७ माघ 20 जनवरी 2016
😶 “ व्रत पालन करो ! ” 🌞
🔥🔥 ओ३म् न देवनामति व्रतं शतात्मा चन जीवति । 🔥🔥
🍃🍂 तथा युजा वि वावृते ।। 🍂🍃
ऋक्० १० । ३३ ।९
ऋषि:- कवय ऐलूष: ।। देवता- उपमश्रवा मैत्रातिथि: ।। छन्द:- गायत्री ।।
शब्दार्थ- देवों के अटल नियम को अतिक्रमण करके सौ मनुष्यों की शक्ति रखनेवाला, शतगुणा वीर्यवाला पुरुष भी नहीं जीता, बचता। और वैसे ही, वह अपने साथी से, साथी की सहायता से वियुक्त हो जाता है।
विनय:- मनुष्यों!
देखो, देव लोग अपने व्रतपालक में बड़े कठोर हैं। इन देवों के नियम अटल हैं। ये किसी के लिए टल नहीं सकते। इन ईश्वरीय नियमों को तोड़ने का यत्न करना बड़ी मूर्खता है। इन्हें तोड़ने का यत्न करनेवाला टूट जाएगा, पर ये नियम न तोड़े जा सकेंगे। इनका अतिक्रमण करके, इनका उल्लंघन करके ‘शतात्मा’ पुरुष भी नहीं बच सकता, सौ मनुष्यों की शक्ति रखनेवाला, शतगुणा वीर्य रखनेवाला मनुष्य भी जीवित नहीं रह सकता। उसे भी व्रत-भंग पर अपने बड़े-से-बड़े साथी से बलात् वियुक्त हो जाना पड़ता है। दैव नियमों का भंग करने पर हमारे सब सम्बन्ध विच्छिन हो जाते हैं, हमारे सब जोड़ टूट जाते हैं। उस समय हमारी सहायता करना चाहता हुआ भी हमारा बलवान्-से-बलवान् जोड़ीदार, हमारा समर्थ-से-समर्थ साथी, हमारी सहायता नहीं कर सकता। उसके देखते-देखते हमें नियमभंग का कठोर दण्ड भोगना पड़ता है। वह भी हमें बचा नहीं सकता। इसलिए हे भाइयों! हमें कभी मद में आकर, अपने किसी भी प्रकार के बल के घमण्ड में आकर, कभी भूलकर भी देवों के व्रतों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, देवों के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
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