Wednesday, January 14, 2015

आचार्य दर्शनेय लोकेश जी WhatsApp से आज एक सन्देश मिला है। उसी एक सन्देश का अंश - “… मकर...

आचार्य दर्शनेय लोकेश जी

WhatsApp से आज एक सन्देश मिला है। उसी एक सन्देश का अंश - “… मकर सक्रांति … पृथ्वी आज से दक्षिण से उत्तर की दिशा में आने से दिन बड़े होने आरम्भ होते है। ” अनुशीलन- उपरोक्त सब बातें सर्वथा गलत हैं। कैसे भी किन्तु मकर संक्रान्ति और उत्तरायण एक ही दिन के नाम हैं और वह दिन सूर्य की दक्षिण परम क्रान्ति का दिन अर्थात 21 या 22 दिसम्बर का होता है.स्वाभाविक है कि वही दिन शिशिर ऋतु और माघ मास की संक्रान्ति का भी होता है.विद्वानों से निवेदन है कि समाज को ऐसी गलत बात न उपदेश करें जिसको आप गणित, वेध और शास्त्र से सिद्ध न कर सकें। एक सेलेकर 31 जनवरी तक मकर संक्रान्ति न कभी हुई है और न हो ही सकती है। आम लोगों को ही नहीं विद्वानों को भी भ्रम हैकि यही त्यौहार ऐसा है जो हमेशा निश्चित 14 ही जनवरी को होता है। इस विषय पर फिर आपको लिखा जायेगा। सच्चाई ये है कि ये दिन प्रति 72 वर्ष में + होता जाता है और एक समय ऐसा आएगा की आपकी संतनि भयंकर गर्मी की ऋतु में कम्बल और खिचड़ी बाँट रही होंगी। जून -जुलाई में मन रही होगी मकर संक्रांति। हम एक ऐसे सांस्कृतिक कुपोषण के शिकार हो चुके हैं जो हमें आज मकर संक्रांति मनवा रहा है जब कि सैद्धांतिक (शास्त्रीय), गणितीय और प्रायोगिक (वेधसिद्ध) तौर पर दक्षिण परमक्रांति से प्रभावित (घटित) यह दिवस 22 दिसंबर को था और हाँ 18 जनवरी की रात्रि जो कि वास्तविक महा शिव रात्रि की रात्रि है उसे नहीं बताया जा रहा है। दुनिया को ज्ञान देने वाले खुद कितने बड़े ज्ञान में हैं कि इतना भी पता नहीं कि आज मकर संक्रांति हो ही कैसे सकती है। दिन का बढ़ाना क्यों होता है औरकी दिन से होता है? देखो तो सही कि आज सूर्य की क्रांति कितनी है और उस क्रांति से उत्तरायण होना संभव है क्या? भीष्म पितामह माघ आता देख कर अहो! अहो! भाव से बोल पड़ते हैं, “माघो एस यं सम्प्राप्तो माष श्रेष्ठः युधिष्ठर:” जानने की बात ये है कि उनको इच्छामृत्यु के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा थी तो माघ के आने की बात कह कर क्यों खुश हो रहे है? क्योंकि उत्तरायण और माघसङ्क्रान्ति एक ही दिन के दो नाम हैं, इसलिए। पुनः सूर्य सिद्धांत कह रहा है, “भानोर्मकर संक्रान्तेः षण मासाः उत्तरायणम् ………. (सूर्य की मकर संक्रांति के दिन से पूरे छह महीने उत्तरायण के होते हैं) क्यों कहा गया है ऐसा? क्योंकि उत्तरायण और माघसङ्क्रान्ति या मकर संक्रांति एक ही दिन के दो नाम हैं, इसलिए। अस्तु, निवेदन है कि सांस्कृतिक प्रदुषण से बचें। अपने त्यौहार सही और वेदोपदिष्ट ऋतुबद्ध पंचांग (श्री मोहन कृति आर्ष तिथि पत्रक ) के अनुसार सही निर्धारण पूर्वक मनाएं। धन्यबाद।




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