है .. दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है तो 12 बजे रात से नया दिन का क्या तुक बनता है ??
तुक बनता है भारत में नया दिन सुबह से गिना जाता है, सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले के समय को ब्रह्म-मुहूर्त्त की बेला कही जाती है और यहाँ से नए दिन की शुरुआत होती है.. यानि की करीब 5-5.30 के आस-पास और
इस समय इंग्लैंड में समय 12 बजे के आस-पास का होता है।
चूंकि वो भारतीयों के प्रभाव में थे इसलिए वो अपना दिन भी भारतीयों के दिन से मिलाकर रखना चाहते थे ..
इसलिए उन लोगों ने रात के 12 बजे से ही दिन नया दिन और तारीख बदलने का नियम अपना लिया ..
जरा सोचिए वो लोग अब तक हमारे अधीन हैं, हमारा अनुसरण करते हैं,
और हम राजा होकर भी खुद अपने अनुचर का, अपने अनुसरणकर्ता का या सीधे-सीधी कहूँ तो अपने दास का ही हम दास बनने को बेताब हैं..
कितनी बड़ी विडम्बना है ये .. मैं ये नहीं कहूँगा कि आप आज 31 दिसंबर को रात के 12 बजने का बेसब्री से इंतजार ना करिए या 12 बजे नए साल की खुशी में दारू मत पीजिए या खस्सी-मुर्गा मत काटिए। मैं बस ये कहूँगा कि देखिए खुद को आप, पहचानिए अपने आपको ..
हम भारतीय गुरु हैं, सम्राट हैं किसी का अनुसरी नही करते है .. अंग्रेजों का दिया हुआ नया साल हमें नहीं चाहिये, जब सारे त्याहोर भारतीय संस्कृति के रीती रिवाजों के अनुसार ही मानते हैं तो नया साल क्यों नहीं? जय आर्य जय आर्यव्रत🙏🙏


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