Monday, January 12, 2015

था सूर्य चमकता हिंदूओ का , घनघोर बदरिया डरती थी । था शेर गरजता सीमाओं पर , बिजली भी आहे भरती थी । है...

था सूर्य चमकता हिंदूओ का ,

घनघोर बदरिया डरती थी ।

था शेर गरजता सीमाओं पर ,

बिजली भी आहे भरती थी ।

है खून वही उन नब्जो मे ,

फिर क्यों वर्षों से सोते हो ।

लूटा है चंद सियारो ने ,

फिर क्यों इन्हे मौका देते हो ।

अब चीर दो सीना गद्दारो के,

तलवार वही पुरानी है ।

रक्षक हो तुम इस भारत के ,

ललकार रही भवानी है

।।जय श्री राम।।




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