Saturday, September 23, 2017

*हिन्दुओ के जीवन मे सब काम मानने से हो जाते है* 1: एक पंडत ने , तीन बार ऐसा कहकर *ॐ प्राण आगच्छतु*...

*हिन्दुओ के जीवन मे सब काम मानने से हो जाते है*
1: एक पंडत ने , तीन बार ऐसा कहकर *ॐ प्राण आगच्छतु* मूर्ति में प्राण फूँक दिए ।
हमने कहा पंडत जी यह मूर्ति चेतन प्राणवान लोगो की तरह व्यवहार क्यो नही करती ??
पंडत ने कहा कि *मान् लो* इसमें प्राण आ गए है
2: मेरी माता तस्वीर को भोग लगाती है , अगले दिन तस्वीर साफ करती है क्योकि भोजन ज्यो का त्यों लगा हुआ है,
हमने कहा कि माता तस्वीर ने कुछ नही खाया , माता ने कहा कि *मान लो* खा लिया
3: एक मित्र मिट्टी के ढ़ेले पर लाल धागा बांध कर गणेश जी की पूजा करते है, हमने कहा गणेश जी कहां है , उन्होंने कहा कि *मान लो* यही गणेश है।
4: एक धार्मिक व्यक्ति कौवों को भोजन कराता है पितर मान कर, हमने कहा ये कौवा किसी ओर पड़ोसी का पितर भी तो हो सकता है, उन्होंने कहा कि *मान लो* यही हमारा है।
5: हमारे मोहल्ले के लोगो ने रात भर माता का जागरण किया, सुबह हमने कहा कि क्या माता जाग गयी ? उन्होंने कहा कि *मान लो* जाग गयी
6: पड़ोस के एक घर मे एक महिला को दौरे पड़ गए वो नाचने लगी, हमने कहा इसे अस्पताल ले चलो, लोगो ने कहा माता आयी है इस पर , हमने कहा माता आई होती तो नाचती क्यो? दुष्टो का संहार करती । लोगो ने कहा *मान लो* आयी है
इसी *मान लो* ने हिन्दुओ का सबसे अधिक विनाश किया है
कट्टर हिन्दू कहते है देश खतरे में है, धर्म खतरे में है, गौमाता खतरे में है, मैं कहता हूं कि
मान लो ये हिन्दू राष्ट्र बन गया है
मान लो ये सब मुल्ले सनातनी बन गए है
मान क्यो नही लेते की घर घर मे गाय सुरिक्षित है
*क्या मानने से काम चल जाएगा*
धर्म रक्षा का काम ईश्वर देवी देवताओं के जिम्मे होता तो तिल भर भी धर्म की हानि कभी ना हुई होती।
*खोल लो आंखे* धर्मरक्षा व राष्ट्ररक्षा तुम्हारी जिम्मेदारी है।
असत्य , अंधविश्वास ओर *मान लो* के सहारे स्वराज्य सम्भव नही
*हिन्दुओ श्रद्धा वही होती है जो सत्य पर आधारित हो*
*“वेत्ति यथावत् तत्त्वपदार्थस्वरुपं यया सा विद्या।”*
जिससे पदार्थों का यथार्थ स्वरुप बोध होवे, वह विद्या है।
*मान लो* पर अविद्या, अंधश्रद्धा पाखण्ड झूठ , अंधविश्वास खड़ा होता है।
आओ अविद्या से विद्या की ओर
आओ अंधकार से प्रकाश की ओर
आओ अंधश्रद्धा से श्रद्धा की ओर
आओ गुलामी से स्वराज्य की ओर


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