Sunday, February 21, 2016

९ फाल्गुन 21 फरवरी 2016 😶 “ सुख प्रदान कर ! ” 🌞 🔥🔥 ओ३म् नह्म९न्यं बळाS...

९ फाल्गुन 21 फरवरी 2016

😶 “ सुख प्रदान कर ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् नह्म९न्यं बळाS करं मडितारं शतक्रतो। 🔥🔥
🍃🍂 त्वं न इन्द्र मृठ्ठय।। 🍂🍃

ऋक्० ८ । ८०। १

ऋषि:- एकद्यूनौंधस: ।। देवता- इन्द्र: ।। छन्द:-गायत्री ।।

शब्दार्थ- हे शतयज्ञ !
तुझसे अन्य किसी सुखयिता को सचमुच ही मैं नहीं करता हूँ, अत: हे परमेश्वर ! तू हमें सुखी कर ।

विनय:- सचमुच तेरे सिवाय, हे शतक्रतो !
इस संसार में और कोई सुखयिता नहीं है । इन भोग्य विषयों को, जिनके सुख पाने को यह संसार मरा जाता है, मैंने खूब जांचा है, खूब परखा है, परन्तु हे इन्द्र ! मैंने देखा है कि इनमें तो सुख का लेश भी नहीं है । स्वजनों से प्रेम,धन-वैभव, मान-प्रतिष्ठा आदि को सुखदाता प्राय: सभी अनुभव करते है, परन्तु हे इन्द्र ! मैंने देखा हैं कि उनमें भी कोई सुख नहीं है, जो कुछ इनमें उपलब्ध होता है वो भी इनका अपना नहीं होता है । मैं देखता हूँ कि तेज भूकग में रुखासूखा खा लेने से जो स्वाभाविक सुख मिलता है, या गुरुचरणों के चरण स्पर्श से जो सात्विक सुख मिलता है उसका भी कारण वो भोजन या गुरुचरण नहीं है तूहै तू है इन्द्र तू है
तो मुझे जैसा पुरष सुख पाने के लिए दर दर कियूं फिरेगा ? जिसने देख लिए संसार झूठन और आंशिक सुख भोग रहा है और असली सुख से कोसों दूर है वो सुख के भण्डार के पास तेरे पास आएगा । इसलिए मैंने तो सुखयिता के लिए तुझे वर लिया है मुझे तो अब जिस सुख की प्यास है वह तेरा सुख है, सीधा तुझसे मिलनेवाला विशुद्ध सुख है । मुझे दूसरे तीसरे और हज़ारों हाथों से आया सुख भी नहीं चाहिए । मुझे चातक की प्यास तो अब तुझसे आनेवाली तेरी निर्मल दिव्य सुख से ही मिट सकती है । इसलिए हे इंद्र ! तू मुझे अपना सुख प्रदान कर, स्वयं अपना सुख प्रदान कर🙏🏼🙏🏼



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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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