Monday, January 12, 2015

ईश्वर कभी पाप आदि में किसी प्रकार की छुट नहीं देता है, ना ही किसी प्रकार की स्कीम निकालते है, की...

ईश्वर कभी पाप आदि में किसी प्रकार की छुट नहीं देता है, ना ही किसी प्रकार की स्कीम निकालते है, की गंगा में डुबकी लगाओ पाप धुल जायेंगे, या हिमालय पर जाकर एक टांग पर खड़े रहकर तपस्या करो पाप धुल जायेंगे


कर्म फल का सिधांत कभी बदलता नहीं आपने जैसा कर्म किया है उसके आधार पर आपको फल भी मिलेगा


इसलिए हम मनुष्यों कर कर्तव्य है की हम सही पथ पर चले और धर्म में ही जिए, अधर्म ना करें


यजुर्वेद अध्याय २ मन्त्र २८


मनुष्य द्वारा किये गए पाप गंगा आदि नदियों में डूबकी लगाने से नहीं धुलते, जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे


अग्ने॑ व्रतपते व्र॒तम॑चारिषंन्तद॑शकंन्तन्मे॑राधीदम॒हँयऽए॒वास्मि॒ सो॑स्मि ॥२-२८॥


भावार्थ:- मनुष्य को यही निश्चय करना चाहिये कि मैं अब जैसा कर्म करता हूं, वैसा ही परमेश्वर की व्यवस्था से फल भोगता हूं और भोगूँगा। सब प्राणी अपने कर्म से विरूद्ध फल को कभी नहीं प्राप्त होते, इससे सुख भोगने के लिये धर्मयुक्त कर्म ही करना चाहिये कि जिससे कभी दुःख नहीं हो।।


इस पृष्ठ पर सुचीवर नित्य एक वेद मन्त्र भाष्य सहित हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया जाता है आपसे करबद्ध निवेदन है की आप उसे अधिक से अधिक शेयर करें


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