Wednesday, December 31, 2014

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"वन में न तो सिंह का राज्यभिषेक होता है न ही उसे राजा घोषित करने के लिए कोई संस्कार (उत्सव)।सिंह..."


वन में न तो सिंह का राज्यभिषेक होता है न ही उसे राजा घोषित करने के लिए कोई संस्कार (उत्सव)।सिंह स्वयं के सत्त्व (गुण) और विक्रम के द्वारा जंगल का राजा बन जाता है।


नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।

विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता




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गामडा नो गुणाकार. गामडा मा वस्ती नानी होय घरे घरे ज्ञानी होय आंगणीये आवकारो होय महेमानो नो मारो...

गामडा नो गुणाकार.

गामडा मा वस्ती नानी होय

घरे घरे ज्ञानी होय

आंगणीये आवकारो होय

महेमानो नो मारो होय.

गाम मा चा पीवा नो घारो होय

वहेवार ऐनो सारो होय

राम राम नो रणकार होय

जमाडवानो पडकारो होय.

सत्संग मंडली जामी होय

बेसो तो सवार सामी होय.

ज्ञान नी वातो बहु नामी होय

जाणे स्वर्ग नी खामी होय.

वहु ने सासु गमता होय

भेला बेसी जमता होय.

बोलवामा समता होय

भुल थाय तो नमता होय.

छोकरा खोला मा रमता होय

आवी मा नी ममता होय.

गईढ्या छोकराव ने समजावता होय

चोरे बेसी रमडता होय.

साची दीशा ऐ वालता होय

बापा ना बोल सौ पालता होय.

भले आंखे ओछु भालता होय

तोय गईढ्या गाडा वालता होय.

नीती नीयम ना शुघ्घ होय

आवा घरडा घर मा वृघ्घ होय.

मागे पाणी त्या हाजर दुघ होय

मानो तो भगवान बुघ्घ होय.

भजन कीर्तन थाता होय

परबे पाणी पाता होय.

महेनत करी ने खाता होय

पांच मा पुछाता होय.

देव जेवा दाता होय

भक्ती रंगे रंगाता होय.

प्रभु ना गुण गाता होय

अंघश्रघ्घा न मानता होय.

घी दुघ बारे मास होय

मीठी मघुर छास होय.

रमजट बोलता रास होय

वाणी मा मीठाश होय.

पुन्य तणो प्रकाश होय

त्या नक्की गुरुदेव नो वास होय.

काचा पाका मकान होय

ऐ माय ऐक दुकान होय.

ग्राहको ने मान होय

जाणे मलीया भगवान होय.

संस्कृती नी शान होय

त्या सुखी ऐना संतान होय.

ऐक ओसरीये रूम चाय होय

सौनु भेलु जमणवार होय.

अतीथी ने आवकार होय

खुल्ला घर ना द्वार होय.

कुवा कांठे आरो होय

नदी केरो कीनारो होय.

वहु दीकरी नो वरतारो होय

घणी प्राण थी प्रारो होय.

कानो भले ने कालो होय

ऐनी राघा ने मन रूपालो होय.

वाणी साथे वर्तन होय

मोटा सौना मन होय.

हरीयाला वन होय

सुंगघी पवन होय.

गामडु नानु वतन होय

त्या जोगमाया नु जतन होय.

मानवी मोती ना रतन होय

पाप नु त्या पतन होय.

शीतल वायु वातो होय

जाडवे जई अथडातो होय.

मोर ते दी मलकातो होय

घरती पुत्र हरखातो होय.

गामडा नो महीमा गातो होय

ऐनी रूडी कलमे लखातो होय.


भाई भाई.




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हमारी न्याय व्यवस्था …..एक जंगल में गाय भागती हुई जा रही थी. हाथी ने उसे रोक के उससे भागने का...

हमारी न्याय व्यवस्था …..एक जंगल में गाय भागती हुई जा रही थी. हाथी ने उसे रोक के उससे भागने का कारण पुछा.गाय ने कहा जंगल के सारे बैलों को पकड़ने का आदेश आया है ।

हाथी ने कहा :- पर तुम क्यों भाग रही हो, तुम तो गाय हो ।

गाय ने कहा :- मैं गाय तो हूँ, लेकिन अगर मुझे पकड़ लिया तो २० साल मुझे ये साबित करने में लग जाएगा कि मैं गाय हूँ।ये सुन कर गाय और हाथी साथ- साथ भागने लगे ।




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एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था की मुसलमान अनपढ़ है यो वो पत्थर से जिहाद करेगा थोडा पढ़ा लिखा है...

एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने

कहा था की मुसलमान अनपढ़ है

यो वो पत्थर से जिहाद

करेगा थोडा पढ़ा लिखा है तो बन्दुक से

जिहाद करेगा अगर मुसलमान

वैज्ञानिक बन गया तो वो एटम बम से

जिहाद करेगा पर वो जिहाद

करेगा अवश्य फिर चाहे वो गरीब

मुसलमान हो या अमीर मुसलमान

यही आज प्रमाणित हो गया है जब पढ़े

लिखे अमीर मुसलमान भी ISIS के मुरीद

हो रहे है और उसका प्रचार कर रहे है

पढ़ा लिखा हिन्दू धर्म मजहब के

चक्कर में नहीं फंसता पर हर मुसलमान के

मन में एक ओर जिहाद व् दूसरी ओर

पाकिस्तान व् अरब होता है इनसे

देशभक्ति की आशा करना बेकार है नोट:

अपने आसपास के मुसलमानों पर ध्यान रखे

कही वो भी तो ISIS के समर्थक

तो नहीं है ऐसे व्यक्ति की तुरंत पुलिस

में रिपोर्ट करवाए




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औषधीय गुणों की खान है गर्म पानी ————गुनगुना पानी और...

औषधीय गुणों की खान है गर्म पानी ————गुनगुना पानी और स्वास्थ्य-

_______________ _______________ _______________ _______

गुनगुने पानी को मुंह में घुमा घुमा कर घूंट घूंट करके पीने से मोटापा नियंत्रित होता है ।

गुनगुना पानी जोड़ों के बीच चिकनाई का काम करता है, जिससे गठिया रोगों की आशंका काफी कम हो जाती है।

गुनगुना पानी शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने की प्रक्रिया तेज करता है और गुर्दों के माध्यम से गंदगी बाहर निकल जाती हैं।

पाचन किर्या मजबूत होती है कब्ज से रहत मिलती है ।

थोड़ा अधिक गुनगुना गर्म पानी रक्तप्रवाह को सुचारू रखता है।

गुनगुने पानीमें नींबू और शहद मिलाकर लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

गुनगुना पानी सौंदर्य और स्वास्थ्य को और त्वचा संबंधी बीमारियों को ठीक रखता है

पानी से प्यास बुझने के साथ साथ पाचन-तंत्र से लेकर मस्तिष्क विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

गुनगुना पानी घूंट घूंट करके पिने से शरीर ज्यादा हल्का चुस्त और दुरुस्त होता है

बचपन से अगर शरीर को पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा, तो हड्डियां भी कमजोर होंगी।

मेहनत करने के पहले थोड़ा गुनगुना पानी पी ले थकान कम महसूस होगी और आपका शरीर ज्यादा हल्का महसूस करेगा ।




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Tuesday, December 30, 2014

"जगत की रचना नहीँ, सिर्फ पृथ्वी पर जिवसृष्टी के निर्माण की शुरुआत हुई थी। सातवेँ मन्वन्तर (1.20 करोड..."

“जगत की रचना नहीँ, सिर्फ पृथ्वी पर जिवसृष्टी के निर्माण की शुरुआत हुई थी। सातवेँ मन्वन्तर (1.20 करोड साल पहले) मनुष्य का निर्माण हुआ। पुर्ण जगत का निर्माण तो 155 ट्रिलियन वर्षपुर्व हुआ था। (As per vedic scripts)”

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Very long msg but it touched my heart hence posted THE SITUATION: In Washington, DC, at a Metro...

Very long msg but it touched my heart hence posted


THE SITUATION:



In Washington, DC, at a Metro Station, on a cold January morning in 2007, this man with a violin played six Bach pieces for about 45 minutes. During that time, approximately 2,000 people went through the station, most of them on their way to work. After about 3 minutes, a middle-aged man noticed that there was a musician playing. He slowed his pace and stopped for a few seconds, and then he hurried on to meet his schedule.



About 4 minutes later:

The violinist received his first dollar. A woman threw money in the hat and, without stopping, continued to walk.


At 6 minutes:


A young man leaned against the wall to listen to him, then looked at his watch and started to walk again.


At 10 minutes:


A 3-year old boy stopped, but his mother tugged him along hurriedly. The kid stopped to look at the violinist again, but the mother pushed hard and the child continued to walk, turning his head the whole time. This action was repeated by several other children, but every parent — without exception — forced their children to move on quickly.


At 45 minutes:

The musician played continuously. Only 6 people stopped and listened for a short while. About 20 gave money but continued to walk at their normal pace. The man collected a total of $32.


After 1 hour:


He finished playing and silence took over. No one noticed and no one applauded. There was no recognition at all.



No one knew this, but the violinist was Joshua Bell, one of the greatest musicians in the world. He played one of the most intricate pieces ever written, with a violin worth $3.5 million dollars. Two days earlier, Joshua Bell sold out a theater in Boston where the seats averaged over $100 each to sit and listen to him play the same music.



This is a true story. Joshua Bell, playing incognito in the D.C. Metro Station, was organized by the Washington Post as part of a social experiment about perception, taste and people’s priorities.

This experiment raised several questions:


· In a common-place environment, at an inappropriate hour, do we perceive beauty?



· If so, do we stop to appreciate it?



· Are we able to recognize talent in an unexpected context?


One possible conclusion reached from this experiment could be this:



If we do not have a moment to stop and listen to one of the best musicians in the world, playing some of the finest music ever written, with one of the most beautiful instruments ever made .


How many other things are we missing as we rush through life?


Enjoy life NOW … it has an expiration date!



Among the 6 who stopped for a while to listen the majority were children, we have lost that child-like attitude of appreciating the good, if it was a fight or something negative, a lot more adults would have stopped.




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Monday, December 29, 2014

ज्ञेयः स नित्य संन्यासी यो न द्वेष्टि न कांक्षति। निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं...

ज्ञेयः स नित्य संन्यासी यो न द्वेष्टि न कांक्षति।

निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बन्धात्प्रमुच्यते।।


उसे सदा संन्यासी समझना चाहिए जो न द्वेष करता है और न हि चाहना। हे महाबाहु अर्जुन, जो द्वन्द्वों से रहित होता है, वह सरलता से कर्म के बन्धन से छूट जाता है।




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गाय के घी के फायदे… गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,...

गाय के घी के फायदे…

गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे –

एथिलीन ऑक्साइड, प्रोपिलीन ऑक्साइड, फॉर्मल्डीहाइड

आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे

अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है, जो शल्य-

चिकित्स

ा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में

उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम

वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार

अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के

घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में

गौघृत लगाकर लेट

जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।

गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे

रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम

क्षमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ

जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और

आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात

तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एकटन

प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से

संभव नहीं हैं|

देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम

रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। गाय का घी खाने से

बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी में स्वर्ण

छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है, जो की गाय

के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते । गाय के घी से बेहतर कोई

दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड,

बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन

करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के

घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने

की क्षमता होती है।

यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ) करते हैं

तो इसके परिणाम स्वरूप वातावर 1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।

2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।

3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार

होता है।

4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे

का नशा कम हो जाता है।

5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के

ही ठीक हो जाता है।

6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग

तारो ताजा हो जाता है।

7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर

चेतना वापस लोट आती है।

8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए

बाल भी आने लगते है।

9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है,

याददाश्त तेज होती है।

10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें

जलन ढीक होता है।

11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए,

हिचकी स्वयं रुक जाएगी।

12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज

की शिकायत कम हो जाती है।

13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व

मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है

14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश

करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।

15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच

गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।

16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के

घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।

17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस

बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ

खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।

19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है।

इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है 20.संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक

चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल

कम हो जाएगी।

21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।गाय

के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार

निकालने मे सहायक होता है।

22.सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से

जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त

तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

23.दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन

दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो,

तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक

हो जायेगा।

24.यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल

नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित

करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे

व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

25.एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच

पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और

रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से

आँखों की ज्योति बढ़ती है।

26.गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से

अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें

थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त

घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे

त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से

इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।

27.गाय का घी एक अच्छा(LDL)कोलेस्ट्रॉल है। उच्च

कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह

एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें

दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त

और कफ) को संतुलित करता है।

है।

28.घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर

(बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें।

प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास

मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में

आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और

बलवान बनता है।




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1- खुदा तख्त पर बैठता है, तो तख्त जरूर खुदा से बड़ाहोगा और यदि खुदा बड़ा होगा तो जरूर इधर-उधरलटकता...

1- खुदा तख्त पर बैठता है, तो तख्त जरूर खुदा से बड़ाहोगा और यदि खुदा बड़ा होगा तो जरूर इधर-उधरलटकता रहेगा। बतावेँ तख्त बड़ा या खुदा?(सूरा फुरकान आयत 59)2- अल्लाह से पत्थर भी डरते हैँ। शैतान जिसमेँअल्लाह नेखुद जान डाली थी वो तो बेचारे अल्लाह सेडरता नहीँ है तोबेजान पत्थर को डरा हुआबताना कैसी अक्लमंदी है?(सूरा बकर आयत 74)3- अल्लाह ने सात आसमान बनाये हैँ, इस बात को साबित करकेदिखाओऔर आसमान बनाने के वक्त अल्लाह किस मकान मेँ रहता था?(सूरा बकर आयत 29)मुसलमानोँ से पहले किस किस पर रोजा फर्ज किया गया थाइसका उत्तर देँ, क्योँकि रोजा रखने की आज्ञा कुरान सेपहले की किसीखुदाई किताब मेँ नहीँ है। तो क्योँ अल्लाहकी इस बात को झूठामाना जाये? (सूरा बकर आयत 183)5- अपनी बीवियोँ के संग पीछेसे सभोँग करने आज्ञा देकर खुदा नेकौन सी शराफत दिखाई है? (सूरा बकर आयत 223)6- झूठी कसमेँ खाने की छूट जब अल्लाहखुद ही देने लगे तो भला ऐसेखुदा और उसके बन्दो पर कौन भरोसा करेगा?(सूरा बकर आयत 225)7- खुदा 70 हाथ की जंजीर से काफिरको क्योँ बांधेगा? क्या बिना पकड़ के खड़ा हुआ काफिर अल्लाह परभारी पड़ सकता है? और ये जजीँर बनानेका ठेका खुदा ने किसअरबी कम्पनीँ को दिया है?(सूरा हाक्का आयत 32)8- अरबी खुदा की नीयत बदयानि बुरी है, वो मनुष्योँ का भला नहीँ चाहताथा। यदि चाहता तो लोगो को पाप करने की छूट क्योँ देता?(सुरा इमरान आयत 178)9- खुदा ने कुरान मेँ सगे भाई बहनोँ के निकाह को हराम बताया हैजबकि ये हरामखेरी वो खुद आदम औरहव्वा की औलादोँ के वक्त जायज करार दे चुकाथा? जिसका विधान ही अटल नहीँ है उसकेकहे पर कैसे भरोसा किया जाये?(सूरा निसा आयत 23)10- खुदा सच्चा है या धोखेबाज है? तय करके बतायेँ।(सूरा निसा आयत 122, और 142)11- इंजील के अनुसार ईसा को सूली परलटकाया गया था, और कुरान मेँ खुदा ने इसका खण्डन कर दिया? कुरानने इंजील को खुदाई किताब माना है, अबअपनी ही बातकी धज्जियाँ खुदा ने क्योँ उड़ाई? (सूरा निसा आयत 157)12- जब अल्लाह ही सबको भटकाता है तब मुसलमानदूसरो को काफिर क्योँ कहते हैँ? सबसे बड़ा काफिरतो खुदा ही है (सूरा अनआम आयत 39)13- कुरानको पुरानी किताबोँ की तफसीलबताकर खुदा ने कुरान का दर्जागिरा दिया है और इससे पुरानी किताब का महत्व बढ़जाता है?(सूरा युनुस आयत 37)14- जब कुरान अरबी मेँ उतारा गया तब इसे अरब केबाहर सारी दुनिया परछल, और तलवार के बल पर थोपना सरासर गलत है औरकिसी गैर-अरबीको इसे कत्तई न मानना चाहिए।(सूरा युसूफ आयत 2)15- जन्नत मेँ सिर्फ दो टाईम खाना ही क्योँ मिलेगा?अगर किसी मोमिन को तीसरे टाईम भूख लगगई थी तो क्या वो भूख से रोता रहेगा या शराबपीकर पेट भरेगा?(सूरा मरियम आयत 62) — जय हिंदूराष्ट्र , हिंदूओ एक हो जाँओ मक्केश्वर शीव बूला रहे है ।




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क्या कोई बता सकता है की अपने समय की हॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म The Vinci code को भारत...

क्या कोई बता सकता है की अपने समय की हॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म The Vinci code को भारत में क्यों बैन कर दिया गया?

क्या कोई बता सकता है की ओशो रजनीश ने ऐसा क्या कह दिया था जिससे उदारवादी कहे जाने वाले और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढिंढोरा पीटने वाला अमेरिका रातों-रात उनका दुश्मन हो गया था और उनको जेल में डालकर यातनायें दी गयी और जेल में उनको थैलियम नामक धीमा जहर दिया गया जिससे उनकी बाद में मृत्यु हो गयी?

क्यों वैटिकन का पोप बेनेडिक्ट उनका दुश्मन हो गया और पोप ने उनको जेल में प्रताड़ित किया? दरअसल इस सब के पीछे ईसाइयत का वो बड़ा झूठ है जिसके खुलते ही पूरी ईसाईयत भरभरा के गिर जायेगी। और वो झूठ है प्रभु इसा मसीह के 13 वर्ष से 30 वर्ष के बीच के गायब 17 वर्षों का

आखिर क्यों इसा मसीह की कथित रचना बाइबिल में उनके जीवन के इन 17 वर्षों का कोई ब्यौरा नहीं है?

ईसाई मान्यता के अनुसार सूली पर लटका कर मार दिए जाने के बाद इसा मसीह फिर जिन्दा हो गया था। तो अगर जिन्दा हो गए थे तो वो फिर कहाँ गए इसका भी कोई अता-पता बाइबिल में नहीं है। ओशो ने अपने प्रवचन में ईसा के इसी अज्ञात जीवनकाल के बारे में विस्तार से बताया था। जिसके बाद उनको ना सिर्फ अमेरिका से प्रताड़ित करके निकाला गया बल्कि पोप ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके उनको 21 अन्य ईसाई देशों में शरण देने से मना कर दिया गया।

असल में ईसाईयत/Christianity की ईसा से कोई लेना देना नहीं है। अविवाहित माँ की औलाद होने के कारण बालक ईसा समाज में अपमानित और प्रताडित करे गए जिसके कारण वे 13 वर्ष की उम्र में ही भारत आ गए थे। यहाँ उन्होंने हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के प्रभाव में शिक्षा दीक्षा ली। एक गाल पर थप्पड़ मारने पर दूसरा गाल आगे करने का सिद्धान्त सिर्फ भारतीय धर्मो में ही है, ईसा के मूल धर्म यहूदी धर्म में तो आँख के बदले आँख और हाथ के बदले हाथ का सिद्धान्त था। भारत से धर्म और योग की शिक्षा दीक्षा लेकर ईसा प्रेम और भाईचारे के सन्देश के साथ वापिस जूडिया पहुँचे। इस बीच रास्ते में उनके प्रवचन सुनकर उनके अनुयायी भी बहुत हो चुके थे। इस बीच प्रभु ईसा के 2 निकटतम अनुयायी Peter और Christopher थे। इनमें Peter उनका सच्चा अनुयायी था जबकि Christopher धूर्त और लालची था।जब ईसा ने जूडिया पहुंचकर अधिसंख्य यहूदियों के बीच अपने अहिंसा और भाईचारे के सिद्धान्त दिए तो अधिकाधिक यहूदी लोग उनके अनुयायी बनने लगे। जिससे यहूदियों को अपने धर्म पर खतरा मंडराता हुआ नजर आया तो उन्होंने रोम के राजा Pontius Pilatus पर दबाव बनाकर उसको ईसा को सूली पर चढाने के लिए विवश किया गया। इसमें Christopher ने यहूदियों के साथ मिलकर ईसा को मरवाने का पूरा षड़यंत्र रचा। हालाँकि राजा Pontius को ईसा से कोई बैर नहीं था और वो मूर्तिपूजक Pagan धर्म जो ईसाईयत और यहूदी धर्म से पहले उस क्षेत्र में काफी प्रचलित था और हिन्दू धर्म से अत्यधिक समानता वाला धर्म है का अनुयायी था। राजा अगर ईसा को सूली पर न चढाता तो अधिसंख्य यहूदी उसके विरोधी हो जाते और सूली पर चढाने पर वो एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या के दोष में ग्लानि अनुभव् करता तो उसने Peter और ईसा के कुछ अन्य विश्वस्त भक्तों के साथ मिलकर एक गुप्त योजना बनाई। अब पहले मैं आपको यहूदियों की सूली के बारे में बता दूँ। ये विश्व का सजा देने का सबसे क्रूरतम और जघन्यतम तरीका है। इसमें व्यक्ति के शरीर में अनेक कीले ठोंक दी जाती हैं जिनके कारण व्यक्ति धीरे धीरे मरता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को सूली पर लटकाने के बाद मरने में 48 घंटे तक का समय लग जाता है और कुछ मामलो में तो 6 दिन तक भी लगे हैं। तो गुप्त योजना के अनुसार ईसा को सूली पर चढाने में जानबूझकर देरी की गयी और उनको शुक्रवार को दोपहर में सूली पर चढ़ाया गया। और शनिवार का दिन यहूदियों के लिए शब्बत का दिन होता हैं इस दिन वे कोई काम नहीं करते। शाम होते ही ईसा को सूली से उतारकर गुफा में रखा गया ताकि शब्बत के बाद उनको दोबारा सूली पर चढ़ाया जा सके। उनके शरीर को जिस गुफा में रखा गया था उसके पहरेदार भी Pagan ही रखे गए थे। रात को राजा के गुप्त आदेश के अनुसार पहरेदारों ने Peter और उसके सथियों को घायल ईसा को चोरी करके ले जाने दिया गया और बात फैलाई गयी की इसा का शरीर गायब हो गया और जब वो गायब हुआ तो पहरेदारों को अपने आप नींद आ गयी थी। इसके बाद कुछ लोगों ने पुनर्जन्म लिये हुए ईसा को भागते हुए भी देखा। असल में तब जीसस अपनी माँ Marry Magladin और अपने खास अनुयायियों के साथ भागकर वापिस भारत आ गए थे। इसके बाद जब ईसा के पुनर्जन्म और चमत्कारों के सच्चे झूठे किस्से जनता में लोकप्रिय होने लगे और यहदियों को अपने द्वारा उस चमत्कारी पुरुष/ देव पुरुष को सूली पर चढाने के ऊपर ग्लानि होने लगी और एक बड़े वर्ग का अपने यहूदी धर्म से मोह भंग होने लगा तो इस बढ़ते असंतोष को नियंत्रित करने का कार्य इसा के ही शिष्य Christopher को सौंपा गया क्योंकि Christopher ने ईसा के सब प्रवचन सुन रखे थे। तो यहूदी धर्म गुरुओं और christopher ने मिलकर यहूदी धर्म ग्रन्थ Old Testament और ईसा के प्रवचनों को मिलकर एक नए ग्रन्थ New Testament अर्थात Bible की रचना की और उसी के अधार पर एक ऐसे नए धर्म ईसाईयत अथवा Christianity की रचना करी गयी जो यहूदियों के नियंत्रण में था। इसका नामकरण भी ईसा की बजाये Christopher के नाम पर किया गया।

ईसा के इसके बाद के जीवन के ऊपर खुलासा जर्मन विद्वान् Holger Christen ने अपनी पुस्तक Jesus Lived In India में किया है। Christen ने अपनी पुस्तक में रुसी विद्वान Nicolai Notovich की भारत यात्रा का वर्णन करते हुए बताया है कि निकोलाई 1887 में भारत भ्रमण पर आये थे। जब वे जोजिला दर्र्रा पर घुमने गए तो वहां वो एक बोद्ध मोनास्ट्री में रुके, जहाँ पर उनको Issa नमक बोधिसत्तव संत के बारे में बताया गया। जब निकोलाई ने Issa की शिक्षाओं, जीवन और अन्य जानकारियों के बारे में सुना तो वे हैरान रह गए क्योंकि उनकी सब बातें जीसस/ईसा से मिलती थी। इसके बाद निकोलाई ने इस सम्बन्ध में और गहन शोध करने का निर्णय लिया और वो कश्मीर पहुंचे जहाँ जीसस की कब्र होने की बातें सामने आती रही थी। निकोलाई की शोध के अनुसार सूली पर से बचकर भागने के बाद जीसस Turkey, Persia(Iran) और पश्चिमी यूरोप, संभवतया इंग्लैंड से होते हुए 16 वर्ष में भारत पहुंचे। जहाँ पहुँचने के बाद उनकी माँ marry का निधन हो गया था। जीसस यहाँ अपने शिष्यों के साथ चरवाहे का जीवन व्यतीत करते हुए 112 वर्ष की उम्र तक जिए और फिर मृत्यु के पश्चात् उनको कश्मीर के पहलगाम में दफना दिया गया। पहलगाम का अर्थ ही गड़रियों का गाँव हैं। और ये अद्भुत संयोग ही है कि यहूदियों के महानतम पैगम्बर हजरत मूसा ने भी अपना जीवन त्यागने के लिए भारत को ही चुना था और उनकी कब्र भी पहलगाम में जीसस की कब्र के साथ ही है। संभवतया जीसस ने ये स्थान इसीलिए चुना होगा क्योंकि वे हजरत मूसा की कब्र के पास दफ़न होना चाहते थे। हालाँकि इन कब्रों पर मुस्लिम भी अपना दावा ठोंकते हैं और कश्मीर सरकार ने इन कब्रों को मुस्लिम कब्रें घोषित कर दिया है और किसी भी गैरमुस्लिम को वहां जाने की इजाजत अब नहीं है। लेकिन इन कब्रों की देखभाल पीढ़ियों दर पीढ़ियों से एक यहूदी परिवार ही करता आ रहा है। इन कब्रों के मुस्लिम कब्रें न होने के पुख्ता प्रमाण हैं। सभी मुस्लिम कब्रें मक्का और मदीना की तरफ सर करके बनायीं जाती हैं जबकि इन कब्रों के साथ ऐसा नहीं है। इन कब्रों पर हिब्रू भाषा में Moses और Joshua भी लिखा हुआ है जो कि हिब्रू भाषा में क्रमश मूसा और जीसस के नाम हैं और हिब्रू भाषा यहूदियों की भाषा थी। अगर ये मुस्लिम कब्र होती तो इन पर उर्दू या अरबी या फारसी भाषा में नाम लिखे होते।

सूली पर से भागने के बाद ईसा का प्रथम वर्णन तुर्की में मिलता है। पारसी विद्वान् F Muhammad ने अपनी पुस्तक Jami- Ut- Tuwarik में लिखा है कि Nisibi(Todays Nusaybin in Turky) के राजा ने जीसस को शाही आमंत्रण पर अपने राज्य में बुलाया था। इसके आलावा तुर्की और पर्शिया की प्राचीन कहानियों में Yuj Asaf नाम के एक संत का जिक्र मिलता है। जिसकी शिक्षाएं और जीवन की कहनियाँ ईसा से मिलती हैं। यहाँ आप सब को एक बात का ध्यान दिला दू की इस्लामिक नाम और देशों के नाम पढ़कर भ्रमित न हो क्योंकि ये बात इस्लाम के अस्तित्व में आने से लगभग 600 साल पहले की हैं। यहाँ आपको ये बताना भी महत्वपूर्ण है कि कुछ विद्वानों के अनुसार ईसाइयत से पहले Alexendria तक सनातन और बौध धर्म का प्रसार था। इसके आलावा कुछ प्रमाण ईसाई ग्रंथ Apocrypha से भी मिलते हैं। ये Apostles के लिखे हुए ग्रंथ हैं लेकिन चर्च ने इनको अधिकारिक तौर पर कभी स्वीकार नहीं किया और इन्हें सुने सुनाये मानता है। Apocryphal (Act of Thomas) के अनुसार सूली पर लटकाने के बाद कई बार जीसस sant Thomus से मिले भी और इस बात का वर्णन फतेहपुर सिकरी के पत्थर के शिलालेखो पर भी मिलता है। इनमे Agrapha शामिल है जिसमे जीसस की कही हुई बातें लिखी हैं जिनको जान बुझकर बाइबिल में जगह नहीं दी गयी और जो जीसस के जीवन के अज्ञातकाल के बारे में जानकारी देती हैं। इसके अलावा उनकी वे शिक्षाएं भी बाइबिल में शामिल नहीं की गयी जिनमे कर्म और पुनर्जन्म की बात की गयी है जो पूरी तरह पूर्व के धर्मो से ली गयी है और पश्चिम के लिए एकदम नयी चीज थी। लेखक Christen का कहना है की इस बात के 21 से भी ज्यादा प्रमाण हैं कि जीसस Issa नाम से कश्मीर में रहा और पर्शिया व तुर्की का मशहूर संत Yuj Asaf जीसस ही था। जीसस का जिक्र कुर्द लोगों की प्राचीन कहानियों में भी है। Kristen हिन्दू धर्म ग्रंथ भविष्य पुराण का हवाला देते हुए कहता है कि जीसस कुषाण क्षेत्र पर 39 से 50 AD में राज करने वाले राजा शालिवाहन के दरबार में Issa Nath नाम से कुछ समय अतिथि बनकर रहा। इसके अलावा कल्हण की राजतरंगिणी में भी Issana नाम के एक संत का जिक्र है जो डल झील के किनारे रहा। इसके अलावा ऋषिकेश की एक गुफा में भी Issa Nath की तपस्या करने के प्रमाण हैं। जहाँ वो शैव उपासना पद्धति के नाथ संप्रदाय के साधुओं के साथ तपस्या करते थे। स्वामी रामतीर्थ जी और स्वामी रामदास जी को भी ऋषिकेश में तप करते हुए उनके दृष्टान्त होने का वर्णन है।

विवादित हॉलीवुड फ़िल्म The Vinci Code में भी यही दिखाया गया है कि ईसा एक साधारण मानव थे और उनके बच्चे भी थे। इसा को सूली पर टांगने के बाद यहूदियों ने ही उसे अपने फायदे के लिए भगवान बनाया। वास्तव में इसा का Christianity और Bible से कोई लेना देना नहीं था। आज भी वैटिकन पर Illuminati अर्थात यहूदियों का ही नियंत्रण है और उन्होंने इसा के जीवन की सच्चाई और उनकी असली शिक्षाओं कोको छुपा के रखा है।

वैटिकन की लाइब्रेरी में बहार के लोगों को इसी भय से प्रवेश नहीं करने दिया जाता। क्योंकि अगर ईसा की भारत से ली गयी शिक्षाओं, उनके भारत में बिताये गए समय और उनके बारे में बोले गए झूठ का अगर पर्दाफाश हो गया तो ये ईसाईयत का अंत होगा और Illuminati की ताकत एकदम कम हो जायेगी। भारत में धर्मान्तरण का कार्य कर रहे वैटिकन/Illuminati के एजेंट ईसाई मिशनरी भी इसी कारण से ईसाईयत के रहस्य से पर्दा उठाने वाली हर चीज का पुरजोर विरोध करते हैं। प्रभु जीसस जहाँ खुद हिन्दू धर्मं/भारतीय धर्मों को मानते थे, वहीँ उनके नाम पर वैटिकन के ये एजेंट भोले-भाले गरीब लोगों को वापिस उसी पैशाचिकता की तरफ लेकर जा रहे हैं जिन्होंने प्रभु Issa Nath को तड़पा तड़पाकर मारने का प्रयास किया था। जिस सनातन धर्म को प्रभु Issa ने इतने कष्ट सहकर खुद आत्मसात किया था उसी धर्म के भोले भाले गरीब लोगों को Issa का ही नाम लेकर वापिस उसी पैशाचिकता की तरफ ले जाया जा रहा है।




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———”धर्म और सम्प्रदाय में अंतर क्या है?”———- धर्म...

———”धर्म और सम्प्रदाय में अंतर

क्या है?”———- धर्म संस्कृत

भाषा का शब्द है जोकि धारण करने

वाली धृ धातु से बना है। “धार्यते

इति धर्म:” अर्थात जो धारण किया जाये

वह धर्म है अथवा लोक परलोक के

सुखों की सिद्धि हेतु सार्वजानिक

पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व

सेवन करना धर्म है। दूसरे शब्दों में यह

भी कह सकते है की मनुष्य जीवन

को उच्च व पवित्र बनाने

वाली ज्ञानानुकुल जो शुद्ध

सार्वजानिक मर्यादा पद्यति है वह धर्म

है। मनु स्मृति में धर्म के दस लक्षण

धैर्य,क्षमा, मन को प्राकृतिक

प्रलोभनों में फँसने से

रोकना,चोरी त्याग,शौच,इन्द्रिय

निग्रह,बुद्धि अथवा ज्ञान, विद्या,

सत्य और अक्रोध। धर्म पक्षपात रहित

न्याय, सत्य का ग्रहण, असत्य

का सर्वथा परित्याग रूप आचार है। धर्म

क्रियात्मक वस्तु हैं जबकि मत

या मज़हब विश्वासात्मक वस्तु हैं।

धर्मात्मा होने के लिये

सदाचारी होना अनिवार्य है

जबकि मज़हबी होने के लिए

किसी विशेष मत की मान्यताओं

का पालन करना अनिवार्य है

उसका सदाचार से सम्बन्ध होना अथवा न

होना कोई नियम नहीं है। धर्म में बाहर

के चिन्हों का कोई स्थान नहीं है

जबकि मजहब में उसके चिन्हों को धारण

करना अनिवार्य है। धर्म मनुष्य

को पुरुषार्थी बनाता है क्यूंकि वह

ज्ञानपूर्वक सत्य आचरण से ही अभ्युदय

और मोक्ष

प्राप्ति की शिक्षा देता है परन्तु

मज़हब मनुष्य को आलस्य का पाठ

सिखाता है क्यूंकि मज़हब के

मंतव्यों मात्र को मानने भर से

ही मुक्ति का होना उसमें

सिखाया जाता है। धर्म मनुष्य

को ईश्वर से सीधा सम्बन्ध जोड़कर

मनुष्य को स्वतंत्र और आत्म

स्वालंबी बनाता है क्यूंकि वह ईश्वर

और मनुष्य के बीच में

किसी भी मध्यस्थ या एजेंट

की आवश्यकता नहीं बताता परन्तु

मज़हब मनुष्य को परतंत्र और दूसरों पर

आश्रित बनाता है क्यूंकि वह मज़हब के

प्रवर्तक की सिफारिश के

बिना मुक्ति का मिलना नहीं मानता।

धर्म दूसरों के हितों की रक्षा के

लिए अपने प्राणों की आहुति तक

देना सिखाता है जबकि मज़हब अपने हित

के लिए अन्य मनुष्यों और

पशुयों की प्राण हरने के लिए

हिंसा रुपी क़ुरबानी का सन्देश

देता है। धर्म मनुष्य

को सभी प्राणी मात्र से प्रेम

करना सिखाता है जबकि मज़हब मनुष्य

को प्राणियों का माँसाहार और दूसरे

मज़हब वालों से द्वेष सिखाता है। धर्म

मनुष्य जाति को मनुष्यत्व के नाते से

एक प्रकार के सार्वजानिक आचारों और

विचारों द्वारा एक केंद्र पर

केन्द्रित करके भेदभाव और विरोध

को मिटाता है तथा एकता का पाठ

पढ़ाता है परन्तु मज़हब अपने भिन्न

भिन्न मंतव्यों और कर्तव्यों के कारण

अपने पृथक पृथक जत्थे बनाकर भेदभाव

और विरोध को बढ़ाते और

एकता को मिटाते है। धर्म एक मात्र

ईश्वर की पूजा बतलाता है जबकि मज़हब

ईश्वर से भिन्न मत प्रवर्तक/गुरु/मनुष्य

आदि की पूजा बतलाकर अन्धविश्वास

फैलाते है। धर्म और मज़हब के अंतर

को ठीक प्रकार से समझ लेने पर मनुष्य

श्रेष्ठ एवं

कल्याणकारी कार्यों को करने में

पुरुषार्थ करेगा तो उसमें

सभी का कल्याण होगा। आज संसार में

जितना भी कट्टरवाद हैं उसका कारण

मज़हब में विश्वास करना हैं न की धर्म

का पालन है।




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द्रोपदी के पांच पति थे या एक: क्या कहती है महाभारत? ————————————————————————– द्रोपदी महाभारत की एक...

द्रोपदी के पांच पति थे या एक: क्या कहती है महाभारत?

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द्रोपदी महाभारत की एक आदर्श पात्र है।

लेकिन द्रोपदी जैसी विदुषी नारी के साथ हमने बहुत

अन्याय किया है।

सुनी सुनाई बातों के आधार पर,

हमने उस पर कई ऐसे लांछन लगाये हैं।

जिससे वह अत्यंत पथभ्रष्ट,

,और धर्म भ्रष्ट नारी सिद्घ होती है।

एक ओर धर्मराज युधिष्ठर जैसा परमज्ञानी,

उसका पति है,

जिसका गुणगान करने में हमने कमी नही छोड़ी। लेकिन

द्रोपदी पर अतार्किक आरोप लगाने में भी हम पीछे नही रहे।

द्रोपदी पर एक आरोप है,

कि उसके पांच पति थे।

हमने यह आरोप महाभारत की साक्षी के आधार पर नही,

बल्कि सुनी सुनाई कहानियों के आधार पर लगा दिया।

बड़ा दु:ख होता है,

जब कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति भी,

इस आरोप को अपने लेख में

या भाषण में दोहराता है।

ऐसे व्यक्ति की बुद्घि पर तरस आता है,

और मैं सोचा करता हूं

कि ये लोग अध्ययन के अभाव में ऐसा बोल रहे हैं, पर इन्हें यह

नही पता कि ये भारतीय संस्कृति का कितना अहित कर रहे

हैं।

आईए महाभारत की साक्षियों पर विचार करें!

जिससे हमारी शंका का समाधान हो सके

कि द्रोपदी के पांच पति थे या एक,

और यदि एक था तो फिर वह कौन था?

जिस समय द्रोपदी का स्वयंवर हो रहा था

उस समय पांडव अपना वनवास काट रहे थे।

ये लोग एक कुम्हार के घर में रह रहे थे

और भिक्षाटन के माध्यम से अपना जीवन यापन करते थे,

तभी द्रोपदी के स्वयंवर की सूचना उन्हें मिली।

स्वयंवर की शर्त को अर्जुन ने पूर्ण किया।

स्वयंवर की शर्त पूरी होने पर

द्रोपदी को उसके पिता द्रुपद ने

पांडवों को भारी मन से सौंप दिया।

राजा द्रुपद की इच्छा थी,

कि उनकी पुत्री का विवाह

किसी पांडु पुत्र के साथ हो,

क्योंकि उनकी राजा पांडु से गहरी मित्रता रही थी।

राजा द्रुपद पंडितों के भेष में छुपे हुए पांडवों को पहचान

नही पाए,

इसलिए उन्हें यह चिंता सता रही थी ,

कि आज बेटी का विवाह उनकी इच्छा के अनुरूप

नही हो पाया।

पांडव द्रोपदी के साथ अपनी माता कुंती के पास पहुंच गये।

माता कुंती ने क्या कहा

पांडु पुत्र भीमसेन,

अर्जुन,

नकुल और सहदेव ने

प्रतिदिन की भांति अपनी भिक्षा को लाकर

उस सायंकाल में भी

अपने ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठर को निवेदन की।

तब उदार हृदया कुंती माता द्रोपदी से कहा-’भद्रे!

तुम भोजन का प्रथम भाग लेकर उससे बलिवैश्वदेवयज्ञ करो ,

तथा ब्राहमणों को भिक्षा दो।

अपने आसपास जो दूसरे मनुष्य आश्रित भाव से रहते हैं,

उन्हें भी अन्न परोसो।

फिर जो शेष बचे

उसका आधा हिस्सा भीमसेन के लिए रखो।

पुन: शेष के छह भाग करके

चार भाईयों के लिए चार भाग

पृथक-पृथक रख दो,

तत्पश्चात मेरे और अपने लिए भी

एक-एक भाग अलग-अलग परोस दो।

उनकी माता कहती हैं

कि कल्याणि!

ये जो गजराज के समान शरीर वाले,

हष्ट-पुष्ट गोरे युवक बैठे हैं ,

इनका नाम भीम है,

इन्हें अन्न का आधा भाग दे दो,

क्योंकि यह वीर सदा से ही बहुत खाने वाले हैं।

महाभारत की इस साक्षी से स्पष्ट है,

कि माता कुंती से पांडवों ने ऐसा नही कहा था

कि आज हम तुम्हारे लिए बहुत अच्छी भिक्षा लाए हैं और न

ही माता कुंती ने उस भिक्षा को (द्रोपदी को) अनजाने में

ही बांट कर खाने की बात कही थी।

माता कुंती विदुषी महिला थीं,

उन्हें द्रोपदी को अपनी पुत्रवधु के रूप में पाकर पहले

ही प्रसन्नता हो चुकी थी।

राजा द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न

पांडवों के पीछे-पीछे उनका सही ठिकाना

जानने और उन्हें सही प्रकार से समझने के लिए

भेष बदलकर आ रहे थे,

उन्होंने पांडवों की चर्चा सुनी

उनका शिष्टाचार देखा।

पांडवों के द्वारा दिव्यास्त्रों,

रथों,

हाथियों,

तलवारों,

गदाओं और फरसों के विषय में

उनका वीरोचित संवाद सुना।

जिससे उनका संशय दूर हो गया ,

और वह समझ गये

कि ये पांचों लोग पांडव ही हैं ,

इसलिए वह खुशी-खुशी अपने पिता के पास

दौड़ लिये।

तब उन्होंने अपने पिता से जाकर

कहा-’पिताश्री!

जिस प्रकार वे युद्घ का वर्णन करते थे,

उससे यह मान लेने में तनिक भी संदेह नहीं रह जाता

कि वह लोग क्षत्रिय शिरोमणि हैं।

हमने सुना है कि वे कुंती कुमार

लाक्षागृह की अग्नि में जलने से बच गये थे।

अत: हमारे मन में जो पांडवों से संबंध करने

की अभिलाषा थी,

निश्चय ही वह सफल हुई जान पड़ती है।

राजकुमार से इस सूचना को पाकर

राजा को बहुत प्रसन्नता हुई।

तब उन्होंने अपने पुरोहित को

पांडवों के पास भेजा ,

कि उनसे यह जानकारी ली जाए

कि क्या वह महात्मा पांडु के पुत्र हैं?

तब पुरोहित ने जाकर पांडवों से कहा –

‘वरदान पाने के योग्य वीर पुरूषो!

वर देने में समर्थ पांचाल देश के राजा द्रुपद

आप लोगों का परिचय जाननाा चाहते हैं।

इस वीर पुरूष को लक्ष्यभेद करते देखकर

उनके हर्ष की सीमा न रही।

राजा द्रुपद की इच्छा थी,

कि मैं अपनी इस पुत्री का विवाह

पांडु कुमार से करूं।

उनका कहना है कि

यदि मेरा ये मनोरथ पूरा हो जाए

तो मैं समझूंगा कि यह मेरे शुभकर्मों का फल

प्राप्त हुआ है।

तब पुरोहित से धर्मराज युधिष्ठर ने कहा

-पांचाल राज दु्रपद ने यह कन्या

अपनी इच्छा से नही दी है,

उन्होंने लक्ष्यभेद की शर्त रखकर

अपनी पुत्री देने का निश्चय किया था।

उस वीर पुरूष ने उसी शर्त को पूर्ण करके

यह कन्या प्राप्त की है,

परंतु हे ब्राहमण!

राजा द्रुपद की जो इच्छा थी

वह भी पूर्ण होगी,

(युधिष्ठर कह रहे हैं कि द्रोपदी का विवाह उसके

पिता की इच्छानुसार पांडु पुत्र से ही होगा)

इस राज कन्या को मैं

(यानि स्वयं अपने लिए, अर्जुन के लिए नहीं ) सर्वथा ग्रहण

करने योग्य एवं उत्तम मानता हूं



पांचाल राज को अपनी पुत्री के लिए

पश्चात्ताप करना उचित नही है।

तभी पांचाल राज के पास से एक व्यक्ति आता है,

और कहता है-

राजभवन में आप लोगों के लिए भोजन तैयार है।

तब उन पांडवों को वीरोचित

और राजोचित सम्मान देते हुए

राजा द्रुपद के राज भवन में ले जाया जाता है।

महाभारत में आता है

कि सिंह के समान पराक्रम सूचक

चाल ढाल वाले पांडवों को

राजभवन में पधारे हुए देखकर

राजा द्रुपद,

उनके सभी मंत्री,

पुत्र,

इष्टमित्र आद सबके सब अति प्रसन्न हुए।

पांडव सब भोग विलास की सामग्रियाों को छोड़कर पहले

वहां गये

जहां युद्घ की सामग्रियां रखी गयीं थीं।

जिसे देखकर राजा द्रुपद और भी अधिक प्रसन्न हुए, अब उन्हें

पूरा विश्वास हो गया

कि ये राजकुमार पांडु पुत्र ही हैं।

तब युधिष्ठर ने पांचाल राज से कहा कि राजन!

आप प्रसन्न हों

क्योंकि आपके मन में जो कामना थी,

वह पूर्ण हो गयी है।

हम क्षत्रिय हैं और महात्मा पांडु के पुत्र हैं।

मुझे कुंती का ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठर समझिए

तथा ये दोनों भीम और अर्जुन हैं।

उधर वे दोनों नकुल और सहदेव हैं।

महाभारतकार का कहना है

कि युधिष्ठर के मुंह से ऐसा कथन सुनकर

महाराज दु्रपद की आंखों में

हर्ष के आंसू छलक पड़े।

शत्रु संतापक द्रुपद ने बड़े यत्न से

अपने हर्ष के आवेग को रोका,

फिर युधिष्ठर को उनके कथन के अनुरूप ही

उत्तर दिया।

सारी कुशलक्षेम

और वारणाव्रत नगर की

लाक्षागृह की घटना

आदि पर विस्तार से चर्चा की।

तब उन्होंने उन्हें अपने भाईयों सहित

अपने राजभवन में ही ठहराने का प्रबंध किया।

तब पांडव वही रहने लगे।

उसके बाद महाराज दु्रपद ने

अगले दिन अपने पुत्रों के साथ जाकर युधिष्ठर से कहा-

‘कुरूकुल को आनंदित करने वाले

ये महाबाहु अर्जुन

आज के पुण्यमय दिवस में

मेरी पुत्री का विधि पूर्वक पानी ग्रहण करें।

तथा अपने कुलोचित मंगलाचार का पालन करना आरंभ कर दें।

तब धर्मात्मा राजा युधिष्ठर ने उनसे कहा-’राजन! विवाह

तो मेरा भी करना होगा।

द्रुपद बोले-’हे वीर!

तब आप ही विधि पूर्वक

मेरी पुत्री का पाणिग्रहण करें।

अथवा आप अपने भाईयों में से

जिसके साथ चाहें उसी के साथ

मेरी पुत्री का विवाह करने की आज्ञा दें।

दु्रपद के ऐसा कहने पर

पुरोहित. महर्षि धोम्य ने

वेदी पर प्रज्वलित अग्नि की स्थापना करके

उसमें मंत्रों की आहुति दी ,

और युधिष्ठर व कृष्णा (द्रोपदी) का विवाह संस्कार संपन्न

कराया।

इस मांगलिक कार्यक्रम के संपन्न होने पर

द्रोपदी ने सर्वप्रथम अपनी सास कुंती से

आशीर्वाद लिया,

तब माता कुंती ने कहा-’पुत्री!

जैसे इंद्राणी इंद्र में,

स्वाहा अग्नि में…

भक्ति भाव एवं प्रेम रखती थीं,

उसी प्रकार तुम भी अपने पति में अनुरक्त रहो।’

इससे सिद्घ है

कि द्रोपदी का विवाह अर्जुन से नहीं

बल्कि युधिष्ठर से हुआ

इस सारी घटना का उल्लेख आदि पर्व में दिया गया है।

उस साक्षी पर विश्वास करते हुए

हमें इस दुष्प्रचार से बचना चाहिए कि

द्रोपदी के पांच पति थे।

माता कुंती भी जब द्रोपदी को आशीर्वाद दे रही हैं

तो उन्होंने भी कहा है

कि तुम अपने पति में अनुरक्त रहो,

माता कुंती ने पति शब्द का प्रयोग किया है

न कि पतियों का।

इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है

कि द्रोपदी पांच पतियों की पत्नी नही थी।

माता कुंती आगे कहती हैं कि भद्रे!

तुम अनंत सौख्य से संपन्न होकर

दीर्घजीवी तथा वीरपुत्रों की जननी बनो।

तुम सौभाग्यशालिनी,

भोग्य सामग्री से संपन्न,

पति के साथ यज्ञ में बैठने वाली

तथा पतिव्रता हो।

माता कुंती यहां पर अपनी पुत्रवधू द्रोपदी को

पतिव्रता होने का निर्देश भी कर रही हैं।

यदि माता कुंती द्रोपदी को पांच

पतियों की नारी बनाना चाहतीं

तो यहां पर उनका ऐसा उपदेश उसके लिए नही होता।

सुबुद्घ पाठकबृंद!

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है ,

कि हमने द्रोपदी के साथ अन्याय किया है।

यह अन्याय हमसे उन लोगों ने कराया है ,

जो नारी को पुरूष की भोग्या वस्तु मानते हैं,

उन लम्पटों ने अपने पाप कर्मों को बचाने

व छिपाने के लिए

द्रोपदी जैसी नारी पर दोषारोपण किया।

इस दोषारोपण से भारतीय संस्कृति का बड़ा अहित हुआ।

ईसाईयों व मुस्लिमों ने

हमारी संस्कृति को

अपयश का भागी बनाने में कोई कसर नही छोड़ी।

जिससे वेदों की पावन संस्कृति

अनावश्यक ही बदनाम हुई।

आज हमें अपनी संस्कृति के बचाव के लिए

इतिहास के सच उजागर करने चाहिए ,

जिससे हम पुन: गौरव पूर्ण अतीत

की गौरवमयी गाथा को लिख सकें ,

और दुनिया को ये बता सकें कि क्या थे

और कैसे थे…




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Sunday, December 28, 2014

न्याय के मतानुसार जीवात्मा कर्त्ता एवं भोक्ता होने के साथ-साथ, ज्ञानादि से सम्पन्न नित्य तत्त्व...

न्याय के मतानुसार जीवात्मा कर्त्ता एवं भोक्ता होने

के साथ-साथ, ज्ञानादि से सम्पन्न नित्य तत्त्व है।

यह जहाँ वस्तुवाद को मान्यता देता है,

वहीं यथार्थवाद का भी पूरी तरह अनुगमन करता है।

मानव जीवन में सुखों की प्राप्ति का उतना अधिक

महत्त्व नहीं है, जितना कि दु:खों की निवृत्ति का।

ज्ञानवान् हो या अज्ञानी, हर

छोटा बड़ा व्यक्ति सदैव सुख प्राप्ति का प्रयत्न

करता ही रहता है। सभी चाहते हैं कि उन्हें सदा सुख

ही मिले, कभी दु:खों का सामना न करना पड़े,

उनकी समस्त अभिलाषायें पूर्ण होती रहें, परन्तु

ऐसा होता नहीं। अपने आप को पूर्णत: सुखी कदाचित्

ही कोई अनुभव करता हो।




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सभी आर्यों के लिये———————— ” उठो दयानंद के...

सभी आर्यों के लिये————————

” उठो दयानंद के सिपाहियों समय पुकार रहा है|

देश द्रोह का विषधर फन फैला फुंकार रहा है||

उठो विश्व की सूनी आँखें काजल मांग रही हैं|

उठो विश्व की द्रुपद सुताएं आँचल मांग रही है||

मरघट को पनघट सा कर दो जग की प्यास बुझा दो|

भटक रहे जो मरुस्थलों में उनको राह दिखा दो||

गले लगा लो उनको जिनको जग दुत्कार रहा है |

उठो दयानंद के……………

तुम चाहो तो पत्थर को भी मोम बना सकते हो|

तुम चाहो तो खारे जल को सोम बना सकते हो||

तुम चाहो तो बंजर में भी बाग़ लगा सकते हो|

तुम चाहो तो पानी में भी आग लगा सकते हो||

”जातिवाद” जग की नस-नस में जहर उतार रहा है|

याद करो क्या भूल गये जो ऋषि को वचन दिया था||

शायद वादा याद नहीं जो आपने कभी किया था|

वचन दिया था ओ३म् पताका कभी न झुकने देगें|

हवन कुण्ड की अग्नि घरों से कभी न बुझने देगें||

लहू शहीदों का गद्दारों को धिक्कार रहा है|

उठो दयानंद के……………………….

कब तक आँख बचा पाओगे आग बुहत फैली है|

उजली-उजली दिखने वाली हर चादर मैली है||

लेखराम का लहू पुकारे आँख जरा तो खोलो|

एक बार मिलकर सारे ऋषि दयानंद की जय बोलो||

वेदज्ञान का व्यथित सूर्य तुमर निहार रहा है|||

उठो दयानंद के……………….

जय वैदिक धर्म की,

जय ऋषि दयानंद की,

जय श्री राम की,

जय श्री कृष्ण की ||




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हिन्दू धर्म के प्रतीकों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार करना, हिन्दू धर्म पर किसी भी तरह की...

हिन्दू धर्म के प्रतीकों के साथ

किसी भी तरह का दुर्व्यवहार करना, हिन्दू

धर्म पर किसी भी तरह की टिप्पणी करना ,

हिदू धर्म के देवी-देवताओं का अपमान

करना आजकल फैशन हो गया है. तथाकथित

प्रबुद्ध वर्ग, तथाकथित प्रबुद्ध पत्रकार व

मीडियाकर्मी, तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के

ठेकेदार अपनी सस्ती लोकप्रियता के लिये इस

तरह के कुकृत्यों को जस्टिफाइ करके अपने

को सेक्युलर होने का प्रमाण देते हैं. पर अगर

वो उतना ही प्रबुद्ध हैं , उतना ही जागरूक हैं ,

उतना ही समझदार है हैं तो दूसरे धर्मों के

मतावलम्बिओं को जोकि ज्यादा कट्टर हैं ,

ज्यादा मुखर हैं , ज्यादा हिंसक हैं,

सारा विश्व जिनके कुकृत्यों से अवगत

हो रहा है उनके प्रतीकों से खिलवाड़ करके

देखें तब सारी तार्किकता, सारी बड़ी बाते

स्वाहा हो जायेंगी. अगर इनमें

ज़रा भी हिम्मत है, ज़रा भी साहस है तो उनके

प्रतीकों पर मज़ाक करे, उनके प्रतीकों से

खिलवाड़ करें, उन पर फिल्म बनाएं या उनपर

पैंटिंग बनाएं या उनपर कुछ टिप्पणी करें.

सभी की आस्था का सम्मान होना चाहिये.




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सच्चा इतिहास **जो हम को कभी नहीं पढाया गया ******* औरंगजेब की क्रूरता ने हिन्दुओ पे सितम ढाये...

सच्चा इतिहास **जो हम को कभी नहीं पढाया गया *******


औरंगजेब की क्रूरता ने हिन्दुओ पे सितम ढाये थे…..|

जनेऊ तुड्वाकर, तिलक मिटाकर, जप तप बंद कराये

थे…..||

जब चलते यज्ञों की बेदी पर गोमांस बिखेरा जाता था…..|

ऋषियों के उर मे डाल तलवारे, हाड़ उखेरा जाता था…..||

ये थी हिंसा की चरम सीमाए, क्या इन्हे मिटाने आए

हो…??

तुम लेकर अहिंसा का झण्डा, मेरा खून जलाने आए

हो…….??

बाबर की अतिबर्बर बर्बरता ने, लाशों के ढेर बिछाये

थे……|

मेरे मोहन ओ श्याम के मंदिर पर खून के धब्बे लगाए

थे…..||

तोड़ मेरे प्रभु राम का मंदिर, बाबरी के पाप सजाये

थे…..|

लाल रक्त के अमिट धब्बो को कीचड़ से मिटाने आए हो….?

तुम लेकर अहिंसा का झण्डा, मेरा खून जलाने आए हो…….?

तथाकथित आजादी का वो पहला सूरज निकला था…..|

हु अकबर अकबर चिल्लाता दानवो का एक

काफिला था….||

बाजारो मे हिन्दू माँए नंगी दौड़ाई जाती थी….|

वो अबला, मासूम व्यथित हो राम राम चिल्लाती थी…..||

उन्हे देख अहिंसा रोयी थी, हिंसा ने भी आँसू बहाये थे….|

इतने पर भी उन असुरो ने गुप्तांगों मे भाले घुसाए थे…..||

वो चीख रही थी, तड़प रही थी, बिलख रही थी एक

ओर…..|

एक ओर पिब रहा दूध बकरी का,

था चरखो का हल्का शोर…..||

झटपटा रही थी, पड़ी धरा पर, थे ऊपर पर

हवसी सवार…..|

एक ओर गीत गा-गा करके बांट रहा था ‘वो’ दुश्मन

को प्यार…..||

उनके करुण रुन्दन के गुंजन की आवाज दबाने आए हो….?

तुम लेकर अहिंसा का झण्डा, मेरा खून जलाने आए हो…..?

मेरे हजारो मंदिर टूटे है, लुटा है

लाखो माँ बहनो का शील…….|

करोड़ो भाइयो की रक्त धारा से बनी है नफरत की ये

झील……||

मेरी गोमाता काट काट प्लेटो मे सजाई जाती है…..|

खोलते पानी मे डाल बछड़ो को खाल उतारी जाती है…..||

वो प्रभु राम को गाली देत है, घनश्याम को गाली देते

हे…..|

तुम बनके अहिंसा के उपासक इन पापो को छिपाने आए

हो….?

तुम लेके अहिंसा का झण्डा, बस खून जलाने आए हो……|

तुम भूल सको तो भूल जाओ, उन बिखरी लाशों के ढेरो को…..|

लूटे माताओ के शीलों को, दिये जख्मो के घेरो को….||

हा भूल जाओ तुम टूटे मंदिरो की उन आह

भरती नीवों को….|

तुम भूल ही जाओ तो अच्छा, गोमाता की अव्यक्तित

चीखो को….||

राम बोलने वाले गोपुजकों को तुम साम्र्प्दयिक बताते हो….|

बारूद बिछाने वालो को भाई कह अहिंसा का ढोंग दिखाते

हो….||

तुम झूठी अहिंसा के खून से धर्म पर कलंक लगाने आए

हो….?

तुम लेकर अहिंसा का झण्डा मेरा खून जलाने आए हो…..?




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आपको तो समाप्त किया जा रहा है :- (१) बालिवुड :- ये वो माध्यम है जिससे युवाओं और युवतियों को नपुंसक...

आपको तो समाप्त किया जा रहा है :-

(१) बालिवुड :- ये वो माध्यम है जिससे युवाओं और युवतियों को नपुंसक बनाया जा रहा है । इसी बालिवुड के कारण मुसलमान Actors को लव जिहाद को प्रोमोट करने के लिए लगाया हुआ है । इसी से आपके धर्म का मज़ाक उड़ाया जाता है । इसी से आपकी संतानों को सैक्युलर कूल ड्यूड या हौट बेब बनाया जा रहा है । इसी से आपको भोगवादी विलासी बनाया जा रहा है ।

(२) मीडीया :- ये वो माध्यम है कि जिससे आपको पूरी तरह से समाप्त किया जा रहा है । मीडीया वामपंथीयों के फैंके हुए टुकड़ों पर पलता है और केवल तथाकथित अल्पसंख्यकों को पीड़ित दिखाता है । और हिंदू बहुसंख्यक समाज को शोषण करने वाला ।

(३) विदेशी कम्पनियाँ :- ये MNC’s ( Multi National Companies ) भारत की स्वतन्त्रता छीनने के लिए । यहाँ पूरे जीवन में प्रयोग होने वाला सामान toothbrush से लेकर गाड़ी तक में इनका हस्तक्षेप है । ये सारा धन लूट कर विदेशों में ले जा रहे हैं और उसी धन के सहारे गरीबों, आदिवासियों, दलितों को ईसाई बना रहे हैं । क्योंकि ये कम्पनियाँ जिस भी देश में जाती हैं । इनका काम होता है कि उस देश की कम से कम 10% आबादी को ईसाई बनाया जाए और विद्रोह करवा कर देश के टुकड़े किए जाएँ । इसी लिए पूरी अर्थव्यवस्था को इन्होंने कब्जा किया हुआ है जिसका आम मानव को पता ही नहीं चलता । आपकी आवश्यक्ता का सारा सामान आपके घर या फिर पेड़ पौधों से मिल सकता था पर फिर भी आपको विदेशी सामानों पर निर्भर किया जा रहा है आपको गुलाम बनाने के लिए ।

(४) मुसलमान :- ये लोग मध्यकाल से ही पीड़ीत और तलवार के बल से मुसलमान बनाए गए हैं । जिनका एकमात्र स्वप्न भारत को ईस्लामी देश बनाना है । उसके लिए ये जी जान से जुटे हुए हैं । लव जिहाद के माध्यम से हिंदू लड़कियों को बहला कर ईस्लाम में दीक्षित करना , हिंदू देवी देवताओं के बारे में गलत बातें बता कर हिंदू युवा को ईस्लाम में दीक्षित करना , दर्जनों बच्चे पैदा करना जिससे कि भारत में ये बहुसंख्यक हो जाएँ और शरिया ईस्लामी कानून को लागू करके भारत को मुगलिस्तान बनाएँ । इसमें इनका साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत सारे अरब देश दे रहे हैं । असम, बंगाल, त्रिपुरा आदि से बांग्लादेशीयों की घुसपैठ उसी उद्देश्य से बड़े पैमाने पर करवाई जा रही है ।




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आपको तो समाप्त किया जा रहा है :- (१) बालिवुड :- ये वो माध्यम है जिससे युवाओं और युवतियों को नपुंसक...

आपको तो समाप्त किया जा रहा है :-

(१) बालिवुड :- ये वो माध्यम है जिससे युवाओं और युवतियों को नपुंसक बनाया जा रहा है । इसी बालिवुड के कारण मुसलमान Actors को लव जिहाद को प्रोमोट करने के लिए लगाया हुआ है । इसी से आपके धर्म का मज़ाक उड़ाया जाता है । इसी से आपकी संतानों को सैक्युलर कूल ड्यूड या हौट बेब बनाया जा रहा है । इसी से आपको भोगवादी विलासी बनाया जा रहा है ।

(२) मीडीया :- ये वो माध्यम है कि जिससे आपको पूरी तरह से समाप्त किया जा रहा है । मीडीया वामपंथीयों के फैंके हुए टुकड़ों पर पलता है और केवल तथाकथित अल्पसंख्यकों को पीड़ित दिखाता है । और हिंदू बहुसंख्यक समाज को शोषण करने वाला ।

(३) विदेशी कम्पनियाँ :- ये MNC’s ( Multi National Companies ) भारत की स्वतन्त्रता छीनने के लिए । यहाँ पूरे जीवन में प्रयोग होने वाला सामान toothbrush से लेकर गाड़ी तक में इनका हस्तक्षेप है । ये सारा धन लूट कर विदेशों में ले जा रहे हैं और उसी धन के सहारे गरीबों, आदिवासियों, दलितों को ईसाई बना रहे हैं । क्योंकि ये कम्पनियाँ जिस भी देश में जाती हैं । इनका काम होता है कि उस देश की कम से कम 10% आबादी को ईसाई बनाया जाए और विद्रोह करवा कर देश के टुकड़े किए जाएँ । इसी लिए पूरी अर्थव्यवस्था को इन्होंने कब्जा किया हुआ है जिसका आम मानव को पता ही नहीं चलता । आपकी आवश्यक्ता का सारा सामान आपके घर या फिर पेड़ पौधों से मिल सकता था पर फिर भी आपको विदेशी सामानों पर निर्भर किया जा रहा है आपको गुलाम बनाने के लिए ।

(४) मुसलमान :- ये लोग मध्यकाल से ही पीड़ीत और तलवार के बल से मुसलमान बनाए गए हैं । जिनका एकमात्र स्वप्न भारत को ईस्लामी देश बनाना है । उसके लिए ये जी जान से जुटे हुए हैं । लव जिहाद के माध्यम से हिंदू लड़कियों को बहला कर ईस्लाम में दीक्षित करना , हिंदू देवी देवताओं के बारे में गलत बातें बता कर हिंदू युवा को ईस्लाम में दीक्षित करना , दर्जनों बच्चे पैदा करना जिससे कि भारत में ये बहुसंख्यक हो जाएँ और शरिया ईस्लामी कानून को लागू करके भारत को मुगलिस्तान बनाएँ । इसमें इनका साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत सारे अरब देश दे रहे हैं । असम, बंगाल, त्रिपुरा आदि से बांग्लादेशीयों की घुसपैठ उसी उद्देश्य से बड़े पैमाने पर करवाई जा रही है ।




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भारतीय विज्ञान कांग्रेस में वैदिक विमानों पर होगी चर्चा मुंबई मिरर| Dec 27, 2014, वैदिक युग में...

भारतीय विज्ञान कांग्रेस में वैदिक विमानों पर होगी चर्चा

मुंबई मिरर| Dec 27, 2014,


वैदिक युग में भारत में ऐसे विमान थे जिनमें रिवर्स गियर था यानी वे उलटे भी उड़ सकते थे। इतना ही नहीं, वे दूसरे ग्रहों पर भी जा सकते थे। सच है या नहीं, कौन जाने। अब एक जाना-माना वैज्ञानिक इंडियन साइंस कांग्रेस जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भाषण के दौरान ऐसी बातें कहेगा तो आप क्या कर सकते हैं!


3 जनवरी से मुंबई में इंडियन साइंस कांग्रेस शुरू हो रही है जिसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दो वैज्ञानिकों समेत दुनियाभर के बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे। इन्हीं में एक होंगे कैप्टन आनंद जे बोडास जो मानते हैं कि ‘आधुनिक विज्ञान दरअसल वैज्ञानिक नहीं’ है।


मुंबई मिरर अखबार को बोडास ने बताया कि जो चीजें आधुनिक विज्ञान को समझ नहीं आतीं, यह उसका अस्तित्व ही नकार देता है। बोडास कहते हैं, ‘वैदिक बल्कि प्राचीन भारतीय परिभाषा के अनुसार विमान एक ऐसा वाहन था, जो वायु में एक देश से दूसरे देश तक, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक और एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक जा सकता था। उन दिनों विमान विशालकाय होते थे। वे आज के विमानों जैसे एक सीध में चलने वाले नहीं थे, बल्कि दाएं-बाएं और यहां तक कि रिवर्स भी उड़ सकते थे।’


कैप्टन बोडास ‘प्राचीन भारतीय वैमानिकी तकनीक’ विषय पर बोलेंगे। वह केरल में एक पायलट ट्रेनिंग सेंटर के प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए हैं। उनके साथ इस विषय पर एक और वक्ता होंगे जो स्वामी विवेकानंद इंटरनैशनल स्कूल में एक लेक्चरर हैं।


कैप्टन बोडास भारतवर्ष में हजारों साल पहले हासिल की गईं जिन तकनीकी उपलब्धियों का दावा करते हैं, उनका स्रोत वह वैमानिका प्रक्रणम नामक एक ग्रंथ को बताते हैं, जो उनके मुताबिक ऋषि भारद्वाज ने लिखा था। वह कहते हैं, ‘इस ग्रंथ में जो 500 दिशानिर्देश बताए गए थे उनमें से अब 100-200 ही बचे हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बहुत वक्त गुजर गया, फिर विदेशियों ने हम पर राज किया और देश की बहुत सी चीजें चुरा ली गईं।’


इंडियन साइंस कांग्रेस में यह विषय इसलिए रखा गया है ताकि ‘संस्कृत साहित्य के नजरिए से भारतीय विज्ञान को देखा जा सके’। इस विषय पर होने वाले कार्यक्रम में संचालक की भूमिका मुंबई यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रफेसर गौरी माहूलीकर निभाएंगी। वह कैप्टन बोडास की बात को सही ठहराने की कोशिश करती हैं।


वह कहती हैं, ‘ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारतीय विज्ञान कांग्रेस में एक सत्र में संस्कृत साहित्य के नजरिए से भारतीय विज्ञान को देखने की कोशिश होगी। इस साहित्य में वैमानिकी, विमान बनाने की जानकारी, पायलटों के पहनावे, खाने-पीने और यहां तक कि सात तरह ईंधन की भी बात है। अगर हम इन चीजों के बारे में बोलने के लिए संस्कृत के विद्वानों को बुलाते तो लोग हमें खारिज कर देते लेकिन कैप्टन बोडास और उनके साथी वक्ता अमीय जाधव संस्कृत में एमए के साथ-साथ एमटेक भी कर चुके हैं।’


वैसे, इस भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इस विषय पर चर्चा का कई जाने-माने वैज्ञानिक समर्थन कर रहे हैं, जिनमें आईआईटी बेंगलुरु में एयरोस्पेस इंजिनियरिंग के प्रफेसर डॉ. एसडी शर्मा भी शामिल हैं।




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Saturday, December 27, 2014

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!!ब्रम्हकुमारी भ्रम निवारण!! अगर ईश्वर बिन्दु स्वरुप हैं तो कुछ प्रश्न उठते हैं। वह रहता कहा हैं?...

!!ब्रम्हकुमारी भ्रम निवारण!!


अगर ईश्वर बिन्दु स्वरुप हैं तो कुछ प्रश्न उठते हैं।

वह रहता कहा हैं? और उस जगह ही क्यु रहता हैं? उस सर्वशक्तिमान को एक बिन्दु में कौनसा सामर्थ्य हैं? डर कर दुर रहता है क्या? सातवे आसमान पर तो नही रहता? वहा तक कोई पहुच सकता है क्या? पहुंच गया तो वो क्या करेंगा?

अनंत ब्रम्हाण्ड को संचलित करना सबको कर्मों के फल देना ,सृष्टि और प्रलय करना ये एकदेशीय ईश्वर के बस की बात नहीं क्युकी वहा बैठकर क्या रिमोट से काम करता है तब तो अनंत रिमोट लगेगे जिसके लिये शरीर अनंत लगेगा। तो सिद्ध हैं परमात्मा सर्वव्यापक है उसको वैसा ही मानना चाहिये।


परीत्य भूतानि परीत्य लोकान् सर्वाः प्रदिशो दिशश्च। यजु 32.11


ईशा वास्यमिदँ सर्वम्। यजु 40.1


ईश्वर सर्वव्यापक हैं।


#Bramhakumari #BK




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नेहरू खानदान यानी गयासुद्दीन गाजी का वंश जम्मू-कश्मीर में आए महीनों हो गए थे, एक बात अक्सर दिमाग...

नेहरू खानदान यानी गयासुद्दीन गाजी का वंश




जम्मू-कश्मीर में आए महीनों हो गए थे, एक बात अक्सर दिमाग में खटकती थी कि अभी तक नेहरू के खानदान का कोई क्यों नहीं मिला, जबकि हमने किताबों में पढ़ा था कि वह कश्मीरी पंडित थे।


नाते-रिश्तेदार से लेकर दूरदराज तक में से कोई न कोई नेहरू खानदान का तो मिलना ही चाहिए था।


नेहरू राजवंश कि खोज में सियासत के पुराने खिलाडिय़ों से मिला लेकिन जानकारी के नाम पर मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू का नाम ही सामने आया।


अमर उजाला दफ्तर के नजदीक बहती तवी के किनारे पहुंचकर एक दिन इसी बारे में सोच रहा था तो ख्याल आया कि जम्मू-कश्मीर वूमेन कमीशन की सचिव हाफीजा मुज्जफर से मिला जाए, शायद वह कुछ मदद कर सके |


अगले दिन जब आफिस से हाफीजा के पास पहुंचा तो वह सवाल सुनकर चौंक गई।


बोली आप पंडित नेहरू के वंश का पोस्टमार्टम करने आए हैं क्या?


हंसकर सवाल टालते हुए कहा कि मैडम ऐसा नहीं है, बस बाल कि खाल निकालने कि आदत है इसलिए मजबूर हूं।


यह सवाल काफी समय से खटक रहा था। कश्मीरी चाय का आर्डर देने के बाद वह अपने बुक रैक से एक किताब निकाली, वह थी रॉबर्ट हार्डी एन्ड्रूज कि किताब ए लैम्प फार इंडिया- द स्टोरी ऑफ मदाम पंडित।


उस किताब मे तथाकथित गंगाधर का चित्र छपा था।


जिसके अनुसार गंगाधर असल में एक सुन्नी मुसलमान थे जिनका असली नाम था गयासुद्दीन गाजी।


इस फोटो को दिखाते हुए हाफीजा ने कहा कि इसकी पुष्टि के लिए नेहरू ने जो आत्मकथा लिखी है, उसको पढऩा जरूरी है।


नेहरू की आत्मकथा भी अपने रैक से निकालते हुए एक पेज को पढऩे को कहा।


इसमें एक जगह लिखा था कि उनके दादा अर्थात मोतीलाल के पिता गंगा धर थे।


इसी तरह जवाहर की बहन कृष्णा ने भी एक जगह लिखा है कि उनके दादाजी मुगल सल्तनत बहादुरशाह जफर के समय में नगर कोतवाल थे।


अब इतिहासकारो ने खोजबीन की तो पाया कि बहादुरशाह जफ र के समय कोई भी हिन्दू इतनी महत्वपूर्ण ओहदे पर नहीं था।


और खोजबीन करने पर पता चला कि उस वक्त के दो नायब कोतवाल हिन्दू थे नाम थे भाऊ सिंह और काशीनाथ जो कि लाहौरी गेट दिल्ली में तैनात थे। लेकिन किसी गंगा धर नाम के व्यक्ति का कोई रिकार्ड नहीं मिला है।


नेहरू राजवंश की खोज में मेहदी हुसैन की पुस्तक बहादुरशाह जफर और 1857 का गदर में खोजबीन करने पर मालूम हुआ।


गंगा धर नाम तो बाद में अंग्रेजों के कहर के डर से बदला गया था,असली नाम तो था गयासुद्दीन गाजी।


जब अंग्रेजों ने दिल्ली को लगभग जीत लिया था तब मुगलों और मुसलमानों के दोबारा विद्रोह के डर से उन्होंने दिल्ली के सारे हिन्दुओं और मुसलमानों को शहर से बाहर करके तम्बुओं में ठहरा दिया था। जैसे कि आज कश्मीरी पंडित रह रहे हैं।


अंग्रेज वह गलती नहीं दोहराना चाहते थे जो हिन्दू राजाओं-पृथ्वीराज चौहान ने मुसलमान आ•्रांताओंजीवित छोडकर की थी,इसलिये उन्होंने चुन-चुन कर मुसलमानों को मारना शुरु किया ।


लेकिन कुछ मुसलमान दिल्ली से भागकर पास के इलाको मे चले गये थे। उसी समय यह परिवार भी आगरा की तरफ कुच कर गया।


नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि आगरा जाते समय उनके दादा गंगा धर को अंग्रेजों ने रोककर पूछताछ की थी लेकिन तब गंगा धर ने उनसे कहा था कि वे मुसलमान नहीं हैं कश्मीरी पंडित हैं और अंग्रेजों ने उन्हें आगरा जाने दिया बाकी तो इतिहास है ही ।


यह धर उपनाम कश्मीरी पंडितों में आमतौर पाया जाता है और इसी का अपभ्रंश होते-होते और धर्मान्तरण होते-होते यह दर या डार हो गया जो कि कश्मीर के अविभाजित हिस्से में आमतौर पाया जाने वाला नाम है। लेकिन मोतीलाल ने नेहरू उपनाम चुना ताकि यह पूरी तरह से हिन्दू सा लगे।


इतने पीछे से शुरुआत करने का मकसद सिर्फ यही है कि हमें पता चले कि खानदानी लोगों कि असलियत क्या होती है।




एक कप चाय खत्म हो गयी थी, दूसरी का आर्डर हाफीजा ने देते हुए के एन प्राण कि पुस्तक द नेहरू डायनेस्टी निकालने के बाद एक पन्ने को पढऩे को दिया।


उसके अनुसार जवाहरलाल मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे और मोतीलाल के पिता का नाम था गंगाधर ।


यह तो हम जानते ही हैं कि जवाहरलाल कि एक पुत्री थी इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ।


कमला नेहरू उनकी माता का नाम था। जिनकी मृत्यु स्विटजरलैण्ड में टीबी से हुई थी। कमला शुरु से ही इन्दिरा के फिरोज से विवाह के खिलाफ थीं क्यों यह हमें नहीं बताया जाता।


लेकिन यह फिरोज गाँधी कौन थे? फिरोज उस व्यापारी के बेटे थे जो आनन्द भवन में घरेलू सामान और शराब पहुँचाने का काम करता था।


आनन्द भवन का असली नाम था इशरत मंजिल और उसके मालिक थे मुबारक अली। मोतीलाल नेहरू पहले इन्हीं मुबारक अली के यहाँ काम करते थे।


सभी जानते हैं की राजीव गाँधी के नाना का नाम था जवाहरलाल नेहरू लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के नाना के साथ ही दादा भी तो होते हैं। फि र राजीव गाँधी के दादाजी का नाम क्या था? किसी को मालूम नहीं, क्योंकि राजीव गाँधी के दादा थे नवाब खान।


एक मुस्लिम व्यापारी जो आनन्द भवन में सामान सप्लाई करता था और जिसका मूल निवास था जूनागढ गुजरात में है। नवाब खान ने एक पारसी महिला से शादी की और उसे मुस्लिम बनाया।


फिरोज इसी महिला की सन्तान थे और उनकी माँ का उपनाम था घांदी (गाँधी नहीं)घांदी नाम पारसियों में अक्सर पाया जाता था। विवाह से पहले फिरोज गाँधी ना होकर फिरोज खान थे और कमला नेहरू के विरोध का असली कारण भी यही था।


हमें बताया जाता है कि फिरोज गाँधी पहले पारसी थे यह मात्र एक भ्रम पैदा किया गया है । इन्दिरा गाँधी अकेलेपन और अवसाद का शिकार थीं ।


शांति निकेतन में पढ़ते वक्त ही रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें अनुचित व्यवहारके लिये निकाल बाहर किया था।


अब आप खुद ही सोचिये एक तन्हा जवान लडक़ी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हों थोडी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी विपरीत लिंग की ओर, इसी बात का फायदा फिरोज खान ने उठाया और इन्दिरा को बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन करवाकर लन्दन की एक मस्जिद में उससे शादी रचा ली। नाम रखा मैमूना बेगम।


नेहरू को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए लेकिन अब क्या किया जा सकता था। जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने नेहरू को बुलाकर समझाया।


राजनैतिक छवि की खातिर फिरोज को मनाया कि वह अपना नाम गाँधी रख ले, यह एक आसान काम था कि एक शपथ पत्र के जरिये बजाय धर्म बदलने के सिर्फ नाम बदला जाये तो फिरोज खान घांदी बन गये फिरोज गाँधी।


विडम्बना यह है कि सत्य-सत्य का जाप करने वाले और सत्य के साथ मेरे प्रयोग नामक आत्मकथा लिखने वाले गाँधी ने इस बात का उल्लेख आज तक नहीं नहीं किया।


खैर उन दोनों फिरोज और इन्दिरा को भारत बुलाकर जनता के सामने दिखावे के लिये एक बार पुन: वैदिक रीति से उनका विवाह करवाया गया ताकि उनके खानदान की ऊँची नाक का भ्रम बना रहे ।


इस बारे में नेहरू के सेकेरेटरी एम.ओ.मथाई अपनी पुस्तक प्रेमेनिसेन्सेस ऑफ नेहरू एज ;पृष्ट 94 पैरा 2 (अब भारत में प्रतिबंधित है किताब) में लिखते हैं कि पता नहीं क्यों नेहरू ने सन 1942 में एक अन्तर्जातीय और अन्तर्धार्मिक विवाह को वैदिक रीतिरिवाजों से किये जाने को अनुमति दी जबकि उस समय यह अवैधानिक था का कानूनी रूप से उसे सिविल मैरिज होना चाहिये था ।


यह तो एक स्थापित तथ्य है कि राजीव गाँधी के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा और फि रोज अलग हो गये थे हालाँकि तलाक नहीं हुआ था । फिरोज गाँधी अक्सर नेहरू परिवार को पैसे माँगते हुए परेशान किया करते थे और नेहरू की राजनैतिक गतिविधियों में हस्तक्षेप तक करने लगे थे। तंग आकर नेहरू ने फिरोज के तीन मूर्ति भवन मे आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था ।


मथाई लिखते हैं फिरोज की मृत्यु से नेहरू और इन्दिरा को बड़ी राहत मिली थी। 1960 में फिरोज गाँधी की मृत्यु भी रहस्यमय हालात में हुई थी जबकी वह दूसरी शादी रचाने की योजना बना चुके थे।


संजय गाँधी का असली नाम दरअसल संजीव गाँधी था अपने बडे भाई राजीव गाँधी से मिलता जुलता । लेकिन संजय नाम रखने की नौबत इसलिये आई क्योंकि उसे लन्दन पुलिस ने इंग्लैण्ड में कार चोरी के आरोप में पकड़ लिया था और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया था।


ब्रिटेन में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन ने तब मदद करके संजीव गाँधी का नाम बदलकर नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवाया था, इन्हीं कृष्ण मेनन साहब को भ्रष्टाचार के एक मामले में नेहरू और इन्दिरा ने बचाया था ।


अब संयोग पर संयोग देखिये संजय गाँधी का विवाह मेनका आनन्द से हुआ। कहा जाता है मेनका जो कि एक सिख लडकी थी संजय की रंगरेलियों की वजह से उनके पिता कर्नल आनन्द ने संजय को जान से मारने की धमकी दी थी फि र उनकी शादी हुई और मेनका का नाम बदलकर मानेका किया गया क्योंकि इन्दिरा गाँधी को यह नाम पसन्द नहीं था।


फिर भी मेनका कोई साधारण लडकी नहीं थीं क्योंकि उस जमाने में उन्होंने बॉम्बे डाईंग के लिये सिर्फ एक तौलिये में विज्ञापन किया था।


आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि संजय गाँधी अपनी माँ को ब्लैकमेल करते थे और जिसके कारण उनके सभी बुरे कामो पर इन्दिरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी करने कि छूट दी ।


एम.ओ.मथाई अपनी पुस्तक के पृष्ठ 206 पर लिखते हैं - 1948 में वाराणसी से एक सन्यासिन दिल्ली आई जिसका काल्पनिक नाम श्रद्धा माता था। वह संस्कत की विद्वान थी और कई सांसद उसके व्याख्यान सुनने को बेताब रहते थे ।


वह भारतीय पुरालेखों और सनातन संस्कृत की अच्छी जानकार थी नेहरू के पुराने कर्मचारी एस.डी.उपाध्याय ने एक हिन्दी का पत्र नेहरू को सौंपा जिसके कारण नेहरू उस सन्यासिन को एक इंटरव्यू देने को राजी हुए ।


चूँकि देश तब आजाद हुआ ही था और काम बहुत था। नेहरू ने अधिकतर बार इंटरव्य़ू आधी रात के समय ही दिये । मथाई के शब्दों में एक रात मैने उसे पीएम हाऊस से निकलते देखा वह बहुत ही जवान खूबसूरत और दिलकश थी।


एक बार नेहरू के लखनऊ दौरे के समय श्रध्दामाता उनसे मिली और उपाध्याय जी हमेशा की तरह एक पत्र लेकर नेहरू के पास आये नेहरू ने भी उसे उत्तर दिया और अचानक एक दिन श्रद्धा माता गायब हो गईं किसी के ढूँढे से नहीं मिलीं ।


नवम्बर 1949 में बेंगलूर के एक कान्वेंट से एक सुदर्शन सा आदमी पत्रों का एक बंडल लेकर आया।


उसने कहा कि उत्तर भारत से एक युवती उस कान्वेंट में कुछ महीने पहले आई थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया ।


उस युवती ने अपना नाम पता नहीं बताया और बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद ही उस बच्चे को वहाँ छोडकर गायब हो गई थी । उसकी निजी वस्तुओं में हिन्दी में लिखे कुछ पत्र बरामद हुए जो प्रधानमन्त्री द्वारा लिखे गये हैं पत्रों का वह बंडल उस आदमी ने अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया ।


मथाई लिखते हैं . मैने उस बच्चे और उसकी माँ की खोजबीन की काफी कोशिश की लेकिन कान्वेंट की मुख्य मिस्ट्रेस जो कि एक विदेशी महिला थी बहुत कठोर अनुशासन वाली थी और उसने इस मामले में एक शब्द भी किसी से नहीं क हा लेकिन मेरी इच्छा थी कि उस बच्चे का पालन-पोषण मैं करुँ और उसे रोमन कथोलिक संस्कारो में बड़ा करूँ चाहे उसे अपने पिता का नाम कभी भी मालूम ना हो लेकिन विधाता को यह मंजूर नहीं था।


नेहरू राजवंश की कुंडली जानने के बाद घड़ी की तरफ देखा तो शाम पांच बज गए थे, हाफीजा से मिली ढेरों प्रमाणिक जानकारी के लिए शुक्रिया अदा करना दोस्ती के वसूल के खिलाफ था, इसलिए फिर मिलते हैं कहकर चल दिए अमर उजाला जम्मू दफ्तर की ओर




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Friday, December 26, 2014

ईश्वरीय ज्ञान वेद का प्रचार प्रसार ही हम आर्यों की परम्परा रही है, इस परम्परा का निर्वाहन पुनः...

ईश्वरीय ज्ञान वेद का प्रचार प्रसार ही हम आर्यों की परम्परा रही है, इस परम्परा का निर्वाहन पुनः प्रारम्भ करते हुए आप भी इसके प्रचार प्रसार में सहभागी बनें और आपने मित्रों, रिश्तेदारों से इस ज्ञान को साझा करें, अधिक से अधिक शेयर करें


यजुर्वेद अध्याय २ मन्त्र १०


ईश्वर की उपासना, परोपकार और पुरुषार्थ यही मानव जीवन का उद्देश्य है


मयी॒दमिन्द्र॑ इन्द्रि॒य न्द॑धात्व॒स्मान् रायो॑ म॒घवा॑नः सचन्ताम् । अ॒स्माक सन्त्वा॒शिषः॑ स॒त्या नः॑ सन्त्वा॒शिषः॑ उप॑हूता पृथि॒वी मा॒तोप॒मां म्पृ॑थि॒वी मा॒ता ह्व॑यतामग्निराग्नी॑ध्रा॒त्स्वाहा॑ ॥२-१०॥


भावार्थ:- जो मनुष्य पुरूषार्थी, परोपकारी, ईश्वर के उपासक हैं, वे ही श्रेष्ठ ज्ञान , उत्तम धन और सत्य कामनोओं को प्राप्त होते हैं, और नहीं। जो सब को मान्य देने के कारण इस मन्त्र में पृथिवी शब्द से भूमि और विद्या का प्रकाश किया है, सो ये सब मनुष्यों को उपकार में लाने के योग्य हैं। ईश्वर ने इस वेदमन्त्र से यही प्रकाशित किया है तथा जो नवम मन्त्र से अग्नि आदि पदार्थों से इच्छित सुख की प्राप्ति कही है, वही बात दशम मन्त्र से प्रकाशित की है।।




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"अजब तेरी दुनिया🌍गज़ब तेरा खेल, मोमबत्ती जलाकर ♨मुर्दों को याद करना और मोमबत्ती बुझाकर जन्मदिन मनाना 😊"

“अजब तेरी दुनिया🌍गज़ब तेरा खेल,

मोमबत्ती जलाकर ♨मुर्दों को याद करना

और मोमबत्ती बुझाकर जन्मदिन मनाना

😊”

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PK फिल्म पर बन रहे बवाल पर एक कवि मित्र की ताजा कविता: ना महंत हूँ न पंडा हूँ,ना ही कोई पुजारी...

PK फिल्म पर बन रहे बवाल पर एक कवि मित्र की ताजा कविता:




ना महंत हूँ न पंडा हूँ,ना ही कोई पुजारी हूँ,

निज परम्परा और धरम का ना कोई व्यापारी हूँ,


मैं बस एक सनातन धर्मी,थोडा सा झुंझलाया हूँ,

आज शाम को आमिर तेरी फिल्म देखकर आया हूँ,


सीधे सीधे कुछ सवाल है,ज़रा खोलकर कान सुनो,

सुनो हिरानी,सुनो चोपड़ा,प्यारे आमिर खान सुनो,


इस दुनिया के हर मज़हब में कहाँ नही कमियां बोलो,

और अछूती रीति रिवाजों से है कब दुनिया बोलो,


इंसानों के बने बनाये तौर तरीके शामिल हैं,

हर मज़हब को अपने किस्से अपने लहजे हासिल हैं,


धर्म सनातन आडम्बर है,और कहानी गढ़ लेते,

लेकिन चोट मारने से पहले गीता ही पढ़ लेते,


आडम्बर ही था दिखलाना,तो कुछ और बड़ा करते,

हर मज़हब के आगे,इसका मुद्दा आप खड़ा करते,


केवल धर्म सनातन ही क्यों तुमको चुभा बताओ जी,

कहाँ नही आडम्बर,कोई मज़हब तो दिखलाओ जी,


आडम्बर है यदि शिव जी को दूध चढ़ाना,मान लिया,

गौ माता को चारा देना,तिलक लगाना,मान लिया,


तो फिर सारी दुनिया आडम्बर है बस आडम्बर है,

होली ईद दीवाली वैसाखी क्रिसमस आडम्बर है,


लक्ष्मी दुर्गा शिव गणेश गर राह पड़े आडम्बर है

तो मस्जिद के पत्थर पत्थर बहुत बड़े आडम्बर हैं,


भूल गए तुम टोपी जालीदार दिखाना भूल गए,

आडम्बर नमाज़ पढना है,ये बतलाना भूल गए,


अमरनाथ पर तंज कसे पर हज का चर्चा भूल गए,

मस्जिद बनने पर मिलता सरकारी खर्चा भूल गए,


अगर लेटकर मंदिर में आना जाना आडम्बर है

तो फिर या हुसैन कहकर कोड़े खाना आडम्बर है,


नहीं दिखाए तुमने कटते गाय बैल और बकरे क्यों,

केवल हिन्दू परम्परा के तौर तरीके अखरे क्यों,


हमने तो धागे बरगद के चारों ओर बंधाएं है,

तुमने हज में जाकर बोलो किसके चक्कर खाए हैं,


तुम ज्ञानी हो अगर तुम्हे मंदिर आडम्बर लगते हैं,

हमको भी मस्जिद के सब मंज़र आडम्बर लगते हैं,


सत्यमेव जयते के नायक,आधा सत्य दिखाया क्यों,

छुपा लिया इस्लाम,सनातन धर्म मिथक बतलाया क्यों,


ये सवाल कुछ ऐसे हैं जिनका जवाब देना होगा,

कलाकार हो समानता का भी हिसाब देना होगा,


इस पीके से खूब कमा लो,मौका तुमको दिया चलो,

पक्षपात जो किया आपने,माफ़ आप को किया चलो,


शर्त यही है थोड़ी हिम्मत लानी होगी छाती में,

अगली पीके फिल्म बनाओ जाकर आप कराची में




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"स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क का डर छोड़ दो, कौन जाने क्या पाप , क्या पुण्य, ..."

“स्वर्ग का सपना छोड़ दो,

नर्क का डर छोड़ दो,

कौन जाने क्या पाप ,

क्या पुण्य,

बस…

किसी का दिल न दुखे

अपने स्वार्थ के लिए,

बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।।”

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मेरी तेरी करके गर फुरसत मिल गयी हो तो कुछ याद उन्हें भी कर लो जिनकी कुर्बानियो के बदौलत आज ये मेरी...

मेरी तेरी करके गर फुरसत मिल गयी हो तो कुछ याद उन्हें भी कर लो जिनकी कुर्बानियो के बदौलत आज ये मेरी तेरी करने का सौभाग्य मिला है….


याद करो जब जलियावाला मौसम आदमखोर हुआ.

इंकलाब के नारो में फिर बलिदानो का दौर हुआ..

कौन सजा देता डायर को शासन ही हत्यारा था

पर ऊधम सिंह से उस कायर को लन्दन जाकर मारा था।


आज शहीद ऊधम सिंह जी (26 दिसम्बर 1889) का जन्म दिवस है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी को सत् सत् नमन भाव भीनी आदरांजलि।




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कृपया हर हिन्दू तक ये पहुंचाए और हमेशा याद रखे👇 वेद – केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं...

कृपया हर हिन्दू तक ये पहुंचाए और हमेशा याद रखे👇

वेद –

केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं ।

📚📚📚📚📚📚📚

वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं ।

वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने

अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा – इन चार ऋषियों को एक साथ दिया था ।

वेद मानवमात्र के लिए हैं ।


वेद चार हैं ——




📜१. ऋग्वेद – इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म – पर्यन्त सब पदार्थो का ज्ञान दिया हुआ है ।

इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं ।

मण्डल – १०

सूक्त -१०२८

ऋचाऐं – १०५८९ हैं ।

शाखा – २१

पद – २५३८२६

अक्षर - ४३२०००

ब्रह्मण - ऐतरेय

उपवेद – आयुर्वेद


📜२. यजुर्वेद – इसमें कर्मकाण्ड है । इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है ।

इसमें १,९७५ मन्त्र हैं ।

अध्याय – ४०

कण्डिकाएं और मन्त्र — १,९७५

ब्रह्मण – शतपथ

उपवेद - धनुर्वेद


📜३. सामवेद – यह उपासना का वेद है ।

इसमें १,८७५ मन्त्र हैं ।

ब्रह्मण – ताण्ड्य या छान्दोग्य ब्रह्मण ।

उपवेद - गान्धर्ववेद


📜४. अथर्ववेद – इसमें मुख्यतः विज्ञान – परक मन्त्र हैं ।

इसमें ५,९७७ मन्त्र हैं ।

काण्ड - २०

सूक्त – ७३१

ब्रह्मण – गोपथ

उपवेद - अर्थवेद


📜उपवेद – चारों वेदों के चार उपवेद हैं । क्रमशः – आयुर्वेद , धनुर्वेद , गान्धर्ववेद और अर्थवेद ।


📜उपनिषद – अब तक प्रकाशित होने वाले उपनिषदों की कुल संख्या २२३ है , परन्तु प्रामाणिक उपनिषद ११ ही हैं । इनके नाम हैं —- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर ।


📜ब्राह्मणग्रन्थ – इनमें वेदों की व्याख्या है ।

चारों वेदों के प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ ये हैं —-

ऐतरेय , शतपथ , ताण्ड्य और गोपथ ।


📜दर्शनशास्त्र – आस्तिक दर्शन छह हैं – न्याय , वैशेषिक , सांख्य , योग , पूर्वमीमांसा और वेदान्त ।


📜स्मृतियां – स्मृतियों की संख्या ६५ है , परन्तु प्रक्षिप्त श्लोकों को छोङकर मनुस्मृति ही सबसे अधिक प्रमाणिक है । इनके अतिरिक्त आरण्यक , धर्मसूत्र , गृह्यसूत्र , अर्थशास्त्र , विमानशास्त्र आदि अनेक ग्रन्थ हैं ।


📜 वेदों के छह वेदांग – शिक्षा ,कल्प , निरूक्त , व्याकरण , ज्योतिष और छन्द ।


📜 वेदों के छह उपांग – जिन को छः दर्शन या छः शास्त्र भी कहते हैं ।

१. कपिल का सांख्य

२. गौतम का न्याय

३. पतंजलि का योग

४. कणाद का वैशेषिक

५. व्यास का वेदान्त

६. जैमिनि का मीमांसा


इस मैसेज को संभाल कर रखे।




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जब श्री कृष्ण जी का रुक्मणि जी से विवाह हुआ तो श्री कृष्ण बोले - “रुक्मणि..तुम मुझसे क्या...

जब श्री कृष्ण जी का रुक्मणि जी से विवाह हुआ तो श्री कृष्ण बोले - “रुक्मणि..तुम मुझसे क्या चाहती हो?” तो रुक्मणि जी बोलीं - “मैं बिल्कुल आपके ही जैसा एक पुत्र चाहती हूँ”

तो श्री कृष्ण ने कहा कि लगातार युद्धों पर रहने के कारण मुझे शक्तिसंचय करना आवश्यक होगा|

फिर श्री कृष्ण और देवी रुक्मणि ने बद्रिकाश्रम जाकर 12 वर्ष तक ताप और ब्रह्मचर्य का पालन किया और उसके पश्चात बिल्कुल श्री कृष्ण जैसे पुत्र को जन्म दिया, जिनका नाम ‘प्रद्युम्न’ था।


कहते हैं पिता-पुत्र की मुखाकृति और शरीर बिल्कुल एक जैसे थे इसलिए रुक्मणि जी को पहचानने में कठिनाई होने के उन्होंने कारण श्री कृष्ण के मुकुट में मोरपंख लगा दिया ताकि पहचान पायें…..


कृष्ण जी के विषय मे महर्षि दयानन्द कहते है कि -

” महाभारत में, श्री कृष्ण जी के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता वे आप्त पुरुष, महान विद्वान, सदाचारी, कुशल राजनीतिज्ञ , सर्वथा निष्कलंक थे। ऐसे कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का रमण करने वाला, कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि मिथ्या बाते कहना उनका अपमान करना है ” ।

। जय श्री कृष्ण।




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"परिवार" से बड़ा कोई "धन" नहीं! “पिता” से बड़ा कोई “सलाहकार”...

"परिवार" से बड़ा कोई "धन" नहीं!

“पिता” से बड़ा कोई “सलाहकार” नहीं!

“माँ” की छाव से बड़ी कोई “दुनिया” नहीं!

“भाई” से अच्छा कोई “भागीदार” नहीं!

“बहन” से बड़ा कोई “शुभचिंतक” नहीं!

“पत्नी” से बड़ा कोई “दोस्त” नहीं

इसलिए

“परिवार” के बिना “जीवन” नहीं!!!


शुभ दिवस🙏ईश्वर 🙏आपका कल्याण करें ।

।।

आचार्य योगेन्द्र शास्त्री निर्मोही




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God is one and is Omnipresent Omnipotent Omniscient. His teachings are one all teachings are...

God is one and is Omnipresent Omnipotent Omniscient.


His teachings are one all teachings are mentioned in Vedas.


His Dharma ie do’s and dont’s or rules and regulations are one and eternal.


This is what the Vedas and books based on Vedas say.


A day will come when all will realize this fact and true scientific Vedic religion will be reestablished.


Dharma is one and it needs no adjective like hindu,sikh,muslim,isai etc.


To practise nonviolence, truth,honesty and meditation in daily life is true dharma.


-Dr Mumukshu Arya




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हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार...

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार

डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार

रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास

मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार

फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै

यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर

पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर

अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर

हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर

भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन

मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान

मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान

मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर

मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर

मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर

इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश

जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास

शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर

विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर

यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर

गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर

दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर

मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर

भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर

पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर

उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल

मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल

जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार

अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार

मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट

यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार

अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार

क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर

जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर

वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं

यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम

मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम

गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया

कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया

कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी

भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज

मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज

इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन

मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण

मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक

मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥


Mr. Atal Biharee Bajpayee.




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Thursday, December 25, 2014

(साभार उत्कृष्ट शंका समाधान = स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक, रोजड़वाले) ज्योतिष...

(साभार उत्कृष्ट शंका समाधान = स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक, रोजड़वाले)


ज्योतिष शास्त्र

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शंका 53.:- ‘‘ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते’’ अर्थात् वेद के ज्ञान प्राप्ति का साधन ज्योतिष नेत्र (आँख) रूप से है, और ज्योतिष वेद का अंग है, तो ज्योतिष का उपयोग आधिदैविक,आधिभौतिक, आध्यात्मिक पापों से छुड़ाने में क्या हो सकता है? वेद के ज्योतिष को कृपया समझाएॅं।


समाधान- ’’ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते’’-इसका अर्थ होता है कि वेद को समझने के लिए, सृष्टि को समझने के लिए ’ज्योतिष शास्त्र’ को जानना आवश्यक है। ज्योतिष का मतलब जानिएः-

‘ज्योति’ का अर्थ होता है-‘प्रकाश’ और ज्योतिष शास्त्र का अर्थ होता है-प्रकाशवाले पिण्डों की गतिविधियों को बताने वाला शास्त्र। जैसे सूर्य, ज्योति-पिण्ड है, प्रकाश का पिण्ड है। यह प्रकाश फेंकता है। इसी तरह से एक सूर्य, दो सूर्य, तीन सूर्य, हजारों सूर्य, ग्रह और उपग्रह आदि चीजों की गतिविधियों को बताने वाला शास्त्र है - ‘ज्योतिष शास्त्र’। जो ज्योतिष शास्त्र को जानता है, सूर्य नक्षत्र आदि की गतिविधियों को जानता है, भूगोल-खगोल-शास्त्र को जानता है, वो व्यक्ति वेद को ठीक-ठीक समझ सकता है। ‘‘ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते’’-इसका तात्पर्य इस तरह से है।


एक और ज्योतिष, जो फलित ज्योतिष के नाम से आजकल प्रचलित है-जैसे हस्त-रेखा विज्ञान, भविष्य-फल, राशि-फल, जन्म-कुण्डली, इनसे हम किसी का भविष्य नहीं बता सकते। कोई किसी का भविष्य जानता ही नहीं।


जन्मकुंडली मिलाते हैं, कुंडली मिलाकर के विवाह करते हैं। अच्छा तो भई, कुण्डली मिलाकर विवाह किया तो, शादी के बाद झगड़ा क्यों हुआ, तलाक क्यों हुआ? भविष्यफल बताकर वो बेकार जनता की बुद्धि खराब करते हैं। उनकी इन बातों में कुछ भी नहीं रखा है, सब व्यर्थ की बातें हैं।


राम और रावण की एक ही राशि थी, पर देखो दोनों का हाल क्या हुआ? लाखों साल हो गए हैं लेकिन लोग एक को तो दीप जला रहे हैं, और दूसरे को गालियां मिल रही हैं। कंस और कृष्ण की भी एक ही राशि थी। अब उनका भी इतिहास देख लो कि दोनों में कितना फर्क है? कंस को गालियॉं पड़ती है, कृष्ण जी के गीत गा रहे हैं लोग।


ये जो जन्म कुंडली बनाते हैं और ग्रहों का फल बताते हैं, यह सब भी बेकार है, झूठ है। जैसे राशियॉं बारह हैं, इसी तरह से ये नौं ग्रह मानते हैं। इनको तो ग्रहों का भी पता नहीं। नौं ग्रहों कीे गिनती में भी नौं में से पांॅच गलती करते हैं। कैसे?


ये नौं ग्रह ऐसे गिनाते है, एक ग्रह मानतें है, सूर्य। अब बताइए, सूर्य भी कोई ग्रह हरै क्या? वो तो नक्षत्र है। जो स्वयं प्रकाश फेंकता है, जिसका अपना प्रकाश हो, उसे कहते है ‘नक्षत्र‘। सूर्य तो स्वयं अपना प्रकाश फेेंकता है, तो सूर्य नक्षत्र है, ग्रह नहीं है। यह है एक गलती।


दूसरी भूल चन्द्रमा को ये ग्रह बताते हैं। चन्द्रमा ग्रह नहीं, उपग्रह है। जो नक्षत्र के चारों ओर चक्कर लगाए, उसको बोलते हैं ‘ग्रह‘। और जो ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाए, उसको कहते हैं ‘उपग्रह‘। तो सूर्य नक्षत्र है, हमारी पृथ्वी ग्रह है, चन्द्र हमारी पृथ्वी का उपग्रह है। जो हमारी पृथ्वी के चारांे तरफ चक्कर लगाता है। दो भूल हो गईं।


तीसरी भूल-पृथ्वी ग्रह है, जिसका हम पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। लेकिन नौं ग्रहों में से पृथ्वी ग्रह का नाम ही गायब है। एक आदमी बारह फीट की ऊंॅचाई से गिरे, तो हड्डी टूटेगी कि नहीं टूटेगी? तुरंत प्रभाव पड़ेगा पृथ्वी का। लेकिन उसका नाम ही गायब है।


चौथी और पांचवी गलती है - ज्योतिष वाले राहु और केतु नामक दो ग्रह बताते है। और इन्हीं से सबसे अधिक डराते हैं। वस्तुतः राहु-केतु नाम का कोई ग्रह है ही नहीं दुनिया में। इसलिए ग्रहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।


पुरुषार्थ से सारी चीजे सिद्ध हो जाती हैं। पुरुषार्थ ही इस दुनिया में सब कामना पूरी करता है। पुरुषार्थ करो, भविष्य अच्छा हैै। तीन बातें सीख लेनी चाहिए-पुरुषार्थ, बुद्धिमत्ता और ईमानदारी। आपका भविष्य बहुत अच्छा है।


भाग्य तो एक बार जन्म से मिल गया, सो मिल गया। बाकी तो पुरुषार्थ बलवान है। भाग्य से भी बलवान है। पुरुषार्थ अच्छा है, तो भविष्य भी अच्छा है। और पुरुषार्थ खराब है, तो भाग्य भी सो जाएगा। भविष्य जानने के लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं है। देखो, हम किसी से अपना भविष्य पूछते नहीं।


लोग पता नहीं क्या-क्या अंगूठियॉं पहनते हैं - लाल, पीली, नीली। हमने आज तक कोई अंगूठी नहीं पहनी। हम कोई हार गलें में नहीं पहनते। तीन सौ पैसठ दिन हमारा धंधा; समाज सेवा कार्य खूब चलता है। इतना चलता है, कि हमको हाथ जोड़कर माफी मॉंगनी पड़ती है कि साहब, टाइम नहीं है।




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PK में आमिर ने ये कहा की एक लोटा दूध (कीमत रु २०) अगर शिव जी को चढ़ाने के बजाय किसी गरीब को दे तो...

PK में आमिर ने ये कहा की एक लोटा दूध (कीमत रु २०) अगर शिव जी को चढ़ाने के बजाय किसी गरीब को दे तो उसका पेट भर जाएगा ..👍

इस पर मेरा निवेदन है की आप लोग PK ही देखने ना जाये - १ टिकट रु २००/- 😳

हम सभी मिलकर करोड़ों बचा सकते है सोचो कितने भूखों का पेट भर सकते है..!!

😝😝




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22 Reasons To Believe Hinduism Is Based On Science वृक्ष People are advised to worship...

22 Reasons To Believe Hinduism Is Based On Science


वृक्ष

People are advised to worship Neem and Banyan tree in the morning. Inhaling the air near these trees, is good for health.


योग

If you are trying to look ways for stress management, there can’t be anything other than Hindu Yoga aasan Pranayama (inhaling and exhaling air slowly using one of the nostrils).


प्रतिष्ठान

Hindu temples are built scientifically. The place where an idol is placed in the temple is called ‘Moolasthanam’. This ‘Moolasthanam’ is where earth’s magnetic waves are found to be maximum, thus benefitting the worshipper.


तुलसी

Every Hindu household has a Tulsi plant. Tulsi or Basil leaves when consumed, keeps our immune system strong to help prevent the H1N1 disease.


मन्त्र

The rhythm of Vedic mantras, an ancient Hindu practice, when pronounced and heard are believed to cure so many disorders of the body like blood pressure.


तिलक

Hindus keep the holy ash in their forehead after taking a bath, this removes excess water from your head.


कुंकुम

Women keep kumkum bindi on their forehead that protects from being hypnotised.


हस्त ग्रास

Eating with hands might be looked down upon in the west but it connects the body, mind and soul, when it comes to food.


पत्तल

Hindu customs requires one to eat on a leaf plate. This is the most eco-friendly way as it does not require any chemical soap to clean it and it can be discarded without harming the environment.banana; palash leaves


कर्णछेदन

Piercing of baby’s ears is actually part of acupuncture treatment. The point where the ear is pierced helps in curing Asthma.


हल्दी

Sprinkling turmeric mixed water around the house before prayers and after. Its known that turmeric has antioxidant, antibacterial and anti-inflammatory qualities.


गोबर

The old practice of pasting cow dung on walls and outside their house prevents various diseases/viruses as this cow dung is anti-biotic and rich in minerals.



गोमूत्र

Hindus consider drinking cow urine to cure various illnesses. Apparently, it does balance bile, mucous and airs and a remover of heart diseases and effect of poison.


शिक्षा

The age-old punishment of doing sit-ups while holding the ears actually makes the mind sharper and is helpful for those with Autism, Asperger’s Syndrome, learning difficulties and behavioural problems.


दिया

Lighting ‘diyas’ or oil or ghee lamps in temples and house fills the surroundings with positivity and recharges your senses.


जनेऊ

Janeu, or the string on a Brahmin’s body, is also a part of Acupressure ‘Janeu’ and keeps the wearer safe from several diseases.


तोरण

Decorating the main door with ‘Toran’- a string of mangoes leaves;neem leaves;ashoka leaves actually purifies the atmosphere.


चरणस्पर्श

Touching your elder’s feet keeps your backbone in good shape.


चिताग्नि

Cremation or burning the dead, is one of the cleanest form of disposing off the dead body.




Chanting the mantra ‘Om’ leads to significant reduction in heart rate which leads to a deep form of relaxation with increased alertness.


हनुमान चालीसा

Hanuman Chalisa, according to NASA, has the exact calculation of the distance between Sun and the Earth.


शंख

The ‘Shankh Dhwani’ creates the sound waves by which many harmful germs, insects are destroyed. The mosquito breeding is also affected by Shankh blowing and decreases the spread of malaria.




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