राम धर्म पर ही रहे उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया | ये कौन सी मर्यादाये थी जिन्हें आर्य राजा राम ने पालन किया ? वे ऋग्वेद के दसवे मंडल में वर्णित सप्त मर्यादाये हैं |
सप्त मर्यादाः कवयस्ततकक्षुस्तासामेकामिदभ्यहुरो-गात् |
आयोर्ह स्कम्भ उपमस्य निव्वे पथां विसर्गे धरु धरुणेषु तस्थौ || ऋ० १०|१५|०६
अर्थात् हिंसा, चोरी, व्यभिचार, मद्यपान, जुआ, असत्य-भाषण और इन पापों के करने वाले दुष्टों के सहयोग का नाम सप्त्मर्यादा हैं | जो एक भी मर्यादा का उल्लघंन करता हैं वो पापी कहलाता हैं और जो धैर्य से इन हिंसादी पापों को छोड़ देता हैं, वह निसंदेह जीवन का स्तंभ और मोक्ष भाvगी होता हैं |
वेद में परमात्मा के इन सात मर्यादाओ के आदेश का पालन रघुकुल नन्दक श्री राम ने जीवन पर्यंत किया |
ऐसा बलमेरकि रामायण में लिखा है।
तुलसी के रामचरित मानस में बहुत खामियां हैं।
मूल रामायण बाल्मीकि कृत है अतः वाही प्रमाण माना जाएगा।
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