लोहड़ी पर्व की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं💐💐
२९ पौष 13 जनवरी 2016
😶 “ सच्चा पिता ! ” 🌞
🔥🔥 ओ३म् मूषो न शिश्ना व्यदन्ति माध्य: स्तोतारं ते शतक्रतो । 🔥🔥
🍃🍂 सकृत् सु नो मघवत्रिन्द्र मृळयाधा पितेव नो भव ।। 🍂🍃
ऋक्० १० । ३३ । ३
ऋषि:- कवष ऐलूष: ।। देवता- इन्द्र: ।। छन्द:- शक्वरी ।।
शब्दार्थ- हे बहुत कर्मवाले! तेरे स्तोता होते हुए भी मुझको मानसिक पीड़ाएँ विविध प्रकार से खा रही हैं जैसे चूहे आटे से स्नान कराये गये, पान किये हुए सूत को खाते हैं। हे ऐश्वर्यवाले! हे इन्द्र! तू हमें एक बार अच्छी प्रकार सुखी कर दे और हमारा पिता की तरह रक्षक हो जा।
विनय:- मैं तेरा स्तोता हूँ, तेरा सन्ध्या-वन्दन करनेवाला हूँ, तेरा हवन-पूजन करनेवाला हूँ। तो भी, हे शतक्रतो! मुझे ये आधियाँ, ये मानसिक पीड़ाएँ खाये जा रही हैं। जैसे पान चढ़ाये गये, आटे से स्नान कराये गये सूत को चूहे काटने लगते हैं, सब तरह से चिपटकर खाने लगते हैं, उसी तरह ये मानसिक पीड़ाएँ मुझे नाना तरह से सता रही हैं, खाये जा रही हैं। अपूर्ण रहती हुई मेरी अनगिनत कामनाएँ मुझे काट रही हैं, काम-क्रोध-लोभ मुझमें उछल रहे हैं, राग-द्वेष मुझे पीड़ित कर रहे हैं, नाना मोह मुझे दबा रहे हैं, भयंकर भी मुझे व्यथित कर रहे हैं, मद-मत्सर मुझे मार रहे हैं, विविध चिन्ताएँ मुझे जला रही हैं, इस प्रकार अनगिनत आधियाँ मुझपर सब ओर से चढ़ रही हैं, मुझे पल-पल में व्याकुल कर रही हैं।
हे प्रभो!
मैं कब तक इनका भक्ष्य बना रहूँगा? कब तक इस प्रकार बेचैन बना रहूँगा? इनसे मेरी कौन रक्षा करेगा? तेरे स्तोता की और कौन रक्षा करेगा?
हे माघवन!
तुम्हीं मुझे एक बार अच्छी प्रकार सुखी कर दो। इन आधियों को हटाकर, इन मूषकों को भगाकर मुझे सुखी कर दो और पिता की तरह मेरे पालक हो जाओ। तेरे सिवाय इस दुनिया में मेरा रक्षक कौन है? मेरा पिता कौन है? इसलिए हे इन्द्र! तुम्हीं मुझ स्तोता के, मुझ पुत्र के पिता होओ, रक्षक होओ। पिता की तरह मुझे अब अपनी गोद में उठा लो। मुझे अपनी उस शान्त, निरूपद्रव, सुरक्षित शरण में उठा लो जहाँ इन मूषको की गति नहीं है।
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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
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