न कालो दण्डमुद्यम्य शिर: कॄन्तति कस्यचित्।
कालस्य बलमेतावत् विपरीतार्थदर्शनम्।।
- महाभारत
अर्थात-
काल किसी का शस्त्र से शिरच्छेद
नही करता पर वह बुद्धिभेद करता है,
जिससे मनुष्य को गलत रास्ता ही सही लगता है, और वह अपने विनाश की ओर बढ़ता है। यह बुद्धिभेद ही काल का बल है।
सु प्रभात आपका मंगल हो
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