ओउम्
——-भूपेश आर्य——–
आत्मिक शक्ति सम्पन्न ग्रहस्थ:-
जिस नर में आत्मिक शक्ति है,अन्याय से झुकना क्या जानें।
जिस दिल में ईश्वर भक्ति है,वह पाप कमाना क्या जानें।।
माँ-बाप की सेवा करते हैं,उनके दु:खों को हरते हैं।
वह मथुरा,काशी,हरिद्वार,व्रन्दावन जाने क्या जानें।।
दो काल करें सन्ध्या व हवन,नित सत्संग में जो जाते हैं।
भगवान का है विश्वास जिन्हें,दु:ख में घबराना क्या जानें।।
जो खेला है तलवारों से और अग्नि के अंगारों से।
रण भूमि में जाके पीछे,वह कदम हटाना क्या जानें।।
हो कर्मवीर और धर्मवीर वेदों का पढने वाला हो।
वह निर्बल दुखिया बच्चों पर,तलवार चलाना क्या जानें।।
मन मन्दिर में भगवान बसा,जो उसकी पूजा करता है।
मन्दिर के देवता पर जाकर,वह फूल चढाना क्या जाने।।
जिसका अच्छा आचार नहीं,और धर्म से जिसको प्यार नहीं।
जिसका सच्चा व्यवहार नहीं,नन्दलाल का गाना क्या जानें।।
~~~~~इति ओउम्~~~~~
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