कब्ज रोज रात को सोते समय एक चम्मच हरड़ सर्दियों में गरम
पानी से और गर्मियों में सामान्य पानी से लेने से कब्ज नहीं
होता। प्रात: और रात को सोते समय नित्य सरसों के तेल की
मालिश पेट पर करें। नींबू का रस गरम पानी के साथ रात्रि को
लेने से दस्त साफ आती है। नींबू का रस और शक्कर प्रत्येक १२
ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ ही
दिनों में पुरानी कब्ज दूर हो जाती है। भूखे पेट सेब फल खाने से
कब्ज दूर होता है। खाना खाने के बाद सेब फल खाने से कब्ज
होता है। सेब फल का छिलका दस्तावर होता है। कब्ज वालों
को सेब फल छिलका सहित खाना चाहिये। कब्ज वालों को
अमरूद का नाश्ता करना चाहिए। इमली का गूदा पानी के
साथ उबालकर शक्कर मिलाकर लेने से पेट का अफारा एवं कब्ज
दूर होता है। गरम दूध में घी मिलाकर पीने से दस्त नरम, ढीला एवं
साफ आता है। टट्टी आती ही न हो तो साबुन के पतले टुकड़े को
तेल या वैसलीन लगाकर गुदा में घुसावें इससे ट्टटी आ जायेगी। एक
गिलास गरम गरम पानी जितना गर्म पिया जा सके खाना
खाने के बाद लगातार पीते रहने से कब्ज दूर होता है। पेट पर
गीला कपड़ा बिछायें। उस पर गीली मिट्टी का लेप करें। इस पर
फिर कपड़ा बांधें, रात भर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी की
पट्टी रखने से कब्ज दूर हो जाता है।
कब्ज हटाने के लिए —१ बड़े साइज का नींबू काटकर रात भर ओस
में पड़ा रहने दें, फिर प्रात:काल एक गिलास चीनी के शरबत में
उस नींबू को निचोड़कर तथा नाममात्र काला नमक डालकर
पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
अम्लता — अम्लता की बीमारी में सूखे चटपटे मसालेदार भोजन
देने चाहिये। यद्यपि बहुत विद्वान इससे सहमत नहीं हैं पर रोगी
को ऐसा भोजन खिलाकर सत्यता की पहचान की जा सकती
है। तरल पदार्थों का सेवन कम किया जाय लेकिन दूध बार बार
पिलाना चाहिये। गैस एसिडिटी में फालसे का रस
आरामदायक है। सुबह शाम भोजन के बाद १—१ लौंग खाने से
आराम होता है। केला पर चीनी इलायची डालने से लाभ होता
है। अम्लता के रोगी को भोजन के पहले एक गिलास गरम पानी
में नींबू निचोड़कर पीना चाहिये। लोग भ्रमवश नींबू के रस को
अम्लीय समझते हैं। इसके औषधीय गुणों को न पहचानकर
अम्लपित्त में नींबू का सेवन नहीं करते, जबकि नींबू अम्ल का
नाश करने वाला है। जिसे अल्सर कहते हैं, जिसमें खाने के बाद
सीने में जलन होती है, खाने के तुरन्त बाद उल्टियाँ होने लगती हैं
पेट में पानी भी नहीं ठहरता उसे सूखा आंवला, चंदन का चूरा और
छोटी इलायची इनको बराबर लेकर कूट छानकर १—१ चम्मच
चासनी के साथ सुबह शाम लेना चाहिये और ठंडे दूध को उपयोग
करना चाहिये, लगातार ६ माह तक लेना आवश्यक है। पिसी हुई
अजवाइन एक चम्मच, एक गिलास पानी एक नींबू का रस
मिलाकर पीने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
भूख
जिसे भूख अच्छी लगती है उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। नींबू
और अदरक की चटनी में मौसम के अनुसार धनिया की पत्ती भी
मिलायें इससे भूख अच्छी लगेगी और भूख न लगने की इच्छा
समाप्त हो जायेगी। गर्मी के कारण भूख न लगने पर खाना खाने
के एक घंटे पहले बर्फ का पानी पीने से भूख अच्छी लगने लगेगी।
खट्टे सेब के रस में आटा गूंथकर रोटी बनाकर नित्य खायें। एक कप
काले चने तीन गिलास पानी में उबालें। फिर छानकर इस पानी
को पियें। इससे जिन्हें भूख अधिक लगती है वह कम हो जाती है।
चाय पीने से भूख कम लगती है। चावल के मांड में काला नमक और
हींग मिलाकर पीने से भूख खुलकर लगती है।
पेट फूलना — यदि पेट फूल गया हो तो हींग को पानी में
मिलाकर उसमें कपड़ा तर करके नाभी पर थोड़ी देर रखें और गरम
पानी में हींग का चूर्ण खाएं।
उल्टी पका केला खाने से खून की उल्टी होना बन्द हो जाता
है। उल्टी में पोदीना का रस हर दो घंटे में नींबू मिलाकर
पिलायें। धनिया उबालकर मिश्री मिलाकर पीने से लाभ।
उल्टी रोकने में अदरक बहुत गुणकारी है। अदरक का रस १ चम्मच
लेकर जरा सेंधा नमक और काली मिर्च बुरक लें और चाट लें तुरंत
आराम। आवश्यकता पड़े तो १ घंटे बाद और ले लें। तरबूज अधिक
खाने से कलेजा जले, पीली पीली उल्टी हो तो प्रात: तरबूज के
रस में मिश्री डालकर पियें, ठीक हो जायेगा। जब उल्टी हो तो
सेकी हुई लौंग चूसें। उल्टी बंद करने के लिए दो लौंग और जरा सी
दालचीनी एक कप पानी में उबालें, आधा रहने पर छानकर
पिलावें इस तरह जब भी उल्टी हो पिलायें उलटियाँ बंद हो
जायेंगी। बेल का सूखा चूर्ण, धनिया सूखा, जीरा एवं सौंफ
इनको बराबर लेकर खाने के बाद दो चम्मच पानी से लेना
चाहिये, पेट साफ होगा तथा गैस भी कम होगी। किसमिस १
ग्लास पानी में रात को भिगो दें, सुबह किसमिस अलग करके
सिर्फ पानी पूरे दिन पिलावें, १ दो माह देने पर हमेशा के लिए
उल्टी बंद हो जायेगी। एक रोटी जलाकर राख कर लें फिर आधे
गिलास पानी में डाल दें रोटी घुल जायेगी, तब उसका ऊपर ऊपर
का पानी पिला दें। उल्टी चाहे पानी की पित्त की या अन्न
की बंद हो जाती है। इलायची चूर्ण को अनार के रस के साथ
पीने से उल्टी बन्द हो जाती है।
पित्तशांत— बेसन और मठ्ठे की कढ़ी बनाकर इसमें घी डालकर
खाने से पित्त शांत होता है। यात्रा में होने वाली उल्टी—दो
लौंग थोड़ी मिश्री चूसें। हरा पुदीना का उपयोग भी
लाभदायी है। संतरे का सेवन या संतरे का रस पिलावें।
रक्त की उल्टियाँ — ४ ग्राम जीरा, ८ ग्राम मिश्री का चूर्ण
शुद्ध पानी से ३—४ बार लें लाभ होता है। ठण्डा दूध और केला
भी लाभदायक होता है। मामूली उबकाई जी
मिचलाए……सोंठ और शक्कर बराबर लेकर पीसकर २—३ ग्राम
फांकने से उबकाई बंद हो जाती है।
डकारों की अधिकता — सूखा धनिया तीन भाग लौंग १ भाग
पीसकर दो—चार रत्ती खिलायें, बदहजमी का सिरदर्द और
डकार आना बंद हो जायेगा।
हिचकी — नारियल की जटा निकालकर जला लें और पीस लें।
एक चम्मच भस्म एक गिलास पानी में घोल कर रख दें जब भस्म
नीचे बैठ जाए तो ऊपर का आधा पानी रोगी को पिला दें
हिचकी चलना बंद हो जायेगा यदि ना हो तो १ घंटे बाद फिर
शेष बचा पानी पिला दें तीसरी बार पीने की जरूरत नहीं
पड़ेगी। मोर पंख का चन्द्राकार भाग जलाकर इस भस्म को
चासनी से चाटने पर हिचकी बंद होती है। साबुत उड़द जलते हुये
कोयले पर डालें और धुंआ को सूंघें हिचकी बंद। बाजरे के बराबर
हींग को गुड़ में खिलाने से हिचकी बंद हो जाती है। मोर पंख
को जलाकर राख को चासनी में देने से हिचकी बंद होती है।
बड़ी इलायची पीसकर मिश्री की चाशनी में मिलाकर चाटें।
मोरपंख के चदोवे की भस्म चाशनी के साथ लें। कोई एक।
from Tumblr http://ift.tt/1CupCEX
via IFTTT
No comments:
Post a Comment