Tuesday, January 12, 2016

जो आनंद संत फकीर करे वो आनंद ना ही अमीरी मे सुखदुख मे समता साध रहे कुछ खोफ ना ही जागीरी मे जो...

जो आनंद संत फकीर करे
वो आनंद ना ही अमीरी मे
सुखदुख मे समता साध रहे
कुछ खोफ ना ही जागीरी मे
जो आनंद संत फकीर करे,,,
★प
हर रंग मे सेवक रुप रहे
अम्रुत का जल ज्यु कुप रहे
सत कर्म करे और चुप रहे
भले ने छांव रहे या धुप रहे
निस्पुही बने जग मे विसरे
रहे वो धीर गंभीरी मे
जो आनंद संत फकीर करे,,,
★र
जग तारण कारण देह धरे
सतसेवा करे जग पाप हरे
जीग्नासु के घट मे ग्नान भरे
संतवाणी सदा मुख से उचरे
संडरीपुको बंसकर रंग मे रहे
रहे वो सदा शुरवीरी मे
जो आनंद संत फकीर करे,,,
★ब
सदबोध जगत मे आइ कहे
सत्य मारग को दिखलाइ कहे
गुरु ग्नान से पद ये गाय कहे
कहे सतार शब्द समजाइ कहे
मरजीवा बने सो मोजु करे
रहे वो अलमस्त फकीरी मे
जो आनंद संत फकीर करे,,,
★परबत गोरीया★


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