Tuesday, August 16, 2016

ओ३म् नमस्ते जी 🌺आदर्श राष्ट्र 🌺 *आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर...

ओ३म् नमस्ते जी

🌺आदर्श राष्ट्र 🌺

*आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम् ।।-(यजु० २२/२२)*

इस मन्त्र में एक आदर्श राष्ट्र का वर्णन है।हमारा राष्ट्र कैसा हो?~~मन्त्र का पद्यानुवाद~~~~~?~~?🌺🌺🌺🌺🌺🌺 🌺प्रभु राष्ट्र में कुशल हों ब्राह्मण,ब्रह्म वर्चस् सिखलाने वाले|क्षत्रिय हों बहु शूरवीर,दुष्टों से राष्ट्र बचाने वाले|तीव्र गति वाले घोड़े हों,बैल समर्थ हों बलशाली| गौ माताएं हृष्ट पुष्ट हों,बहे दूध दहियों की नाली|नारी हो आधार राष्ट्र की,जिस पर सबको नाज रहे|शूरवीर जय शील हो संतति, उन्नत सभ्य स्वराज रहे| अतिवृष्टि ना अनावृष्टि हो,पके अन्न औषधि फल बाली| प्रभो आपकी कृपादृष्टि में, झम झम मेघ करें दे ताली| योगक्षेम हो सिद्ध हमारा, सुकर्तव्य पर हमें चलाओ| बढ़े नित्य प्रति राष्ट्र हमारा,विमल मधुर अमृत बरसाओ||👏


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