Friday, August 19, 2016

–मांसभक्षण वेदविरुद्ध है – वेद परमात्मा का ज्ञान है जिसे कि प्रत्येक सृष्टि के...

–मांसभक्षण वेदविरुद्ध है –
वेद परमात्मा का ज्ञान है जिसे कि प्रत्येक सृष्टि के आरम्भ में परमेश्वर ॠषियों को निमित्त बनाकर प्रदान करता है ।इसमें परमेश्वर ने मांसभक्षण करने का निषेध किया है । मांसभक्षण करने वाले के लिये परमेश्वर की आज्ञा का पालन न करना,यह एक बड़ी हानि है ।
कुछ लोग जो मांसभक्षण करते हैं, उन्हें कोई हानि होती हुई प्रतीत नहीं होती है । यह बड़ा ही आश्चर्य का विषय है कि दूसरों को अपने उदर के लिये दु:ख देकर भी वे किसी हानि के दर्शन नहीं कर पाते हैं। उन्हें यह ज्ञान कर लेना चाहिये कि आज्ञायें दो प्रकार की होती हैं -एक शरीर के साथ सम्बन्ध रखने वाली व दूसरी आत्मा के साथ सम्बन्ध रखने वाली । शरीर के साथ सम्बन्ध रखने वाली आज्ञा को भंग करने से रोग शोक आदि दु:ख होते हैं। यद्यपि मांसाहार करने से रोगादि दु:ख भी होते हैं किन्तु मांस खाना आत्मा से सम्बन्ध रखने वाली परमात्मा की आज्ञा का भंग करना है, इसलिये मांस खाने वाले को योगविद्या नहीं आती है और वह मानव जीवन के सर्वोत्तम धन मोक्ष से वञ्चित ही रहता है और यथासमय अपने पापकर्म का दण्ड भी अवश्य ही प्राप्त करता है ।विष्णुमित्र वेदार्थी ९४१२११७९६५


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