Farhana Taj
सूर्य को जल देने का सही तरीका और असली कारण!
प्रस्तुति: फरहाना ताज
येल विश्वविद्यालय में 150 नेत्ररोगियों पर एक प्रयोग
किया गया। 50 रोगियो से एक महीने तक तांबे के चोड़े
पात्र पर दो मिनट तक लगातार उगते सूर्य को जल
दिलवाया गया, इस तरह कि जल चोडी पट्टी जैसा होकर
गिरे और उससे छनकर रोशनी रोगी की आंख में पडे।
दूसरे ग्रुप के 50 रोगियों से जल की बारीक धारा नाक की
सीध में डलवाई गई और तीसरे ग्रुप के 50 रोगियों को इतने
ही समय केले के पत्ते को खुली आंखों के सामने रखने को कहा
गया। प्रथम ग्रुप के रोगी की आंखों का अंधतत्व कम हुआ और
रोशनी बढी, दूसरे गु्रप को आंशिक लाभ हुआ और तीसरे ग्रुप
केले के पत्तों वालों को लाभ इतना ही हुआ कि आंखों की
रोशनी कम होनी रूक गई, लेकिन घटती हुई रोशनी बढ़ी
नहीं।
सूर्य को अघ्र्य देने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि जब
हम सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो इससे सीधे-
सीधे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। सुबह की ताजी हवा
और सूर्य की पहली किरणों हम पर पड़ती हैं। इससे हमारे चेहरे
पर तेज दिखाई देता है।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि पानी की धारा
के बीच उगते सूरज को देखते हैं तो नेत्र ज्योति बढ़ती है,
पानी के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरणों जब
शरीर पर पड़ती हैं तो इसकी किरणों के रंगों का भी हमारे
शरीर पर प्रभाव पड़ता है। जिससे विटामिन डी जैसे कई गुण
भी मौजूद होते हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि
जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु स्वत:
मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता|
अब बात अपने ग्रंथों की: अथर्ववेद में कहा गया है कि
सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों के प्रकाश में खुले
शरीर बैठने से हृदय रोगों तथा पीलिया के रोग में लाभ
होता है| अथर्ववेद में सूर्य की किरणों से जिन घातक सूक्ष्म
कृमियों के मरने का वर्णन है, मैक्समूलर जैसे कुछ धूर्त
भाष्यकारों ने उनका अर्थ दानव किया है और वहां पर भूत-
प्रेत, टोने-टोटकों की बातें लिखते हैं, जबकि वहां पर सूर्य
चिकित्सा विज्ञान का रहस्य छिपा हुआ है।
इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डा. अजय सहगल का
कहना है कि आजकल जो बच्चे पैदा होते ही पीलिया रोग
के शिकार हो जाते हैं उन्हें सूर्योदय के समय सूर्य किरणों में
लिटाया जाता है जिससे अल्ट्रा वायलेट किरणों के
सम्पर्क में आने से उनके शरीर के पिगमेन्ट सेल्स पर रासायनिक
प्रतिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है और बीमारी में लाभ
होता है|sent by आरया कानतिलाल भुज-गुजरात
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