हमारा ऋग्वेद हमें बाँटकर खाने को कहता है !
हम जो अनाज खेतो में पैदा करते है उसका बटवारा तो देखिए
1, जमीन से चार अंगूल भूमि का,
2, गेहूँ के बाली के नीचे का पशूओ का,
3, पहले पेड़ की पहली बाली अग्नि की,
4, बाली से गेहूँ अलग करने पर मूठ्ठी भर दाना पंछियों का,
5, गेहूँ का आटा बनाने पर मूठ्ठी भर आटा चीटियों का फिर आटा गूथने के बात
6, चुटकी भर गूंथा आटा मछलियों का,
7, फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की और
8, पहली थाली घर के बूजूर्गो की और फिर हमारी और
9, आखरी रोटी कूत्ते की
ये हमे सिखाता है हमारा धर्म
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