Monday, January 26, 2015

कोई प्रभु-भक्त है तो विद्वान नही, कोई विद्वान है तो योगी नही, कोई योगी है तो सुधारक नही, कोई सुधारक...

कोई प्रभु-भक्त है तो विद्वान नही,

कोई विद्वान है तो योगी नही,

कोई योगी है तो सुधारक नही,

कोई सुधारक है तो दिलेर नही,

कोई दिलेर है तो ब्रह्मचारी नही,

कोई ब्रह्मचारी है तो लेखक नही,

कोई लेखक है तो सदाचारी नही,

कोई सदाचारी है तो परोपकारी नही,

कोई परोपकारी है तो कर्मठ नही,

कोई कर्मठ है तो त्यागी नही,

कोई त्यागी है तो देशभक्त नही,

कोई देशभक्त है तो वेदभक्त नही,

कोई वेदभक्त है तो उदार नही,

कोई उदार है तो शुद्धाहारी नही,

कोई शुद्धाहारी है तो योद्धा नही,

कोई योद्धा है तो सरल नही,

कोई सरल है तो सुन्दर नही,

कोई सुन्दर है तो बलिष्ठ नही,

कोई बलिष्ठ है तो दयालु नही,

कोई दयालु है तो सयंमी नही…

परन्तु यदि आप ये सभी गुण एक ही स्थान पर देखना चाहे

तो “महर्षि दयानन्द” को देखो.——




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Friday, January 23, 2015

पंजाब के सियालकोट मे सन् 1719 मे जन्‍में वीर हकीकत राय जन्‍म से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। यह...

पंजाब के सियालकोट मे सन् 1719 मे जन्‍में वीर हकीकत राय जन्‍म से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। यह बालक 4-5 वर्ष की आयु मे ही इतिहास तथा संस्‍कृत आदि विषय का पर्याप्‍त अध्‍ययन कर लिया था। 10 वर्ष की आयु मे फारसी पढ़ने के लिये मौलबी के पास मज्जित मे भेजा गया, वहॉं के मुसलमान छात्र आर्य बालको को और वैदिक धर्म का मजाक उड़ाते थे और अपशब्‍द कहते थे। बालक हकीकत उन सब के कुतर्को का प्रतिवाद करता और उन मुस्लिम छात्रों को वाद-विवाद मे पराजित कर देता। एक दिन मौलवी की अनुपस्तिथी मे मुस्लिम छात्रों ने हकीकत राय को खूब मारा पीटा। बाद मे मौलवी के आने पर उन्‍होने हकीकत की शियतक कर दी कि इसने बीबी फातिमा* को गाली दिया है। यह बाद सुन कर मौलवी बहुत नाराज हुऐ और हकीकत राय को शहर के काजी के सामने प्रस्‍तुत किया। बालक के परिजनो के द्वारा लाख सही बात बताने के बाद भी काजी ने एक न सुनी और निर्णय सुनाया कि शरह** के अनुसार इसके लिये सजा-ए-मौत है या बालक मुसलमान बन जाये। माता पिता व सगे सम्‍बन्धियों के कहने के यह कहने के बाद की मेरे लाल मुसलमान बन जा तू कम कम जिन्‍दा ता रहेगा। किन्‍तु वह बालक आने निश्‍चय पर अडि़ग रहा और बंसत पंचमी सन 1734 करे जल्‍लादों ने, एक गाली के कारण उसे फॉंसी दे दी, वह गाली जो मुस्लिम छात्रो ने खुद ही बीबी फातिमा को दिया था न कि वीर हकीकत राय ने। इस प्राकर एक 10 वर्ष का बालक अपने धर्म और देश के लिये शहीद हो गया। वीर हकीकत राय को शत शत प्रणाम । 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सुमित आर्य




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सृष्टि के आदि से लेकर आजतक सत्यज्ञान हमें ऋषियों के द्वारा मिलता रहा है | ज्ञान के वाहक ऋषिगण होते...

सृष्टि के आदि से लेकर आजतक सत्यज्ञान हमें ऋषियों के द्वारा मिलता रहा है | ज्ञान के वाहक ऋषिगण होते हैं | कर्तव्य-अकर्तव्य, पुण्य-पाप, धर्म-अधर्म, गुण-अवगुण, लाभ-हानि, सत्य-असत्य, हितकर-अहितकर, आस्तिक-नास्तिक आदि तथा ईश्वर का परिज्ञान हम मनुष्यों को ऋषि मुनि ही बतलाते हैं | ऋषिगण अपूर्व मेधा सम्पन्न, ईश्वर के संविधान के महाविद्वान, निस्वार्थी और परम दयालु होते हैं | इनका प्रत्येक उपदेश और कार्य प्राणिमात्र के हित के लिये होता है | वर्तमान कालीन देश-प्रान्त आदि की सीमाओं में इनका ज्ञान और कार्य बंधा हुआ नहीं होता है, परन्तु इस विश्व में प्रत्येक मनुष्यमात्र के लिये इनका उपदेश और कार्य होता है, यथार्थ में ये ऋषि - मुनि ही देश काल की सीमाओं से परे जाकर मनुष्य मात्र के कल्याण और उन्नयन के लिये कर्म और उपदेश करते हैं, वास्तव में ये ऋषि - मुनि ही मनुष्य ही नहीं अपितु प्राणिमात्र के सच्चे हितैषी होते हैं, इनका उपदेश हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई, पारसी, जैनी, बौद्ध आदि-आदि विश्व भर में प्रचलित समस्त मत - पन्थों एवं सम्प्रदायों के अनुयायियों के लिये भी एक जैसा होता है, ये ही सच्चे अर्थों में मानवीय होते हैं| ऋषियों का ज्ञान सत्य, तथ्य, तर्क और यथार्थ वैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित होता है| जिनके सिद्धान्तों को किसी भी काल में और किसी के भी द्वारा काटा नहीं जा सकता है, इनका सिद्धान्त ईश्वरीय सिद्धान्तों एवं उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञान पर अवलम्बित है| सृष्टि के प्रारम्भ के ऋषियों से लेकर महाभारत कालीन ऋषियों यथा ऋषि व्यास , ऋषि जैमिनि, ऋषि पतन्जलि, ऋषि कणाद, ऋषि कपिल, ऋषि गौतम, ऋषि यास्क और पराधीनता के काल में ऋषि दयानन्द से हमें विश्व भर के मनुष्यमात्र के लिये करणीय और धारणीय ईश्वरीय ज्ञान मिला है|




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ओउम् तनूपाsअग्नेsसि तन्वंम्मे पाह्यायुर्दा अग्नेsस्यायुर्मे देहि | वर्चोदाsअग्नेसि वर्चो मे देहि...

ओउम् तनूपाsअग्नेsसि तन्वंम्मे पाह्यायुर्दा अग्नेsस्यायुर्मे देहि |

वर्चोदाsअग्नेसि वर्चो मे देहि अग्ने यन्मे तन्वाsऊनंतन्मेsआ पृण ||

[यजुर्वेद , 3 / 17 ]

हे सर्वरक्षक परमात्मा , आप हमारे शरीर का रक्षण , पालन करके हमको पूर्ण आयु दो , मुझको सर्वोत्कृष्ट विद्या और तेज दो , मेरे शरीर में जो भी कुछ न्यून या अधिक हो उसको यथायोग्य बनाकर पूर्णानन्द दो , आप सांसारिक सुख और मोक्ष सुख के लिए समर्थ करो , पिता सामान आपका आशीर्वाद मुझे मिलता रहे |




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Thursday, January 22, 2015

कर्मफल विवरण प्रश्न 19:- कर्म का फल कब मिलता है? कर्म करने के कितने समय पश्चात् फल मिलता...

कर्मफल विवरण

प्रश्न 19:- कर्म का फल कब मिलता है? कर्म करने के कितने समय पश्चात् फल मिलता है?


उत्तर:- कर्मों का फल शीघ्र मिलता है और विलम्ब से भी। यह आवश्यक नहीं है कि कर्म करते ही तत्काल मिल जाए। कर्म का फल और उसके काल का निर्धारण कर्म के प्रकार के अनुसार होता है। किसी कर्म का फल तत्काल भी मिल जाता है तो किसी का कुछ मास के पश्चात् तथा कुछ का वर्षों के पश्चात् भी मिलता है। जिन कर्मों का फल इस जन्म में नहीं मिलता है उनका फल अगले जन्म में मिलता है।


उदाहरण- पालक आदि सब्जी मात्र 1-2 मास में ही हो जाती है, गेहूँ-चना 4-5 मास में होते हैं तो आम, अनार आदि का फल 5-6 वर्ष में आते हैं। सुपारी, नारियल 8-9 वर्ष में आते हैं । ऐसे ही कर्म के फल के विषय में समझना चाहिये।


जिन कर्मों का फल माता-पिता, गुरु, आचार्य, सम्बन्धी, स्वामी, समाज, राजा आदि द्वारा दे दिया जाता है, उनका फल इसी जन्म में मिल जाता है। किन्तु जिन कर्मों का फल उपर्युक्त माता-पिता, स्वामी, राजा आदि व्यक्ति द्वारा नही दिया जाता या कम दिया जाता है उसका फल अगले जन्म में ईश्वर द्वारा दिया जाता है।


कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इस जन्म में किए गए कर्मों का फल इस जन्म में नहीं मिलता बल्कि अगले जन्म में मिलता है और इस वर्तमान जन्म में हम जो फल प्राप्त कर रहे हैं वह पूर्व जन्म के कर्मों का फल है। इस जन्म में कर्मों का किंचित् मात्र भी फल नहीं है ऐसा मानना ठीक नहीं है।


इस जीवन में हमें जो सुख-दुःख मिल रहा है वह सब इसी जीवन के कर्मों का फल नहीं है, इसमें बहुत सा भाग पिछले जन्म का भी है और जो कर्म हम वर्त्तमान जीवन में कर रहे हैं उन सबका फल इसी जीवन में नहीं मिलेगा। कुछ का तो मिलेगा; शेष कर्मों का फल अगले जीवन में मिलेगा।


….क्रमशः (ज्ञानेश्वरार्यः, वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड़, गुजरात)




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Wednesday, January 21, 2015

Chanakya Neeti - Second Chapter (चाणक्य नीति - दूसरा अध्याय) 1: झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, छल-कपट,...

Chanakya Neeti - Second Chapter (चाणक्य नीति - दूसरा अध्याय)


1: झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, छल-कपट, मूर्खता, अत्यधिक लालच करना, अशुद्धता और दयाहीनता, ये सभी प्रकार के दोष स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से मिलते है।


2: भोजन करने तथा उसे अच्छी तरह से पचाने की शक्ति हो तथा अच्छा भोजन समय पर प्राप्त होता हो, प्रेम करने के लिए अर्थात रति-सुख प्रदान करने वाली उत्तम स्त्री के साथ संसर्ग हो, खूब सारा धन और उस धन को दान करने का उत्साह हो, ये सभी सुख किसी तपस्या के फल के समान है, अर्थात कठिन साधना के बाद ही प्राप्त होते है।


3: जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, स्त्री उसके अनुसार चलने वाली हो, अर्थात पतिव्रता हो, जो अपने पास धन से संतुष्ट रहता हो, उसका स्वर्ग यहीं पर है।


4: पुत्र वे है जो पिता भक्त है। पिता वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करता है। मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख-शांति व्याप्त हो।


5: जो मित्र प्रत्यक्ष रूप से मधुर वचन बोलता हो और पीठ पीछे अर्थात अप्रत्यक्ष रूप से आपके सारे कार्यो में रोड़ा अटकाता हो, ऐसे मित्र को उस घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके भीतर विष भरा हो और ऊपर मुंह के पास दूध भरा हो।


6: बुरे मित्र पर अपने मित्र पर भी विश्वास नही करना चाहिए क्योंकि कभी नाराज होने पर सम्भवतः आपका विशिष्ट मित्र भी आपके सारे रहस्यों को प्रकट कर सकता है।


7: मन से विचारे गए कार्य को कभी किसी से नहीं कहना चाहिए, अपितु उसे मंत्र की तरह रक्षित करके अपने (सोचे हुए) कार्य को करते रहना चाहिए।


8: निश्चित रूप से मूर्खता दुःखदायी है और यौवन भी दुःख देने वाला है परंतु कष्टो से भी बड़ा कष्ट दूसरे के घर पर रहना है।


9: हर एक पर्वत में मणि नहीं होती और हर एक हाथी में मुक्तामणि नहीं होती। साधु लोग सभी जगह नहीं मिलते और हर एक वन में चंदन के वृक्ष नहीं होते।


10: बुद्धिमान लोगो का कर्तव्य होता है की वे अपनी संतान को अच्छे कार्य-व्यापार में लगाएं क्योंकि नीति के जानकार व सद्व्यवहार वाले व्यक्ति ही कुल में सम्मानित होते है।


11: जो माता-पिता अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते, वे उनके शत्रु है। ऐसे अपढ़ बालक सभा के मध्य में उसी प्रकार शोभा नहीं पाते, जैसे हंसो के मध्य में बगुला शोभा नहीं पाता।


12: अत्यधिक लाड़-प्यार से पुत्र और शिष्य गुणहीन हो जाते है और ताड़ना से गुनी हो जाते है। भाव यही है कि शिष्य और पुत्र को यदि ताड़ना का भय रहेगा तो वे गलत मार्ग पर नहीं जायेंगे।


13: एक श्लोक, आधा श्लोक, श्लोक का एक चरण, उसका आधा अथवा एक अक्षर ही सही या आधा अक्षर प्रतिदिन पढ़ना चाहिए।


14: स्त्री का वियोग, अपने लोगो से अनाचार, कर्ज का बंधन, दुष्ट राजा की सेवा, दरिद्रता और अपने प्रतिकूल सभा, ये सभी अग्नि न होते हुए भी शरीर को दग्ध कर देते है।


15: नदी के किनारे खड़े वृक्ष, दूसरे के घर में गयी स्त्री, मंत्री के बिना राजा शीघ्र ही नष्ट हो जाते है। इसमें संशय नहीं करना चाहिए।


16: ब्राह्मणों का बल विद्या है, राजाओं का बल उनकी सेना है, वेश्यो का बल उनका धन है और शूद्रों का बल छोटा बन कर रहना, अर्थात सेवा-कर्म करना है।


17: वेश्या निर्धन मनुष्य को, प्रजा पराजित राजा को, पक्षी फलरहित वृक्ष को व अतिथि उस घर को, जिसमे वे आमंत्रित किए जाते है, को भोजन करने के पश्चात छोड़ देते है।


18: ब्राह्मण दक्षिणा ग्रहण करके यजमान को, शिष्य विद्याध्ययन करने के उपरांत अपने गुरु को और हिरण जले हुए वन को त्याग देते है।


19: बुरा आचरण अर्थात दुराचारी के साथ रहने से, पाप दॄष्टि रखने वाले का साथ करने से तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले से मित्रता करने वाला शीघ्र नष्ट हो जाता है।


20: मित्रता बराबर वालों में शोभा पाती है,नौकरी राजा की अच्छी होती है, व्यवहार में कुशल व्यापारी और घर में सुंदर स्त्री शोभा पाती है।




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सामवेद यह गेय ग्रन्थ है। इसमें गान विद्या का भण्डार है, यह भारतीय संगीत का मूल है। ऋचाओं के गायन को...

सामवेद

यह गेय ग्रन्थ है। इसमें गान विद्या का भण्डार है,

यह भारतीय संगीत का मूल है। ऋचाओं के गायन

को ही साम कहते हैं। इसकी 1001 शाखाएं थीं।

परन्तु आजकल तीन ही प्रचलित हैं - कोथुमीय,

जैमिनीय और राणायनीय। इसको पूर्वार्चिक और

उत्तरार्चिक में बांटा गया है। पूर्वार्चिक में चार

काण्ड हैं - आग्नेय काण्ड, ऐन्द्र काण्ड, पवमान

काण्ड और आरण्य काण्ड। चारों काण्डों में कुल

640 मंत्र हैं। फिर महानाम्न्यार्चिक के 10 मंत्र हैं।

इस प्रकार पूर्वार्चिक में कुल 650 मंत्र हैं।

छः प्रपाठक हैं। उत्तरार्चिक को 21 अध्यायों में

बांटा गया। नौ प्रपाठक हैं। इसमें कुल 1225 मंत्र हैं।

इस प्रकार सामवेद में कुल 1875 मंत्र हैं। इसमें

अधिकतर मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। इसे

उपासना का प्रवर्तक भी कहा जा सकता है।


———- आर्य ईश्वर विद्रोही

अथर्ववेद

इसमें गणित, विज्ञान, आयुर्वेद, समाज शास्त्र,

कृषि विज्ञान, आदि अनेक विषय वर्णित हैं। कुछ

लोग इसमें मंत्र-तंत्र भी खोजते हैं। यह वेद जहां ब्रह्म

ज्ञान का उपदेश करता है, वहीं मोक्ष का उपाय

भी बताता है। इसे ब्रह्म वेद भी कहते हैं। इसमें मुख्य

रूप में अथर्वण और आंगिरस ऋषियों के मंत्र होने के

कारण अथर्व आंगिरस भी कहते हैं। यह 20

काण्डों में विभक्त है। प्रत्येक काण्ड में कई-कई सूत्र

हैं और सूत्रों में मंत्र हैं। इस वेद में कुल 5977 मंत्र हैं।

इसकी आजकल दो शाखाएं शौणिक एवं पिप्पलाद

ही उपलब्ध हैं। अथर्ववेद का विद्वान्

चारों वेदों का ज्ञाता होता है। यज्ञ में ऋग्वेद

का होता देवों का आह्नान करता है, सामवेद

का उद्गाता सामगान करता है, यजुर्वेद

का अध्वर्यु देव:कोटीकर्म का वितान करता है

तथा अथर्ववेद का ब्रह्म पूरे यज्ञ कर्म पर नियंत्रण

रखता है।


———- आर्य ईश्वर विद्रोही




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Tuesday, January 20, 2015

पीर मढ़ी का सच पीर की मढ़ी या भूमिया पूजन और नौ गजा पीर पर चादर चढ़ाने का रहस्य कल से बहुत परेशान...

पीर मढ़ी का सच


पीर की मढ़ी या भूमिया पूजन और नौ गजा पीर पर चादर चढ़ाने का रहस्य


कल से बहुत परेशान हूं, छोटी बेटी को छोटी माता निकल आई और उपर से बुखार भी चढ़ गया। डॉक्टर के पास दिखाकर आई तो पड़ोसन सुनीति आ गई, आते ही बोली जब माता निकलती है, हमारे यहां तो नौ गजा पीर पर चादर चढाते हैं और ठीक हो जाती है।

मैंने उससे पूछा ‘नौ गजा पीर तो हिन्दुस्तान में हजारों हैं, इसका मतलब नौ गजा कोई धार्मिक उपाधि हुई। वह बोली हां होती होगी, लेकिन क्या मुझे नहीं मालूम।’

‘परंतु मुझे मालूम है जानना चाहोगी?’ मैंने कहा।

‘बताओ?’

‘अच्छी बात है’, मैंने जो उसे बताया आपको भी बताती हूं।

किसी युग में भारत में एक पद होता था क्षेत्रपाल, जो किसानों से कृषि कर वसूलता था और राजा को देता था। बाद में मुस्लिम युग आया तो भूमि कर यानी लगान वसूलनेवाला क्षेत्रपाल से हो गया भूमिया और भूमिया के उपर भी एक अफसर होता था, जिसकी सुरक्षा नौ गज के घेरे में चलती थी, जैसे आजकल जेड श्रेणी की सुरक्षा होती है, ठीक वैसे ही। तवारीख ए निजामशाही में साफ-साफ लिखा है कि जब भूमिया किसी से कर वसूलने में असमर्थ होता तो वह किसान के घर में जवान बेटी को उठाकर ले जाता और उसे पहले अपने अफसर को पेश करता। सबके सामने जेड श्रेणी की सुरक्षा में उसका बलात्कार किया जाता, और जानते हो जेड श्रेणी की सुरक्षा में कोई कदम नहीं रखता था, जैसे आज नहीं रख सकते, इसलिए कुकर्म के वक्त उसके उपर एक चादर डाल दी जाती थी, फिर बाद में भूमिया उसे अपना शिकार बनाता था।

जमाना बदल गया और आज भूमिया और नौ गजा पीर को सबसे अधिक हिन्दू औरते पूजती हैं और उन पर आज भी चादर चढ़ाती हैं, इससे अच्छा तो वह चादर किसी गरीब को दे दो। बहनो आज देश आजाद है, गुलामी की पीड़ा और दर्द आज क्यों सहती हो और आज क्यों बलात्कारी पर चादर डालती हो। पीरो की कब्रो पर चादर चढानी बंद करो और याद करो कि ये कौन थे? तुम्हारे पूर्वजों के साथ अत्याचार करनेवाले और तुम इन्हें पूजते हो? क्यों…क्यों…क्यों… —किसी से भी पूछो पीर मढ़ी के बारे में तो किसी को नही पता।। गारन्टी से ।


कुछ बोल देते है ये साई है तो कुछ पीर पर 786 चाँद सितारे अल्लाह लिख देते है।। कुछ जगहों पर भगवान् की कुछ साथ में फ़ोटो रख देते।। भारत का DNA ही ऐसा है जहाँ किसी को मोड़ो वही मुड़ जाते है यही देख लो कोई msg आता है इसको भेजो ये होगा वो होगा कोई बुरा होगा।। कमाल है ये सब किस्मत क्या msg के भेजने या न भेजने से होने लगा क्या? अक्सर लोग थोडा डर के आगे चलते है ये पीर की मढ़ी है सर झुका दे कभी बुरा न हो जाये।। ये ही भक्ति भावना रहती है और कुछ नही।। और हिन्दू में भी देवी देवताओ भगवान् की कमी है तो फिर कमी ही रहेगी इतने देवी देवता है तो क्या जरूरत पड़ गई पीर फकीर की ।

कहाँ से ये सब हमारी जिंदगी में शामिल हो गई और कब से जिंदगी में शामिल हुई यही 2-3 साल से।। कहाँ से इतिहास बन गया पीर का। काफी प्रशन है? आप कोई भी पीर मढ़ी पर जाकर पूछो ये कब बनी थी यहाँ इस जगह पर तो उत्तर यही 2-3 साल पहले। ना कोई जिक्र इनका इतिहास में मिलता है ना कही धर्मो के ग्रथो में मिलता है तो कहा से उत्तपति हुई??




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Monday, January 19, 2015

"बडे धार्मिक स्वयं को दर्शाते हे हम लेकिन सत्य कुछ अलग हे जेसे की हवन,संध्या,सत्याचरण,प्राणायाम,..."

“बडे धार्मिक स्वयं को दर्शाते हे हम

लेकिन सत्य कुछ अलग हे

जेसे की हवन,संध्या,सत्याचरण,प्राणायाम, ध्यान,वेद मंत्र ये जो धर्म का मुख्यकारण हे वः तो हमे आता नहि और क्रिश्चन व् मुस्लिम को देखे एक ही प्रकार से यहा और विदेश में एक ही प्रद्धती से पूजा करते हे एक इश्वर एक पूजा प्रद्धती एक ध्वज जो वेदो (वेदों अखिलो धर्म मूल) में दर्शाया हे उस के बिना कभी ये महान तपस्वी श्रीराम चंद्र जी व् योगिराज कृष्ण चंद्र जी के वंशजो में एकता संभव नही

क्षणभर चिंतन करे जिनका चक्रवर्ती (समग्र पृथ्वी ) राज था वे आज सिकुड़ के भारत के अंदर भी कुछ विस्तार में लघुमती में आ गीरे हे वह कोनसा कारण हे वह कोनसा कारण हे

चलो वेदों की और

सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय हो”

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संसार मे मुसलमान आगे क्यू है? 1मुसलमान सबसे जादा महत्व मजहब को देता है। हिंदू पैसे को। 2 मुसलमान...

संसार मे मुसलमान आगे क्यू है?

1मुसलमान सबसे जादा महत्व मजहब को देता है।

हिंदू पैसे को।

2 मुसलमान सबसे जादा महत्व नमाज को देता है।

हिंदू ओ को पूजा के लिये टाईम नही है।

3 मुसलमानो की लडकीया आख उठाकर देखती नही है।

हिंदूओकी शाहरूख खान पर फिदा है।

4मुसलमान 6 बच्चे

हिंदू 1 बच्चा पैदा करता है।

और हिंदूओके 1लडकी को भी मूल्ला भगा ले जाता है

5बाबर सौदी अरेबिया से आया था और उसने राम का मंदिर तोड दिया वहा बाबरी मजीद बनायी।तब भी हिंदू सोया था आज भी सोया है।

6हम क्यू नही लढै?हम क्यो सौदी अरेबिया तक लढणे नही गये?

7हिंदू secular होते है।

मुझे 200 करोड मे से एक भी मुल्ला secular दिखावो।

8आज हिंदूओकी आबादी तेजी से कम हो रही है।

Islam ls fast growing reliogion

9हिंदूवादी बच्चो पर पूरा हिंदू समाज हसता है।

कट्टर मूल्लो को उनके समाज से support होता है।

10 अगर आज हिंदू नही जागा तो 50 साल मे हिंदू खतम हो जायेगा।

Share kero nahi to maro…..

🚩जय श्रीराम🚩




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अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह...

अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा थातो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए


"अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था… (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).


अधिकांश मुर्दा हिन्दू तो शेयर भी नहीं करेंगे„धिक्कार है ऐसे हिन्दुओ पर




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Friday, January 16, 2015

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एक जौहरी था उसके देहांत के बाद उसके परिवार पर बहुत बड़ा सन्कट आ गया।खाने के भी लाले पड गए एक दिन...

एक जौहरी था उसके देहांत के बाद उसके परिवार पर बहुत बड़ा सन्कट आ गया।खाने के भी लाले पड गए एक दिन उसकी पत्नी न अपने बेटे को एक नीलम का हार दे कर कहा बेटा इसे अपने चाचा की दुकान पर लेकर जाओ और कहना कि इसे बेच कर कुछ रुपए दो वह उस हार को लेकर चाचा जी के पास गया। चाचा जी ने हार को अच्छी तरह से देख परख कर कहा कि बेटा अपनी माँ से कहना कि अभी बाज़ार बहुत मन्दा हैं थोड़ा रुककर बेचना अच्छे दाम मिलेगे और थोड़े से रुपये देकर कहा कि तुम कल से दुकान पर आ कर बैठना। अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहां पर हीरो की परख करने लगा एक दिन वह हीरो का बहुत बड़ा पारखी बन गया लोग दूर दूर से अपने हीरो की परख कराने आने लगे।एक दिन उसके चाचा जी ने कहा कि बेटा अपनी माँ से वह हार लेकर आना और कहना कि अब बाज़ार बहुत तेज है उसके अब अच्छे दाम मिल जाएगे ।बेटा हार लेने घर गया और मा से हार लेकर परख कर देखा कि यह तो artificial हैं और उसको घर पर ही छोड़ कर वापस लौट आया तो चाचा जी ने पूछा कि हार नहीं लाए तो उसने कहा कि वह हार तो नकली था। तब चाचा जी ने कहा कि जब पहली बार लेकर आए थे अगर मैं उस समय हार को नकली बताता तो तुम सोचते कि आज हम पर बुरा वक्त आया तो हमारी चीज़ को नकली बताने लगे आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो पता चल गया कि यह नकली हैं इससे हमें यही शिक्षा मिलती है कि ज्ञान के बिना इस सन्सार मे हम जो भी सोचते हैं देखते हैं जानते हैं सब गलत है अगर हम दुखि हैं या अभाव ग्रस्त है तो इसका एक ही कारण है अज्ञानता अज्ञान के ही कारण डर हैं सब कुछ पाना आसान है दुर्लभ है सन्सार मे एक यथार्थ ज्ञान। .. .




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बहुत सुँदर पंक्तियाँ संयुक्त परिवार 👌👌👏👏 वो पंगत में बैठ के निवालों का तोड़ना, वो अपनों की संगत...

बहुत सुँदर पंक्तियाँ

संयुक्त परिवार

👌👌👏👏




वो पंगत में बैठ के

निवालों का तोड़ना,

वो अपनों की संगत में

रिश्तों का जोडना,


वो दादा की लाठी पकड़

गलियों में घूमना,

वो दादी का बलैया लेना

और माथे को चूमना,


सोते वक्त दादी पुराने

किस्से कहानी कहती थीं,

आंख खुलते ही माँ की

आरती सुनाई देती थी,


इंसान खुद से दूर

अब होता जा रहा है,

वो संयुक्त परिवार का दौर

अब खोता जा रहा है।


माली अपने हाथ से

हर बीज बोता था,

घर ही अपने आप में

पाठशाला होता था,


संस्कार और संस्कृति

रग रग में बसते थे,

उस दौर में हम

मुस्कुराते नहीं

खुल कर हंसते थे।


मनोरंजन के कई साधन

आज हमारे पास है,

पर ये निर्जीव है

इनमें नहीं साँस है,


फैशन के इस दौर में

युवा वर्ग बह गया,

राजस्थान से रिश्ता बस

जात जडूले का रह गया।


ऊँट आज की पीढ़ी को

डायनासोर जैसा लगता है,

आँख बंद कर वह

बाजरे को चखता है।


आज गरमी में एसी

और जाड़े में हीटर है,

और रिश्तों को

मापने के लिये

स्वार्थ का मीटर है।



वो समृद्ध नहीं थे फिर भी

दस दस को पालते थे,

खुद ठिठुरते रहते और

कम्बल बच्चों पर डालते थे।


मंदिर में हाथ जोड़ तो

रोज सर झुकाते हैं,

पर माता-पिता के धोक खाने

होली दीवाली जाते हैं।


मैं आज की युवा पीढी को

इक बात बताना चाहूँगा,

उनके अंत:मन में एक

दीप जलाना चाहूँगा


ईश्वर ने जिसे जोड़ा है

उसे तोड़ना ठीक नहीं,

ये रिश्ते हमारी जागीर हैं

ये कोई भीख नहीं।


अपनों के बीच की दूरी

अब सारी मिटा लो,

रिश्तों की दरार अब भर लो

उन्हें फिर से गले लगा लो।


अपने आप से

सारी उम्र नज़रें चुराओगे,

अपनों के ना हुए तो

किसी के ना हो पाओगे

सब कुछ भले ही मिल जाए

पर अपना अस्तित्व गँवाओगे


बुजुर्गों की छत्र छाया में ही

महफूज रह पाओगे।

होली बेईमानी होगी

दीपावली झूठी होगी,

अगर पिता दुखी होगा

और माँ रूठी होगी।।।


Jai shri krishna

🙏🌹🙏




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Thursday, January 15, 2015

कौन थी राधा? आर्य लेखक = राजेश आर्य “रत्नेश” पिछले दिनों न्यायालय ने लव इन रिलेशनशिप...

कौन थी राधा?

आर्य लेखक = राजेश आर्य “रत्नेश”

पिछले दिनों न्यायालय ने लव इन रिलेशनशिप के मामले में योगिराज श्रीकृष्ण और राधा को घसीट लिया. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस विषय पर चर्चा आवश्यक है. विडम्बना तो यह है कि श्री कृष्ण के भक्त कहलाने वाले भी श्रीकृष्ण को लांछित कर गौरवान्वित हो रहे हैं. लेखक.

प्रिय पाठकवृन्द! प्राचीन भारतीय संस्कृति को नीचा दिखाने के लिए पश्चिम की कुसभ्यता का अडंगा समाचार पत्र, पत्रिकाओं व दूरदर्शन आदि के माध्यम से बड़े-बडे़ षड्यंत्र रचकर भारत के घर-घर में भेजा जा रहा है. गुलामी के संस्कारों में जीने वाला ‘इण्डिया’ इसे अपनाने में गौरव समझता है और जिस नग्नता को भारत स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, उसे ‘इण्डिया’ न्यायालय के माध्यम से भारत पर थोंप रहा है. भारत की जीवन शैली का आहार, विचार, व्यवहार व परिवार सब कुछ मर्यादा में बँधा होता था, पर मुक्त यौनाचार के इच्छुक इण्डिया ने पश्चिम के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का नाम लेकर सब मर्यादाएँ तोड़ दीं. आश्चर्य तो इस बात का है कि अब पुराणों का नाम लेकर भी पश्चिम की नग्नता भारत में पैर जमाने लगी है.

वर्तमान शैली में भारत का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने पुराणों को ऐतिहासिक स्रोत के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया. यहाँ तक कि ऐतिहासिक ग्रंथो- रामायण, महाभारत को भी काल्पनिक कहकर हटा दिया और विडंबना दखिये कि अब नग्नता का प्रवेश कराने के लिए उन्हीं पुराणों को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर दिया. श्री जगदीश सिंह गहलोत ने ‘राजस्थान के राजवंशों का इतिहास’ मे लिखा है-

‘पुराण एक गपोड़ गाथाओं का भण्डार है जो सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ के पं. चिन्तामणि विनाया वैद्य के मतानुसार ई. सन् 300 में 900 से के बने हैं बीच. पुराणों को शुद्ध इतिहास का महत्त्व नहीं दिया जा सकता. ’

अन्य इतिहासकार भी इन्हें महर्षि वेदव्यास की रचना तो दूर किसी अन्य एक विद्वान् की एक समय में लिखी रचना भी नहीं मानते. फिर ऐसे पुराणों में वर्णित कवि कल्पित राधा को भारत का सर्वोच्च न्यायालय कैसे मान्यता दे सकता है? और यदि राधा को मान्यता मिलती है तो क्या सर्वोच्च न्यायालय व देश के कम्युनिस्ट इतिहास पुराणों में वर्णित श्रीकृष्ण से जुड़े अन्य चमत्कारों को मानने की भी उदारता दिखाएँगे? यथा-

जन्म के समय श्रीकृष्ण चतुर्भुज रूप में आये कारागार में उनके माता-पिता के बंधन अपने आप टूट

गये. उन्होंने बाल्यावस्था में ही पूतना, शकटासुर जैसे अनेक विकराल राक्षसों को मारा, सैकड़ों फनों वाले कालिया नाग का मर्दन

किया. गोवर्धन पर्वत कई दिनों तक अपनी उंगली पर उठाए रखा. उनकी 16108 रानियाँ थीं व उनके सभी से 10-10 पुत्र हुए. आकाश में कहीं स्वर्ग है जहाँ इन्द्र शासन करता है आदि. राधा को मैं काल्पनिक इस आधार पर कह रहा हूँ कि श्रीकृष्ण अपने समय में महान आदर्श चरित्र वाले माने जाते थे. महाभारत के सभी प्रमुख पात्र भीष्म, द्रोण, व्यास, कर्ण, अर्जुन, युधिष्ठिर आदि श्रीकृष्ण के महान-चरित्र की प्रशंसा करते थे. उस काल में भी परस्त्री से अवैध संबंध रखना दुराचार माना जाता था, तभी तो भीम ने द्रौपदी की ओर उठने वाली कीचक की कामी (कामुक) आंखें निकाल लीं थीं. यदि श्रीकृष्ण का भी राधा नामक किसी औरत से दुराचार हुआ होता तो श्रीकृष्ण पर मिथ्या दोषारोपण करने वाला शिशुपाल उसे कहने से न चूकता. सम्पूर्ण महाभारत में केवल कर्ण का पालन करने वाली माँ राधा को छोड़कर इस काल्पनिक राधा का नाम नहीं है, जिसके आधार पर भारत का, नहीं नहीं ‘इण्डिया’ का सर्वोच्च न्यायालय राधा-कृष्ण की तरह भारत के जवान स्त्री-पुरुष को विवाह के बंधन में न पड़कर साथ रहने अर्थात् दुराचार करने की स्वतंत्रता देना चाहता है. भागवत् पुराण में श्रीकृष्ण की बहुत सी लीलाओं का वर्णन है, पर यह राधा वहाँ भी नहीं है. राधा का वर्णन मुख्य रूप से ब्रह्मवैवर्त पुराण में आया है. यह पुराण वास्तव में कामशास्त्र है, जिसमें श्रीकृष्ण राधा आदि की आड़ में लेखक ने अपनी काम पिपासा को शांत किया है, पर यहाँ भी मुख्य बात यह है कि इस एक ही ग्रंथ में श्रीकृष्ण के राधा के साथ भिन्न-भिन्न सम्बन्ध दर्शाये हैं, जो स्वतः ही राधा को काल्पनिक सिद्ध करते हैं. देखिये- ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्मखंड के पाँचवें अध्याय में श्लोक 25,26 के अनुसार राधा को कृष्ण की पुत्री सिद्ध किया है. क्योंकि वह श्रीकृष्ण के वामपार्श्व से उत्पन्न हुई बताया है. ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रकृति खण्ड अध्याय 48 के अनुसार राधा कृष्ण की पत्नी (विवाहिता) थी, जिनका विवाह ब्रह्मा ने करवाया. इसी पुराण के प्रकृति खण्ड अध्याय 49 श्लोक 35,36,37,40, 47 के अनुसार राधाा श्रीकृष्ण की मामी थी. क्योंकि उसका विवाह कृष्ण की माता यशोदा के भाई रायण के साथ हुआ था. गोलोक में रायण श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था. अतः गोलोक के रिश्ते से राधा श्रीकृष्ण की पुत्रवधु हुई. क्या ऐसे ग्रंथ और ऐसे व्यक्ति को प्रमाण माना जा सकता है? हिन्दी के कवियों ने भी इन्हीं पुराणों को आधार बनाकर भक्ति के नाम पर शृंगारिक रचनाएँ लिखी हैं. ये लोग महाभारत के कृष्ण तक पहुँच ही नहीं पाए. जो पराई स्त्री से तो दूर, अपनी स्त्री से भी बारह साल की तपस्या के बाद केवल संतान प्राप्ति हेतु समागम करता है, जिसके हाथ में मुरली नहीं, अपितु दुष्टों का विनाश करने के लिए सुदर्शन चक्र था, जिसे गीता में योगेश्वर कहा गया है. जिसे दुर्योधन ने भी पूज्यतमों लोके (संसार में सबसे अधिक पूज्य) कहा है, जो आधा पहर रात्रि शेष रहने पर उठकर ईश्वर की उपासना करता था, युद्ध और यात्रा में भी जो निश्चित रूप से संध्या करता था. जिसके गुण, कर्म, स्वभाव और चरित्र को ऋषि दयानन्द ने आप्तपुरुषों के सदृश बताया, बंकिम बाबू ने जिसे सर्वगुणान्ति और सर्वपापरहित आदर्श चरित्र लिखा, जो धर्मात्मा की रक्षा के लिए धर्म और सत्य की परिभाषा भी बदल देता था. ऐसे धर्म-रक्षक व दुष्ट-संहारक कृष्ण के अस्तित्त्व को मानने की उदारता भी क्या भारत का सर्वोच्च न्यायालय और दुराग्रहग्रस्त इतिहास वेत्ता दिखाएंगे?




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लोकमत मे दयानन्द (भाग १) ✅महात्मा गांधी - महर्षि दयानन्द के लिए मेरा मन्तव्य है कि वे हिन्द के...

लोकमत मे दयानन्द (भाग १)

✅महात्मा गांधी - महर्षि दयानन्द के लिए मेरा मन्तव्य है कि वे हिन्द के आधुनिक ऋषियों मे , सुधारको मे श्रेष्ठ पुरुषों मे एक थे. उनका ब्रह्मचर्य, उनकी विचार स्वतंत्रता, उनका सबके प्रति प्रेम, उनकी कार्यकुशलता इत्यादि गुण लोंगों को मुग्ध करते है. उनके जीवन का प्रभाव हिन्दुस्तान पर बहुत ही पड़ा है.

✅माता कस्तूरबा - स्वामी दयानन्द के जीवन मे सत्य की खोज दिख पड़ती है इसलिए केवल आर्यसमाजियों के लिए ही नही वरन् सारी दुनियी के वे पूज्य है.

✅नेताजी सुभाषचन्द्र बोस - स्वामी दयानन्द उन महापुरुषों मे से थे जिन्होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया और उसके आचार संबंधि पुनुरुत्थान तथा धार्मिक पुनरुद्धार के कारण हुए.

✅डां रवीन्द्रनाथ ठाकुर - मैं आधुनिक भारत के मार्गदर्शक उस दयानन्द को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं जिसने देश को पतितावस्था मे सीधे व सच्चे मार्ग का दिग्दर्शन कराया.

✅साधु टी. एल. वासनानी - ऋषि के अप्रतिम ब्रह्मचर्य , सत्यसंग्राम और घोर तपश्चर्या के लिए अपने हृदय के पूज्य भावों से प्रेरित होकर मै उनकी वन्दना करता हूं. …..दयानन्द उत्कट देशभक्त थे, अत: मै राष्ट्रीय वीर समझ कर उनकी वन्दना करता हूं .

✅सर यदुनाथ सरकार - जब भारत के उत्थान का इतिहास लिखा जाएगा तो नंगे फकिर दयानन्द सरस्वती को उच्च आसन पर बैठाया जाएगा.

✅पंजाब केसरी लाला लाजपत राय - स्वामी दयानन्द मेरे गुरु है . मै ने संसार मे केवल उन्ही को गुरु माना है. वह मेरे धर्म के पिता है.

✅देवतास्वरुप भाई परमानन्द - स्वामी दयानन्द उन रौशनी के मिनारो में से एक है जो संसार को सत्य मार्ग दिखाने के लिए आते है और भटकते लोगों को मार्ग दिखाकर चले जाते है.

✅प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक रोम्याँ रोला - ऋषि दयानन्द ने भारत के शक्तिशून्य शरीर मे दुर्द्धर्ष शक्ति , अविचलता तथा पराक्रम फूँक दिये हैं.

✅लौह पुरुष सरदार पटेल - वह देश के विभूति-रुप थे. उन्होंने आर्य संस्कृति की रक्षा, वेदों का पुनरुद्धार और आर्ष शैली से प्रचार किया. आर्येत्तर जनों को भी आर्य धर्म मे दीक्षित हो जाने का अधिकार दिया, यह उनकी विशेषता थी.

✅अनन्तशयनम् अय्यंगार - यदि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता है तो महर्षि दयानन्द राष्ट्रपितामह. महर्षि दयानन्द ने देश की स्वतंत्रता , विदेशी शासन के निवारण तथा स्वधर्म और संस्कृति के प्रेम की प्रेरणा और मंत्र दिया . स्वामी जी ने सारे विश्व को आर्य बनाने की प्रेरणा दी.

✅सर सय्यद अहमद खाँ - स्वामी दयानन्द महान् संस्कृतज्ञ और वेदज्ञाता थे. वे विद्वान ही नही अपितु एक अत्यन्त श्रेष्ठ पुरुष भी थे. वे परमहंस के गुणों से विभूषित थे. उन्होंने केवल एक ज्योतिर्मय निराकार परमेश्वर की अराधना करने की शिक्षा दी . हमारा स्वामी जी से घनिष्ठ सम्बंध था, और हम उनका आदर करते थे. वे एेसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे कि अन्य मतावलम्बी भी उनका मान करते थे. वह एेसे पुरुष थे कि जिनके समान इस समय भारत में नहीं मिल सकता.

✅श्रीमति खदीजा बेगम एम. ए. - महर्षि दयानन्द भारत माता के उन प्रसिद्ध और उच्च आत्माओं में से थे, जिसका नाम संसार के इतिहास में सदा चमकते हुए सितारों की तरह प्रकाशित रहेगा. वे भारत माता के उन सपूतों में से थे कि दिनके व्यक्तित्व पर जितना भी अभिमान किया जाये थोड़ा है.

✅लाला हरदयाल जी एम. ए. - भारतवर्ष के इतिहास में स्वामी जी का नाम बड़े सुधारकों की पवित्र श्रेणी में सोने के अक्षरों से लिखा जायेगा.

✅आनरेबल राजा सर मोतीचन्द्र - मैं आर्यसमाजी नही हूं पर स्वामी जी को हिन्दू जाति का रक्षक मानता हूं. उन्होंने गिरती हुई हिन्दू जाति को बचा लिया. लोगों की आंखें खोल दीं उनकी बदौलत वेदों का पढ़ना पढाना शुरु हुआ. संस्कृत और हिन्दी का प्रचार बढ़ गया. प्राचीन संस्कारों को लोग समझने लगे. हिन्दूओं मे आर्यत्व आ गया. यह प्रकाश दयानन्द-रुपी सूर्य से मिला है. इसलिए हम लोग सदा उनके अनुगृहित रहेंगे.

साभार :- दिव्य दयानन्द

……………………धर्म प्रकाश आर्य (9204411229)




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Wednesday, January 14, 2015

आचार्य दर्शनेय लोकेश जी WhatsApp से आज एक सन्देश मिला है। उसी एक सन्देश का अंश - “… मकर...

आचार्य दर्शनेय लोकेश जी

WhatsApp से आज एक सन्देश मिला है। उसी एक सन्देश का अंश - “… मकर सक्रांति … पृथ्वी आज से दक्षिण से उत्तर की दिशा में आने से दिन बड़े होने आरम्भ होते है। ” अनुशीलन- उपरोक्त सब बातें सर्वथा गलत हैं। कैसे भी किन्तु मकर संक्रान्ति और उत्तरायण एक ही दिन के नाम हैं और वह दिन सूर्य की दक्षिण परम क्रान्ति का दिन अर्थात 21 या 22 दिसम्बर का होता है.स्वाभाविक है कि वही दिन शिशिर ऋतु और माघ मास की संक्रान्ति का भी होता है.विद्वानों से निवेदन है कि समाज को ऐसी गलत बात न उपदेश करें जिसको आप गणित, वेध और शास्त्र से सिद्ध न कर सकें। एक सेलेकर 31 जनवरी तक मकर संक्रान्ति न कभी हुई है और न हो ही सकती है। आम लोगों को ही नहीं विद्वानों को भी भ्रम हैकि यही त्यौहार ऐसा है जो हमेशा निश्चित 14 ही जनवरी को होता है। इस विषय पर फिर आपको लिखा जायेगा। सच्चाई ये है कि ये दिन प्रति 72 वर्ष में + होता जाता है और एक समय ऐसा आएगा की आपकी संतनि भयंकर गर्मी की ऋतु में कम्बल और खिचड़ी बाँट रही होंगी। जून -जुलाई में मन रही होगी मकर संक्रांति। हम एक ऐसे सांस्कृतिक कुपोषण के शिकार हो चुके हैं जो हमें आज मकर संक्रांति मनवा रहा है जब कि सैद्धांतिक (शास्त्रीय), गणितीय और प्रायोगिक (वेधसिद्ध) तौर पर दक्षिण परमक्रांति से प्रभावित (घटित) यह दिवस 22 दिसंबर को था और हाँ 18 जनवरी की रात्रि जो कि वास्तविक महा शिव रात्रि की रात्रि है उसे नहीं बताया जा रहा है। दुनिया को ज्ञान देने वाले खुद कितने बड़े ज्ञान में हैं कि इतना भी पता नहीं कि आज मकर संक्रांति हो ही कैसे सकती है। दिन का बढ़ाना क्यों होता है औरकी दिन से होता है? देखो तो सही कि आज सूर्य की क्रांति कितनी है और उस क्रांति से उत्तरायण होना संभव है क्या? भीष्म पितामह माघ आता देख कर अहो! अहो! भाव से बोल पड़ते हैं, “माघो एस यं सम्प्राप्तो माष श्रेष्ठः युधिष्ठर:” जानने की बात ये है कि उनको इच्छामृत्यु के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा थी तो माघ के आने की बात कह कर क्यों खुश हो रहे है? क्योंकि उत्तरायण और माघसङ्क्रान्ति एक ही दिन के दो नाम हैं, इसलिए। पुनः सूर्य सिद्धांत कह रहा है, “भानोर्मकर संक्रान्तेः षण मासाः उत्तरायणम् ………. (सूर्य की मकर संक्रांति के दिन से पूरे छह महीने उत्तरायण के होते हैं) क्यों कहा गया है ऐसा? क्योंकि उत्तरायण और माघसङ्क्रान्ति या मकर संक्रांति एक ही दिन के दो नाम हैं, इसलिए। अस्तु, निवेदन है कि सांस्कृतिक प्रदुषण से बचें। अपने त्यौहार सही और वेदोपदिष्ट ऋतुबद्ध पंचांग (श्री मोहन कृति आर्ष तिथि पत्रक ) के अनुसार सही निर्धारण पूर्वक मनाएं। धन्यबाद।




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योगदर्शन सूत्र २ योगश्चित्त्वृत्तिनिरोध: ।।२।। पूर्व के सूत्र में योग का अनुशासन बताया,अब योग है...

योगदर्शन सूत्र २

योगश्चित्त्वृत्तिनिरोध: ।।२।।

पूर्व के सूत्र में योग का अनुशासन बताया,अब योग है क्या इस पर चरचा होती है।

योगः चित्त वृत्ति निरोधः

योग है चित्त वृत्ति निरोध।

अब समझते हैं चित्त क्या है!

कोई कोई चित्त को मात्र कल्पना या विचारों का समूह मानते हैं,इसका तात्विक अस्तित्व नही मानते;जबकि ये एक तत्वों से निर्मित अवयव एक साधन है जीवात्मा के लिए जो उसके सम्पर्क में सबसे पहले आता है क्यूंकि वह उसके सबसे निकट है।

जैसे ५ ज्ञानेन्द्रियाँ ५ कर्मेन्द्रियाँ प्रत्यक्ष अनुभव में आने वाले साधन हैं,वैसे ही मन,बुद्धि,चित्त,अहंकार ये ४ भी आत्मा के साधन हैं;अन्तर मात्र इतना है कि इन्द्रियां बहरी साधन हैं और ये ४ भीतरी सो साधन को करण कहनेसे इन्द्रियां बाहरी और उक्त ४ भीतरी अर्थात् अन्तःकरण हुए।

कुछ विद्वानों ने समान विषयी होने से बुद्धि और चित्त को एक ही में समाहित मान लिया है और कोई कोई ४ को एक में ही समाहित मानते हैं,नामकरण कुछ भी करें अन्तःकरण पर सभी एकमत हैं।

यहाँ आप समझने की सुविधा हेतु इन चारो को कुछ समय के हेतु १ मान सकते है,यहाँ जहाँ भी मैं मनबुद्धिचित्त बोलूं या अन्तःकरण आप चित्त समझ लेना,इससे सुविधा होगी।

स्पष्ट हुआ चित्त अन्तःकरण है आत्मा का एक साधन कोई काल्पनिक नहीं है।

वृत्ति का अर्थ व्यापार,व्यापार का अर्थ कार्य है तो चित्त की वृत्ति का अर्थ चित्त के कार्य हैं।

चित्त के क्या कार्य हैं इस पर चरचा अग्रिम अंक में करेंगे। सूत्र व्याख्या शेष क्रमशः।। ॐ।।




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Tuesday, January 13, 2015

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ज़रूर पढ़ें और सयानी होती बेटियों को भी पढ़ायें। क्यों करता है भारतीय समाज बेटियों की इतनी...

ज़रूर पढ़ें और सयानी होती बेटियों को भी पढ़ायें।


क्यों करता है भारतीय समाज बेटियों की इतनी परवाह…


एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई।

चेहरे पर झलकता आक्रोश


संत ने पूछा बोलो बेटी क्या बात है

बालिका ने कहा- महाराज हमारे समाज में लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती।

इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ आदि।

संत मुस्कुराए और कहा…

बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं? ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहते हैं।

इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता और इनकी कीमत पर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता। लड़कों के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में।


अब तुम चलो एक ज्वेलरी शॉप में। एक बड़ी तिजोरी, उसमें एक छोटी तिजोरी। उसमें रखी छोटी सुन्दर सी डिब्बी में रेशम पर नज़ाकत से रखा चमचमाता हीरा।

क्योंकि जौहरी जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी।


समाज में बेटियों की अहमियत भी कुछ इसी प्रकार की है। पूरे घर को रोशन करती झिलमिलाते हीरे की तरह।

जरा सी खरोंच से उसके और उसके परिवार के पास कुछ नहीं बचता।

बस यही अन्तर है लड़कियों और लड़कों में।


पूरी सभा में चुप्पी छा गई।

उस बेटी के साथ पूरी सभा की आँखों में छाई नमी साफ-साफ बता रही थी लोहे और हीरे में फर्क।।(RSS)please read this SMS and show to our daughters….& sisters




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10 TYPES OF SHUDDHIS/PURIFICATIONS :- 1. Body gets purified by WATER and EXERCISE… 2. Breath...

10 TYPES OF SHUDDHIS/PURIFICATIONS :-


1. Body gets purified by WATER and EXERCISE…


2. Breath gets purified by_

PRAANAAYAM…


3. Mind gets purified by MEDITATION…


4. Intellect gets purified by KNOWLEDGE…


5. Memory gets purified by MANAN and CHINTAN…


6. Ego gets purified by SEVA(SERVICE)…


7. Self gets purified by SILENCE(MAUN)…


8. Food gets purified by POSITIVE THOUGHTS WHILE COOKING and EATING…


9. Wealth gets purified by GIVING/DONATING…


10. Bhav (feelings) gets purified by LOVE…




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खोपड़ी ना हिल जाये तो कहना :, गाँधीजी के जीवन के अंतिम क्षणों तक १५ साल की उम्र में गाँधी जी वेश्या...

खोपड़ी ना हिल जाये तो कहना :, गाँधीजी के जीवन के अंतिम क्षणों तक

१५ साल की उम्र में गाँधी जी वेश्या की चोखट से हिम्मत न जुटा पाने के कारण वापस लौट आये .

१६ साल की उम्र में पत्नी से सम्भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाए जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे .

२१ साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर विकारग्रस्त होता है .

२८ साल की उम्र में हब्सी स्त्री के पास जाते है लेकिन शर्मसार होकर वापिस आ जाते है .

३१ साल की उम्र में १ बच्चे के पिता बन जाते है .

४० साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी के साथ आत्मीयता महसूस करते है ,

४१ साल की उम्र में मोड नाम की लड़की से प्रभवित होते है .

४८ की उम्र में २२ साल की एस्थर फेरिंग के मोहजाल में फंस जाते है .

५१ की उम्र में ४८ साल की सरला देवी चोधरानी के प्रेम में पड़तेहै .

५६ की उम्र में ३३ साल की मेडलिन स्लेड के प्रेम में फंसते है .

६० की उम्र में १८ साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा के माया जाल में फंस जाते है .

६४ की उम्र में २४ साल की अमेरिकाकी नीला नागिनी के संपर्क में आते है .

६५ की उम्र में ३५ साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाते है .

६९ की उम्र में १८ साल की डॉक्टर शुशीला नैयर से नग्न होकर मालिश करते है.

७२ की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर,पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम ,कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते है .

७६ की उम्र में १६ साल की आभा .वीणा और कंचन नाम की युवतिओं को नग्न होने को कहते है . जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है .

७७ की उम्र मे महात्मा गाँधी अपनी पोती मनु की साथ नोआखाली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते है . और

७९ के गाँधी जी महात्मा जीवन के अंतिम क्षणों तक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर सोते है………………….

आपको इनके बारे मे क्या कहना है??

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड पराई जाणे रे।




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Monday, January 12, 2015

क्या होता है लड़कियों का खतना और क्यूँ होता है..!!! महिलाओं के ख़तने में महिला जननांगों के क्लिटोरिस...

क्या होता है लड़कियों का खतना और क्यूँ होता है..!!! महिलाओं के ख़तने में महिला जननांगों के क्लिटोरिस का हिस्सा काट दिया जाता है या यदि बर्बर रूप से बयां किया जाए तो महिला जननांग का बाहर रहनेवाला सारा हिस्सा काट दिया जाता है और मात्र मूत्रत्याग और रजोस्राव के लिए छोटा द्वार छोड़ दिया जाता है. ऐसे में लड़कियों का खतना करते समय कई बार जटिलता की वजह से मौते भी हो जाती है. लेकिन दर्द और भय का डर यहीं खत्म नही होता.लड़कियों का खतना होने के बाद उसे जीवन भर संभोग करते समय और बच्चे पैसा करते समय भयानक पीडा से गुजरना पड़ता है जिसकी कल्पना मात्र से ही आपकी रुह कांप उठेगी.लड़कियों का खतना करने के पीछे की मानसिकता यह है कि इससे महिलाओं में विवाह पूर्व संबंध बनाने की इच्छा खत्म होगी. अब जब मात्र पति से संभोग करने में बच्चा पैदा करने से भी ज्यादा दर्द हो तो कौन भला पराए मर्द पर नजरे जडाए. पुरुषवादी समाज का यह स्त्रियों पर सबसे बड़ा अत्याचार माना जा सकता है. खतने के दौरान जो दर्द मासूम बच्चों को होता है उसे धार्मिक अनुष्ठान या धार्मिक क्रिया-कर्म का नाम देना गलत है. लोगों को समझना होगा कि अब हम एक नए युग में जी रहे हैं. जहां तक बात रही साफ-सफाई की तो खतना से कोई खास फर्क नहीं पड़ता और महिलाओं का तो खतना होना ही नहीं चाहिए. जो समुदाय अपने पर्व पर गायों और अन्य पशुओं को मारकर खाए, जो महिलाओं को पर्दे में रहने का आदेश जारी करें, जो खतना जैसी अमानवीय कृत्य का समर्थक हो वह कभी इंसानियत का दोस्त नहीं हो सकता. और अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात खतना का जिक्र कुरान में है ही नहीं फिर किस आधार पर इस्लाम ने इस क्रुर प्रकिया को अपना रखा है.




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इस्लाम में स्त्री एक वस्तु के समान है जिसे बदला जा सकता है पैगम्बर की एक प्रसिद्ध परंपरा भी है जो कि...

इस्लाम में स्त्री एक वस्तु के समान है जिसे बदला जा सकता है

पैगम्बर की एक प्रसिद्ध परंपरा भी है जो कि कातिब अल वकीदी से संबंधित है और जिसको मुल्ला लोग मुस्लिम भाई चारे की घोषणा के लिए गर्व से बताते हैं:

‘‘ मेरी दो पत्नियों की ओर देखो और इनमें से तुम्हें जो सर्वाधिक अच्छी लगे उसे चुन लो । ’’

इस भाई चारे का प्रदर्शन मदीने के एक मुसलमान ( अंसार ) ने एक प्रवासी मुसलमान से उस समय किया था । जब पैगम्बर ने अपने अनुयायियों समेत मक्का से भागकर मदीने में शरण ली थी । यह प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया गया था और भेटकर्ता ने अपनी उस पत्नि को तलाक दे दिया था जिसको प्रस्ताव के स्वीकारकर्ता व्यक्ति ने चुना था ।




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केवल पुरुष को तलाक का अधिकार इस्लाम में केवल पुरूष को तलाक का अधिकार दिया गया है । महिला को इस विषय...

केवल पुरुष को तलाक का अधिकार

इस्लाम में केवल पुरूष को तलाक का अधिकार दिया गया है । महिला को इस विषय में कोई अधिकार नहीं है । इस्लाम में महिला को केवल भरण पोषण का अधिकार दिया गया है । यदि एक महिला के १० बच्चें हैं व पुरूष उसे किसी भी बात पर तलाक की धमकी देता है तो यह विचारणीय विषय है कि उस महिला की क्या हालत हो जाएगी । उसकी हालत उस बकरी की तरह होगी जिसके सामने कसाई सदैव छुरा लिए ‌खड़ा रहता हो ।




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बलात्कार हुई महिला की स्थिति जिस महिला का बलात्कार होता है वह पुलिस में जाती है तो आरोपी द्वारा उस...

बलात्कार हुई महिला की स्थिति

जिस महिला का बलात्कार होता है वह पुलिस में जाती है तो आरोपी द्वारा उस पर यह आरोप लगाया जाता है कि उसे संभोग करने के लिए महिला द्वारा उकसाया गया है । उल्टे महिला पर इस्लाम के कानून की धार लटक जाती है । उल्लेखनीय है कि इसमें परिस्थितिजन्य साक्ष्य का कोई स्थान नहीं है । इस कानून के कारण मुस्लिम देशों में हजारो महिलाओं को हर साल जिना का आरोपी मानकर पत्थर मार मार कर हत्या कर दी जाती है ।किसी महिला का बलात्कार होने की स्थिति में आरोपी को दण्ड तभी दिलाया जा सकता है जब

१-वह आरोपी स्वयं अपना अपराध मान ले

२- चार पुरूष गवाह मिलें ।

सामान्यतः ये दोनों ही बातें असम्भव है इसी कारण मुस्लिम देशों में महिला को ही जिना का आरोपी मानकर पत्थर मारकर मारने की सजा सुनाई गयी है । स्पष्ट है कि यह कानून मूर्खता का पराकाष्ठा है पर इस्लाम में किसी भी सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है । शरीयत के कानून को मुसलमान सर्वश्रेष्ठ मानते हैं ।




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इस्लाम में स्त्री को केवल भोग की वस्तु माना गया है । उसे केवल भरण पोषण का अधिकार दिया गया है जैसा कि...

इस्लाम में स्त्री को केवल भोग की वस्तु माना गया है । उसे केवल भरण पोषण का अधिकार दिया गया है जैसा कि एक गुलाम को दिया जाता है । भारत के सभी जागरूक लोगों से अपील है कि भारत में रहने वाली इन दस करोड़ मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए महिला आयोग व सरकार पर दबाव बनाएं ।




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मिस्र को इजिप्ट ( Egypt) भी कहा जाता है . यह इस्लामी देश है , लेकिन यहाँ कुछ ऐसे ईसाई भी रहते हैं...

मिस्र को इजिप्ट ( Egypt) भी कहा जाता है . यह इस्लामी देश है , लेकिन यहाँ कुछ ऐसे ईसाई भी रहते हैं ,जो इस्लाम के पूर्व से ही यहाँ रहते आये हैं .इनको ” कोप्टिक ईसाई - Coptic Christian “कहा जाता है . अरबी में इनको” नसारा ” कहते हैं .मुस्लमान अक्सर इनकी लड़कियों का अपहरण करके बलात्कार करते रहते है . यह सन 2009 की घटना है . कुछ मुस्लिम युवकों ने एक ईसाई लड़की को बीच रस्ते से पकड़ लिया , और सबके सामने उसकी जींस उतार कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया .जब लड़की ने भागने का प्रयत्न किया तो दर्शक मुसलमान चिल्लाये पकड़ो , नसारा को पकड़ो . और जब उस लाचार लड़की से बलात्कार हो रहा था , तो वहां कुछ मुल्ले भी मौजूद थे , जो कलमा पढ़ रहे थे ” ला इलाहा इल्लालाह , मुहम्मदुर रसूल अल्लाह “यही नहीं लड़की दर्द के कारण जितनी जोर से चिल्लाती थी . मुसलमान उतनी ही जोर से “अल्लाहु अकबर ” का नारा लगाते थे . यही नहीं इन दुष्ट मुसलमानों में इस घटना का विडियो भी बना लिया था . जो किसी तरह से 11/4/2013 को लोगों के सामने आ सका है .यह विडियो इस साईट में उपलब्ध है , Video:Christian Girls Gang Raped to Screams of “Allahu Akbar” in Egypt




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था सूर्य चमकता हिंदूओ का , घनघोर बदरिया डरती थी । था शेर गरजता सीमाओं पर , बिजली भी आहे भरती थी । है...

था सूर्य चमकता हिंदूओ का ,

घनघोर बदरिया डरती थी ।

था शेर गरजता सीमाओं पर ,

बिजली भी आहे भरती थी ।

है खून वही उन नब्जो मे ,

फिर क्यों वर्षों से सोते हो ।

लूटा है चंद सियारो ने ,

फिर क्यों इन्हे मौका देते हो ।

अब चीर दो सीना गद्दारो के,

तलवार वही पुरानी है ।

रक्षक हो तुम इस भारत के ,

ललकार रही भवानी है

।।जय श्री राम।।




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ईश्वर कभी पाप आदि में किसी प्रकार की छुट नहीं देता है, ना ही किसी प्रकार की स्कीम निकालते है, की...

ईश्वर कभी पाप आदि में किसी प्रकार की छुट नहीं देता है, ना ही किसी प्रकार की स्कीम निकालते है, की गंगा में डुबकी लगाओ पाप धुल जायेंगे, या हिमालय पर जाकर एक टांग पर खड़े रहकर तपस्या करो पाप धुल जायेंगे


कर्म फल का सिधांत कभी बदलता नहीं आपने जैसा कर्म किया है उसके आधार पर आपको फल भी मिलेगा


इसलिए हम मनुष्यों कर कर्तव्य है की हम सही पथ पर चले और धर्म में ही जिए, अधर्म ना करें


यजुर्वेद अध्याय २ मन्त्र २८


मनुष्य द्वारा किये गए पाप गंगा आदि नदियों में डूबकी लगाने से नहीं धुलते, जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे


अग्ने॑ व्रतपते व्र॒तम॑चारिषंन्तद॑शकंन्तन्मे॑राधीदम॒हँयऽए॒वास्मि॒ सो॑स्मि ॥२-२८॥


भावार्थ:- मनुष्य को यही निश्चय करना चाहिये कि मैं अब जैसा कर्म करता हूं, वैसा ही परमेश्वर की व्यवस्था से फल भोगता हूं और भोगूँगा। सब प्राणी अपने कर्म से विरूद्ध फल को कभी नहीं प्राप्त होते, इससे सुख भोगने के लिये धर्मयुक्त कर्म ही करना चाहिये कि जिससे कभी दुःख नहीं हो।।


इस पृष्ठ पर सुचीवर नित्य एक वेद मन्त्र भाष्य सहित हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया जाता है आपसे करबद्ध निवेदन है की आप उसे अधिक से अधिक शेयर करें


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Sunday, January 11, 2015

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"कितने अजीब है वो … शैतानो को कंकड़ से मारते है और इंसानों को AK-56 से …"

“कितने अजीब है वो … शैतानो को कंकड़ से मारते है और इंसानों को AK-56 से …”

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"मंदिर शास्त्र, शस्त्र और शास्त्रार्थ के लिए है ना कि जड़ पूजा, आडम्बर और पाखंड के दिखावे के लिए"

“मंदिर शास्त्र, शस्त्र और शास्त्रार्थ के लिए है ना कि जड़ पूजा, आडम्बर और पाखंड के दिखावे के लिए”

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Friday, January 9, 2015

अंतर्ज्योति जगे जब मन में । जगमग ज्योति जगे जीवन में ।। ज्योतिर्मय है ओउम् प्रकाश । करता पाप ताप का...

अंतर्ज्योति जगे जब मन में ।

जगमग ज्योति जगे जीवन में ।।


ज्योतिर्मय है ओउम् प्रकाश ।

करता पाप ताप का नाश ।।


इसमें योगी ध्यान रमाते ।

और इससे है परम पद पाते ।।


अमृत स्त्रोत बहे जब भीतर ।

चंचल चित्त हो वश में शीतल ।।


शोधन बोधन तब हो पावे ।

ओउम् नाम जब सहज समावे ।।


सुमित आर्य




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मम्मी डाँट रहीं थी तो कोई चुपके से हँसा रहा था, वो थे पापा… . जब मैं सो रहा था तब कोई ...

मम्मी

डाँट रहीं थी

तो

कोई चुपके से

हँसा रहा था,

वो थे पापा…

.

जब

मैं सो रहा था

तब कोई

चुपके से

सिर पर हाथ

फिरा रहा था ,

वो थे पापा…

.

जब

मैं सुबह उठा

तो

कोई बहुत

थक कर भी

काम पर

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

खुद

कड़ी धूप में

रह कर

कोई

मुझे ए.सी. में

सुला रहा था ,

वो थे पापा…

.

सपने

तो मेरे थे

पर उन्हें

पूरा करने का

रास्ता

कोई और

बताऐ

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

मैं तो

सिर्फ

अपनी

खुशियों में

हँसता हूँ,

पर

मेरी हँसी

देख कर

कोई

अपने गम

भुलाऐ

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

फल

खाने की

ज्यादा

जरूरत तो

उन्हें थी,

पर

कोई मुझे

सेब

खिलाए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

खुश तो

मुझे होना चाहिए

कि

वो मुझे मिले ,

पर

मेरे

जन्म लेने की

खुशी

कोई और

मनाए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

ये दुनिया

पैसों से

चलती है

पर

कोई

सिर्फ मेरे लिए

पैसे

कमाए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

घर में सब

अपना प्यार

दिखाते हैं

पर

कोई

बिना दिखाऐ भी

इतना प्यार

किए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

पेड़ तो

अपना फल

खा नही सकते

इसलिए

हमें देते हैं…

पर

कोई

अपना पेट

खाली रखकर भी

मेरा पेट

भरे जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

मैं तो

नौकरी के लिए

घर से बाहर

जाने पर

दुखी था

पर

मुझसे भी

अधिक

आंसू

कोई और

बहाए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

.

मैं

अपने

“बेटा ” शब्द को

सार्थक

बना सका

या नही..

पता नहीं…

पर

कोई

बिना स्वार्थ के

अपने

“पिता” शब्द को

सार्थक

बनाए

जा रहा था ,

वो थे पापा…

Share जरूर करना ताकि और लोग भी पढ

सके॥




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1 दिसंबर से एटीएम मुफ्त ट्रांजैक्शन को सीमित कर दिया गया है। अगर आप 5 से ज्यादा ट्रांजैक्शन करेंगे...

1 दिसंबर से एटीएम मुफ्त ट्रांजैक्शन

को सीमित कर दिया गया है। अगर आप 5 से

ज्यादा ट्रांजैक्शन करेंगे तो हर बार

आपको कुछ कीमत चुकानी पड़ेगी, फिर चाहे

आपको बैंक से पैसा निकालना हो या फिर

महज अकाउंट बैलेंस चेक करना हो।

लिहाजा हम आपको बताने जा रहे हैं

कि अकाउंट बैलेंस जानने के लिये अब

आपको बैंक, बैंक एटीएम तक

नहीं जाना होगा और न ही आपको इंटरनेट

बैंकिंग या फोन बैंकिंग में लॉग इन

करना होगा। बस एक मिस्डकॉल काफी है।

जी हां हम आपके सामने कुछ

बैंकों की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, अगर

आपका अकाउंट इनमें से किसी भी बैंक में है,

तो आप बस दिये गये नंबर पर मिस्ड कॉल

दीजिये। थोड़ी ही देर में आपके पास बैंक से

एसएमएस आ जायेगा और आपको बैंक बैलेंस

पता चल जायेगा। बस जरूरी यह है कि जिस

मोबाइल से आप मिस्ड कॉल देंगे, वह नंबर

आपके बैंक में रजिस्टर्ड होना चाहिये।

1. ऐक्सिस बैंक- 09225892258

2. आंध्रा बैंक - 09223011300

3. इलाहाबाद बैंक - 09224150150

4. बैंक ऑफ बड़ौदा- 09223011311

5. भारतीय महिला बैंक-09212438888

6. धनलक्ष्मी बैंक- 08067747700

7. आईडीबीआई बैंक- 09212993399

8. कोटक महींद्रा बैंक- 18002740110

9. सिंडीकेट बैंक- 09664552255

10. पंजाब नेशनल बैंक- 18001802222

11. आईसीआईसीआई बैंक- 02230256767

12. एचडीएफसी बैंक- 18002703333

13. बैंक ऑफ इंडिया- 02233598548

14. केनरा बैंक- 09289292892

15. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया- 09222250000

16. कर्नाटका बैंक-18004251445

17. इंडियन बैंक- 09289592895

18. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया- 1800112211 एवं

18004253800 (इसमें आपको आईवीआर के

माध्यम से बैंक बैलेंस बताया जायेगा।)

19. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 09223009292

20. यूको बैंक- 09278792787

21. विजया बैंक- 18002665555

22. यस बैंक- 09840909000




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आओ मिलकर हम सब वैदिक धर्म बचाएं । दयानन्द के सपनों सा भारत राष्ट्र बनाएं।। अंधकार से भरे सम्पूर्ण...

आओ मिलकर हम सब वैदिक धर्म बचाएं ।

दयानन्द के सपनों सा भारत राष्ट्र बनाएं।।

अंधकार से भरे सम्पूर्ण जगत को उठाएं।

वैदिक धर्म के ज्ञान की ज्योति जलाएं।।

कुरीतियों के भ्रम जाल को समूल मिटाएं।

जिनमे जलाईं न जाने कितनी अबलाएं।।

आओ मिलकर हम सब वैदिक धर्म बचाएं।

दयानन्द के सपनो सा भारत राष्ट्र बनाएं।।

शिक्षा का सबको पूर्ण अधिकार दिलाएं।

अधर्म की सम्पूर्ण जड़ों को जग से मिट्वाएं।।

जिस कारण पाखंडों ने जग मैं पैर जमाए।

यज्ञ हवन की शुद्ध सुगंधी सब दिश फैलाएं।।

आओ मिलकर हम सब वैदिक धर्म बचाएं।

दयानन्द के सपनो सा भारत राष्ट्र बनाएं।।

आर्यव्रत के अरिदलों को दयानंदी हुंकार सुनाएं।

आओ मिलकर हम सब आर्य व्रत राष्ट्र बनाएं।।

गुरुकुलीय परम्परा को घर घर में पहुचाएं।

आश्रम व्यवस्था पुनः जीवन में अपनाएं।।

आओ मिलकर हम सब वैदिक धर्म बचाएं।

दयानंद के सपनों सा भारत राष्ट्र बनाएं।। सुमित आर्य




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सुभाष सिंह ‘सुमन’ जी लिखते हैं :- वो हिज़ाब पर प्रतिबंध को स्वतंत्रता का हनन बताते हैं...

सुभाष सिंह ‘सुमन’ जी लिखते हैं :-


वो हिज़ाब पर प्रतिबंध को स्वतंत्रता का हनन बताते हैं और घूँघट से उनको नारी क़ैद होते दिखती है. चार्ली हेब्दो के कार्टून उन्हें बेहूदा दिखते हैं और हुसैन की पेंटिंग रचनात्मक. मंदिरों में दिये दान को वो बर्बादी बताते हैं मगर ज़क़ात के लिए उनके पास तर्क होते हैं. अब मान भी लीजिए, कि ये तालिबानी नस्ल की हरम में पैदा हुवे उदारवादी हैं.




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Thursday, January 8, 2015

मख प्रबन्धन.. 31 श्रीयंत्र का ध्यान मन्त्र एक दिव्य उद्योग चक्र की प्रकल्पना देता है। देव गुणों का...

मख प्रबन्धन.. 31


श्रीयंत्र का ध्यान मन्त्र एक दिव्य उद्योग चक्र की प्रकल्पना देता है। देव गुणों का सार ‘दिव्य’ है। परा स्थल वाक् का उद्गम होता है। परा- उससे पार परापार अव्यक्ता वाक् स्थल है वर्तमान अध्यात्म शोध जो टखने-टखने पानी की साधारण सी महेश योगी और शिवबाबा संस्थान की साधनाएं (?) हैं के परिणाम भी अद्भुत दर्शाती हैं। यह विज्ञानकृत शोध मस्तिष्क की कोषिकाओं के नव क्षेत्र जागृत कर उसकी क्षमता बढ़ाती हैं। ये साधनाएं पश्यन्ती-वैखरी स्त्तर की चेतना को विस्तार देती लाभ प्रद हैं। पश्यन्ती तक तनिक सी इनकी पहुंच भर है। साधना क्षेत्र तो मात्र मध्यमा वैखरी है।


श्री यन्त्र परा व्योम ऋचाक्षर (वेद के मन्त्रों के अर्थ भाव स्थल) से उद्भूत गुण प्रबन्धन को अभिव्यक्त करता है। यहां दिव्य शब्दों के दिव्य अर्थ अवतरित होते हैं। ये सुधवल अरुण चक्र का प्रवहण करते कार्य में उतरते हैं। सुधवलता परिशुद्धि की पराकाष्ठा है। शून्य त्रुटि को धवल कहा जा सकता है। सुधवल गुण मात्र से परिपूर्ण रामायण में राम के चरित्र के समान गुणपालन को कहा जा सकता है। अरुण का तात्पर्य सुधवलता का आकर्षक विकास है। मूल आदि बिन्दु से रेखा तल आयतन तक विकसित तथा इनमें समाहित कलात्मिकता का मूलाधान से आज्ञा (नौ चक्रों) तथा सहस्रार से परम (आठ ब्रह्म चक्रों) का जागृत पुरुष जब परिपूर्ण प्रयोग करता है तो एक उद्योग स्थापित होता है। जिसके कल पुर्जे संसाधन उपकरण सुक्ष्माकारित वक्रित सटीक सृजनमय अन्तस के करणों से सुसंचालित होते ‘श्रीचक्र’ को यथार्थ पर उतारते हैं तो यह व्यवस्था सतत धारण करने योग्य नमन करने योग्य होती है। यह ध्यान मन्त्र ध्येय मन्त्र है। ऐसा उद्योगचक्र ब्रह्म संचालित ब्रह्मांड और आत्म संचालित पिंड (शरीर) में दर्शनीय है। श्रीयन्त्रोद्धार तथा श्रीयन्त्र का ध्यान मन्त्र अनेकानेक प्रबन्धन विधाओं से संसिक्त है।




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भविष्य पुराण में इस्लाम के बारे में मुहम्मद के जन्म से भी कई हज़ार वर्ष पहले बता दिया गया...

भविष्य पुराण में इस्लाम के बारे में मुहम्मद के जन्म से भी कई हज़ार वर्ष पहले बता दिया गया था।

„,

लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी सदूषकः।

उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनो मम।। 25।।

विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मतामम।

मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति ।।26।।

तस्मान्मुसलवन्त ो हि जातयो धर्मदूषकाः।

इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः ।। 27।।


(भविष्य पुराण प्रतिसर्गपर्व, तृतीय खण्ड, अध्याय 1, श्लोक


25, 26, 27),

,


5 हज़ार वर्ष पहले भविष्य पुराण में स्पष्ट लिखा है।

इसका हिंदी अनुवाद:

……

रेगिस्तान की धरती पर एक”पिशाच”जन्म लेगा जिसका नाम महामद (मोहम्मद) होगा, व ऐसे धर्म कीनींव रखेगा जिसके कारण मानव जाति त्राहि माम कर उठेगी। वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा। उस धर्म के लोग अपने लिंग के

अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी ) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे पर मूँछ नहीं रखेंगे। वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति को नाश करने की चेष्टा करेंगे।

राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवँ वे अपने को मुसलमान कहेंगे




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चौदह वर्षों तक वन में जिसका धाम था।। मन-मन्दिर में बसने वाला शाकाहारी राम था।। चाहते तो खा सकते...

चौदह वर्षों तक वन में

जिसका धाम था।।


मन-मन्दिर में बसने

वाला शाकाहारी राम था।।


चाहते तो खा सकते थे

वो मांस पशु के ढेरो में।।


लेकिन उनको प्यार मिला

’ शबरी’ के झूठे बेरो में॥


चक्र सुदर्शन धारी थे

गोवर्धन पर भारी थे॥


मुरली से वश करने वाले

‘गिरधर’ शाकाहारी थे॥


पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम

चोटी पर फहराया था।।


निर्धन की कुटिया में जाकर जिसने मान बढाया था॥


सपने जिसने देखे थे

मानवता के विस्तार के।।


नानक जैसे महा-संत थे

वाचक शाकाहार के॥


उठो जरा तुम पढ़ कर

देखो गौरवमयी इतिहास को।।


आदम से गाँधी तक फैले

इस नीले आकाश को॥


दया की आँखे खोल देख लो

पशु के करुण क्रंदन को।।


इंसानों का जिस्म बना है

शाकाहारी भोजन को॥


अंग लाश के खा जाए

क्या फ़िर भी वो इंसान है?


पेट तुम्हारा मुर्दाघर है

या कोई कब्रिस्तान है?


आँखे कितना रोती हैं

जब उंगली अपनी जलती है।।


सोचो उस तड़पन की हद

जब जिस्म पे आरी चलती है॥


बेबसता तुम पशु की देखो

बचने के आसार नही।।


जीते जी तन काटा जाए,

उस पीडा का पार नही॥


खाने से पहले बिरयानी,

चीख जीव की सुन लेते।।


करुणा के वश होकर तुम भी शाकाहार को चुन लेते॥


शाकाहारी बनो…!

।।.शाकाहार-अभियान.।।

सुमित आर्य

कृपया ये msg सभी को भेजे…..




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Wednesday, January 7, 2015

"पतंजलि कहते हैं, ‘उस पर ध्यान केंद्रित करो जो वीतरागता को उपलब्ध हो चुका है।’"

“पतंजलि कहते हैं, ‘उस पर ध्यान केंद्रित करो जो वीतरागता को उपलब्ध हो चुका है।’”

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"पतंजलि देते हैं दूसरे विकल्प भी। अगर तुम आनंदित व्यक्ति के साथ प्रसन्न और मैत्रीपूर्ण हो सको, दुखी..."

“पतंजलि देते हैं दूसरे विकल्प भी। अगर तुम आनंदित व्यक्ति के साथ प्रसन्न और मैत्रीपूर्ण हो सको, दुखी के प्रति करुणा, पुण्यवान के प्रति मुदिता और पापी के प्रति उपेक्षा रख सको—अगर यह संभव हो तो मन परम मन में रूपांतरित होना शुरू हो गया है। यदि तुम ऐसा नहीं कर सकते— और यह कठिन है, सरल नहीं है—तो दूसरे मार्ग हैं। निराश मत होना।”

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"पतली पहरे मोजड़ी… चाले चटकती चाल… आटीयाडी बांधे पाघडी.. भलो इ मारो काठीयावाड…."

“पतली पहरे मोजड़ी…

चाले चटकती चाल…

आटीयाडी बांधे पाघडी..

भलो इ मारो काठीयावाड….”

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Vivek Arya > Vedic (Hinduism) , Islam, Christianity, Atheist and other Faith discussion क्या...

Vivek Arya > Vedic (Hinduism) , Islam,

Christianity, Atheist and other Faith discussion

क्या बॉलीवुड राष्ट्रीय एकता के लिए

खतरा है?

एक समय था जब अमिताभ बच्चन को सब ओर थक हार कर मंदिर

जाते दिखाया जाता था | वहा वो मूर्ति के सामने

अपनी समस्या बोलते या कोई अन्य अभिनेता सिर

पटकता था और उसकी माँ या प्रेमिका/पत्नी/

पिता/मित्र इत्यादि का स्वास्थ ठीक हों जाता था | फिल्मे

लोगो मे विश्वास जगाती थी के जब कुछ

नही हैं तब धर्म का सहारा है भगवान हैं ईश्वर अंतिम

आश्रय हैं | हम आर्य हैं, योग का मार्ग मानते हैं पर हम

लोगो को विकल्प देते हैं के मूर्तिपूजा से ऊपर उठो ऋषियों का मार्ग

अपनाओ| आज पी.के जैसी फिल्मे

क्या कहती हैं मंदिर ना जाओ, वहा पैसा ना चढाओ, सारे

बाबा ढोंगी हैं पाकिस्तानी मुल्ले अच्छे हैं

उनसे शादी करो वो धोखा नहीं देते |

रंडियों और दलालो का अड्डा बना हुआ हैं बोलीवुड

जो पाकिस्तान आई.एस.आई और शेखो के पैसे से चल रहा हैं |

तभी बप्पा रवाल, पृथ्वीराज

चौहान,महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप,

शिवा जी, ताना जी मलुसुरे,

बंदा वैरागी, हरी सिंह

इत्यादि शूरवीरों पर फिल्म

नहीं बनती | इसके विपरीत

आताताईयों एवं आक्रमणकारियों पर फिल्म बनाई जाती हैं

| शाहजाहां, ताजमहल, मुगलेआजम, जोधा-अकबर

जैसी फिल्मे बनाई जाती हैं | फिजा,मिशन

कश्मीर,मैं हू ना, शौर्य, हैदर जैसी फिल्मे

बनती है जो हमारी ही सेना पर

कालिख पोतने का प्रयास करती हैं | इसके साथ-साथ

नंगापन खुल कर परोसते हैं शादी से पहले सम्बन्ध

बनाओ बाद सम्बन्ध बनाओ बुढापे मे जवान लड़की से

सम्भोग करो प्यार कि उम्र

नही होती इत्यादि-इत्यादि |

सन्नी लियॉन

जैसी रण्डी को हीरोइन बनाकर

क्या सन्देश देना चाहते है? संवाद मे उर्दु और

फारसी के शब्द इतने मिला दिए जाते है लोग

उसी को हिंदी समझ के

हिंदी को मुसलमानों कि भाषा समझने लगे हैं | गानों मे मौला,

अल्लाह, अली सूफी संगीत

जैसे शब्दों का छलावा दे कर छोटे-छोटे बच्चों से बडो तक अरब

कि भाषा और सभ्यता कि छाप छोड़ देते हैं | बोलीवुड

वास्तव मे राष्ट्रीय एकता अंखडता और सुरक्षा के लिए

एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है |

साभार- आर्य मुदित

(शेयर अवश्य कीजिये जिससे यह सन्देश इंटरनेट के

द्वारा हर हिन्दू को पढ़ने को मिल




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Tuesday, January 6, 2015

राम राम,कृष्णा कृष्णा,राधे राधे,वाहेगुरु वाहेगुरु,ईसा ईसा,अल्लाह अल्लाह आदि रटने से कुछ लाभ होने...

राम राम,कृष्णा कृष्णा,राधे राधे,वाहेगुरु वाहेगुरु,ईसा ईसा,अल्लाह अल्लाह आदि रटने से कुछ लाभ होने वाला नहींl इस बहुमूल्य मनुष्य जीवन को सफल बनाना है तो महर्षि पंतजलि द्वारा बताए बताए अष्टांग योग को अपनी दिनचर्या का आवश्यक अंग बनाओlइसकेलिए किसी मन्दिर मस्जिद आदि में जाने की आवश्यकता नहीं lमन्दिर मस्जिद आदि की दीवारों ने तो मनुष्य जाति को भिन्न भिन्न मतमतान्तरों में बांट कर परस्पर वैमनस्य उत्पन्न किया है lलाखों मन्दिर मस्जिद चर्च आदि जो बन गए हैं उन्हें सामूहिक ध्यान के केंद्र बनाने की आवश्यकता है l


अष्टांग योग अर्थात यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि का निरन्तर अभ्यास करना ही सर्ववयापक सर्वन्तर्यामी निराकार ईश्वर की पूजा करने का एकमात्र वेदानुकूल और वैज्ञानिक उपाय है l


समय रहते यज्ञ योग और वेद को जीवन में अपना लो नहीं तो महति विनष्टि है lपुन: यह मनुष्य जन्म मिले न मिले,बेकार की बातों में,बहस में,तर्क वितर्क व कुतर्क में समय नष्ट न करो-यही ईश्वरिय वाणि वेद और भगवान राम,कृष्ण,शिव एवं लाखों ऋषियों मुनियों का भी आदेश हैl


—डा मुमुक्षु आर्य




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67 साल पहले एक गुजराती ने देश को अंग्रेजों से मुक्त किया था….. अब 67 साल बाद एक गुजराती ने...

67 साल पहले एक गुजराती


ने देश को अंग्रेजों से मुक्त


किया था…..


अब 67 साल बाद एक गुजराती


ने देश को कांग्रेस से मुक्त


किया है……


पहले वाला गुजराती ‘नोटो’ पर


छा गया,


अभी वाला गुजराती ‘वोटों’ पर


छा गया..


ऐ दोस्त खिडकिया खोल


के देखने दे मुझे……. .


मेरे वतन की नई तस्वीर बन


रही है…….


आज भारत फिरसे आजाद


हुआ…… पहला इग्लेड की


रानी से….. और आज


" इटली की नौकरानी " से…..


जो पढ़ सके न खुद, किताब मांग रहे है,


खुद रख न पाए, वे हिसाब मांग रहे है।


जो कर सके न साठ साल में कोई विकास देश का, वे सौ दिनों में जवाब मांग रहे है।


आज गधे गुलाब मांग रहे है, चोर लुटेरे इन्साफ मांग रहे है।


जो लुटते रहे देश को 60 सालों तक,


सुना है आज वो 1OO दिन का हिसाब मांग रहे है?


जब 3 महीनो में पेट्रोल की कीमते 7 रुपये तक कम हो जाये,


जब 3 महीनो में डॉलर 68 से 60 हो जाये,


जब 3 महीनो में सब्जियों की कीमते कम हो जाये,


जब 3 महीनो में सिलिंडर की कीमते कम हो जाये,


जब 3 महीनो में बुलेट ट्रैन भारत में चलाये जाने को सरकार की हरी झंडी मिल जाये,


जब 3 महीनो में सभी सरकारी कर्मचारी समय पर ऑफिस पहुचने लग जाये,


जब 3 महीनो में काले धन वापसी पर कमिटी बन जाये,


जब 3 महीनो में पाकिस्तान को एक करारा जवाब दे दिया जाए,


जब 3 महीनो में भारत के सभी पडोसी मुल्को से रिश्ते सुधरने लग जाये,


जब 3 महीनो में हमारी हिन्दू नगरी काशी को स्मार्ट सिटी बनाने जैसा प्रोजेक्ट पास हो जाये,


जब 3 महीनो में विकास दर 2 साल में सबसे ज्यादा हो जाये,


जब हर गरीबो के उठान के लिए जान धन योजना पास हो जाये.


जब इराक से हजारो भारतीयों को सही सलामत वतन वापसी हो जाये!


तो भाई अछे दिन कैसे नहीं आये???


वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिस्से गांधी बकरी बांधा करते थे


किन्तु वो रस्सी कहां है जिस पे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे?


हालात-ए-मुल्क देख के रोया न गया,


कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया


देश मेरा क्या बाजार हो गया है …


पकड़ता हु तिरंगा तो लोग पूछते है कितने का है…


वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है,


वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ते देखा है।


वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है,


वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है।


वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है,


वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियां बनते देखा है।


वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है,


वरना अब तक इटैलियन सैंडिल चाटते देखा है।


वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है,


वरना अब तक “मेरे पति को मार दिया” कह कर वोटों की भीख मांगते देखा है।


पाकिस्तान को घबराते देखा है,


अमेरिका को झुकते देखा है।


इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।


***************************


दोस्तों हर हिंदुस्तानी सेे शेयर करे…..




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गामडा नो गुणाकार. गामडा मा वस्ती नानी होय घरे घरे ज्ञानी होय आंगणीये आवकारो होय महेमानो नो मारो...

गामडा नो गुणाकार.

गामडा मा वस्ती नानी होय

घरे घरे ज्ञानी होय

आंगणीये आवकारो होय

महेमानो नो मारो होय.

गाम मा चा पीवा नो घारो होय

वहेवार ऐनो सारो होय

राम राम नो रणकार होय

जमाडवानो पडकारो होय.

सत्संग मंडली जामी होय

बेसो तो सवार सामी होय.

ज्ञान नी वातो बहु नामी होय

जाणे स्वर्ग नी खामी होय.

वहु ने सासु गमता होय

भेला बेसी जमता होय.

बोलवामा समता होय

भुल थाय तो नमता होय.

छोकरा खोला मा रमता होय

आवी मा नी ममता होय.

गईढ्या छोकराव ने समजावता होय

चोरे बेसी रमडता होय.

साची दीशा ऐ वालता होय

बापा ना बोल सौ पालता होय.

भले आंखे ओछु भालता होय

तोय गईढ्या गाडा वालता होय.

नीती नीयम ना शुघ्घ होय

आवा घरडा घर मा वृघ्घ होय.

मागे पाणी त्या हाजर दुघ होय

मानो तो भगवान बुघ्घ होय.

भजन कीर्तन थाता होय

परबे पाणी पाता होय.

महेनत करी ने खाता होय

पांच मा पुछाता होय.

देव जेवा दाता होय

भक्ती रंगे रंगाता होय.

प्रभु ना गुण गाता होय

अंघश्रघ्घा न मानता होय.

घी दुघ बारे मास होय

मीठी मघुर छास होय.

रमजट बोलता रास होय

वाणी मा मीठाश होय.

पुन्य तणो प्रकाश होय

त्या नक्की गुरुदेव नो वास होय.

काचा पाका मकान होय

ऐ माय ऐक दुकान होय.

ग्राहको ने मान होय

जाणे मलीया भगवान होय.

संस्कृती नी शान होय

त्या सुखी ऐना संतान होय.

ऐक ओसरीये रूम चाय होय

सौनु भेलु जमणवार होय.

अतीथी ने आवकार होय

खुल्ला घर ना द्वार होय.

कुवा कांठे आरो होय

नदी केरो कीनारो होय.

वहु दीकरी नो वरतारो होय

घणी प्राण थी प्रारो होय.

कानो भले ने कालो होय

ऐनी राघा ने मन रूपालो होय.

वाणी साथे वर्तन होय

मोटा सौना मन होय.

हरीयाला वन होय

सुंगघी पवन होय.

गामडु नानु वतन होय

त्या जोगमाया नु जतन होय.

मानवी मोती ना रतन होय

पाप नु त्या पतन होय.

शीतल वायु वातो होय

जाडवे जई अथडातो होय.

मोर ते दी मलकातो होय

घरती पुत्र हरखातो होय.

गामडा नो महीमा गातो होय

ऐनी रूडी कलमे लखातो होय.


Bhai👌🙏🌻




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Monday, January 5, 2015

जब दुनिया की 90 प्रतिशत अच्छी चीजे मुसलमानों केलिए हराम ही है.तब अल्लाह ने कुरान में कैसे लिखवा दिया...

जब दुनिया की 90 प्रतिशत अच्छी चीजे मुसलमानों केलिए हराम ही है.तब अल्लाह ने कुरान में कैसे लिखवा दिया की सारी चीजे मैने मुसलमानों के आराम के लिए बनाया हूँ.आईये देखते है कि अल्लाह नेक्या क्या मुसलमानों के लिए हराम कर रखा है.


1-संगीत सुनना ,फिल्म देखना, सभी प्रकारके बजने वाले यन्त्र,मोबाइल,कैमरा,टीवी आदि हराम है.


2-चित्र,फोटो खीचना औरफोटो रखना,महापुरुषों और देवताओका चित्र देखना हराम है.


3-मूर्ति बनाना,मूर्ति देखना,मूर्ति पूजा करनाहै.


4.गूगल,फेसबुक हराम है.


5-संस्कृत के शब्द,संस्कृत भाषा में लिखा हुआपढना,संस्कृत के श्लोक हराम है.


6-सूर्य का दर्शन करना,मंगल ,बुध सहित सारेग्रहों का नाम लेना,सारे नक्षत्रो का नामलेना तथा astronomy खगोलशात्रकी पढाई भी हरामहै.


7-अरब के कबीलों में 1400 साल पहलेजो खाने पीने की चीजे पाईजाती थी.उसको छोड़करबाकि सभी खाने की चीजे हराम है.


8-कुरान में जो दवाई लिखी है.उसको छोड़कर आधुनिक दवाईया,अस्पताल,आयुर्वेदिक दवाई हराम है.मुहम्मद ने ज्यादातर बीमारी का इलाज”थूक” से ही किया था,अतः थूकवाली दवाई हलाल है,


9-मदरसा की पढाई केअलावा बाकि सभी पढाई जैसेइंजीनियरिंग,MBBS, MBA,मैथ,CA,Astronomy,SPACE SCIENCE आदि सब हरामहै.


10-गैर मुस्लिमो की हत्या करना जायजहै.किन्तुरक्तदान हराम है.


11-वायुयान,अंतरिक्ष यात्रा,बस,रेल,कूलर,जहाज,मोटरसाइकिल, कार, कम्पुटर इत्यादि कुरान में नहीं लिखा है.ये सब भी हराम ही होगे.क्योकि कुरान में नहीं लिखा है.**—


निष्कर्ष - जो चीजे कुरान में नहीं लिखा है.वह सभी मुसलमानों के लिए हराम है.— जो कुरान में लिखा है,सिर्फ वही चीजे अरब के अल्लाह ने अरबी लोगो के लिए बनाया होगा…बाकि सभी चीजे”भोलेनाथ शिव”’ने सम्पूर्ण मनुष्य के लिए बनाया है.**—-जब सारी अच्छी चीजे मुसलमानों के लिए हराम ही है,तो अल्लाह ने किसके लिए यह सब बनाया था.सारी अच्छी चीजे तो गैर मुस्लिमो और काफिरों के लिए है, ये तो मुसलमानों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है…आखिर इतनी सारी हराम की चीज अल्लाह ने क्यों बनाया -इससे साबित होता है की मुहम्मद ने अरब के कबीलों का रहन सहन कुरान में लिख दिया है….इस्लाम सिर्फ अरब का क्षेत्रीय मजहबहै…..!


वैधानिकचेतावनी- अगर इस लेख सेकिसी की भावना आहत होती है तोहोने दो।




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Patel





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Sunday, January 4, 2015

तीन अनमोल वचन :- 1.धन का सदुपयोग :- शास्त्रों में धन की तीन गतियाँ बताई गई हैं। पहली उपभोग, दूसरी...

तीन अनमोल वचन :-

1.धन का सदुपयोग :-

शास्त्रों में धन की तीन गतियाँ बताई गई हैं। पहली उपभोग, दूसरी उपयोग और तीसरी नाश। धन से जितना आप चाहो सुख के साधनों को अर्जित कर लो। बाकि बचे धन को सृजन कार्यों में, सद्कार्यों में, अच्छे कार्यों में लगाओ। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो समझ लेना फिर आपका धन नाश को प्राप्त होने वाला है।”धन का दुरूपयोग ही तो धन का नाश है और धन का अनुपयोग भी उसका नाश ही है। दुनियाँ आपको इसलिए याद नहीं करती कि आपके पास बड़ा धन है अपितु इसलिए याद करती है कि आपके पास बड़ा मन है और आप सिर्फ अर्जन नहीं करते आवश्यकता पड़ने पर विसर्जन भी करते हैं।धन के साथ एक बड़ा विरोधाभास और है कि जब-जब आप धन को संचित करने में लगे रहते हो तब-तब समाज में आपका मूल्य भी घटता जाता है। और जब-जब आपने इसे अच्छे कार्यों में लगाने का काम किया तब-तब समाज में आपको बहुत मूल्यवान समझा जाता है। अत: धन का संचय आपके मूल्य को घटा देता है और धन का सदुपयोग आपके मूल्य को बढ़ा देता है।

————————————-

2.सकारात्मक सोच :-

संसार की प्रत्येक वस्तु में दो पक्ष होते हैं एक सकारात्मक व दूसरा नकारात्मक। मनुष्य की सोच पर निर्भर होता है कि उसकी दृष्टि किस पक्ष को देख रही है। सकारात्मक सोच के माध्यम से व्यक्ति का विकास होता है और नकारात्मक सोच के कारण विनाश होता है|

सकारात्मक विचार प्रगति कराते हैं वहीं नकारात्मक विचार व्यक्ति को पाप की तरफ खींच ले जाते हैं। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास करता है उसका स्वयं पर भी विश्वास बढ़ जाता है।इसलिए मनुष्य को सदा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

———————————

3.मन को प्रसन्न रखने के उपाय

१.मैत्री-सुखी जनों से मित्रता।

२.करुणा-दुखी जनों पर दया।

३.मुदिता-पुण्य आत्माओं से

मिलकर हर्षित होना।

४.उपेक्षा-दुष्ट आत्माओं से न

प्रीति न वैर रखना।


——डॉ मुमुक्षु आर्य

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Saturday, January 3, 2015

रवि वर्मा स्क्रिप्ट लिखने, कैमरा, एडिटिंग और डायरेक्शन में सहयोग करने के लिए तैयार हूँ। मेहनताना एक...

रवि वर्मा


स्क्रिप्ट लिखने, कैमरा, एडिटिंग और डायरेक्शन में सहयोग करने के लिए तैयार हूँ। मेहनताना एक भी रुपये नही। मेरा मोबाईल नंबर 919554180172; 919936338040 है सम्पर्क कर सकते है।




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पीके चलचित्र के लिए आन्दोलन करने के बजाए रंगीला रसूल पुस्तक पर चलचित्र क्यों न बनाया जाए.. ईंट का...

पीके चलचित्र के लिए आन्दोलन करने के बजाए रंगीला रसूल पुस्तक पर चलचित्र क्यों न बनाया जाए.. ईंट का जबाब पत्थर से होगा.. क्या कहते हो मित्रों..??




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बंगले . गाडी तो ” पटेल ” की घर घर की कहानी हैं……. . . तभी तो दुनिया ”...

बंगले . गाडी तो ” पटेल ” की घर घर

की कहानी हैं…….

.

.

तभी तो दुनिया ” पटेल ” ओ

की दिवानी हैं.

.

.

अरे मिट गये ” पटेल ” को मिटाने वाले क्योकि आग मे

तपती ” पटेल ” की जवानी है

.

.

ये आवाज नही शेर कि दहाड़ है….. हम खडे हो जाये

तो पहाड़

है….

.

.

हम इतिहास के वो सुनहरे पन्ने है…..

जो भगवान राम ने ही चुने है….दिलदार औऱ दमदार

है” ” पटेल ”

.

.

रण भुमि मे तेज तलवार है”” पटेल ”

पता नही कितनो की जान है पटेल ” पटेल

.

.

सच्चे प्यार पर कुरबान है

“” ” पटेल

.

.

यारी करे तो यारो के यार है

“” ” ” पटेल “

औऱ दुशमन के लिये तुफान है

“” ” पटेल ” “”

.

.

तभी तो दुनिया कहती है बाप रे खतरनाक है

“” ” पटेल “”“”

.

.

शेरो के पुत्र शेर ही ज़ाने जाते हैं, लाखो के

बीच. ” पटेल ”

पहचाने जाते हैं।।

.

.

मौत देख कर किसी क़े पिछे छुपते नही ,

हम” पटेल ” ,मरने से क़भी डरते नही। हम

अपने आप पर ग़र्व

क़रते हैं, दुशमनों को काटने का जीगरा हम रखते हैं ,

.

.

कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ,तो भी कोई

बात नहीं…

वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,

बाँट दिया करते हैं।


पटेल की शान के लीऐ




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