Friday, January 16, 2015

एक जौहरी था उसके देहांत के बाद उसके परिवार पर बहुत बड़ा सन्कट आ गया।खाने के भी लाले पड गए एक दिन...

एक जौहरी था उसके देहांत के बाद उसके परिवार पर बहुत बड़ा सन्कट आ गया।खाने के भी लाले पड गए एक दिन उसकी पत्नी न अपने बेटे को एक नीलम का हार दे कर कहा बेटा इसे अपने चाचा की दुकान पर लेकर जाओ और कहना कि इसे बेच कर कुछ रुपए दो वह उस हार को लेकर चाचा जी के पास गया। चाचा जी ने हार को अच्छी तरह से देख परख कर कहा कि बेटा अपनी माँ से कहना कि अभी बाज़ार बहुत मन्दा हैं थोड़ा रुककर बेचना अच्छे दाम मिलेगे और थोड़े से रुपये देकर कहा कि तुम कल से दुकान पर आ कर बैठना। अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहां पर हीरो की परख करने लगा एक दिन वह हीरो का बहुत बड़ा पारखी बन गया लोग दूर दूर से अपने हीरो की परख कराने आने लगे।एक दिन उसके चाचा जी ने कहा कि बेटा अपनी माँ से वह हार लेकर आना और कहना कि अब बाज़ार बहुत तेज है उसके अब अच्छे दाम मिल जाएगे ।बेटा हार लेने घर गया और मा से हार लेकर परख कर देखा कि यह तो artificial हैं और उसको घर पर ही छोड़ कर वापस लौट आया तो चाचा जी ने पूछा कि हार नहीं लाए तो उसने कहा कि वह हार तो नकली था। तब चाचा जी ने कहा कि जब पहली बार लेकर आए थे अगर मैं उस समय हार को नकली बताता तो तुम सोचते कि आज हम पर बुरा वक्त आया तो हमारी चीज़ को नकली बताने लगे आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो पता चल गया कि यह नकली हैं इससे हमें यही शिक्षा मिलती है कि ज्ञान के बिना इस सन्सार मे हम जो भी सोचते हैं देखते हैं जानते हैं सब गलत है अगर हम दुखि हैं या अभाव ग्रस्त है तो इसका एक ही कारण है अज्ञानता अज्ञान के ही कारण डर हैं सब कुछ पाना आसान है दुर्लभ है सन्सार मे एक यथार्थ ज्ञान। .. .




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