अज्ञान का असर हैं ,
शिक्षा का ज्ञान नहीं ।
पत्थरों को पुजता हैं ,
सत्य की पहचान नहीं ।
मन्दिरों में चढॉवा. ,
गरिबों को दान नहीं ।
कठपुतली बनकर रह गया ,
खुद का ईमान नहीं ।
डुब गया है.. दुःख में,
सुख में समाधान नहीं ।
बुद्ध को समज ले ,
दुसरा कोई वरदान नहीं ।
वरना…….
जिना भी क्या जीना है ,
जब जीने का अरमान नहीं ।
क्या वजुद है तैरा,
जो इंन्सान होकर भी,
तु इंन्सान नहीं ।
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