Friday, June 24, 2016

ओ३म् *🌷प्रातः जागरण🌷* हमारी दिनचर्या का आरम्भ प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जागने से होता है।आयुर्वेद...

ओ३म्

*🌷प्रातः जागरण🌷*

हमारी दिनचर्या का आरम्भ प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जागने से होता है।आयुर्वेद के ग्रन्थों में कहा है-
*ब्राह्मो मुहूर्ते बुध्येत स्वस्थो रक्षार्थमायुषः ।-(भावप्रकाश १/४)*

अर्थात् स्वस्थ व्यक्ति को अपनी जीवन-रक्षा के लिए प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए।

महर्षि मनु का आदेश है-
*ब्राह्मो मुहूर्त बुध्येत धर्मार्थों चानुचिन्तयेत्।*
*कायक्लेशांश्च तन्मूलान्वेदतत्त्वार्थमेव च।।*-(मनु० ४/९२)

अर्थ:-प्रत्येक व्यक्ति को ब्रह्ममुहूर्त में उठ के धर्म और अर्थ का चिन्तन करना चाहिए।शरीर के रोग और उनके कारणों का विचार करना चाहिए।फिर वेद के रहस्यों का भी चिन्तन करना चाहिए।

परन्तु आज युवक प्रातःकाल नहीं उठते।वे कहते हैं ‘मनुस्मृति’ अब आउट-ऑफ-डेट (पुरानी) हो गई है।अब तो टुडे (Today)-स्मृति के अनुसार कार्य करना चाहिए।
*सूर्यातपेऽवबुध्येत बीड़ीं टीं चानुचिन्तयेत् ।*
*दम्भं छलं परद्रोहं कलितत्त्वार्थमेव च ।।*

अर्थात् जब सूर्य पर्याप्त चढ़ जाए,खूब धूप निकल आए तब उठना चाहिए।उठते ही बीड़ी,सिगरेट और टी का चिन्तन करना चाहिए।दूसरों के साथ छल,ईर्ष्या और कुटिलता किस प्रकार करनी चाहिए-कलियुग के इन तत्त्वों का चिन्तन करना चाहिए।

सावधान! यह मार्ग कल्याण का मार्ग नहीं है।इस मार्ग पर चलकर पतन अवश्यम्भावी है।वेद कहता है-

*मैतं पन्थामनुगा भीम एषः ।*-(अथर्व० ८/१/१)
इस मार्ग पर मत चल,यह मार्ग बहुत भयंकर है।

प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठो।चार बजे शय्या अवश्य छोड़ दो।चौबीस घण्टों में ब्रह्ममुहूर्त ही सर्वश्रेष्ठ है।इसे आलस्य और निद्रा में नष्ट न करो।मानव-जीवन बड़े भाग्य से मिलता है।

ब्रह्ममुहूर्त में चन्द्रमा की छटा कुछ अद्भुत और निराली होती है।चन्द्रमा की किरणों में अमृत होता है,इसीलिए तो इसे सुधाकर कहते हैं।प्रातःकाल की वायु में अमृतकण होने के कारण रोग नष्ट हो जाते हैं।स्वास्थय और दीर्घ जीवन के इच्छुक प्रत्येक युवक और युवती को ब्रह्ममुहूर्त में अवश्य ही उठ जाना चाहिए।

शारीरिक स्वास्थय,मन,बुद्धि और आत्मा सभी की दृष्टि से ब्रह्ममुहूर्त में उठना परम-उपयुक्त है।किसी कवि ने क्या खूब कहा है-

*हर रात के पिछले पहरे में,इक दौलत लुटती रहती है।जो सोवत है सो खोवत है,जो जागत है सो पावत है।।*

वेद में कहा है-

*प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति।*-(ऋ० १/१२५/१)
प्रातः उठने वाला रत्नों को धारण करता है।

प्रातःकाल का वर्णन करते हुए श्री थोरो महोदय लिखते हैं-
*The Vedas say, “All intelligences awake with the morning.”*

अर्थात् वेद कहते हैं कि तमाम बुद्धियाँ प्रातःकाल के साथ ही जागरित होती है।

आयुर्वेद के ग्रन्थों में भी कहा है-
*वर्ण कीर्ति मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति।*
*ब्राह्मोमुहूर्ते संजाग्राच्छ्रियं वा पंकजं यथा।।*-(भै० सार० ९३)

अर्थात् प्रातःकाल उठने से सौन्दर्य,यश,बुद्धि,धन-धान्य,स्वास्थय और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।शरीर कमल कमल के समान खिल जाता है।

*अतः शारीरिक,मानसिक और आत्मिक उन्नति के इच्छुक विद्यार्थियों को ब्रह्ममुहूर्त में अवश्य उठ जाना चाहिए।इस समय कठिन-से-कठिन विषय सरलता से समझ में आ जाता है।प्रातः याद किया हुआ पाठ शीघ्र स्मरण हो जाता है और बहुत समय तक नहीं भूलता।*

*संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं,वे सब ब्रह्ममुहूर्त में उठा करते थे।*


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