११ कार्तिक 27 अक्टूबर 2015
😶 “ प्राण की महामहिमा ! ” 🌞
🔥🔥 ओ३म् यथा प्राण बलिहृतस्तुभ्यं सर्वा: प्रजा इमा: । 🔥🔥
🍃🍂 एवा तस्मै बलिं हरान् यस्त्वा शृणवत् सुश्रव: ।। 🍂🍃
अथर्व० ११ । ४ । १९
ऋषि:- भार्गवो वैदर्भि: ।। देवता- प्राण: ।। छन्द:- अनुष्टुप्।।
शब्दार्थ- हे प्राण!
जैसे ये सब प्रजाएँ, जीव तेरे लिए बलि का, कर का, भेंट का आहरण करनेवाली हैं इसी तरह उस पुरुष के लिए भी ये सब प्रजाएँ बलि, भेंट को लाती हैं, लाने लगती हैं जो प्राणोपासक पुरुष हे सुन्दर सुननेवाले, हे सुन्दर यश वाले! तुझे सुनता है।
विनय:- हे महासम्राट् प्राण!
यह देखो कि संसार-भर के सब प्राणी, सब प्रजाएँ, सब जीव तुम्हारे लिए कर ला रहे हैं, तुम्हें प्रतिदिन अन्नरूपी कर की भेंट चढ़ा रहे हैं। यदि वे ऐसा न करें तो वे जीवित ही न रह सकें। तुम ऐसे प्रतापी सम्राट् हो कि डर के मारे, अपने मर जाने के डर के मारे, संसार-भर के सब जीव नित्य तुम्हारी प्राणाग्नि में अन्न-बलि दे सकने के लिए अन्नों को जहाँ-तहाँ से ला रहे हैं, बड़े यत्न से पसीना बहाकर अन्न-धन जमा कर रहे हैं और किसी-न-किसी तरह तुम्हें संतृप्त कर रहे हैं।
हे प्राण!
तुम जीवनमात्र के सदा प्रथम उपास्य बने हुए हो। हे सुश्रव:, हे सुन्दर सुनानेवाले, हे सुन्दर यशवाले! तुम्हारा वह भक्त भी इसी प्रकार सब लोगों का उपास्य और सबकी बलियों का भाजन बन जाता है जो तुम्हारा पूर्ण उपासक हो जाता है, जो तुम्हारे सुन्दर यश को सुनता है, तुम्हारी आज्ञाओं व बातों को सुनता है और ठीक उनके अनुसार आचरण करता है। जो मनुष्य प्राण की उपासना करते हैं, प्राण की महामहिमा का श्रवण-मनन करते हैं, उनके कानों में तुम न केवल सदा अपना दिव्यज्ञान सुनाने लगते हो, किन्तु उन्हें कब क्या करना चाहिए ऐसा अपना दिव्य सन्देश भी हर समय देने लगते हो। धन्य हैं वे पुरुष जिन्हें इस प्रकार प्राण के श्रोता बनने का महासौभाग्य प्राप्त होता है। ऐसे लोग, हे प्राण! मनुष्यसमाज के प्राण बन जाते हैं। हम संसार में देखते हैं कि मनुष्यसमाज के प्राणभूत ऐसे महापुरुषों के लिए सब लोग अपना अहोभाग्य समझते हुए नानाविध भेंट लाते हैं, उनके सामने अपना घर, धन, सम्पत्ति, पुत्र, जीवन तक उपस्थित कर देते हैं, उन्हें जीवित रखने की सब-के-सब लोग चिंता करते हैं और अपने-आप मरकर भी उन्हें जीवित रखना चाहते हैं।
हे प्राण!
जब तुम्हारे श्रोता की ही इतनी महिमा है तो स्वयं तुम्हारी अपनी महिमा को हम तुच्छ लोग क्या बखान कर सकते हैं?
🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂
ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे
🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚
from Tumblr http://ift.tt/1H5DE3y
via IFTTT
No comments:
Post a Comment