संविधान की पुनर्रचना जरूरी क्यों?
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दो सितम्बर 1953 को राज्यसभा में सांसद के नाते डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि, “लोग मुझे संविधान का निर्माता कहते हैं, लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि मैं उस समय भाड़े का टटू था। हम वकील लोग अनेक चीजों की वकालत करते हैं लेकिन अध्यक्ष महोदय! मैं यह कहने को बिलकुल तैयार हूँ कि इसे जलाने वाले लोगों में मैं पहला व्यक्ति होऊँगा क्योंकि यह किसी के हित में नहीं है।”
27 जुलाई 1946 को संविधान सभा के गठन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जिन्ना ने मुस्लिम लीग की बैठक में कहा था कि यह संविधान सभा वैसी नहीं है जैसी कि हम में से अधिकाँश लोग चाहते थे। इसका जन्म विशेष परिस्थिति में हुआ है और इसके जन्म के पीछे ब्रिटिश सरकार का हाथ है।
-स्वामी मुक्तानंद सरस्वती लिखित
‘अभारतीय इन्डियन संविधान’ पुस्तक में से
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