Friday, December 26, 2014

"स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क का डर छोड़ दो, कौन जाने क्या पाप , क्या पुण्य, ..."

“स्वर्ग का सपना छोड़ दो,

नर्क का डर छोड़ दो,

कौन जाने क्या पाप ,

क्या पुण्य,

बस…

किसी का दिल न दुखे

अपने स्वार्थ के लिए,

बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।।”

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