Wednesday, April 8, 2015

तन से आर्य समाजी हैं पर मन से नहीं बन पाए हैं. छुआछूत और भेदभाव से ऊपर ना उठ पाए हैं. संध्या हवन की...

तन से आर्य समाजी हैं पर मन से नहीं बन पाए हैं.

छुआछूत और भेदभाव से ऊपर ना उठ पाए हैं.

संध्या हवन की रीत बिगाडी मानव ना बन पाए हैं.

ईश्वर का वरदान मिला, मिटटी में इसे मिलाये हैं.

फिर भी कहते मेरे सर पर श्रेष्ठता का ताज है.

कैसे आर्य समाजी हैं हम कैसा आर्य समाज है?

स्वार्थ की खातिर लोगों ने आर्य समाज बिगाड़ा है.

आस्तीन के सांप जिन्होंने बना लिया एक बाडा है.

आर्य जनों को हाथ पकड़ के घर से बाहर लिकाडा है.

दुष्ट जनों को माल खिलाया भद्र जनों को ताड़ा है.

माल बनाने की खातिर नियमो पर गिरती गाज है.

कैसे आर्य समाजी हैं हम कैसा आर्य समाज है?

अब भी वक़्त संभल जाओ हे आर्यों मत बर्बाद करो.

आर्य जनों को चुन चुन करके आर्य समाज आबाद करो.

पहले आर्य समाज में आओ बाकि सब उसके बाद करो.

इधर उधर की बातों में तुम यूँ ना व्यर्थ विवाद करो.

कह दो आर्य समाजी है हम इसका हमको नाज है.

हम हैं आर्य समाजी पक्के, वैदिक आर्य समाज है




from Tumblr http://ift.tt/1cbu2v2

via IFTTT

No comments:

Post a Comment