सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी परम दयालु परम कृपाल ईश्वर के होते हुए। पाखण्डी बाबाओ, अवतारो,पीरों,फकीरों,तान्त्रिकों को महत्व देना अज्ञानता है,मूर्खता है।
ईश्वर तक अपनी बात पहुंचाने के लिए किसी दलाल की आवश्यकता नहीं है ।पूर्ण पुरुषार्थ के उपरान्त आत्मकल्याण और जनकल्याण हेतु की गई प्रार्थना को ईश्वर स्वीकार करते हैं ।
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