ऋषि दयानन्द जी ने 10 अध्याय ज्ञान चर्चा में और केवल 4 अध्याय खण्डन में लिखा है। हमें भी मुख्यतः ज्ञान चर्चा पर केंद्रित रहना चाहिए।
किन्तु अधिकतर आर्य मुख्यतः खण्डन पर केन्द्रित रहते हैं।
माता चाहे जड पूजक ही क्यों न हो, आप उसकी आलोचना करके उसका अपमान नहीं कर सकते। आप Theoretical knowledge प्राप्तकर स्वयं को विद्वान् और माता को मूर्ख मानने की भूल नही कर सकते। 🙏ं
from Tumblr http://ift.tt/1GBoloG
via IFTTT
No comments:
Post a Comment