2021 हमारे वेदों की कीर्ति समस्त विश्व में पुनर्स्थापित होने की ओर अग्रसर….
👉नाम - आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
👉उद्देश्य- वेद से सम्पूर्ण सृष्टि विज्ञान (cosmology and astronomy) व ब्रह्माण्ड के बनने की प्रक्रिया को वैदिक विज्ञान से सिद्ध करना तथा 2021 तक वेदों को समस्त वैज्ञानिकों के मध्य वैज्ञानिक रूप से अपौरुषेय (परमात्मा की वाणी ) सिद्ध करना |
सम्पूर्ण भूमंडल पर यह सिद्ध हो जाएगा की वेद ही परम पिता परमात्मा का दिया ज्ञान है और सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है ||
सफलता(अब तक ) ——
👉1. Big Bang Theory को वैदिक सिद्धांतों से अपनी पुस्तक में गलत सिद्ध किया तथा और उसी पुस्तक के सिद्धांत से BARC के वैज्ञानिक डॉ आभाष कुमार मित्रा जी ने नासा में अपना research paper present किया तथा big bang की कई कमियों को सिद्ध किया और black hole को गलत सिद्ध करके उस की जगह नयी अवधारणा ECO(eternal collapsing object) को स्थापित किया |
👉2. इस रिसर्च पेपर से विश्व के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भी सहमत हुए तथा अपनी big bang theory की कमियों को ग्रहण किया | किसी भी वैज्ञानिक ने “vaidik theory of universe"पर कोई प्रश्न नहीं उठाया है जबकि कुछ वैज्ञानिको ने इस पर कार्य करना भी शुरू कर दिया है|
👉3. आचार्य जी वेद के "एतेरेय ब्राम्हण” विज्ञान का वैज्ञानिक भाष्य पूरा कर रहे हैं जो की विश्व में सर्वप्रथम हो रहा है |
👉4. आचार्य जी ने कई वैज्ञानिकों और स्टीफन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों को आधुनिक science पर कई आक्षेप लिख कर भेजे जिनका जवाब स्टीफन और अन्य वैज्ञानिको के पास नहीं है |
👉5..एक तरफ हजारो वैज्ञानिक इसी खोज में सर्न प्रयोगशाला में लगे है वाही दुसरी तरफ आचार्य जी अकेले कठिन परिश्रम कर रहे है और आचार्य जी ने दावा किया है की वे सर्न से पहले यह सब खोज लेंगे |
निष्कर्ष :- मित्रो यह अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च होगी तथा इस से हमारे भारत देश का खोया वेद विज्ञान पुनर्स्थापित होगा |
विज्ञान वेद के पीछे चलेगा न की वेद विज्ञान के पीछे |
संसार में फैले धार्मिक आडंबर , धर्म के नाम पर फैले गलत मत , मतान्तर नष्ट हो जायेंगे और विशुद्ध वैदिक मत की स्थापना होगी |
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक ने वेदिक सिद्धांतों से विश्व के वेज्ञानिकों को चकित किया (आचार्य जी वेदों से सृष्टि विज्ञान के बारे में शोध कर रहे है )-
प्रस्तुत है उनकी पुस्तक मेरा जीवन व्रत से -
कुछ विज्ञान बुद्धि वाले आधुनिक व्यक्ति प्रायः प्रश्न करते है की वैदिक लोग एक सुई तक न बना पाये और प्रतीज्ञा करते है की आधुनिक विज्ञान अधूरा है
हमारा वेद सम्पूर्ण विज्ञान है अन्य प्रश्न भी है इन प्रश्नों का सामना करते हुये मुझे वेज्ञानिक मंडली में रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर में जुलाइ २००५ में करना पड़ा एक वेज्ञानिक ने मुझसे कहा संस्कृतज्ञ और वैदिक लोग नकल करने में बहुत चतुर होते है जो भी आधुनिक विज्ञान बड़ा अविष्कार करते है उसे ही वेद मे ढूंढकर दिखाते है और कहते है हमारे वेद व ऋषि ग्रंथों में यह पहले से विध्यमान है आज तक आप लोगों ने कोई नया अविष्कार करके नहीं बताया है इसका उत्तर मेने यह कहकर दिया “मेने अपनी पुस्तक में आपके विज्ञान की कहीं नकल नहीं की बल्कि आपके प्रशिद्ध सिद्धांतों की भूलें दिखाकर उनका समाधान अपने मस्तिष्क व वैदिक विज्ञान से दिया है जो संसार में अन्यत्र नहीं मिलेगा ”
मेरे उत्तर से वे भौंचक्के रह गये वहीं पर पदमभूषण से सम्मानित अंतर्रस्ट्रीय वेज्ञानिक प्रो अजीतरंजी को मेने वेदग्यों साधु संतों पर व्यंग्य करते देखा “आप लोग व्यर्थ प्रश्न ही करते है जैसे बिग बेंग से पूर्व क्या था ,उससे पूर्व क्या था ….|
इन प्रश्नों का कोई अर्थ नहीं है प्रश्न करने में कुछ खर्च नहीं होता ” उस वेज्ञानिक मंडली के मध्य मेने तत्काल यह उत्तर दिया “मान्य प्रो साहब में आपसे प्रश्न करने नहीं आया हु की बिग बेंग से पूर्व क्या था बल्कि उत्तर देने आया हु बिग बेंग सिद्धांत क्यूं गलत है ?
मे न सिर्फ ये बताने आया हु न केवल बिग बेंग से पूर्व क्या था बल्कि सबसे पूर्व क्या था ?”
तब उन्होने आशचर्यचकित हो कर मुझ साधु वेशधारी से कहा की मे आपकी पुस्तक अवश्य पढूंगा २००४ वर्ल्ड कांग्रेस ओन वेदिक साइंसेस में जब सभी वेज्ञानिकों व विद्वानों ने वेद मंत्रों का गलत अर्थ करके विज्ञान से शंकर अद्वैतवाद की पुष्टि की तब आचार्य जी ने उनकी गलत धारणाओं का खंडन कर कहा की जब तक ब्रम्ह सूत्र मे जनमध्यष्य यतः सूत्र जीवित है संसार का कोई विद्वान ब्रम्ह सूत्रों से शंकर अद्वैतवाद की सिद्धि नहीं कर सकता |
और बाद में आचार्य जी ने त्रैतवाद की सिद्धांत को सिद्ध करते हुये बिग बेंग की धारना का खंडन किया व एक सिद्धांत वेज्ञानिकों के समक्ष सिद्ध किया की शून्य आयतन में अनन्त द्रव्यमान व उर्जा का होना संभव नहीं जिस सिद्धांत से बाद मे भाभा सेंटर के वेज्ञानिक मित्रा जी ने नासा में स्टीफन हॉकिंग के सिद्धांत का खंडन किया और दुनिया मे सबसे महान माने जाने वाले वेज्ञानिक स्टीफन ने अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी
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