Wednesday, August 31, 2016

*“वाणी”* वन-विहार के लिये आये हुये राजा का जहाँ पड़ाव था, उसी के पास एक कुएँ पर एक...

*“वाणी”*
वन-विहार के लिये आये हुये राजा का जहाँ पड़ाव था, उसी के पास एक कुएँ पर एक अन्धा
यात्रियों को कुएँ से निकालकर जल पिलाया करता था।

राजा को प्यास लगी। उसने अपने सिपाही को पानी लाने भेजा।
सिपाही वहाँ जाकर बोला- ‘‘ओ रे अन्धे एक लोटा जल इधर दे।”

सूरदास ने कहा- ‘‘जा भाग तुझ जैसे मूर्ख नौकर को पानी नहीं देता।”
सिपाही खीझ कर वापस लौट गया।

अब प्रधान सेनापति स्वयं वहाँ पहुँचे और कहा- ‘‘अन्धे भाई एक लोटा जल शीघ्रता से दे दो।” अन्धे ने उत्तर दिया- ‘‘कपटी मीठा बोलता है, लगता है पहले वाले का सरदार है। मेरे पास तेरे लिये पानी नहीं।”

दोनों ने राजा से शिकायत की, महाराज बुड्ढा पानी नहीं देता।

राजा उन दोनों को लेकर स्वयं वहाँ पहुँचा और नमस्कार कर कहा- ‘‘बाबा जी! प्यास से गला सूख रहा है, थोड़ा जल दें, तो प्यास बुझायें।”

अन्धे ने कहा- ‘‘महाराज! बैठिये अभी जल पिलाता हूँ।”

राजा ने पूछा- ‘‘महात्मन्! आपने चक्षुहीन होकर भी यह कैसे जाना कि एक नौकर, दूसरा सरदार और मैं राजा हूँ।”

बुड्ढे ने हँसकर कहा- ‘‘महाराज! व्यक्ति का वजन वाणी से पता चल जाता है, उसके लिये आँखों की कोई आवश्यकता नहीं।”
✍मंथन✍


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🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ओ३म् उपास्मै गायता नरः पवमानायेंदवे | अभि देवाँ इयक्षते...

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ओ३म् उपास्मै गायता नरः पवमानायेंदवे | अभि देवाँ इयक्षते ||~~~सामवेद~उत्तरार्चिक~1~1~1~1~ ~~~~~~~~~मन्त्र का पद्य में भाव~~~~~~~~~~~~~~~~~~जैसे चाहे पिता पुत्र हित, उत्तम सुख सामान दिलाना| वैसे जगत् पिता सबके हित , चाहे मोक्षानंद दिलाना| आओ हम सब पावन पितु की, वेदाज्ञा को मिल अपनावें| विमल वेद से ओत प्रोत हो, अनंत सुख शांतानंद पावें||👏


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सेकुलरिज्म छोड़ोगे नहीं, एकता आएगी नहीं तो क्या नरसंहार कराओगे ! 5:33 pm कश्मीर मुद्दे पर...

सेकुलरिज्म छोड़ोगे नहीं, एकता आएगी नहीं तो क्या नरसंहार कराओगे !

5:33 pm

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के समर्थन में इस्लामिक देश पाकिस्तान के समर्थन में उतर आये। उनके तो समर्थन में 56 देश हैं।

हिंदुओं के समर्थन में हिन्दू देश कहाँ से लाएंगे ?
कभी 23 देश थे वे तो मुस्लिमो ने छीन लिए।

ऊपर से भारत में मुस्लिम संख्या दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश के बाद दूसरे नंबर पर है वे भी साथ खड़े हैं अपने भाई जानों के साथ, खुद भारत के अधिकतर हिन्दू धर्म और राष्ट्र रक्षा में साथ नहीं, फिर देश बचाएगा कोन? ये मुट्ठी भर हिन्दू और 13 लाख की भारत की सेना ?

इस्राइल से युद्ध हुआ था सीरिया का तो मित्रों पाकिस्तान तक से सेना लड़ने गयी थी मुसलमानों की मदद के लिए इस्राइल से और सारे 55 मुस्लिम देशों ने हथियार, खाना,दवाइयाँ,सैनिक भेजे थे दुनिया के एकमात्र यहूदी देश इस्राइल को दुनिया से मिटाने और उस भूमि पर इस्लाम का झंडा गाड़ने।

पर उस धर्म का नाम यहूदी है उन्होंने एक यहूदी सैनिक की मौत के बदले युद्ध में 1000 मुसलमान सैनिक मार कर युद्ध में 55 इस्लामिक देशों को 5 दिन में ही घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

आज ये 56 मुस्लिम देश भारत के विरुद्ध एक हो गए हैं जैसे हिन्दू राज्य विजयनगर के विरुद्ध मुसलमानों के 5 राज्य हुए थे

और इतिहास से उस महान, शक्तिशाली, सम्रद्ध,मन्दिरों और गौ से भरे राज्य को समूल समाप्त कर दिया

3 महीने तक तो कत्लेआम और नरसंहार चला था हिंदुओं का युद्ध हारने के बाद विजयनगर खण्डरों का नगर बन गया था
जहाँ कभी भारत का सबसे बड़ा हिन्दू साम्राज्य खड़ा था,

जागोगे तुम नहीं, इतिहास से सबक तुम लोगे नही,
एकता तुम में आएगी नही, जनसंख्या तुम बढ़ाओगे नही,
सेक्युलर नपुंसकता तुम छोड़ोगे नही,

इसिलए तुम्हारा इतिहास फिर से दोहराने के लिए तैयार खड़ा है हिंदुओं।
काल तुम्हारी प्रतीक्षा प्रतीक्षा कर रहा है हिंदुओं अपने में सामने के लिए क्योंकि तुम यहूदी नहीं हिन्दू हो हिन्दू जिनमे एकता नहीं
हिन्दू कुछ करने निकले तो सबसे पहले हिन्दू नाम वाले सेक्युलर ही अपनी टांग अड़ाकर पंचायती करने लगते है और सेकुलरिज्म नामक ढिंढोरा पीट खुद को
महान समझते है

जबकि सच ये है की पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान इंडोनेशिया समेत 23 आज के देश हिन्दू ही थे
सेकुलरिज्म से सब ख़त्म हो गए


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“कर्म की गति” एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के...

“कर्म की गति”

एक कारोबारी सेठ सुबह सुबह जल्दबाजी में घर से बाहर निकल कर ऑफिस जाने के लिए कार का दरवाजा खोल कर जैसे ही बैठने जाता है,
उसका पाँव गाड़ी के नीचे बैठे कुत्ते
की पूँछ पर पड़ जाता है।
दर्द से बिलबिलाकर अचानक हुए इस वार को घात समझ वह कुत्ता उसे जोर से काट खाता है।

गुस्से में आकर सेठ आसपास पड़े 10-12 पत्थर कुत्ते की ओर फेंक मारता है पर भाग्य से एक भी पत्थर उसे नहीं लगता है और वह कुत्ता भाग जाता है।

जैसे तैसे सेठजी अपना इलाज करवाकर
ऑफिस पहुँचते हैं जहां उन्होंने अपने
मातहत मैनेजर्स की बैठक बुलाई होती है।
यहाँ अनचाहे ही कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे प्रबन्धकों पर उतर जाता है।
वे प्रबन्धक भी मीटिंग से बाहर आते ही
एक दूसरे पर भड़क जाते हैं -
बॉस ने बगैर किसी वाजिब कारण के डांट जो दिया था।

अब दिन भर वे लोग ऑफिस में अपने
नीचे काम करने वालों पर अपनी खीज निकालते हैं –
ऐसे करते करते आखिरकार सभी का
गुस्सा अंत में ऑफिस के चपरासी पर निकलता है ,
जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए ,
भुनभुनाते हुए घर चला जाता है।
घंटी की आवाज़ सुन कर उसकी
पत्नी दरवाजा खोलती है और
हमेशा की तरह पूछती है -
“आज फिर देर हो गई आने में………….”

वो लगभग चीखते हुए कहता है
“मै क्या ऑफिस कंचे खेलने जाता हूँ ?
काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा,
पहले से ही पका हुआ हूँ,
चलो खाना परोसो”

अब गुस्सा होने की बारी पत्नी की थी,
रसोई मे काम करते वक़्त बीच बीच में वह पति का गुस्सा
अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे
जमा के तीन- चार थप्पड़ रसीद कर देती है।

अब बेचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ,
घर का ऐसा बिगड़ा माहौल देख,
बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर
वह रोते रोते बाहर का रुख करता है,
एक पत्थर उठाता है और
सामने जा रहे कुत्ते को पूरी
ताकत से दे मारता है।

कुत्ता फिर बिलबिलाता है …………………….

दोस्तों ! ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!!
अरे भई , उसको उसके काटे के बदले ये
पत्थर तो पड़ना ही था ।
केवल समय का फेर था और सेठ जी
की जगह इस बच्चे से पड़ना था !!!
उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना !!!

इसलिए मित्र यदि कोई आपको काट खाये,
चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ,
तो निश्चिंत रहें,
उसे चोट तो लग के ही रहेगी,
बिलकुल लगेगी,
जो आपको चोट पहुंचाएगा,
उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है।

कब होगा ,
किसके हाथों होगा ,
ये केवल ऊपरवाला जानता है ।
पर होगा ज़रूर ,

अरे भई! ये तो सृष्टी का नियम है !!!


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*जाति क्या है…?* 💎 जन्मतः प्राप्त उपाधि ही जाति है। जो जिससे जन्म लेता है वह उसी जाति की...

*जाति क्या है…?*
💎
जन्मतः प्राप्त उपाधि ही जाति है।
जो जिससे जन्म लेता है वह उसी जाति की उपाधि वाला होता है।

जैसे- दशहरी आम के बीज से जन्मा या  उत्पन्न हुआ वृक्ष ही दशहरी आम की जाति का होता है।
🌅
*जातिवाद क्या है…?*
💎
मानवसमाज में जाति के आधार पर कर्म-पद-सम्पदा पर स्वामित्व की प्रथा ही जातिवाद है।
जातिवादी व्यवस्था के अंतर्गत समाज में भी जंगल की भांति जो जिससे जन्म लेता है वह अपने पिता के कर्म, पद और सम्पदा का स्वामी बन जाया करता है।
समाज में कर्म-पद-सम्पदा पर यह पैतृक स्वामित्व की परम्परा ही जातिवाद का मुख्य जहर है।
जिसने पूरी दुनिया को बर्बाद किया है।
🌅
*जाति और वंश में क्या भेद है..?*
💎
जाति केवल एक पीढ़ी तक ही सीमित रहती है किन्तु वंश लंबी अवधि तक लगातार पीढ़ी-दर-दर चलता रहता है।
पीढ़ियों की श्रंखला को ही वंश कहते हैं।
🌅
*वंश और गोत्र में क्या भेद है…?*
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जब कोई वंश किसी विशेष गुणकौशल संपन्न महापुरुष के नाम से जाना जाता है तो उसे ही गोत्र कहा जाता है।
🌅
*वर्ण क्या है…?*
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संस्कृत की ‘वृ’ धातु से 'वर्ण’ शब्द बना है।
जिसका अर्थ है- चुनना, चयन करना, योग्य होना, वरेण्य होना, सुपात्र होना आदि।
विशिष्ट क्षमताओं योग्यताओं गुणों कौशलों के विकास द्वारा सुपात्र सिद्ध होना ही वरेण्यता है।
🌅
*जाति और वर्ण में क्या भेद है..?*
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जन्म पर आधारित व्यवस्था ही जाति है।
गुण पर आधारित व्यवस्था ही वर्ण है।
🌅
*जातिवाद और वर्णवाद में क्या भेद है…?*
💎
जातीयताक्रम पर आधारित व्यवस्था ही जातिवाद है।
वरीयताक्रम पर आधारित व्यवस्था ही वर्णवाद है।।

जातिवाद से 'पशुता’ उत्पन्न होती है।
वर्णवाद से 'मानवता’ उत्पन्न होती है।।

जातिवाद से समाज में 'जंगलराज’ उत्पन्न होता है।
वर्णवाद से समाज में 'मंगलराज’ उत्पन्न होता है।।
🌅
*जातिवाद की समाप्ति का उपाय क्या है..?*
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समाज में वर्ण व्यवस्था की स्थापना ही जातिवाद की समाप्ति का एकमात्र उपाय है..!!
🌅
*वर्ण व्यवस्था क्या है..?*
💎
मनुष्यों में चार प्रकार की क्षमताओं के विकास की संभावना होती है- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, चेतनात्मक।
इन चारों क्षमताओं को ही क्रमशः PQ, IQ, EQ, SQ कहते हैं।
मूलतः इन्हीं चारों क्षमताओं पर आधारित पात्रता के अनुरूप कर्म पद सम्पदाओं पर स्वामित्व का विधान ही 'वर्णव्यवस्था’ है।
*PQ को कृषि संबंधी कर्म पद सम्पदा का स्वामित्व न्यायसंगत है।*
*IQ को वाणिज्य संबंधी कर्म पद सम्पदा का स्वामित्व न्यायसंगत है।*
*EQ को राज्य संबंधी कर्म पद सम्पदा का स्वामित्व न्यायसंगत है।*
*SQ को नेतृत्व संबंधी कर्म पद सम्पदा का स्वामित्व न्यायसंगत है।*
🌅
*वर्ण व्यवस्था को समाज में लागू कैसे किया जा सकता है..?*
💎
समाज में वर्णव्यवस्था को लागू करना बहुत सरल है।
निम्लिखित उपाय अपनाएं…
*@ वर्णव्यवस्था की क्रमबद्ध पात्रताओं का सही सैद्धांतिक प्रतिपादन।*
*@ चारों वर्णात्मक पात्रताओं के परीक्षण की समुचित व्यवस्था।*
*@ वर्णव्यवस्था स्वीकार करने वाले व्यक्तियों की पात्रता का समुचित परीक्षण और पात्रताप्रमाणीकरण।*
*@ परीक्षणों द्वारा सिद्ध पात्रता के अनुरूप कर्म-पद-सम्पदा पर स्वामित्व का अधिकार।*
🌅
क्या इस विज्ञानसम्मत न्यायसंगत वर्णव्यवस्था में हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, बहाई अथवा किसी भी मज़हब या संप्रदाय या किसी भी जाति और वंश के लोग भी सम्मिलित हो सकते हैं…?
💎
अवश्य….!!
यह वर्ण व्यवस्था सार्वजनिक, सर्वदेशीय और सर्वकालिक है।
यह सर्वहितकारी और सर्वसुखदायक है।
यह विश्वबंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् की प्रतिष्ठापक है।
तथा मानव जीवन के समग्र विकास में परम सहायक भी है।
'न्यायधर्मसभा’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक “मानवजीवनविकास”
में इस न्यायशील वर्णव्यववस्था का शुद्ध सैद्धांतिक प्रतिपादन सभी के लिए पठनीय है..!!!
यह पुस्तक गरीबों के लिए नि:शुल्क और सामान्य आर्थिक दशा वालों के लिए सशुल्क उपलब्ध है।

*-(NDS हरिद्वार)*
*लेख : 04-06-2016*
*_www.nyayadharmsabha.org_*


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Wednesday, August 24, 2016

बहुत लोग अपने भविष्य के संबंध में चिंतित रहते हैं, जानने को उत्सुक रहते हैं तथा इन झूठी...

बहुत लोग अपने भविष्य के संबंध में चिंतित रहते हैं, जानने को उत्सुक रहते हैं तथा इन झूठी भविष्यवाणियों पर विश्वास करते हैं। ऐसा करने से वे लोग आलसी, पुरुषार्थहीन और कर्म करने में स्वतंत्र नहीं रहते । जिससे उनका भविष्य बिगडता है।
जो लोग अपना भविष्य उत्तम बनाना चाहते हैं, वे इन तीन बातों को अपने जीवन में पूरी दृढता के साथ धारण करें– ईमानदारी, बुद्धिमत्ता और पूरी मेहनत । उनका भविष्य सुंदर होगा, इसके बिना नहीं।


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सही आस्तिक होना अर्थात् ईश्वर को ठीक तरह से समझकर अपना आचरण भी ईश्वर के निर्देशानुसार बनाना, बहुत...

सही आस्तिक होना अर्थात् ईश्वर को ठीक तरह से समझकर अपना आचरण भी ईश्वर के निर्देशानुसार बनाना, बहुत कठिन है। बहुत से लोग तो माता पिता के उपकार ही नहीं समझते, ईश्वर को तो क्या समझ पाएँगे ?
सुविचार चित्र में अंतिम शब्द लिखने में गलती हो गई है। लिखा है, “विश्वास पर पाएँगे”, इसे ऐसे पढें, “विश्वास कर पाएँगे” ।।


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——- *लव जिहाद मे फंसती हमारी हिन्दू बेटियां* ——- हिन्दू के लिए एक यह गंभीर...

——- *लव जिहाद मे फंसती हमारी हिन्दू बेटियां* ——-

हिन्दू के लिए एक यह गंभीर समस्या हैलव जिहाद।

दुख तो इस बात का है कि ऐसे राष्ट्र एवं हिंदुवाद सोसियल मीडिया पर देश की हिन्दू बेटियां नहीं जुड़ी हुई है।

अतः वास्तविकता का ज्ञान नहीं होता। पर इसमें माता-पिता का भी परम कर्तव्य है कि बचपन से ही अपनी बेटियों को कट्टरता की शिक्षा दे किन्तु वह नहीं हो रहा है।

भौतिक सुख की भाग दौड़ मे उपदेश, शिक्षा, पूजा-पाठ, भारतीय संस्कृति की शिक्षा नहीं दे पा रहे है।

परिणाम यह आया कि मुस्लिम लफंगे छद्म हिन्दू नाम से छल करके प्रेमजाल मे हिन्दू लड़कियों को फसाते है।

मुग्धावस्था मे भान नहीं होती, किशोरावस्था ऐसा है ही माता पिता, भाई बहन, परिवार, अपना धर्म सब गौण बन जाता है केवल काम ही दिखाता है।

विचारणीय प्रश्न तो यह है कि मुस्लिम कन्या क्यू हिन्दू लड़को के प्रेमजाल मे नहीं फसती है?

या क्यों हिन्दू लड़के मुस्लिम लड़कियों को लव जिहाद में नही फंसाते?

कारण एक ही है बचपन से ही कट्टरता की शिक्षा देना।

जो हम हिन्दू नहीं कर सकते।

और उसका ही नतीजा है आज हज़ारो लड़कियां जलव जिहाद में फंस कर अपना जीवन बर्बाद कर चुकी है।

क्या कोई हल है इस नर्क से अपनी बेटियों को बचाने का?


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ओ३म् *🌷 मनुस्मृति 🌷* १) ओ३म् यह एक अक्षर परब्रह्म का वाचक है ,प्राणायाम बड़ा तप है और गायत्री से...

ओ३म्

*🌷 मनुस्मृति 🌷*

१) ओ३म् यह एक अक्षर परब्रह्म का वाचक है ,प्राणायाम बड़ा तप है और गायत्री से श्रेष्ठ कोई मन्त्र नहीं तथा मौन से सत्य भाषण श्रेष्ठ है।

२) प्रातः की सन्ध्या को गायत्री का जाप करता हुआ सूर्यदर्शन होने तक स्थित होकर और सांयकाल की सन्ध्या को नक्षत्र दर्शन होने तक बैठकर करे।

३) ब्राह्मण सम्मान से सदा विषवत् डरे और सदैव अपमान की अमृतवत् इच्छा करे अर्थात् मान-अपमान में सम रहे।

४) दूसरे से अपमान किये जाने पर भी खेद न करता हुआ पुरुष सुखपूर्वक शयन करता है,सुखपूर्वक जागता है,लोगों में व्यवहार करता है और अपमान करने वाला नष्ट हो जाता है।

५) तप करना हो तो ब्राह्मण वेद ही का सदा अभ्यास करे।वेदाभ्यास ही ब्राह्मण का परम तप कहा है।

६) जिस कुल में स्त्रियाँ दुःखी होती हैं,वह कुल शीघ्र ही नाश को प्राप्त हो जाता है जहाँ सुखी रहती हैं वह कुल सर्वदा बढ़ता है।

७) वेदों का अध्ययन करने वाले कुल चाहे अल्प धन वाले भी हों,परन्तु बड़े कुल की गिनती में गिने जाते हैं (अर्थात् कुल की प्रतिष्ठा वेद पाठ से है न कि नौकरी,व्यापार,पशु आदि से।

८) जो बुद्धिहीन गृहस्थ (भोजन के लालच से) दूसरों के अन्न का सहारा देखते हैं,उससे वे मरने पर अन्नादि देने वाले के पशु बनते हैं।

९) ढेले का मसलने वाला,व्यर्थ ही तिनके तोड़ने वाला और नाखुन चबाने वाला मनुष्य शीघ्र नाश को प्राप्त हो जाता है और चुगलखोर तथा अपवित्र भी।

१०) दोनों हाथों से एक साथ अपना सिर न खुजावे और झूठे हाथों से अपना सिर न छुवे और बिना सिर पर पानी डाले स्नान न करे,अर्थात् पहले सिर पर पानी डाले।

११) प्रातः दो घड़ी रात्रि से उठे और पवित्र होकर एकाग्रचित्त से प्रातः व सायं सन्ध्यार्थ बहुत कालपर्यन्त जप करता रहे।क्योंकि ऋषियों ने दीर्घकाल तक जप से ही आयु,बुद्धि,यश,कीर्ति तथा ब्रह्मतेज को प्राप्त किया था।

१२) धर्म के दस लक्षण:-१.धैर्य,२.क्षमा,३.मन का रोकना,४.चोरी न करना,५.शुद्ध होना,६.इन्द्रियों का दमन,७.शास्त्र का ज्ञान,८.आत्मा का ज्ञान,९.सत्य बोलना,१०.क्रोध न करना।


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ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ : ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है। अ उ म् । “अ” का...

ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ :

ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना,
“उ” का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
“म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
जानीए
ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग…

● *उच्चारण की विधि*

प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

01) *ॐ और थायराॅयडः*

ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

*02) *ॐ और घबराहटः-*
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

*03) *..ॐ और तनावः-*
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

*04) *ॐ और खून का प्रवाहः-*
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

*5) ॐ और पाचनः-*

ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

*06) ॐ लाए स्फूर्तिः-*
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

*07) ॐ और थकान:-*
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

*08) .ॐ और नींदः-*
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

*09) .ॐ और फेफड़े:-*
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

*10) ॐ और रीढ़ की हड्डी:-*
ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

*11) ॐ दूर करे तनावः-*
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे । साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है ।
अपना ख्याल रखिये, खुश रहें ।


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💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 महर्षि दयानन्द जी महाराज के लोकोपकार —— वेद - प्रचार के...

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महर्षि दयानन्द जी महाराज
के
लोकोपकार —— वेद - प्रचार के उदगार !!!
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

🌹🌹 महर्षि दयानन्द के जीवन की एक - एक घटना तथा उनकी सतत साधना उनके अटल और अडिग ईश्वर विश्वास का परिचय देती है । उनके लिए ईश्वर की वाणी वेद का प्रचार तथा लोकोपकार ही उनका सर्वस्व था । वे किसी तात्कालिक लाभ के लिए अपने सिद्धांतों का – मान्यताओं का समझौता करने को तैयार नहीं थे । साधु टी. एल. वासवानी ने लिखा है —- “He cannot barter convenience for conviction.” अर्थात स्वामी दयानन्द तात्कालिक लाभ के लिए सिद्धांतो की अदला - बदली नहीं कर सकते थे । उनके उर में लोकोपकार, सद्ज्ञान वेद के प्रसार और अन्धकार का नाश करने के लिए अदम्य उत्साह था । उनके ह्रदय में अपने इस मिशन के लिए अरमानों का तूफ़ान था । जन कल्याण व मानव निर्माण के लिए उनके मन में सर्वस्व वार देने के लिए अंगार धधक रहे थे । महर्षि स्वामी दयानन्द जी के अपने शब्दों में उनके मनोभाव यहाँ देते है ।
🌹🌹 “मुझको इतना बड़ा परिश्रम निन्दा अपमान उठाकर कौन सा स्वप्रोयाजन सिद्ध करना चाहता हूँ । यदि तुम लोग जैसा की अब उदासीनता की बातें लिखी है लिखोगे वा करोगे तो सब संसार की हानि का अपराध तुम्हारे पर होगा । और मैंने जो उपकार करना निश्चित किया है जहाँ तक बन सकेगा आमरण तक करूँगा ही पुनरजन्मान्तर में भी ।”
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


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👊🏻👊🏻👊🏻 *आर्य समाज क्या है ?* 👊🏻👊🏻👊🏻 आर्यसमाज के बारे में फैली भ्रान्तिया और उसका निवारण, आप के सामने...

👊🏻👊🏻👊🏻 *आर्य समाज क्या है ?* 👊🏻👊🏻👊🏻
आर्यसमाज के बारे में फैली भ्रान्तिया और उसका निवारण, आप के सामने प्रस्तुत है|

सभी मित्रो से निवेदन है की पूरा पढ़े और शेयर जरुर करे|

आर्य समाज एक क्रन्तिकारी आन्दोलन है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैले विभिन्न-प्रकार के पाखंड, मत-मतान्तर,जाति-पाती, अनेक-प्रकार के सम्प्रदायो ,मूर्ति-पूजा,आदि अन्धविश्वास को दूर करने वाला एक विश्वव्यापी आन्दोलन है इसके प्रवर्तक भगवतपात महर्षि देव दयानन्द सरस्वती है !

*आर्यसमाज के बारे में भ्रान्तिया:*

1 .आर्यसमाजी ईश्वर को नहीं मानते?
उत्तर:- गलत।
आर्य समाजी ही ईश्वरवादी होतें है।
आर्य सिर्फ एक ईश्वर की उपासना करतें हैं।(अन्य तो किसी गुरु, पाषाण, वृक्ष, प्रतिमा या मज़ार की पूजा करते है ईश्वर
की नहीं।)


2 .आर्यसमाज एक अलग पंथ या सम्प्रदाय है?
उत्तर:- गलत।
आर्यसमाज हिन्दू धर्म का शुद्धतम रूप है। अंधविश्वासों के विरुद्ध चलने वाला आंदोलन है कोई अलग पंथ या सम्प्रदाय नहीं।

3 .आर्यसमाजियों का धार्मिक ग्रन्थ “सत्यार्थ प्रकाश ” है?
उत्तर:- गलत।
आर्य समाजियों का धार्मिक ग्रन्थ सिर्फ वेद हैं। वेद सर्वोच्च हैं। महर्षि दयानंदजी द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश मूलतः वेदों की ओऱ लौटने में सहायक एक ग्रन्थ है इस से हम मार्गदर्शन प्राप्त करतें है किन्तु ये धार्मिक ग्रन्थ की श्रेणी में नहीं है।


4 आर्यसमाज राम और कृष्ण को नहीं मानता?
उत्तर:- गलत।
आर्यसमाज प्रभु राम और योगेस्वर कृृष्ण को महापुरुष की श्रेणी में रखता है। अपना आदर्श मानता है। अपना पूर्वज मानता है। उनके बताये रास्ते पर चलने
का आग्रह करता है। किन्तु इनकी मूर्ति बना कर पूजने को इन महापुरुषों का अपमान मानता है। और ये महापुरुष भी परमपिता परमात्मा की ही उपासना करते थे!


5. आर्यसमाज ऋषि दयानंद के अतिरिक्त किसी अन्य महर्षि को महत्त्व नहीं देता?
उत्तर:- गलत।
महर्षि ने स्वंय कहा की यदि मै ऋषि कणाद या ऋषि जैमिनी के काल में होता तो उनके समक्ष मैं अपने आप को कुछ भी नहीं मानता हूँ। यानी ऋषि के हर्दय में अपने सभी वैदिक ऋषियों के प्रति असीम सम्मान था। आर्यसमाज भी समस्त वैदिक ऋषियों के प्रति सम्मान
रखता है। इसमें आदिगुरुशंकराचार्य
जी भी है जिन्होंने वैदिक धर्म
की पुनरिस्थापना की और समाज को अवैदिक[अर्थात् पाखण्ड से] मार्ग पे जाने से बचाया।


6 .आर्यसमाज अन्य विचारधारों का सम्मान नहीं करता?
उत्तर:- गलत।
आर्यसमाज अन्य विचारधाराओं का सम्मान करता है एवं उनकी उपयोगिता से परिचत है। आर्यसमाज समझता है
की मनुष्य का एक ही धर्म है जो वैदिक
आलोक में हो किन्तु समाज में एक सी बुद्धि न होने के कारन विचारधारा भिन्न हो सकती है। आर्यसमाज वेदों का विरोध करने वाले बुद्ध को भी “महात्मा” बुद्ध कहता है। अनीश्वरवादी जैन धर्म के प्रवर्तक को भी “भगवान” महावीर कहता है। किन्तु किया असत्य को असत्य न कहा जाये ??? समाज को न बताया जाए की सही मार्ग (वैदिक मार्ग ही उचित है) क्या है ???
सत्य कटु होने के कारण लोगों को चुभता है। सत्य कहने के लिए
साहस चाहिये जिसमे आर्यसमाज हमेशा आगे है।


7 . आर्यसमाज ऋषि दयानंद को गुरु मानता है।
उत्तर:- गलत।
हमारे गुरु मात्र वेद है। हम अपना दिशा निर्देशन वेदों से प्राप्त करतें है। जो जो वैदिक हो उसे ग्रहण करते है और अवैदिक का त्याग करते हैं। ऋषि दयानंद जी के प्रति अपने हर्दय में सम्मान रखतें हैं किन्तु कभी भी कहीं भी ऋषि की पूजा नहीं करते हम उनके द्वारा दिखाए गए सत्य मार्गो का अनुसरण करते है|
___________________________________
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
*हमारा संकल्प है विश्व को आर्य बनाना*
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁


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🌹ओ३म्🌹 मन्त्र पवमानास इन्दवसतिरः पवित्रमाशवः ।इन्द्रः यामेभिराशत।।ऋ• 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 भावार्थ जो पुरूष...

🌹ओ३म्🌹
मन्त्र
पवमानास इन्दवसतिरः पवित्रमाशवः ।इन्द्रः यामेभिराशत।।ऋ•
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

भावार्थ
जो पुरूष ज्ञानयोग वा कर्मयोग द्वारा अपने आप को ईश्वर के ज्ञान का पात्र बनाते है ।उन्हें परमात्मा अपने अनन्त गुणों से प्राप्त होता है ।सच्चिदादि अनेक गुणों का लाभ करता है ।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
भावना आर्या मथुरा
💐💐💐💐💐💐💐💐💐


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नमस्ते मित्रो, जीव के दाृरा भूतकाल में किए हुए कर्म उसका वर्तमान है और वर्तमान में किए जा रहे कर्म...

नमस्ते मित्रो,
जीव के दाृरा भूतकाल में किए हुए कर्म उसका वर्तमान है और वर्तमान में किए जा रहे कर्म जीव के भविष्य का बीज है जीव को जाति (मनुष्य, पशु,पक्षी,कीडे,मकोडे,वृक्ष आदि), आयु और भोग (सुख व दुख) कर्मों के आधार पर ही मिलते है ईश्वर की बडी दया है मनुष्य के ऊपर कि ईश्वर ने मनुष्य को कर्म करने की स्वतंत्रता प्रदान की है कर्म वह कलम है जिससे मनुष्य जैसा चाहे अपना भविष्य अर्थात भाग्य लिख सकता है परंतु फिर भी हम अपने भाग्य में मोक्ष का सुख ना लिखे तो ईश्वर क्या करे । ओ३म्


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*|७८| ऋषि सन्देश |७८|* “एक धन, दूसरे बन्धु कुटुम्ब कुल, तीसरी अवस्था(आयु), चौथा उत्तम कर्म और...

*|७८| ऋषि सन्देश |७८|*

“एक धन, दूसरे बन्धु कुटुम्ब कुल, तीसरी अवस्था(आयु), चौथा उत्तम कर्म और पांचवी श्रेष्ठ विद्या ये पांच मान्य(आदरणीय) के स्थान हैं | परन्तु धन से उत्तम बन्धु, बन्धु से अधिक अवस्था, अवस्था से श्रेष्ठ कर्म और कर्म से पवित्र विद्या वाले उत्तरोत्तर अधिक माननीय हैं ||”

__/\__ स्वामी दयानन्द सरस्वती [सत्यार्थ प्रकाश समु० १० (मनुस्मृति २/१३६)]


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महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन का प्रेरक प्रसंग… एक दिन मथुरा का एक व्यक्ति चौबे महर्षि दयानंद...

महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन का प्रेरक प्रसंग…
एक दिन मथुरा का एक व्यक्ति चौबे महर्षि दयानंद सरस्वती जी के पास आया और ‘जय-जय राधाकृष्ण’ कह कर बैठ गया । फिर उसने थोड़ी सी मिट्टी उन्हें देनी चाही । उन्होने पूछा यह कैसी मिट्टी है।तो उसने कहा कि यह मिट्टी श्री कृष्ण जी ने खाई थी ।
महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कहा की खाई होगी - बच्चे मिट्टी खाया ही करते है, परंतु बड़े आयु के मनुष्यों को तो मिट्टी खाना योग्य नहीं ।
फिर महर्षि ने उससे कहा कि तुम्हारे स्त्री सुरूपा और चतुर है ।
इस पर वह चौबे क्रोध करने लगा।
तो महर्षि जी ने उससे कहा कि तुम छोटी स्थिति के मनुष्य हो । तुमने इस बात पर कितना बुरा माना, यदि तुम श्री कृष्ण जी से कहते कि आप परस्त्री - गमन करते है और आप की गोपियां कैसी सुंदर है, तो वह तुम्हारे साथ क्या बर्ताव करते ।
यह सुनकर वह बहुत लज्जित हुआ और उठ कर चला गया…
हिन्दू समाज ने श्री कृष्ण सरीखे महापुरुष पर परस्त्री गमन का न केवल दोष लगाया अपितु राधावल्लभ, गोपिरमन जैसे नाम देकर उन्हें अपमानित भी किया है।
सत्य यह है कि श्रीकृष्ण जी की केवल
एक पत्नी थी वह थी माता रुक्मणी…


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पाकिस्तान में हिन्दू थे .. सिख थे .. कुछ इसाई थे और फिर सुन्नी मुस्लिम थे.. शिया मुस्लिम थे .....

पाकिस्तान में हिन्दू थे .. सिख थे .. कुछ इसाई थे और फिर सुन्नी मुस्लिम थे.. शिया मुस्लिम थे .. अहमदिया मुस्लिम थे…
सबसे पहले हिन्दू को मारा गया क्यूंकि ये तो मुस्लिम थे ही नहीं …. फिर वो ख़त्म होने को आये तो इसाई को साथ में मारा गया … फिर ये दोनों ख़त्म होने को आये तो सिख तो वैसे भी कम थे.. कब ख़त्म कर दिए गए पता ही नहीं चला …
फिर बचे मुसल्लम… अब क्या करें ? साला किसको मारें ? हमारी तो आदत है खून करने की .. ऐसे तो बैठ नहीं सकते … तभी पाकिस्तान में घोषणा करवाई गयी की… अहमदिया .. मुस्लिम नहीं है .. नकली मुस्लिम है …. बस रातों रात सारे सुन्नी और शिया मुस्लिम …….अहमदिया मुस्लिम को मारने दौड़ पड़े… सारे अहमदिया मारे जाने लगे और पाकिस्तान छोड़ कर इधर उधर जंगल में दुसरे देशों में भागने लगे ……… ध्यान रहे .. हिन्दू इसाई आदि को मारने समय में ये अहमदिया मुस्लिम ने भी खूब साथ निभाया था .. और अब खुद काटे जा रहे थे ………
खैर धीरे धीरे अहमदिया का मामला अल्लाह ने निपटा दिया .. अब बचे शिया और सुन्नी …… दोनों बैठे रहे .. बैठे रहे .. बैठे रहे…….. दोनों सोच रहे थे .. साला हम तो इंसानों की हत्या ना करें तो कैसा मुस्लिम ? ? इतने दिन हो गए .. किसको मारें क्या करें ………
तभी सुन्नी बोला .. शिया सच्चा मुस्लमान नहीं होते …
शिया ने भी बोला .. तुम सुन्नी भी सच्चा मुसलमान नहीं होते …….
बस फिर निकल गयी तलवारें .. शिया मारने लगे सुन्नी को और सुन्नी काटने लगे शिया को …….ध्यान रहे पहले शिया और सुन्नी दोनों ने मिल कर दुसरो की हत्या की थी ……..और अब खुद ही एक दुसरे को मारने में लगे थे..
‘इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस’ ने अपनी 2014 की रपट में कहा है कि एक कड़वी सचाई यह है कि 2013 में 80 फीसदी आतंकवादी मौतें केवल पांच देशों इराक, सीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में हुई हैं। ये सभी इस्लामी देश हैं। याने सबसे ज्यादा मुस्लाल्मानो की मौत इस्लामिक देशो में होती है …
(कोई मुर्ख हिन्दू ये ना समझे की ऐसे में तो ये लोग खुद लड़ कर मर ही जायेंगे तो टेंशन क्या है .. इसलिए मैंने शुरू में ही बता दिया की मुस्लिम एक दुसरे की हत्या करना तब शुरू करते हैं जब हिन्दूओं को, बौद्धों को, ईसाईयों को मिल कर निपटा लेते हैं। )


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Monday, August 22, 2016

*🌷गुणों के धनी-श्रीकृष्ण🌷* *दुर्योधन-*यह मैं अच्छी प्रकार जानता हूं कि तीनों लोकों में इस समय यदि...

*🌷गुणों के धनी-श्रीकृष्ण🌷*

*दुर्योधन-*यह मैं अच्छी प्रकार जानता हूं कि तीनों लोकों में इस समय यदि कोई सर्वाधिक पूज्य व्यक्ति है तो वह विशाल-लोचन श्रीकृष्ण हैं।-(महाभारत उद्योगपर्व ८८/५)

*धृतराष्ट्र-*श्रीकृष्ण अपने यौवन में कभी पराजित नहीं हुए।उनमें इतने विशिष्ट गुण हैं कि उनकी परिगणना करना सम्भव नहीं है।-(महा० द्रोणपर्व १८)

*भीष्म पितामह-*श्रीकृष्ण द्विजातीयों में ज्ञानवृद्ध तथा क्षत्रियों में सर्वाधिक बलशाली हैं।पूजा के ये दो ही मुख्य कारण होते हैं जो दोनों श्रीकृष्ण में विद्यमान हैं।वे वेद-वेदांग के अद्वितीय पण्डित तथा बल में सबसे अधिक हैं।दान,दया,बुद्धि,शूरता,शालीनता,चतुराई,नम्रता,तेजस्विता,धैर्य,सन्तोष-इन गुणों में केशव से अधिक और कौन है ?-(महा० सभा० ३८/१८-२०)

*वेदव्यास-*श्रीकृष्ण इस समय मनुष्यों में सबसे बड़े धर्मात्मा,धैर्यवान् तथा विद्वान् हैं।-(महा० उद्योग० अध्याय ८३)

*अर्जुन-*हे मधुसूदन ! आप गुणों के कारण ‘दाशार्ह’ हैं।आपके स्वभाव में क्रोध,मात्सर्य,झूठ,निर्दयता एवं कठोरतादि दोषों का अभाव है।-(महा० वनपर्व० १२/३६)

*युधिष्ठिर-*हे यदुवंशियों में सिंहतुल्य पराक्रमी श्रीकृष्ण ! हमें जो यह पैतृक राज्य फिर प्राप्त हो गया है यह सब आपकी कृपा,अद्भुत राजनीति,अतुलनीय बल,लोकोत्तर बुद्धि-कौशल तथा पराक्रम का फल है।इसलिए हे शत्रुओं का दमन करने वाले कमलनेत्र श्रीकृष्ण ! आपको हम बार-बार नमस्कार करते हैं।-(महा० शान्तिपर्व ४३)

*बंकिमचन्द्र-*उनके(श्रीकृष्ण)-जैसा सर्वगुणान्वित और सर्वपापरहित आदर्श चरित्र और कहीं नहीं है,न किसी देश के इतिहास में और न किसी काल में।-(कृष्णचरित्र)

*चमूपति-*हमारा अर्घ्य उस श्रीकृष्ण को है,जिसने युधिष्ठिर के अश्वमेध में अर्घ्य स्वीकार नहीं किया।साम्राज्य की स्थापना फिर से कर दी,परन्तु उससे निर्लेप,निस्संग रहा है।यही वस्तुतः योगेश्वर श्रीकृष्ण का योग है।-(योगेश्वर कृष्ण,पृष्ठ ३५२)

*स्वामी दयानन्द-*देखो ! श्रीकृष्णजी का इतिहास महाभारत में अत्युत्तम है।उनका गुण-कर्म-स्वभाव और चरित्र आप्त पुरुषों के सदृश है,जिसमें कोई अधर्म का आचरण श्रीकृष्ण जी ने जन्म से लेकर मरण-पर्यन्त बुरा काम कुछ भी किया हो,ऐसा नहीं लिखा।

*लाला लाजपत राय ने अपने श्रीकृष्णचरित में श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में एक बड़ी विचारणीय बात लिखी है-“संसार में महापुरुषों पर उनके विरोधियों ने अत्याचार किये,परन्तु श्रीकृष्ण एक ऐसे महापुरुष हैं जिन पर उनके भक्तों ने ही बड़े लांछन लगाये हैं।श्रीकृष्णजी भक्तों के अत्याचार के शिकार हुए हैं व हो रहे हैं।"आज श्रीकृष्ण के नाम पर 'बालयोगेश्वर’ 'हरे कृष्ण हरे राम’ सम्प्रदाय,राधावल्लभ मत और न जाने कितने-कितने अवतारों और सम्प्रदायों का जाल बिछा है,जिसमें श्रीकृष्ण को भागवत के आधार पर 'चौरजार-शिखामणि’ और न जाने कितने ही 'विभूषणों’ से अलंकृत करके उनके पावन-चरित्र को दूषित करने का प्रयत्न किया है।कहाँ महाभारत में शिशुपाल-जैसा उनका प्रबल विरोधी,परन्तु वह भी उनके चरित्र के सम्बन्ध में एक भी दोष नहीं लगा सका और कहाँ आज के कृष्णभक्त जिन्होंने कोई भी ऐसा दोष नहीं छोड़ा जिसे कृष्ण के मत्थे न मढ़ा हो! क्या ऐसे 'दोषपूर्ण’ कृष्ण किसी भी जाति,समाज या राष्ट्र के आदर्श हो सकते हैं?*


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ऐसा भी हो सकता है, कि आप तो दूसरे व्यक्ति के साथ संगठन में रहना चाहते हों, परंतु दूसरा व्यक्ति अपने...

ऐसा भी हो सकता है, कि आप तो दूसरे व्यक्ति के साथ संगठन में रहना चाहते हों, परंतु दूसरा व्यक्ति अपने स्वार्थ के कारण आपके साथ संगठन में नहीं रहना चाहता हो। ऐसी स्थिति में भी दूसरों के सहयोग से संठन बनाए रखने का प्रयास करें। लेकिन आप अपने स्वार्थ के कारण तो संगठन को न छोडें। क्योंकि संगठन में ही शक्ति है।


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ईश्वरीय वाणी यजुर्वेद:– तमेव विदित्याति मृत्युमेति।। तुम्हे जानकर ही मृत्यु से छूट सकते...

ईश्वरीय वाणी यजुर्वेद:– तमेव विदित्याति मृत्युमेति।।
तुम्हे जानकर ही मृत्यु से छूट सकते हैं।।
अत्यंत आत्मीयता और प्रेम में तू सम्बोधन प्रयोग होता है ईश्वर और माँ के प्रति…
संसार के बड़े बड़े ज्ञानी डगमगा जाते हैं मृत्यु के भय से,नहीं घबराते तो कर्तव्यनिष्ठ क्षत्रिय(यौद्धा) अथवा आत्मा के प्रत्यक्ष जानने वाले…
मृत्यु से बड़ी पीड़ा कोई नहीं… पढ़ा और सुना जाता है जब प्राणों का उत्क्रमण होता है अर्थात् जब सुक्ष्म शरीर ज्ञानेन्द्रियों कर्मेन्द्रियों को स्थूल शरीर के इन्द्रिय गोलकों से वापिस खींचता है तब सभी प्राण स्थूल देह से सिमटते हैं सुक्ष्म क़ी ओर… कहा जाता है तब जीव अत्यंत पीड़ा का अनुभव करता है,कई कई जगह वर्णन आया है कि जैसे लाखों बिच्छू एक साथ डंक मार रहें हो इतनी ही पीड़ा होती है…पर प्रकृति दयावान है जब अत्यंत पीड़ा का सामान जीव को करना होता है तो यह उसे अचेत करके सुषुप्ति में पहुंचा देती है… जब जब प्राण निकलते हैं तब तब इस कष्ट को सहना होता है,हर प्राणी को हर बार हर जन्म में मृत्यु आती है और यह असहय कष्ट सहना ही होता है चाहे राजा हो अथवा भिक्षुक कोई अंतर नही पड़ता… एक और कष्ट है अत्यंत मानसिक क्लेश देने वाला कि जब हम जन्म लेते हैं तो इसी जीवन के आरम्भ से लेकर अंत तक महसूस करते हैं,इससे पूर्व का और पश्चात् का जीवन हम नही जानते(नही अनुभव होता); इस करके सारा जीवन ही शरीर के अस्तित्व में ही मैं की अनुभूति होती रहती है…परिणाम ये होता है जब जब मरने का जिक्र आता है तब तब उसे अपना सम्पूर्ण अस्तित्व समाप्त होता दिखाई देता है क्यूंकि उसने कभी स्वयं को शरीर से भिन्न अनुभव किया ही नही… जिससे उसे अनुभव होता है मैं मर रहा हूँ अर्थात् मेरा अस्तित्व समाप्त हो रहा है, ये जो संसार में मेरी सम्पत्ति और मेरे प्रियजन हैं सब मुझसे हमेशा के लिए छूट रहें हैं इनसे मेरा अब कभी पुनः मिलन न होगा… शरीर को ही मैं अनुभव किया सारी आयु इससे उससे जब शरीर प्राणहीन होता दिखता है तब वह कहता है आह मैं मर रहा हूँ माने के उसे स्वयं के नष्ट होने की अनुभूति होती है और यही सबसे कष्टकारी बात है कि अपना अस्तित्व ही अपने सामने नष्ट होता दिखे… सो इस कष्ट से मुक्ति तभी सम्भव है जब मरण से ही मुक्ति मिल जाये… मरण से मुक्ति तब सम्भव है जब जन्म ही न हो दौबारा… और यह तब सम्भव है जब ईश्वर अनुग्रह और योगाग्नि से चित्त के संस्कार जलभुनकर भस्म हो जाएँ और चित्त में वासना वृत्ति जन्म न लेकर ईश्वर में ही तल्लीन ही जाएँ…इसलिए #अष्टांगयोगनिष्ठ विक्रान्त और #ashok कुमार की आपसे प्रार्थना है कि हे ईश्वर,हे अमृत! हमे इस बार बार के मृत्यु की असहनीय पीड़ा से छुटकारा दिलवाईये।…


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💐💐*मुस्कुराहट का महत्व*💐💐 👍_*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे...

💐💐*मुस्कुराहट का महत्व*💐💐

👍_*अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।_*

👍_*अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।*_

👍_*अगर आप एक ग्रnहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*_

👍_*अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।*

👍_*अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।_*

👍_*अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।*

👍_*कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।_*

🌺_*मुस्कुराइए, 😊क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।_*

🌺_*मुस्कुराइए, 😊क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।_*

🌺_*मुस्कुराइए, 😊क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।_*

🌺_*मुस्कुराइए, 😊क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।”_*

🌺 _*मुस्कुराइए ,😊क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।”*_

🌺_*मुस्कुराइए, 😊क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।”*_

🌺_*मुस्कुराइए,😊 क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है”*

*और सबसे बड़ी बात*

_*“मुस्कुराइए, 😊 क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।”*_

*_इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं,_*
_*यही जीवन है।*_

_*आनंद ही जीवन है।।*_
🌺🌺🌺💢🎉🌺🌺🌺
🙏


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1. - 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं...

1. - 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।

2. - कुल 13 अधारणीय वेग हैं
3. - 160 रोग केवल मांसाहार से होते है।

4. - 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।

5. - 80 रोग चाय पीने से होते हैं।

6. - 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।

7. - शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।

8. - अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।

9. - ठंडेजल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।

10. - मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।

11. - भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।

12. - बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।

13. - दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।

14. - शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।

15. - गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।

16. - टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।

17. - खड़े होकर जल पीने से घुटनों (जोड़ों) में पीड़ा होती है।

18. - खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।

19. - भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।

20. - जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।

21. - मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।

22. - पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय (टीबी) होने का डर रहता है।

23. - चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।

24. - तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।

25. - मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।

26. - अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

27. - हृदयरोगी के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।

28 - भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।

29. - अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।

30. - मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।

31. - जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतल बंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।

32. - नींबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है। डॉ.कैलाश कर्मठ कलकता


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1. - 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं...

1. - 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।

2. - कुल 13 अधारणीय वेग हैं
3. - 160 रोग केवल मांसाहार से होते है।

4. - 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।

5. - 80 रोग चाय पीने से होते हैं।

6. - 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।

7. - शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।

8. - अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।

9. - ठंडेजल (फ्रिज) और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।

10. - मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।

11. - भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।

12. - बाल रंगने वाले द्रव्यों (हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।

13. - दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।

14. - शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।

15. - गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।

16. - टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।

17. - खड़े होकर जल पीने से घुटनों (जोड़ों) में पीड़ा होती है।

18. - खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।

19. - भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।

20. - जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।

21. - मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।

22. - पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय (टीबी) होने का डर रहता है।

23. - चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।

24. - तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।

25. - मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।

26. - अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

27. - हृदयरोगी के लिए अर्जुन की छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।

28 - भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।

29. - अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।

30. - मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।

31. - जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतल बंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।

32. - नींबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है। डॉ.कैलाश कर्मठ कलकता


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વેકેશન માણો રાજકોટ નજીકના બેસ્ટ પિકનિક સ્થળોએ…આ જગ્યાઓએ કલાકમાં પહોંચી શકાય ! બૌદ્ધ ગુફાથી...

વેકેશન માણો રાજકોટ નજીકના બેસ્ટ પિકનિક સ્થળોએ…આ જગ્યાઓએ કલાકમાં પહોંચી શકાય !
બૌદ્ધ ગુફાથી માંડી, વૈભવી મહેલ, પૌરાણિક મંદિરો, આબુની યાદ અપાવતા ડુંગરાની મુલાકાત લેવા જેવી છે…

જન્માષ્ટમીના તહેવારમાં બહાર ફરવાના જેમણે કોઈ પ્રોગ્રામ કર્યા નથી એમના માટે રાજકોટથી એક-બે કલાકના અંતરે પહોચી શકાય એવા જાણીતા અજાણ્યા ફરવાલાયક સ્થળોની જાણકારી આપવી છે. જ્યાં વન-ડે પિકનિક કરી રજામાં ભરપુર મજા લૂંટી શકો છો. 100 કિમીની અંદર જ આવી જતા ઐતિહાસિક ગુફાથી માંડી ગઢો, મહેલો સહિતના બેસ્ટ સ્થળો જીવનભરનું સંભારણું બાંધી લે તેવા છે. એડવન્ચર છે, નદી નાળામાં ન્હાવાની મજા પણ માણી શકો અને ટ્રાકિંગ પણ કરી અહી મીની વેકેશનની મજા માણી શકો છો. સાથે શ્રાવણ માસમાં મહાદેવની ભક્તિ પણ કરી શકો છો.
હનુમાનધારા: રાજકોટ શહેરથી એકદમ નજીક અને રજા માણવા જેવી જગ્યા છે. રાજકોટથી 6 કિમી દૂર આ સ્થળે ન્યારી ડેમના કાંઠે હનુમાનજીનું મંદિર છે. શનિવારે ભક્તોની ભીડ રહે છે. લોકો અહી જમવાનું લઇ સવારથી સાંજ સુધી સમય ગાળે છે. હનુમાનધારાથી આગળ ચોકીધાણી પાછળ સાઈબાબાનું મંદિર જોવા જેવું છે. અહી શ્રીજી ગૌશાળામાં પણ સાંજનો સમય પસાર કરી શકાય તેમ છે.
ઈશ્વરિયાપાર્ક: માધાપર ગામમાં ઈશ્વરીય પાર્ક વિશાળ જગ્યામાં પથરાયેલો છે. નદીમાં પાણી આવી જતા અત્યારે બાટિંગચાલું છે. લોકોના આકર્ષણ માટે અહી ડાયનાસોર મુકવામાં આવ્યાં છે. સંધ્યા સમયે અહી ફોટોગ્રાફીની કરવાની મજા આવે છે. પ્રિવાડિંગ ફોટોશૂટ પણ થાય છે. સીટી બસ પણ જાય છે. રાજકોટ નજીક પ્રદ્યુમનપાર્ક, લાલપરી તળાવ, ભીચરી, આજીડેમ, ન્યારી ડેમ, આજીડેમ પાછળ થોરાળાવીડી સહિતના સ્થળોએ પણ સવારથી સાંજ ફરવા જઈ વિકેન્ડ પસાર કરી શકો છો.
ચંદ્રમૌલેશ્વર મંદિર: રાજકોટથી 15 કિમીના અંતરે રતનપર પાસે સ્ફટીકના શિવાલિંગવાળું ચન્દ્રમૌલેશ્વર મંદિર આવ્યું છે. સફ્ટીકનું ભારતનું બીજું મંદિર છે. અહી શ્રાવણમાસમાં ભક્તોનું ઘોડાપુર ઉમટે છે. મેળો પણ ભરાઈ છે. મોરબી રોડ પરનું પૌરાણિક રફાળેસ્વર મહાદેવ મંદિર પણ જોવા જેવું છે.
બાલાચડી બીચ: રાજકોટથી 80 કિમી દૂર છે. અહી દિવસમાં બે વખત દરિયામાં ભરતી આવે છે. ત્યારે લોકો નાહવાની મજા લૂંટે છે. ભરતી ના હોય ત્યારે દરિયાનું પાણી બહુ દૂર જતું રહે છે. અહીનો દરિયો એકદમ શાંત છે. બલાચડીની બાજુમાં ખિજડિયાપક્ષી અભ્યારણ છે. અહી પ્રકૃતિ પ્રેમી અને ફોટોગ્રાફીના સોખીનોને ફોટો શૂટ કરવાની મજા પડે છે.

હિંગોળગઢ: રાજકોટથી માત્ર 78 કિમી દુર હિંગોળગઢ જસદણ નજીક છે. પ્રાકૃતિક શિક્ષણ કેન્દ્રની સાથે હિંગોળગઢ ઐતિહાસિક વારસાની ધરોહર સમાન છે. ઉંચા ડુંગરાની ઉપર બનાવેલો ગઢ આજે પણ બેનમૂન છે. ગઢની સ્થાપના 1801ની સાલમાં જસદણના રાજવી વાજસૂર ખાચરે કરી હતી. વાજસૂર ખાચર માતા હિગળાજના ભક્ત હતા. એટલે હિંગળાજ માતાનું અધિષ્ઠાન કરી હિંગળાજ માતાના નામ પરથી ગઢનું નામ હિંગોળગઢ રાખ્યું છે. હિંગોળઢનું જંગલ 654 સ્ક્વેરફીટ કિમીમાં પથરાયેલુ છે. પક્ષી અભ્યારણ તરીકે પણ ઓળખાય છે. અહી 230 જાતના વિવિધ પક્ષી જંગલમાં વસવાટ કરે છે. 19 પ્રજાતિના સાપ રાખ્યા છે. અત્યારે વરસાદના કારણે હરિયાળી ખીલી ઉઠી છે. પહાડી વિસ્તારના કારણે રોઝ, નીલગાય, હરણ વગેરે તૃણભક્ષી પ્રાણીઓ વિહાર કરે છે. હિલસ્ટેશનના લીધે ભરપૂર ફોટોગ્રાફી કરી શકો છો. આ પ્રાકૃતિક સ્થળ છે. પ્રકૃતિ પ્રેમીઓ માટે આ જગ્યા બેસ્ટ છે. અહી જાણે પ્રકૃતિના ખોળામાં બેઠા હોય એવો અહેસાસ થાય છે. હિંગોળગઢ નજીક જસદણના રાજાનું ટોચ ઉપર એક મ્યુજીયમ છે. એ પણ જોવા જેવું છે. આ બંને સ્થળોએ પહોચવા માટે રાજકોટથી જસદણની દર કલાકે એસટી બસ ઉપાડે છે. જસદણથી ખાનગી વાહનો અને છકડો રિક્ષા કરી પણ પહોચી શકાય છે. અહી વન ભોજન પણ કરી શકો છો.
ઘેલાસોમનાથ: રાજકોટથી 78 કિમીના અંતરે છે. ઘેલાસોમનાથ એ સૌરાષ્ટ્રનું બીજું સોમનાથ ગણવામાં આવે છે. ફરતી બાજુ ડુંગરા અને વચ્ચે મંદિર હોવાથી જગ્યામાં સુંદર નજારો સ્વર્ગ સમાન ભાસે છે. ઉંચું શિખરબદ્ધ મંદિર વિશાળ પટાંગણમાં પથરાયેલું છે. આ શિવલીંગને બચાવવા હજારો બ્રાહ્મણોએ પોતાના જીવ આપ્યા હતા. 1457ની સાલમાં ગુજરાત ઉપર મહમદ જાફરની આણ વરતાતી હતી. તેમને ભૂગર્ભમાં શિવલીંગ છે તેની જાણ થતા આક્રમણ કર્યુ હતું. પરંતુ મહમદ જાફરની કુંવરી હુરલ મીનળદેવી સાથે ગઈ હતી અને પોતાના પિતાના મનસૂબાની જાણ કરી. આજ સમયે મીનળદેવીને સ્વપ્નમાં આવ્યું તે મુજબ શિવલીંગને પાલખીમાં લઈ ઘેલા વાણિયા સાથે નીકળી ગઈ. મીનળદેવી અને ઘેલો વાણિયો પાલખી લઈને દૂર દૂર સુધી નીકળી ગયા ત્યારે સુલતાનને ખબર પડી કે લીંગ તો સોમનાથમાં રહી નથી. આથી તેમણે તેનું સૈન્ય પાલખી પાછળ દોડાવ્યું. ઘેલો વાણિયો અને મીનળદેવી વેરાવળથી 250 કિમી દૂર જસદણ પાસેના કાળાસર અને મોઢકા વચ્ચે નદીના કાંઠે શિવલીંગની સ્થાપના કરી. આ લડતમાં ઘેલો વાણિયો હણાતા મંદિરનું નામ ઘેલા સોમનાથ પડયું. તેમજ બાજુમાંથી પસાર થતી નદીનું નામ પણ ઘેલો નદી પડી ગયું. મીનળદેવી મંદિરની સામે ડુંગર પર સમાધી લીધી હતી. શ્રાવણ માસના દર સોમવારે અહી મેળો ભરાઈ છે. મેળો માણવા જસદણ આસપાસના ગામડામાંથી મોટી સંખ્યામાં લોકો ઉમટી પડે છે. જસદણ પાસે બિલેશ્વર મહાદેવ મંદિર છે. ત્યાં પણ દર્શન કરવા જવા જેવુ છે. અહીં પહોંચવા માટે જસદણથી પ્રાઈવેટ વાહન કરવું પડે છે.
જડેશ્વર મહાદેવ: રાજકોટથી 56 કિમીના અંતરે આવેલ છે. વાંકાનેરથી ૧૦ કી.મી.ના અંતરે આવેલા લીલાછમ ડુંગરાઓની હારમાળા પૈકી રતન ટેકરી ઉપર સ્વયંભૂ શ્રી જડેશ્વર મહાદેવનું મંદિર આવેલું છે. સદીયો પુરાણા આ મંદિરનો ઈતીહાસ જામનગરના રાજા જામ સાહેલ સાહેલ જોડાયેલો છે. સાથો સાથ વાંકાનેર તાલુકાના ગ્રામ્ય વિસ્તારના ગોવાળનો ગૌ માતાનો દુધાભિષેક સહીતના અનેક પ્રસંગો આ મંદિરના ઈતીહાસમાં સમાયેલા છે. ડુંગરા ઉપર સ્વયંભૂ રીતે પ્રગટયા એટલે જડયા એટલે મહાદેવનું નામ સ્વયંભૂશ્રી જડેશ્વર મહાદેવ રખાયું હોવાનું તેમજ શ્રાવણમાસના બીજા સોમવારે પ્રાગટય થયેલ હોય શ્રાવણ માસના બીજા સોમવારે દાદાનો પ્રાગટયદિન ઉજવાય છે. ધાર્મિક કાર્યક્રમો સાથે લોકમેળો યોજાય છે.
શ્રાવણ માસના દરેક રવિ-સોમવારે અહી મેળો ભરાઈ છે. ત્યારે ભક્તો દર્શનની સાથે મેળાની મજા માણે છે. રાજકોટથી જડેશ્વર જવા માટે વાંકાનેર સુધી બસ મળે છે ત્યાંથી ખાનગી વાહનમાં જવું પડે છે. મોરબીથી પણ નજીક થાય છે. અહી રહેવાની પણ વ્યવસ્થા છે. જડેશ્વરની સાથે વાંકાનેરમાં ગાયત્રી મંદિર પણ જોવા જેવું છે. શ્રાવણ માસના બીજા રવી સોમના યોજાતા લોકમેળામાં ભાવીકોને જવા તથા આવવા માટે વાંકાનેર એસ.ટી. ડેપો દ્વારા જુદા જુદા રૃટ પરથી બસો પણ શરૃ કરવામાં આવે છે.
રણજીત વિલાસ પેલેસ: વાંકાનેરના રાજાનો ઐતિહાસિક રણજીત વિલાસ પેલેસ પણ જોવા જેવો છે. જ્યાં હમણાં આવેલી ગ્રેટ ગ્રાન્ડ મસ્તી સહિતની હિન્દી ફિલ્મના શાટિંગ થયા છે. આ પેલેસ ઈ.સ.1907માં વાંકાનેરના રાજા અમરસિંહે બંધાવેલો છે. મહેલ રરપ એકરમાં પથરાયેલો છે. સ્થાપત્ય અને કલાની દ્રષ્ટિએ આ મહેલ બેનમૂન છે. આ મહેલ વાંકાનેરમાં એક ટેકરી ઉપર છે. મહેલ ઉપર વોચ ટાવર છે. મહેલનો ઘુમ્મટ મુગલ શૈલીનો, બારીઓ વિકટોરિયન પ્રકારની અને આગળનો ફુવારો ઈટાલિયન સ્ટાઈલનો છે. દિવાનખંડ ભવ્ય છે. વિશાળ કમાનો અને ઝરૂખાઓ છે. અહીંના પ્રદર્શનમાં રાજવીઓની ઘણી પ્રાચીન ચીજો દર્શાવાઈ છે. તેમાં તલવાર, ભાલા, ઢાલ, બખ્તરો છે. મસાલા ભરીને સાચવેલાં પ્રાણીઓના શરીરો તથા રાજાના તૈલચિત્રો છે.
રામપરા વાઈલ્ડ લાઈફ અભ્યારણ: રાજકોટથી માત્ર 50 કિમીના અંતરે આવેલું આ સ્થળ સૌથી મજેદાર છે. જાણે કે તમે ગીરના જંગલમાં ફરતા હોય તેવો અહેસાસ થાય. એટલું જ નહિ અહી તમને ગીરના સાવજો પણ આરામથી જોવા મળે. સિંહની સાથે દીપડા, હરણ, ચિતલ સહિતના જંગલી પ્રાણીઓ પણ જંગલમાં વિહરતા હોય છે. 130 જાતના પક્ષી પણ અહી છે. રામપરા અભ્યારણમાં અત્યારે 11 સિંહ છે. આમ તો આ સિંહનું બ્રીડીંગ સેન્ટર છે. રામપરા વાંકાનેર શહેરથી એકદમ નજીક છે. જોકે જંગલમાં જવા માટે વાંકાનેરના આરએફઓની મંજૂરી લેવી પડે છે. અત્યારે હરિયાળી સોળે કળાએ ખીલી છે એટલે ફોટોગ્રાફી કરવાની મજા આવે છે. પ્રકૃતિ પ્રેમીઓ માટે બેસ્ટ પ્લેસ છે. અભ્યારણ સવારે 7 વાગ્યાથી સાંજના 7 વાગ્યા સુધી ખુલ્લું રહે છે.
જરિયા મહાદેવ; ચોટીલા આપને વારંવાર જતા હોય પરંતુ બહુ ઓછું જાણીતું સ્થળ એટલે જરિયા મહાદેવ રાજકોટ થી 60 કિમી દૂર આવેલી આ જગ્યા ચોટીલા નજીક છે. અહી એક મોટા પથ્થરની નીચે શિવાલિંગ છે જેના ઉપર કુદરતી રીતે પાણીનો અભિષેક 365 દિવસ 24 કલાક થતો રહે છે. જંગલમાં પાણીનું ટીપું પણ જોવાના ન મળે છતાં અહી પાણીનો અભિષેક થાય છે. અહી જવા માટે ચોટીલા પહેંચી ખાનગી વાહન કરી પહોચી શકાય છે. અહી શ્રાવણ મહિનામાં લોકોની ભીડ રહે છે. જરિયા મહાદેવની સાથે ચોટીલામાં જલારામબાપાના મંદિરની મુલાકાત લેવા જેવી છે. સુરજ દેવળ પણ સારી જગ્યા છે. ચોટીલા નજીક ત્રીમંદિર પણ છે.
ભીમોરા: ચોટીલા થી થાનની વચ્ચે ભીમોરા આવે છે. અહી ભીમની ગુફા છે. અહી ભીમ આવ્યાં હોવાની દંતકથા છે. તેનો પંજો અહી છે. ઐતિહાસિક જગ્યાના લીધે ફોટોગ્રાફી કરવાની મજા આવે છે. અહી પહોચવા માટે પ્રાઇવેટ વાહન જરૂરી છે. ભીમોરાથી થોડે દૂર બાન્ડયાબેલી જંગલ આવેલું છે.
અનળગઢ: રાજકોટથી 30 કિમીના અંતરે આવેલ આ જગ્યા હિલ સ્ટેશન તરીકે ઓળખાય છે. ડુંગર ઉપર મહાકાળી માતાજીનું પ્રાચીન મંદિર છે. ઉપર પ્રાચીન કિલ્લો છે. અહી વન ડે પિકનિક માટે મોટી સંખ્યામાં સહેલાણીઓ આવે છે. અહી કાર કે બાઇક ઉપર જ જઇ શકાય છે. જમવાનું કે નાસ્તો લઈને જવું અહી કઈ મળતું નથી. વરસાદી મોસમના લીધે ડુંગર હરિયાળીથી ખીલી ઉઠયો છે. રીબડા પાસે દાળેશ્વર મહાદેવ મદિર પણ છે.
ઓસમ ડુંગર: ધોરાજી તાલુકાના પાટણવાવ ગામમાં માઉન્ટ આબુ તરીકે ઓળખાતા ઓસમ ડુંગરની રમણિયતા મન મોહી લે છે. પ્રાકૃતિક સૌદર્ય માણવા સહેલાણીઓ મોટી સંખ્યામાં ઉમટી પડે છે. રાજકોટથી 110 કિમી દૂર આ ડુંગર ઉપર બ્રિટીશ રાજ વખતનો કિલ્લો છે. એવી લોકવાયકા છે કે, પાંડવોએ વનવાસ દરમિયાન અહીં વાસ કર્યો હતો. હાલ આ ડુંગર ઉપર બનાવેલા મંદિરમાં હિડીમ્બાનો હીંચકો, ભીમની થાળી મૌજુદ છે. તેમજ ડુંગર ઉપર પૌરાણિક શિવમંદિર છે. શિવમંદિરમાં રહેલા શિવલીંગ પર પાણીનો આપોઆપ અભિષેક થાય છે. આથી તેને ટપકેશ્વરના નામથી ઓળખાય છે. તેમજ માત્રી માતાજીનું મંદિર પણ છે. બાજુમાં હનુમાનજી મંદિર છે. આ ડુંગર તેના નામ મુજબ જ ઓસમ જ છે. અત્યારે સોળેકળાએ સૌદર્યતા ખીલી ઉઠી છે. અહીં જવા માટે રાજકોટથી ધોરાજી અને ત્યાંથી પાટણવાવ જવા માટે ખાનગી વાહનોની સગવડ મળી છે. પાટણવાવની રાણકીવાવ ઐતિહાસિક વારસાની ધરોહર સમાન છે. વાવનું બાંધકામ 10રરના વર્ષમાં કરવામાં આવ્યું હતું. લગભગ 40 વર્ષ સુધી બાંધકામનું કાર્ય ચાલ્યું હતું.
ગોંડલ રોડ ઉપર જલારામ બાપનું વિરપુર અને ખંભાલીડાની ગુફા પણ છે. ખંભાલીડા ગામમાં 1800 વર્ષ પહેલાની બૌદ્ધ ગુફાઓ છે. આ ગુફાની મુલાકાત લો તો તમે અજંતા-ઈલોરાની ગુફા ભૂલી જાવ તેટલી પ્રાચીન ઈતિહાસ સાથે સંકળાયેલી છે. અહીં જવા ગોંડલથી રીક્ષા મળે છે. જેતપુરમાં ભીડભંજન મદિરે પણ પ્રવાસીઓ દર્શન માટે આવે છે. ગોંડલમાં આશાપુરા મંદિર અને અંબાજી મંદિર પણ જોવા લાયક છે.
ભૂતનાથ મહાદેવ: રાજકોટ-ભાવનગર હાઇવે ઉપર હલેન્ડા પાસે ભૂતનાથ મંદિર આવ્યું છે. શ્રાવણ માસમાં અહી ભાવિકો મોટી સંખ્યામાં ઉમટે છે. આસપાસ બીલ્લી વચ્ચે શિવાલિંગ છે. વીડીમાં મદિર છે એટલે પ્રકૃતિની પણ મજા માણી શકાય છે. મોટી સંખ્યામાં મોર રહે છે. જ્યારે આરતી થાય ત્યારે મંદિરના પટાંગણમાં મોર આવી જાય છે. એ નજારો માનવા જેવો છuે. એકદમ શાંત જગ્યા છે. સૌદર્યથી ભરપૂર જગ્યા છે. ત્રંબા નજીક ત્રિવેણી આવે છે. બાજુમાં નદી હોવાથી લોકો ન્હાવાની મજા લૂંટે છે. અહીં મંદિર પણ છે……. Dhaval Sakhiya.


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GANDHI JI MAHAN Mahanta no.1 … शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी...

GANDHI JI MAHAN

Mahanta no.1 …
शहीदे आजम भगतसिंह को
फांसी दिए जाने पर अहिंसा
के महान पुजारी गांधी ने कहा था….
‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के
बदले अपनी आजादी नहीं
चाहिए।’’ और आगे कहा…

‘‘भगतसिंह की पूजा से देश
को बहुत हानि हुई और हो
रही है । वहीं (फांसी) इसका
परिणाम गुंडागर्दी का पतन है

फांसी शीघ्र दे दी जाए
ताकि 30 मार्च से करांची में
होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में
कोई बाधा न आवे ।”

अर्थात् गांधी की परिभाषा
में किसी को फांसी देना हिंसा
नहीं थी ।

Mahanta no.2 ….
इसी प्रकार एक ओर महान्
क्रान्तिकारी जतिनदास को
जब आगरा में अंग्रेजों ने
शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को
उनके पार्थिक शरीर पर माला
चढ़ाने को कहा गया तो
उन्होंने साफ इनकार कर दिया

अर्थात् उस नौजवान द्वारा
खुद को देश के लिए कुर्बान
करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और
सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे
हमारे अहिंसावादी गांधी ।

Mahanta no.3 …
जब सन् 1937 में कांग्रेस
अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा
मनोनीत सीतारमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने
कहा…

यदि रमैया चुनाव हार गया
तो वे राजनीति छोड़ देंगे
लेकिन उन्होंने अपने मरने
तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए
थे।

Mahanta no.4 ….
इसी प्रकार गांधी ने कहा था,
“पाकिस्तान उनकी लाश पर
बनेगा” लेकिन पाकिस्तान
उनके समर्थन से ही बना ।
ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी ।

Mahanta no.5 …
इससे भी बढ़कर गांधी और
कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में
अंग्रेजों का समर्थन किया तो
फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी
या लड्डू बंट रहे थे ?
पाठक स्वयं बतलाएं ?

Mahanta no.6 …
गांधी ने अपने जीवन में तीन
आन्दोलन (सत्याग्रह) चलाए
और तीनों को ही बीच में
वापिस ले लिया गया फिर भी
लोग कहते हैं कि आजादी
गांधी ने दिलवाई ।

Mahanta no.7 ….
इससे भी बढ़कर जब देश के
महान सपूत उधमसिंह ने
इंग्लैण्ड में माईकल डायर को
मारा तो गांधी ने उन्हें पागल
कहा इसलिए नीरद चौधरी ने
गांधी को दुनियां का सबसे
बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है

Mahanta no.8 ….
इस आजादी के बारे में इतिहासकार CR मजूमदार
लिखते हैं “भारत की आजादी
का सेहरा गांधी के सिर बांधना
सच्चाई से मजाक होगा ।

यह कहना कि सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी।इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन क्रान्तिकारियों का
अपमान है जिन्होंने देश की
आजादी के लिए अपना खून बहाया ।”

यदि चरखों की आजादी की रक्षा सम्भव होती है तो बार्डर पर टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए
जाते ………..??

अगर आप सहमत है तो इसकी सच्चाई “शेयर ” कर
देश के सामने उजागर करें ।
जय हिन्द

शहीदे आज़म भगत सिंह को फांसी कि सजा सुनाई
जा चुकी थी , इसके कारण हुतात्मा चंद्रशेखर आज़ाद
काफी परेशान और चिंतित हो गए।

भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए आज़ाद ने ब्रिटिश सरकार पर दवाब
बनाने का फैसला लिया इसके
लिए आज़ाद ने गांधी से मिलने का वक्त माँगा लेकिन
गांधी ने कहा कि वो किसी भी
उग्रवादी से नहीं मिल सकते।

गांधी जानते थे कि अगर भगतसिंह और आज़ाद जैसे
क्रन्तिकारी और ज्यादा दिन
जीवित रह गए तो वो युवाओं
के हीरो बन जायेंगे। ऐसी स्थिति में गांधी को पूछनेवाला
कोई ना रहता।

हमने आपको कई बार बताया है कि किस तरह गांधी
ने भगत सिंह को मरवाने के
लिए एक दिन पहले फांसी
दिलवाई।

खैर हम फिर से आज़ाद
कि व्याख्या पर आते है। गांधी से वक्त ना मिल पाने का बाद आज़ाद ने नेहरू से मिलने का फैसला लिया , 27 फरवरी 1931 के दिन आज़ाद ने नेहरू से मुलाकात की। ठीक
इसी दिन आज़ाद ने नेहरू के सामने भगत सिंह की फांसी
को रोकने कि विनती की।

बैठक में आज़ाद ने पूरी
तैयारी के साथ भगत सिंह को
बचाने का सफल प्लान रख दिया। जिसे देखकर नेहरू
हक्का -बक्का रह गया क्यूंकि इस प्लान के तहत भगत सिंह
को आसानी से बचाया जा सकता था।

नेहरू ने आज़ाद को मदद देने से साफ़ मना कर दिया इस पर आज़ाद नाराज हो गए और नेहरू से जोरदार बहस
हो गई फिर आज़ाद नाराज होकर अपनी साइकिल पर सवार होकर अल्फ्रेड पार्क कि होकर निकल गए।

पार्क में कुछ देर बैठने के बाद ही आज़ाद को पोलिस ने
चारो तरफ से घेर लिया। पोलिस पूरी तैयारी के साथ आई थी जेसे उसे मालूम हो कि आज़ाद पार्क में ही मौजूद है।

आखरी साँस और आखरी गोली तक वो जाबांज अंग्रेजो के हाथ नहीं लगा ,आज़ाद की
पिस्तौल में जब तक गोलियाँ बाकि थी तब तक कोई अंग्रेज उनके करीब नहीं आ सका।

आखिरकार आज़ाद जीवन
भरा आज़ाद ही रहा और उस ने आज़ादी में ही वीर गति को प्राप्त किया।

अब अक्ल का अँधा भी समझ सकता है कि नेहरु के घर से बहस करके निकल कर
पार्क में १५ मिनट अंदर भारी
पोलिस बल आज़ाद को पकड़ने के लिए बिना नेहरू की गद्दारी के नहीं पहुँचा जा सकता था ।

नेहरू ने पोलिस को खबर दी कि आज़ाद इस वक्त पार्क में है और कुछ देर वहीं रुकने वाला है। साथ ही कहा कि
आज़ाद को जिन्दा पकड़ने कि भूल ना करें नहीं तो भगतसिंह
कि तरफ मामला बढ़ सकता है।

लेकिन फिर भी कांग्रेस कि सरकार ने नेहरू को किताबो में बच्चो का क्रन्तिकारी चाचा
नेहरू बना दिया और आज भी किताबो में आज़ाद
को “उग्रवादी” लिखा जाता है।
लेकिन आज सच को सामने लाकर उस जाँबाज को आखरी सलाम देना चाहते हो तो इस पोस्ट को शेयर करके सच्चाई को सभी के सामने लाने में मदद करें।

आज के दिन यही शेयर करना उस निडर जांबाज और भारतमाता के शेर के लिए सच्ची श्रद्धाl
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क्या ईसा मसीह ने सबके पाप अपने ऊपर लेकर अपना बलिदान किया था ? यहाँ बाईबल के ही प्रमाण देकर सिद्ध...

क्या ईसा मसीह ने सबके पाप अपने ऊपर लेकर अपना बलिदान किया था ?
यहाँ बाईबल के ही प्रमाण देकर सिद्ध करेंगे कि ईसा ने बलिदान तो क्या देना था बल्कि मृत्यु के भय से चीखें मार मार कर जीवन की भीख माँग रहा था ।
• हे पिता ! हो सके तो ये कटोरा ( सूली की मृत्यु ) मुझ से टल जाए । ( Methew 26-39 )
• यदि हो सके तो ये घड़ी उससे टल जाए ( Mark 14-35 )
• यह बात कहकर यीशू आत्मा में घबड़ाया ( Yohanna 13-21 )
• उसने अपने शरीर के दिनों में ऊँचे शब्द से पुकारकर और रोकर, उससे जो मृत्यु से बचा सकता था, विनती की, निवेदन किए । ( इब्रानियों को पत्र 5-7 )
• यीशू ने बड़े जोर जोर से पुकार कर कहा :- “एलीएली लामा शवकतनी !” अर्थात् हे परमेश्वर तूने मुझे क्यों त्यागा है ? ( Methew 27-4 )
इन सभी प्रमाणों से तो पता चलता है कि जैसा ढकोसला ईसाई प्रचारक ईसा के बलिदान के बारे में करते हैं कि उसने सबके पाप अपने ऊपर लेकर अपना बलिदान दिया वैसा कुछ नहीं है । बल्कि ईसा डर के मारे रोने और चीखने लगा था कि उसे मरने से बचा लिया जाए । जो सच्चे बलिदानी होते हैं वो मौत के डर से चीखें नहीं मारते बल्कि मौत को हँसते हुए स्वीकार करते हैं ।

ईसाईयों का शांति का संदेश :-
• यदि कोई प्रभु क्रीस्ट को प्यार न करे तो श्रापित हो ( 1 करन्तीनियों को पत्र 16-22 )
• अगर तुम्हारे पास कोई आवे यह शिक्षा ( ईसाई शिक्षा ) न लावे तो घर में न आने दो, और उसको प्रणाम न करो ( 2 युहन्ना 1-10 )
• लोगों से ऐसा बर्ताव करना कि उनकी वेदीयों को ढा देना, उनकी लातों को तोड़ देना, उनकी अशोरा नामक मूर्तियों को काट-काट कर गिरा देना और उनकी खुदू हुई मूर्तियों को आग में डाल देना ( व्यवस्था विवरण 7-5 )
• देवपूजकों को मार डालना । उनको अवश्य घात करना, उनको घात करने को सबसे पहले मेरा हाथ उठे पीछे सब हाथ उठाएँ ( व्यवस्था विवरण 1 )
• रविवार के दिन काम करने वाला मार डाला जाए क्योंकि सातवें दिन पवित्र और यहोवा के लिए विश्राम का दिन हो, उसमें कोई काम करे तो मार डाला जाए ( निर्गमन 35-2, Exodus 35.2. ) { इन्होंने तो मुसलमानों को भी पीछे छोड़ दिया । वो भी ये नहीं कहते कि जुम्मे के दिन काम करने वाला मार डाला जाए । }
• जाओ और दाख की बोरियों में घात में रहो और हर पुरुष सेना की बेटियों में से अपनी पत्नि चुन लो और बिन यमीन के देश को जाओ ( न्यायीयों की 21-21 )
• परस्त्रियाँ, बाल बच्चे और पशु आदि जितनी लूट उस नगर में से हो उसे अपने लिए रख लेना और तेरे शत्रुओं की जो लूट जो तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे लिए दे उसे काम में लाना ( विवरण 20-14 ) { ईसाई पादरी सफेद कपड़े पहनकर हाथ में बाईबल लेकर जो प्रेम और शांती का संदेश देते हैं वो सब डकोसला है । सत्य तो ये है कि ये अंदर से अन्य संप्रदायों से उतनी ही नफरत करते हैं जितनी कि मुसलमान करते हैं । कहते हैं कि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती, ठीक वैसे ही हर सफेद कपड़ों वाला शांतिप्रीय नहीं होता । }


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One forward… *क्या है हमारी आज़ादी का असली राज़* *15 अगस्त 1947 में भारत आज़ाद नही हुआ ,...

One forward…

*क्या है हमारी आज़ादी का असली राज़*

*15 अगस्त 1947 में भारत आज़ाद नही हुआ , 99 साल की लीज पर है भारत । ( तथ्य पढ़े )*

*99 साल की लीज पर भारत*

युद्ध भूमि में भारत कभी नहीं हारा, लेकिन अपने ही चन्द जयचन्दों से हारा है।
अपनों ने जो समझौते किये, यह उससे हारा है, अपनी मूर्खता से हारा है।
उन्हीं समझौतों में *एक “सत्ता के हस्तांतरण का समझौता” भी शामिल है।*

पाकिस्तान गान्धी की लाश पर बन रहा था,
लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 का न तो गान्धी ने विरोध किया, न ही जिन्ना ने,
न ही नेहरू ने और न ही सरदार पटेल ने।

सभी ने ब्रिटिश उपनिवेश यानी ब्रिटेन की दासता स्वीकार की थी।
वाकई मुझे उनकी बुद्धि पर तरस आता है जो कश्मीर को उपनिवेश
इण्डिया से उपनिवेश पाकिस्तान में मिलाने के लिए रक्त बहाते हैं।

*भारत को छद्म स्वतन्त्रता देने का विचार तो 1942 में ही कर लिया गया था,*
1948 तक का समय सुनिश्चित करना तो महज़ एक बहाना था।
1947 के जून महीने में *यह ज्ञात हुआ कि मुहम्मद अली जिन्ना,*
जो वास्तव में पुन्जामल ठक्कर का पोता था,
की *टी.बी. की बीमारी अन्तिम स्तर पर है और अधिक से अधिक 1 वर्ष की आयु शेष बची है।*
*भारत की (छद्म) स्वतन्त्रता और भारत- विभाजन की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया गया ।*

*4 जुलाई सन् 1947 से आरम्भ हुई यह प्रक्रिया 14 अगस्त सन् 1947 तक मात्र 40 दिनों में ही कूटनीतिक षड्यन्त्रों के तहत सम्पूर्ण हुई।*

गान्धी ने कहा था कि विभाजन मेरी लाश पर होगा जिसे सुनकर वर्तमान पाकिस्तानी
पंजाब में रहने वाले हिन्दुओं ने वर्तमान भारतीय क्षेत्रों में आकर बसने के निर्णय को बदल दिया ।

14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बन गया और हिन्दू वहीं फँस गये।
इस प्रकार नरसंहार का एक ऐतिहासिक काल आरम्भ हुआ ।

3 करोड़ हिन्दू पाकिस्तान के जबड़े में फँसे रह गये और
इस भयानक नरसंहार के बीच किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि आखिर हुआ क्या?

1946 के चुनावों के बाद जो सर्वदलीय संसद बनी उसमें विभाजन के
प्रस्ताव को पारित करने हेतु संयुक्त रूप से 157 वोट समर्थन हेतु डाले गये,
जिसमें प्रमुख पार्टियाँ थीं कांग्रेस, मुस्लिम लीग और कम्यूनिस्ट पार्टी।
*समर्थन में पहला हाथ नेहरू ने उठाया था ।*
विरोध में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के 13 वोट पड़े और रामराज्य परिषद के 4 वोट पड़े।
*विभाजन का प्रस्ताव पारित हो गया।*

*उसके बाद की समस्त प्रक्रिया दिल्ली में औरंगजेब रोड स्थित मुहम्मद अली जिन्ना के घर पर ही सम्पूर्ण हुई।*

जिन्ना इतना धूर्त था कि जहाँ भू-तल पर नेहरू-गाँधी लार्ड माउंटबैटन के साथ कानूनी सहमतियाँ
बना रहे थे वहीं प्रथम तल पर जिन्ना अपनी कुछ सम्पत्तियाँ और
औरंगजेब रोड पर स्थित अपने घर को बेचने की प्रक्रिया पूरी कर रहा था।

*मुहम्मद अली जिन्ना एक वकील था। नेहरू एक वकील था । गान्धी एक वकील था।*
*उस समय के अधिकतर नेता वकील ही थे।*

*वे सब जानते थे कि यह सम्पूर्ण स्वतन्त्रता नहीँ, अपितु अल्पकालिक स्वतन्त्रता है।*

*जी हाँ अल्पकालिक स्वतन्त्रता !*

*यह छद्म स्वतन्त्रता ही थी इससे अधिक और कुछ नहीं। सत्ता का हस्तांतरण हुआ था।*

*अर्थात् सत्ता तो अंग्रेजों के पास ही रहेगी और उनकी देखरेख में शासन की व्यवस्था सम्भालेंगे आत्मा से बिके और चरित्र से गिरे हुए कुछ लोग।*

*सत्ता के इस हस्तान्तरण का साक्षी बना “Transfer of Power Agreement ” जो कि लगभग 4000 पेजों में बनाया गया था*
और जिसे अगले 50 वर्षों हेतु सार्वजनिक न करने का नियम भी साथ में लागू किया गया ।

*सन् 1997 में इस Agreement को सार्वजनिक होने से बचाने हेतु* समय से पहले ही तत्कालीन प्रधानमन्त्री
श्री इन्द्र कुमार गुजराल ने *इसकी अवधि 20 वर्ष और बढ़ा दी और यह 2019 तक*
पुन: सार्वजनिक होने से बच गया।

*ऐसे सत्ता के हस्तान्तरण के Agreements ब्रिटिश सरकार के अधीन भारत समेत समस्त 54 देशों के हैं साथ हुए हैं जिनमें आस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, पाकिस्तान आदि 54 देश हैं।*

*यह 54 देश ब्रिटिश राज के उपनिवेश कहलाते हैं।*

*इन 54 देशों के नागरिक ब्रिटेन की रियाया (प्रजा) हैं अर्थात् ब्रिटेन के ही नागरिक हैं।*

*इन 54 देशों के समूह को “राष्ट्रमण्डल” के नाम से जाना जाता है जिसे आप Common Wealth के नाम से भी जानते हैं अर्थात् संयुक्त सम्पत्ति ।*

यदि आप सबको कोई आशंका हो तो उदाहरण के तौर पर आप यूँ समझ लें कि
*ब्रिटेन समेत सभी ब्रिटिश उपनिवेश अथवा राष्ट्रमण्डल देशों के भारत में विदेशमन्त्री*
*तथा राजदूत नहीं होते अपितु विदेश मामलों के मन्त्री तथा उच्चायुक्त होते हैं*
और *ठीक इसी प्रकार भारत के भी इन देशों में विदेश मामलों के मन्त्री तथा उच्चायुक्त ही होते हैं।*

1. Minister of Foreign Affairs
.
2. High Commissioner
.
*जैसे कि भारत की विदेश मन्त्री हैं सुषमा स्वराज,* तो यह सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा
विदेश मन्त्री के तौर पर केवल रूस, जापान, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, बेल्जियम आदि स्वतन्त्र देशों में ही रहता है।
*परन्तु ब्रिटिश उपनिवेशिक अर्थात् राष्ट्रमण्डल देशों जैसे आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में*
*सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा Minister of Foreign Affairs का ही रहता है।*

आखिर *भारत जैसे गुलाम देश की नागरिक क्वीन एलिज़ाबेथ की विदेश मन्त्री कैसे हो सकती है*
क्योंकि यह कनाडा, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देश तो क्वीन एलिज़ाबेथ के ही अधिकार क्षेत्र
या मालिकाना क्षेत्र में आते हैं जिसे आजकल आप Territory के नाम से समझते हैं।

इसी प्रकार उपनिवेशिक *राष्ट्रमण्डल देशों में भारत का कोई राजदूत (Ambassodor) नहीं होता*
अपितु *मात्र उच्चायुक्त (High Commissioner) ही होता है।*

*Transfer of Power Agreement की शर्तें*
लगभग 4000 पेजों में विस्तार से लिखी गई हैं।
जिसके कुछ अंश निम्नलिखित हैं।
.
1. गोरे हमारी भूमि को 99 वर्षों के लिये हम भारतवासियों को ही किराये पर दे गये।
.
2. भारत का संविधान अभी भी ब्रिटेन के अधीन है।
.
3. ब्रिटिश नैशनैलिटी अधिनियम 1948 के अन्तर्गत हर भारतीय, आस्ट्रेलियाई, कनाडियन चाहे *हिन्दू हो, मुसलमान हो, इसाई हो, बोद्ध हो अथवा सिक्ख ही क्यों न हो, ब्रिटेन की प्रजा है।*
.
4. *भारतीय संविधान के अनुच्छेदों 366, 371, 372 व 395 में परिवर्तन की क्षमता भारत की संसद तथा भारत के राष्ट्रपति के पास भी नहीं है।*
.
5. गोपनीय समझौतों (जिनका खुलासा आज तक नहीं किया जाता) के तहत ही *हमारे देश से 10 अरब रुपये पेंशन प्रतिवर्ष महारानी एलिजावेथ को जाता है।*
.
6. इन्हीं *गोपनीय समझौतों के तहत प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-मांस ब्रिटेन को दिया जाता है।*
यही वह गोपनीयता है, *जिसकी शपथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस,*
सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री तथा अन्य समस्त मन्त्री तथा प्रशासनिक अधिकारी लेते हैं।
अत: उपरोक्त समस्त पदाधिकारी समस्त स्वतन्त्र देशों की भाँति मात्र पद की शपथ नहीं लेते
अपितु *“पद एवं गोपनीयता” की शपथ लेते हैं।*
.
7. *अनुच्छेद 348 के अन्तर्गत उच्चतम न्यायालय व संसद की कार्यवाही केवल अंग्रेजी भाषा में ही होगी।*
.
8. *राष्ट्रमण्डल समूह के किसी भी देश पर भारत पहले हमला नहीं कर सकता।* यही वजह है , हम पाकिस्तान पर आक्रमण नहीं कर सकते है |
कारगिल में हमने सिर्फ जो जमींन पकिस्तान ने हतियायी थी , उसे वापस पाया है |
.
9. *भारत किसी भी राष्ट्रमण्डल समूह के देश को जबरदस्ती अपनी सीमा में नहीं मिला सकता।*
.
ऐसे बहुत से नियम एवं शर्तें लिखित रूप से दर्ज़ हैं *Trasfer of Power Agreement में और यदि भविष्य में भारत किसी भी नियम या शर्त को भंग करता है तो*
.
1. *भारत का संविधान तत्काल प्रभाव से Null & Void हो जायेगा।*
.
2. *छद्म स्वतन्त्रता भी छीन ली जायेगी।*
.
3. *भारत में 1935 का Goverment of India Act तत्काल प्रभाव से लागू हो जायेगा*
क्योंकि *उसी के आधार पर ही Indian Independence Act 1947 का निर्माण किया गया था ।*
.
4. *ब्रिटिश राज पुन: लागू हो जायेगा पूर्ण रूप से।*
.
Indian Independence Act 1947
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.
British Nationality Act 1947
http://ift.tt/2bZ1OsC
.
British Nationality Act 1948
http://ift.tt/2bJCvHL
.
1. *यदि आज कश्मीर यदि पाकिस्तान को दे दो तो भी वह ब्रिटेन की रानी का ही रहेगा।*
.
2. आज सिक्खों को खालिस्तान दे दिया जाए तो वह भी रानी का ही रहेगा।
.
3. *पूरा पाकिस्तान, बर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका भी रानी का ही है।*
.
4. *भारत आज भी क्वीन एलिज़ाबेथ के अधीन है।* यह कहना छोड़िए कि हम स्वतन्त्र हैं।
आज तक बिना रक्त बहाये किसी को स्वतन्त्रता नहीं मिली।
.
*अब भविष्य में पुन: किसी गाँधी-नेहरू पर विश्वास न करना।*

आज वासुदेव बलवन्त फडके, वीर सावरकर, नाथूराम गोडसे, डाक्टर मुंजे, चन्द्रशेखर आज़ाद,
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, रोशनसिंह, मदनलाल ढींगरा
आदि *देशभक्त क्यों पैदा होने बन्द हो गये ?*
*क्योंकि भारत की जनता को छद्म स्वतन्त्रता और गाँधी-नेहरू आदि की झूठी कहानियाँ सुना-सुनाकर खोखला कर दिया गया है।*

नई पीढ़ी अपने कैरियर और मौज-मस्ती को लेकर आत्म-मुग्ध है।
हाथों में झूलते बीयर के गिलास और होठों पर सुलगती सिगरेट के धुएँ में
उड़ता पराक्रम और शौर्य की विरासत नष्ट-सी होती दिखाई दे रही है।

आज चाणक्य भी आ जायें तो निस्संदेह उन्हें सम्पूर्ण
भारत देश में एक भी योग्य पराक्रमी पुरुष प्राप्त नहीं होगा ।

लाखों करोड़ों युवाओं के रूप में कभी यह राष्ट्र “ब्रह्मचर्य की शक्ति” के रूप में समस्त
विश्व में प्रसिद्ध था और आज विडम्बना देखो कि उसी देश के वीर्यवान व्यक्ति अपने
बल-बुद्धि-प्रज्ञा समान ओज को युवावस्था में ही नष्ट कर डालते हैं।

सेना आपकी रक्षक है किन्तु भारत में सेना का मनोबल तोड़ने के लिये 1947 से ही लगातार षड्यन्त्र जारी है।

1947 में भारतीय सेना जब पाकिस्तानियों को पराजित कर रही थी तब सेना वापस बुला ली गयी।
सैनिक हथियार बनाने और परेड करने के स्थान पर जूते बनाने लगे।
परिणाम *1962 में चीन के हाथों पराजय के रूप में आया।*
*1965 में जीती हुई धरती के साथ हम अपने प्यारे प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री को खो बैठे।*
सन् 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार युद्धबन्दी छोड़ दिये गये लेकिन भारत के लगभग 54 सैनिक वापस नहीं लिये गये।

*एलिजाबेथ के लिये इतना कुछ करने के बावजूद इन्दिरा और राजीव दोनों मारे गये।*

आप सबसे विनम्र निवेदन है कि आप संगठित हों और एकजुट होकर
अपने धर्म तथा राष्ट्र की रक्षा करें।

*बचा लीजिये इस नष्ट होते सनातन वैदिक धर्म तथा आर्यों की इस पवित्र भूमि स्वरूप इस राष्ट्र को।*

*हम परतन्त्र क्यों रहें ?*
*हम ब्रिटेन के नागरिक क्यों बने रहें ?*
*हम ब्रिटेन के गुलाम क्यों बने रहें ?*
*राष्ट्रमण्डल का विरोध करो।*
*सत्ता-हस्तान्तरण के अनुबन्ध का विरोध करो ।*
*क्वीन एलिज़ाबेथ की दासता का विरोध करो।*
*क्या आप में आर्यत्व अभी भी जीवित है ?*

*क्या आप आर्यावर्त के नाम से प्रसिद्ध इस भारत भूमि को दासता की बेड़ियों से मुक्त कर सकते हैं ?*

क्या आप वीर सावरकर, वासुदेव बलवन्त फड़के चन्द्रशेखर आज़ाद,
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ आदि का अवतार बन सकते हैं ?

जो लड़ना ही भूल जायें वे न तो स्वयं सुरक्षित रहेंगे और न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित रख सकेगे ।

*कृपया ज्यादा से ज्यादा शेयर करके सबको सच्चाई बताये*


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🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ॐ समुद्रादर्णवादधि संवत्सरोअजायत अहो रात्राणि विदधत् मिषतो वशी||~~~~वैदिक...

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ॐ समुद्रादर्णवादधि संवत्सरोअजायत अहो रात्राणि विदधत् मिषतो वशी||~~~~वैदिक संध्यामन्त्र~~ऋग्वेद~~10~190~ 2सरे मन्त्र का पद्यानुवाद~~~~~~~~दिन और रात घड़ी संवत्सर,लहराए सागर गहराकर| धारण कर के वश में रखता, पार न कोई तव पा सकता| हे प्रभु तेरी महिमा जानें, विमल विनत तुझ पर अभिमानें ||~👏


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ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु और साक्षी को समर्पित। सिंधु तुमने मेडल जीता देश झूम कर...

ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु और साक्षी को समर्पित।

सिंधु तुमने मेडल जीता
देश झूम कर नाचा है
तुमने भ्रूण हत्यारों के
चेहरे पे जड़ा तमाचा है

आज ख़ुशी से नाच रहे
सिंधु-सिंधु चिल्लाते हो
अपने घर में बेटी जन्मे
फिर क्यों मुँह लटकाते हो?

रियो में अब तक भारत ने
दो मेडल ही पाया है……
और ये दोनों मेडल भी
बेटियों ने ही लाया है…

आज इन्हीं बेटियों के आगे
जनमानस नतमस्तक है..
आज इन्हीं के कारण ही
भारत का ऊँचा मस्तक है

आज ख़ुशी से झूम रहे हो
अच्छी बात है झूमो-गाओ
लेकिन घर में बेटी जन्मे
तब भी इतनी खुशी मनाओ

बेटियाँ कम नहीं किसी से
शक्ति का अवतार हैं……
इनको जो सम्मान न दे
उसका जीना धिक्कार है
(जय हिन्द-जय भारत)


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ॐ यो भूतं च भव्यम् च सर्वम् यश्चाधितिष्ठति स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः||~~मन्त्र...

ॐ यो भूतं च भव्यम् च सर्वम् यश्चाधितिष्ठति स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः||~~मन्त्र का पद्यानुवाद~~~~~~~~ भूत भविष्य को जाननहारा,केवल सर्व अधिष्ठाता| सुखस्वरूप हे परम् ब्रह्म, बहु बार झुकावें हम माथा||👏 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ॐ प्राणाय नमो यस्य सर्वम् इदम् वशे यो भूतः सर्वस्य ईश्वरो यस्मिन् सर्वम् प्रतिष्ठितिम्||~~~मन्त्र का पद्यानुवाद~~~~~~~जिसने सारा जगत् बनाया, जिसके वश सारा संसार| ओतप्रोत, रक्षक भू स्वामी, जगत् प्रतिष्ठित प्राणाधार| आये हैं हम शरण आपकी, विनती यह स्वीकार करो| विमल हाथ रख करके मस्तक, ले गोदी में प्यार करो||👏


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*ज्ञानपीठ विजेत्या लेखिका कै. महाश्वेता देवी यांची एक सुंदर कविता.* आ गए तुम? द्वार खुला है, अंदर...

*ज्ञानपीठ विजेत्या लेखिका कै. महाश्वेता देवी यांची एक सुंदर कविता.*

आ गए तुम?
द्वार खुला है, अंदर आओ..!

पर तनिक ठहरो..
ड्योढी पर पड़े पायदान पर,
अपना अहं झाड़ आना..!

मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,
अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!

तुलसी के क्यारे में,
मन की चटकन चढ़ा आना..!

अपनी व्यस्ततायें, बाहर खूंटी पर ही टांग आना..!

जूतों संग, हर नकारात्मकता उतार आना..!

बाहर किलोलते बच्चों से,
थोड़ी शरारत माँग लाना..!

वो गुलाब के गमले में, मुस्कान लगी है..
तोड़ कर पहन आना..!

लाओ, अपनी उलझनें मुझे थमा दो..
तुम्हारी थकान पर, मनुहारों का पँखा झुला दूँ..!

देखो, शाम बिछाई है मैंने,
सूरज क्षितिज पर बाँधा है,
लाली छिड़की है नभ पर..!

प्रेम और विश्वास की मद्धम आंच पर, चाय चढ़ाई है,
घूँट घूँट पीना..!
सुनो, इतना मुश्किल भी नहीं हैं जीना..!!

…महाश्वेता देवी.


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ॐ यो भूतं च भव्यम् च सर्वम् यश्चाधितिष्ठति स्वर्यस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः||~~मन्त्र का पद्यानुवाद~~~~~~~~ भूत भविष्य को जाननहारा,केवल सर्व अधिष्ठाता| सुखस्वरूप हे परम् ब्रह्म, बहु बार झुकावें हम माथा||👏


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ॐ अग्न आ याहि वीतये गृणानो हव्य दातये नि होता सत्सि बर्हिषि||~सामवेद~1~1~1~~~~~~~मन्त्र का पद्य में...

ॐ अग्न आ याहि वीतये गृणानो हव्य दातये नि होता सत्सि बर्हिषि||~सामवेद~1~1~1~~~~~~~मन्त्र का पद्य में भाव~~~~~~~ ज्ञानवान हे भगवन प्यारे, आओ हृदय देश हमारे| स्तुति योग्य प्रभु परमेश्वर, करो ज्योति से जगमग अंतर| करें तुम्हारा ध्यान निरंतर, विमल शान्ति सुख भर जगदीश्वर||👏


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।। कल्पवृक्ष ।। “एक पिता की सोच” “पापा चाय” बेटी के इन शब्दों से जैसे मेरी...

।। कल्पवृक्ष ।।
“एक पिता की सोच”

“पापा चाय”
बेटी के इन शब्दों से जैसे मेरी तंद्रा भंग हुई।

बगीचे में पौधों को पानी देते हुए मैं बेटी के बारे में ही सोच रहा था। अच्छा-सा घर और अच्छा सा वर देखकर शादी कर दी है , लेकिन सुंदर, सुशील गुड़िया, जो घर-परिवार और दोस्तों सभी में बहुत प्रिय है, उसे जैसे किस्मत के ही हवाले कर रहा हूं, ऐसा लग रहा था।किंतु फिर भी…

इस ‘फिर भी’ को सिर्फ एक पिता ही समझ सकता है …।

मेंरे विचारों ने करवट ली, मैंने बहुत प्यार से बेटी की तरफ़ देखा, उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में कुछ अजीब-सा भाव देखा,
और पूछ ही लिया, `“तू…तू खुश तो है ना बेटा?”

“हाँ पापा।”
उसने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया"…

फिर उसने ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “पापा ये पेड़ हम यहाँ से उखाड़ कर पीछे वाले बगीचे में लगा दें तो? ”

मैं कुछ असमंजस में पड़ गया और बोला, “बेटे ये चार साल पुराना पेड़ है अब कैसे उखड़ेगा और अगर उखड़ भी गया तो दुबारा नई जगह, नई मिट्टी को बर्दाश्त कर पाएगा क्या ? कहीं मुरझा गया तो?”

बेटी मुस्कराई,
उसने एक मासूम-सा सवाल किया,

*“पापा एक पौधा और भी तो है, आपके आँगन का,…*
*नए परिवेश में जा रहा है ना, नई मिट्टी, नई खाद में क्या ढल पाएगा? क्या पर्याप्त रोशनी होगी आपके पौधे के पास? आप तो महज़ चार सालों की बात कर रहे हैं ये तो 26 साल पुराना पेड़ है,

*है ना…।”*

कहकर बेटी अंदर जाने लगी इधर मैं सोच रहा था, ऐसी शक्ति पूरी क़ायनात में सिर्फ़ नारी के पास है जो यह पौधा नए परिवेश में भी ना सिर्फ़ पनपता है, बल्कि, खुद नए माहौल में ढलकर औरों को सब कुछ देता है, ता उम्र औरों के लिए जीता है।
और आज महसूस हो रहा है कि 26 साल के पेड़ भी दूसरी जगह उगे रह सकते हैं,हरे भरे रह सकते हैं और यही नहीं…..उनमें भी नयी कोंपल निकलतीं है….एक नया पेड़ बनाने के लिए!!

क्या सच में, यही *'कल्पवृक्ष*’ है?

संपूर्ण नारी जाति को सादर समर्पित. 💥💥💥💥


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*दिल को छुले ऐसी खूबसूरत लाइन* 1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*। 2....

*दिल को छुले ऐसी खूबसूरत लाइन*

1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*।

2. *ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं*।

3. *कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं*, *और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं*

4. *इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म*।

5. *सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन*
*धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा*।

6. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा*

7. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो*

8. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही*

9. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं*

10. *जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं*

11. *हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो*

12. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे*..

13. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं*

14. *जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए*

15. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो*..
*(run away) भाग लो*..
*(participate) पसंद आपको ही करना हैं*

16. *इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे*

17. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं*

18. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए*

19. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा*

20. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना*

21. *कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो*

22. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं*

23. *मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें*

24. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं*

25. *संस्कारो से भरी कोई धन दौलत नही है*

26. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं*

27. *दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं*

28. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर*

29. *घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा*

30. *जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा*

31. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती*

32. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता*

33. *जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)*

34. *मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है*

35. *जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं*

36. *मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते*

37. *अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता है*

उम्मीद करता हूँ की आप सभी दोस्तों को ये खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी और आप सभी की अंदरुनी खूबसूरती बोहोत ज्यादा बड़े यही प्रार्थना करता हूँ.

आपका दोस्त.


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🔴💢💥 कृपया एक बार जरूर पढे, यह किसी के पक्ष या विरोध की बात नहीं है, Supreme Court से अनुमति मिलने...

🔴💢💥 कृपया एक बार जरूर पढे,
यह किसी के पक्ष या विरोध की बात नहीं है,
Supreme Court से अनुमति मिलने पर प्रकाशित की गयी है….

60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम का अंतिम भाषण -
*“मैंने गांधी को क्यों मारा”*

👉 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुआ बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया l
नाथूराम गोड़से समेत 17 अभियुक्तों पर गांधी जी की हत्या का मुकदमा चलाया गया l इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था पर यह Court परिसर तक ही सिमित रह गयी क्योकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी जी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया l
*“मैंने गांधी को क्यों मारा”*
Presented by Gaurav Katiyar ~

नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की ll

“नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के कुछ मुख्य अंश”

🔸1. नाथूराम का विचार था कि गांधी जी की अहिंसा हिन्दुओं को कायर बना देगी | कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे | नाथूराम गोड़से को भय था गांधी जी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे l


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🔸2. 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आक्रोश उफ़ान पे था |
भारतीय जनता इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी जी के पास गयी लेकिन गांधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से साफ़ मना कर दिया l


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🔸3. महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया | महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के 1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध तक नहीं कर सके l


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🔸4. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी जी ने अपने प्रिय सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे | गांधी जी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया |


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🔸5. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी | पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया l


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🔸6. गांधी जी कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह से कहा कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है अत: वहां का शासक कोई मुसलमान होना चाहिए | अतएव राजा हरिसिंह को शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने | जबकि हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था | गांधी जी की नीतियाँ धर्म के साथ, बदलती रहती थी | उनकी मृत्यु के पश्चात सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को भारत में मिलाने का कार्य किया | गांधी जी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता |


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🔸7. पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली | मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया l


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🔸8. महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी जी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया | लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके |


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🔸9. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया | गांधी जी अपनी मांग को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम निकलवाने में माहिर थे | इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे |


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🔸10. 14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, लेकिन गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि गांधी जी ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी जी ने कुछ नहीं किया |


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🔸11. धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे | जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी + उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे | बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का चलन शुरू हुआ |


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🔸12. कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया |


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🔸13. गांधी जी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा। वही दूसरी ओर गांधी जी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम कहकर पुकारते थे |


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🔸14. कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी की जिद के कारण उसे बदल कर तिरंगा कर दिया गया l


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🔸15. जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला l


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🔸16. भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया | केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान दे दी ।
महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहे, फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या नाजायज | गांधी जी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की |

👉उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया |
नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की |
मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त को देश के टुकड़े करने के, एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ | गांधी जी की हत्या के सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था ll

नाथूराम गोड़से ……
द्वारा अदालत में दिए बयान के मुख्य अंश…..

मैने गांधी को नहीं मारा
मैने गांधी का *वध* किया है
गांधी वध..

वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के लिए घातक साबित हो रहे थे..

जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता है..

मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति के प्रति गांधीजी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे मजबूर किया..

पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुकतान करने की गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी जी अनशन पर बैठे..

बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती और दूरदशा ने मुझे हिला के रख दिया था..

अखंड हिन्दू राष्ट्र
गांधी जी के कारण मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक रहा था..

बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना
विभाजित होना असहनीय था..

अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे..

मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को गांधी जी मानते जा रहे थे..

मैने ये निर्णय किया के भारत माँ को अब और विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना है तो मुझे गांधी को मारना ही होगा..
और
मैने इसलिए गांधी को मारा…!!

मुझे पता है इसके लिए मुझे फ़ासी होगी
में इसके लिए भी तैयार हूं…

और हां यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे तो मै यह अपराध बार बार करूँगा
हर बार करूँगा …

और
जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना !!

मुझे फ़ासी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज
और दूसरे हाथ में अखंड भारत का नक्शा हो !!

मै फ़ासी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय जय बोलना चाहूँगा !!

हे भारत माँ
मुझे दुःख हे मै तेरी इतनी ही सेवा कर पाया ..

- नाथूराम गोडसे..

कृपया शेयर जरूर करें ताकि जानकारी सब तक
पहुँचे ll

🍁 जय माँ भारती 🍁


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वजन कम करने के लिए भी जीरा बहुत उपयोगी होता है। एक बड़ा चम्‍मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर...

वजन कम करने के लिए भी जीरा बहुत उपयोगी होता है। एक बड़ा चम्‍मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म-गर्म चाय की तरह पिये। बचा हुआ जीरा भी चबा लें।
इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस चूर्ण को लेने के बाद 1 घंटे तक कुछ न खायें। भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है। इसके सेवन से न केवल शरीर से अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्कि शरीर में रक्त का परिसंचरण भी तेजी से होता है। और कोलेस्‍ट्रॉल भी घटता है।
——————————————

जीरे से वजन घटाने का ज़बरदस्त उपाय

जीरा खाएं मोटापा घटाएं-

वजन कम करने के लिए भी जीरा बहुत उपयोगी होता है। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर, के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करनें में मदद मिलती है। एक बड़ा चम्‍मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म-गर्म चाय की तरह पिये। बचा हुआ जीरा भी चबा लें।
इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस चूर्ण को लेने के बाद 1 घंटे तक कुछ न खायें। भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है। इसके सेवन से न केवल शरीर से अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्कि शरीर में रक्त का परिसंचरण भी तेजी से होता है। और कोलेस्‍ट्रॉल भी घटता है।

इन बातों का भी रखें ध्यान
1) इस दवाई को लेने के बाद रात्रि में कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं। यदि कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तम्बाकू-गुटखा खाता या मांसाहार करता है तो उसे यह चीजें छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी। शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घंटे बाद दवाई लेनी है।
2) जीरा हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाकर हमें ऊर्जावान रखता है। साथ ही यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी बढ़ता है। इससे ऊर्जा का स्‍तर भी बढ़ता है और मेटाबॉलिज्म का स्‍तर भी तेज होता है। हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ फैट बर्न की गति को भी बढ़ाता है। पेट से सबंधित सभी तरह की समस्याओं में जीरे का सेवन लाभकारी है।
3) जीरे का नियमित इस्तेमाल शरीर की शोधन की प्रक्रिया को तेज करता है। मोटापा कम करने के अलावा भी जीरा कई तरह की बीमारियों में लाभदायक है।


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भारत का राष्ट्रीय ध्वज - तिरंगा भारत का राष्ट्रीय गान - जन-गन-मन भारत का राष्ट्रीय गीत - वन्दे...

भारत का राष्ट्रीय ध्वज - तिरंगा
भारत का राष्ट्रीय गान - जन-गन-मन
भारत का राष्ट्रीय गीत - वन्दे मातरम्
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह - अशोक स्तम्भ.
भारत का राष्ट्रीय पंचांग - शक संवत
भारत का राष्ट्रीय वाक्य - सत्यमेव जयते
भारत की राष्ट्रीयता - भारतीयता
भारत की राष्ट्र भाषा - हिंदी
भारत की राष्ट्रीय लिपि - देव नागरी
भारत का राष्ट्रीय ध्वज गीत - हिंद देश
का प्यारा झंडा
भारत का राष्ट्रीय नारा - श्रमेव जयते
भारत की राष्ट्रीय विदेशनीति -गुट निरपेक्ष
भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार - भारत रत्न
भारत का राष्ट्रीय सूचना पत्र - श्वेत पत्र
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष - बरगद
भारत की राष्ट्रीय मुद्रा - रूपया
भारत की राष्ट्रीय नदी - गंगा
भारत का राष्ट्रीय पक्षी - मोर
भारत का राष्ट्रीय पशु - बाघ
भारत का राष्ट्रीय फूल - कमल
भारत का राष्ट्रीय फल - आम
भारत की राष्ट्रीय योजना - पञ्च वर्षीय योजना
भारत का राष्ट्रीय खेल - हॉकी
भारत की राष्ट्रीय मिठाई - जलेबी
भारत के राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) और 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस)
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[भारत का संक्षिप्त इतिहास
563 : गौतम बुद्ध का जन्‍म
540 : महावीर का जन्‍म
327-326 : भारत पर एलेक्‍जेंडर का हमला। इसने भारत और यूरोप के बीच एक भू-मार्ग खोल दिया
313 : जैन परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्‍त का राज्‍याभिषेक
305 : चंद्रगुप्‍त मौर्य के हाथों सेल्‍युकस की पराजय
273-232 : अशोक का शासन
261 : कलिंग की विजय
145-101 : एलारा का क्षेत्र, श्रीलंका के चोल राजा
58 : विक्रम संवत् का आरम्‍भ
78 : शक संवत् का आरम्‍भ
120 : कनिष्‍क का राज्‍याभिषेक
320 : गुप्‍त युग का आरम्‍भ, भारत का स्‍वर्णिम काल
380 : विक्रमादित्‍य का राज्‍याभिषेक
405-411 : चीनी यात्री फाहयान की यात्रा
415 : कुमार गुप्‍त-1 का राज्‍याभि‍षेक
455 : स्‍कंदगुप्‍त का राज्‍याभिषेक
606-647 : हर्षवर्धन का शासन
712 : सिंध पर पहला अरब आक्रमण836 : कन्‍नौज के भोज राजा का राज्‍याभिषेक
985 : चोल शासक राजाराज का राज्‍याभिषेक
998 : सुल्‍तान महमूद का राज्‍याभिषेक
1000 से 1499
1001 : महमूद गजनी द्वारा भारत पर पहला आक्रमण, जिसने पंजाब के शासक जयपाल को हराया था
1025 : महमूद गजनी द्वारा सोमनाथ मंदिर का विध्‍वंस
1191 : तराई का पहला युद्ध
1192 : तराई का दूसरा युद्ध
1206 : दिल्‍ली की गद्दी पर कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्‍याभिषेक
1210 : कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्‍यु
1221 : भारत पर चंगेज खान का हमला (मंगोल का आक्रमण)
1236 : दिल्‍ली की गद्दी पर रजिया सुल्‍तान का राज्‍याभिषेक
1240 : रजिया सुल्‍तान की मृत्‍यु
1296 : अलाउद्दीन खिलजी का हमला
1316 : अलाउद्दीन खिलजी की मृत्‍यु
1325 : मोहम्‍मद तुगलक का राज्‍याभिषेक
1327 : तुगलकों द्वारा दिल्‍ली से दौलताबाद और फिर दक्‍कन को राजधानी बनाया जाना
1336 : दक्षिण में विजयानगर साम्राज्‍य की स्‍थापना
1351 : फिरोजशाह का राज्‍याभिषेक
1398 : तैमूरलंग द्वारा भारत पर हमला
1469 : गुरुनानक का जन्‍म
1494 : फरघाना में बाबर का राज्‍याभिषेक
1497-98 : वास्‍को-डि-गामा की भारत की पहली यात्रा (केप ऑफ गुड होप के जरिए भारत तक समुद्री रास्‍ते की खोज)
1500 से 1799
1526 : पानीपत की पहली लड़ाई, बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया- बाबर द्वारा मुगल शासन की स्‍थापना
1527 खानवा की लड़ाई, बाबर ने राणा सांगा को हराया
1530 : बाबर की मृत्‍यु और हुमायूं का राज्‍याभिषेक
1539 : शेरशाह सूरी ने हुमायूं का
हराया और भारतीय का सम्राट बन गया
1540 : कन्‍नौज की लड़ाई
1555 : हुमायूं ने दिल्‍ली की गद्दी को फिर से हथिया लिया
1556 : पानीपत की दूसरी लड़ाई
1565 : तालीकोट की लड़ाई
1576 : हल्‍दीघाटी की लड़ाई- राणा प्रताप ने अकबर को हराया
1582 : अकबर द्वारा दीन-ए-इलाही की स्‍थापना
1597 : राणा प्रताप की मृत्‍यु
1600 : ईस्‍ट इंडिया कंपनी की स्‍थापना
1605 : अकबर की मृत्‍यु और जहाँगीर का राज्‍याभिषेक
1606 : गुरु अर्जुन देव का वध
1611 : नूरजहाँ से जहांगीर का विवाह
1616 : सर थॉमस रो ने जहाँगीर से मुलाकात की
1627 : शिवाजी का जन्‍म और जहांगीर की मृत्‍यु
1628 : शाहजहां भारत के सम्राट बने
1631 : मुमताज महल की मृत्‍यु
1634 : भारत के बंगाल में अंग्रेजों को व्‍यापार करने की अनुमति दे दी गई
1659 : औरंगजेब का राज्‍याभिषेक, शाहजहाँ को कैद कर लिया गया
1665 : औरंगजेब द्वारा शिवाजी को कैद कर लिया गया
1680 : शिवाजी की मृत्‍यु
1707 : औरंगजेब की मृत्‍यु
1708 : गुरु गोबिंद सिंह की मृत्‍यु
1739 : नादिरशाह का भारत पर हमला
1757 : प्‍लासी की लड़ाई, लॉर्ड क्‍लाइव के हाथों भारत में अंग्रेजों के राजनीतिक शासन की स्‍थापना 1761पानीपत की तीसरी लड़ाई, शाहआलम द्वितीय भारत के सम्राट बने
[11/21, 8:03 AM] ‪+91 83858 99226‬: आप सबसे निवेदन है की
चुटकले भेजने की बजाय यह
सन्देश सबको भेजे ताकि लोग
जान सके । 💐महान हस्तियों का जन्म💐
Jan…
12-1-1863 स्वामी विवेकानंद
28-1-1865 लाला लजपतराय
1-1-1894 जगदीश चंद्र बोंज
23-1-1897 सुभाष चंद्र बोंज
13-1-1949 राकेश शर्मा
20-1-1900 जनरल के.ऍम. करिअप्पा
——————————————
Feb…

18-2-1486 महाप्रभु चेतन्य
18-2-1836 रामकुष्ण परमहंस
22-2-1873 मोहम्मद इकबाल
13-2-1879 सरोजिनी नायडु
29-2-1896 मोरारजी देसाइ
——————————————
March…

23-3-1910 डॉ. राममनोहर लोहिया
——————————————
April…

15-4-1469 गुरु नानक देवजी
14-4-1563 गुरु अर्जुन देवजी
14-4-1891 डॉ.भीमराव आंबेडकर
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May…

5-5-1479 गुरु अमरदास
31-5-1539 महाराणा प्रताप
6-5-1861 मोतीलाल नेहरु
7-5-1861 रविन्द्रनाथ टेगोर
9-5-1866 गोपालकृष्ण गोखले
24-5-1907 महादेवी वर्मा
2-5-1921 सत्यजित राय
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Jun…

26-6-1838 बंकिमचंद्र चट्टो पाध्याय
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July…

23-7-1856 लोकमान्य तिलक
31-7-1880 प्रेमचंद मुनशी
29-7-1904 जे. आर. डी. टाटा
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Aug…

27-8-1910 मधर टेरेसा
29-8-1905 ध्यानचंद
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Sept…

26-9-1820 ईश्वरचंद्र विद्यासागर
4-9-1825 दादाभाई नवरोजी
10-9-1887 गोविंद वल्लभ पंत
5-9-1888 डॉ. राधाकृष्ण
11-9-1895 विनोबा भावे
27-9-1907 भगतसिंह
15-9-1861 ऍम.विश्वसरेइया
15-9-1876 शरदचंद्र चटोपाध्याय
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Oct…

1-10-1847 डॉ. ऐनी.बेसन्ट
2-10-1869 महात्मा गांधीजी
22-10-1873 स्वामी रामतीर्थ
31-10-1875 सरदार वल्लभभाई पटेल
31-10-1889 आचार्य नरेन्द्रदवे
11-10-1902 जयप्रकाश नारायण
30-10-1909 डॉ. होमी भाभा
19-10-1920 पांडुरंग शास्त्रीजी
आठवले पु. दादा
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Nove…

13-11-1780 महाराणा रणजीतसिंह
4-11-1845 वासुदेव बळवंत फडके
7-11-1858 बिपिनचंद्र पाल
30-11-1858 जगदीशचंद्र बोज
5-11-1870 देशबंधु चितरंजनदास
11-11-1888 मौलाना आज़ाद
4-11-1889 जमनालाल बजाज
19-11-1917 श्रीमती इंदिरागांधी
23-11-1926 श्री सत्यसाई बाबा
4-11-1939 शकुंतलादेवी
12-11-1896 सलीमअली
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Des…

9-12-1484 महाकवि सूरदास
25-12-1861 मदनमोहन मालविया
27-12-1869 ठक्कर बापा
7-12-1879 चक्रवर्ती राजगोपालचारी
3-12-1884 डॉ. राजेन्द्रप्रसाद
30-12-1887 कनैयालालमुनशी
11-12-1931 राजेन्द्रकुमार जेन ओसो रजनीश
22-12-1887 रामानुजम

🌷 भारत के प्रमुख पदाधिकारी 🌷

📍📍📍📍📍📍📍📍📍

💕 * राष्ट्रपति
🚥 श्री प्रणब मुखर्जी

💕 * उप राष्ट्रपति
🚥 श्री हामिद अंसारी

💕 * प्रधान मंत्री
🚥 श्री नरेंदर मोदी

💕 * लोकसभा अध्यक्ष
🚥 श्रीमती सुमित्रा महाजन

💕 * सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश
🚥 श्री एच एल दत्तू

💕 * राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष
🚥 श्री के. जी.बाल क्रष्णन

💕 * राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष
🚥 श्रीमती कुमारमंगलम्

💕 * मुख्य चुनाव आयुक्त
🚥 श्री एच एस ब्रम्हा

💕 * अटार्नी जनरल
🚥 श्री मुकुल रोहतगी

💕 * सोलिसिटर जनरल
🚥 श्री रनजीत कुमार

💕 * राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष
🚥 श्री ए पी शाह

💕 * राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
🚥 श्री अजीत कुमार डोवल

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भारत के सभी राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री
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राज्य —- मुख्यमंत्री
तेलंगाना —– के चंद्रशेखर राव
आन्ध्र प्रदेश —- चन्द्रबाबू नायडू
अरुणाचल प्रदेश —- नबम तुकी
असम —- तरुण गोगोई
बिहार ……..नितिश कुमार
छत्तीसढ —- रमन सिंह
दिल्ली —— अरविंद केजरीवाल
गोआ —– लक्ष्मीकांत परेस्कर
गुजरात —– आनंदीबेन पटेल
हरियाणा —– मनोहर लाल खट्टर
हिमाचल प्रदेश —– वीरभद्र सिंह
जम्मू और कश्मीर —– मुफ्ती मुहम्मद
झारखण्ड —- रघुवर दास
कर्नाटक —– सिद्धारैया
केरल —— ओमान चांडी
मध्य प्रदेश —— शिवराज सिंह चौहान
महाराष्ट्र —– देवेन्द्र फड़नवीस
मणिपुर —– ओकराम इबोई सिंह
मेघालय —– मुकुल संगमा
मिज़ोरम पु —– ललथानवाला
नागालैण्ड —– टी आर जेलियांग
ओडिशा —– नवीन पटनायक
पॉण्डिचेरी —- एन. रंगास्वामी
पंजाब —- प्रकाश सिंह बादल
राजस्थान —- वसुंधरा राजे सिंधिया
सिक्किम —- पवन कुमार चामलिंग
तमिलनाडु —-ओ. पनीरसेल्वम्
त्रिपुरा —— माणिक सरकार
उत्तराखण्ड —— हरीश रावत
उत्तर प्रदेश —— अखिलेश यादव
पश्चिम बंगाल —— ममता बनर्जी
:::::: 🔴पंचायती राज🔴:::::::


🔴 संविधान के किस भाग में पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है—👉 भाग-9

🔴पंचायती राज व्यवस्था किस पर आधारित है—👉 सत्ता के विकेंद्रीकरण पर

🔴 पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य क्या है— 👉जनता को प्रशासन में भागीदारी योग्य बनाना

🔴किसके अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था का वर्णन है— 👉नीति-निर्देशक सिद्धांत

🔴 संविधान के किस संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है— 👉75वें संशोधन

🔴75वें संशोधन में कौन-सी अनुसूची जोड़ी गई हैं— 👉11वीं

🔴पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन हेतु कौन उत्तरदायी है— 👉राज्य निर्वाचन आयोग

🔴 भारत में पंचायती राज अधिनियम कब लागू हुआ— 👉25 अप्रैल, 1993

🔴सर्वप्रथम पंचायती राज व्यवस्था कहाँ लागू की गई— 👉नागौर, राजस्थान में

🔴 राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था कहाँ लागू की गई— 👉1959 को

🔴देश के सामाजिक व सांस्कृतिक उत्स्थान के लिए कौन-सा कार्यक्रम चलाया गया—👉 सामुदायिक विकास कार्यक्रम

🔴 भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब आरंभ हुआ— 👉2 अक्टूबर, 1952

🔴 किसकी सिफारिश पर भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई 👉बलवंत राय मेहता समिति

🔴पंचायती राज की सबसे छोटी इकाई क्या है— 👉ग्राम पंचायत

🔴 बलवंत राय समिति के प्रतिवेदन के अनुसार महत्वपूर्ण संस्था कौन-सी है— 👉पंचायत समिति

🔴 पंचायती राज संस्थाओं के संगठन के दो स्तर होने का सुझाव किसने दिया था— 👉अशोक मेहता समिति

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🌹नदियों के किनारों पर बसे
विश्व के प्रमुख नगर🌹

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🍭 नगर 👉 नदी
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🍭 मास्को 👉 मोस्कवा नदी
🍭 कोलम्बो 👉 केलानी नदी
🍭 बगदाद 👉 टिगरिस नदी
🍭नई दिल्ली 👉 य मुनानदी
🍭बेलग्रेड 👉 डेन्यूब नदी
🍭आगरा 👉 यमुनानदी
🍭 बर्लिन 👉 स्ट्री नदी
🍭 हरिद्वार 👉 गंगा नदी
🍭 बुडापेस्ट 👉 डेन्यूब नदी
🍭 कानपुर 👉 गंगानदी
🍭 काहिरा 👉 नील नदी
🍭 नासिक 👉 गोदावरी नदी
🍭 करांची 👉 सिन्धु नदी
🍭 उज्जैन 👉 क्षिप्रा नदी
🍭 लन्दन 👉 टेम्स नदी
🍭 श्रीनगर 👉 झेलमनदी
🍭 लाहौर 👉 रावी नदी
🍭 इलाहाबाद 👉 गंगा-यमुना
🍭 न्यूयार्क 👉 हडसन नदी
🍭 अहमदाबाद 👉 साबरमती
🍭 पेरिस 👉 सीन नदी
🍭 कोलकात्ता 👉 हुगली
🍭 रोम 👉 टाईबर नदी
🍭 गुवाहाटी 👉 ब्रह्मपुत्र
🍭 शंघाई 👉 यांगटिसिक्यांग
🍭 जबलपुर 👉 नर्मदा
🍭टोकियो 👉 सुमीदा नदी
🍭 सूरत 👉 ताप्ती
🍭 विएना 👉 डेन्यूब नदी o
🍭 हैदराबाद 👉 मूसी
🍭 वारसा 👉 विस्तुला न दी
🍭 लखनऊ 👉 गोमती
🍭
🌹शक्तावतो का गुडा👉सौम नदि
वाशिंगटन 👉 पोटोमेक नदी ।
🌹🌹🌱🌱🌱🌱🌹


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